Monday, April 30, 2018

Amb Andoura Railway Station


अम्ब अंदौरा स्टेशन पर एक रात 

अम्ब अंडोरा स्टेशन 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

        हम चिंतपूर्णी से लौटने में काफी लेट हो गए थे। हमारा रिजर्वेशन अम्ब अंदौरा स्टेशन से दिल्ली तक हिमाचल एक्सप्रेस में था जिसका छूटने का समय रात आठ बजकर दस मिनट था जबकि हमें सात तो चिंतपूर्णी में ही बज चुके थे।  पर कहा जाता है कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है, मेरी उम्मीद अभी ख़त्म नहीं हुई थी। मैंने एक टैक्सी किराये पर की और अम्ब के लिए निकल पड़ा। हालाँकि रात के समय में पहाड़ी रास्तों पर टैक्सी वाले ने गाडी खूब तेज चलाई और आठ बजकर दस मिनट पर हमें अब स्टेशन लाकर रख दिया। हमारी ट्रेन हमारी आँखों के सामने सही समय पर छूट चुकी थी और अब हमारे पास इस वीरान स्टेशन पर रुकने के सिवाय कोई रास्ता नहीं था। टैक्सी वाला भी अब तक जा चुका था। अम्ब अंदौरा स्टेशन शहर से काफी दूर एकांत जगह में बना हुआ है। यहाँ आसपास कोई बाजार नहीं था, बस स्टेशन के बाहर दो तीन दुकानें थी जिनका भी बंद होने का समय हो चला था। 

Sunday, April 29, 2018

CHINTPURNI DEVI : 2018


माँ चिन्तपूर्णी जन्मोत्सव
चिंतपूर्णी जन्मदिवस 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

        आज शनिवार है और २९ अप्रैल भी। हम माता चिंतपूर्णी के दर्शन हेतु एक लम्बी लाइन में लगे हुए थे। हमारी लाइन के अलावा यहाँ एक और भी लाइन लगी हुई थी। इस लाइन के व्यक्ति भी माता के दर्शन हेतु ही प्रतीक्षारत थे।  कई घंटे लाइन में लगे रहने के बाद हम मंदिर के बाहर बने बाजार तक पहुंचे।  यहाँ हमें दर्शन हेतु एक पर्ची दी गई।  इस पर्ची का पर्याय यही था कि आप बिना लाइन के माता रानी के दर्शन नहीं कर सकते। पर्ची लेने के बाद भी लेने ज्यों की त्यों ही थी। जब काफी समय हो गया और मुझे गर्मी सी मह्सूस होने लगी तो मैं पास की दुकान में पंखे की हवा खाने चला गया। दुकान में बैठना था इसलिए एक कोक भी पीली। तबतक मेरे अन्य सहयात्री लाइन में काफी आगे तक आ चुके थे। 

Saturday, April 28, 2018

JWALA DEVI : 2018


माँ ज्वालादेवी जी की शरण में

जय माँ ज्वालदेवीजी 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

        काफी देर रानीताल पर खड़े रहने के बाद एक पूरी तरह से ठठाठस भरी हुई एक बस आई, जैसे तैसे हम लोग उसमे सवार हुए और ज्वालाजी पहुंचे।  ये शाम का समय था जब हम ज्वालाजी मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर से मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे। बाजार की रौनक देखने लायक थी। मंदिर के नजदीक पहुंचकर हमने एक कमरा बुक किया। कमरा शानदार और साफ़ स्वच्छ था। कुमार किसी दूसरे होटल में अपने परिवार के साथ रूका हुआ था।  नगरकोट की तरह यहाँ भी लाडोमाई जी की गद्दी है।  बड़े मामा और किशोर मामा अपने परिवार के साथ उनके यहाँ रूकने को चले गए।  शाम को सभी लोग मंदिर पर मिले, सबसे अंतिम दर्शन करने वाले मैं और माँ ही थे। इसके बाद मंदिर बंद हो चुका था।

Jwalamukhi Road Railway Station


चामुंडा मार्ग से ज्वालामुखी रोड रेल यात्रा 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 


      काँगड़ा वैली रेल यात्रा में जितने भी रेलवे स्टेशन हैं सभी अत्यंत ही खूबसूरत और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर हैं। परन्तु इन सभी चामुंडा मार्ग एक ऐसा स्टेशन है जो मुझे हमेशा से  ही प्रिय रहा है, मैं इस स्टेशन को सबसे अलग हटकर मानता हूँ, इसका कारण है इसकी प्राकृतिक सुंदरता।  स्टेशन पर रेलवे लाइन घुमावदार है, केवल एक ही छोटी सी रेलवे लाइन है।  स्टेशन के ठीक सामने हरियाली से भरपूर पहाड़ है और उसके नीचे कल कल बहती हुई नदी मन को मोह लेती है।

 स्टेशन के ठीक पीछे धौलाधार के बर्फीले पहाड़ देखने में अत्यंत ही खूबसूरत लगते हैं। सड़क से स्टेशन का मार्ग भी काफी शानदार है।  यहाँ आम और लीची के वृक्ष अत्यधिक मात्रा में हैं। यहाँ के प्रत्येक घर में गुलाब के फूलों की फुलवारी लगी हुई हैं जिनकी महक से यह रास्ता और भी ज्यादा खुसबूदार रहता है। स्टेशन पर एक चाय की दुकान भी बनी हुई है परन्तु मैं यहाँ कभी चाय नहीं पीता। 

Chamunda Devi : 2018



माँ चामुंडा के दरबार में वर्ष - २०१८

चामुंडा 2018 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

         काँगड़ा से बस द्वारा हम चामुंडा पहुंचे, बस वाले ने हमें ठीक चामुंडा के प्रवेश द्धार के सामने ही उतारा था। यहाँ मौसम काँगड़ा की अपेक्षा काफी ठंडा था और बादल भी हो रहे थे। यह मेरी और माँ की चामुंडा देवी के दरबार में तीसरी हाजिरी थी। पिछले वर्षों की तुलना में यहाँ आज कार्य प्रगति पर था मंदिर के सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है, जब मैं और माँ यहाँ 2010 में आये थे तब यह अत्यंत ही खूबसूरत था परन्तु अत्यधिक बरसात होते रहने के कारण यहाँ बनी मुर्तिया और तालाब अब थोड़े से धूमिल हो चुके थे परन्तु मंदिर की शोभा और गलियारा आज भी वैसा ही है। चामुंडा देवी की कथा का विवरण मैंने अपनी पिछली पोस्टों में किया है। हम सभी मंदिर के बाहर बने प्रांगण में बैठे हुए थे।  माँ को यहाँ शरीर में सूजन थोड़ी ज्यादा आ गई थी इसलिए मंदिर के प्रांगण में बने सरकारी चिकित्सालय से माँ को मुफ्त कुछ दवाइयां दिलवा लाया।

Friday, April 27, 2018

MACLOADGANJ : 2018

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

मैक्लोडगंज की वादियों में 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

        आज का प्लान हमारा मैक्लोडगंज जाने का था, कुमार इसके लिए पूर्णत: तैयार था, मैं, कल्पना और कुमार अपने परिवार सहित मैक्लोडगंज के लिए निकल लिए और साथ ही बुआजी, गौरव और रितु मामी जी भी हमारे साथ थे। हम काँगड़ा के बसस्टैंड पहुंचे, यहाँ एक बस धर्मशाला जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थी, बस खाली पड़ी थी तो हम इसी में सवार हो लिए। 

 कुछ ही समय बाद हम धर्मशाला में थे, यहाँ बने एक रेस्टोरेंट में भोजन करने के बाद हम धर्मशाला के बस स्टैंड की तरफ रवाना हुए, मुख्य सड़क से बस स्टैंड काफी नीचे बना हुआ है, सीढ़ियों के रास्ते हम बस स्टैंड पहुंचे, एक मार्कोपोलो मिनी बस मैक्लोडगंज जाने को तैयार खड़ी थी। टेड़े मेढे रास्तों से होकर हम कांगड़ा घाटी में बहुत ऊपर तक आ चुके थे, यहाँ का मौसम काँगड़ा के मौसम की तुलना में बहुत अलग था, चारोंतरफ चीड़ के वृक्ष और सुहावना मौसम मन को मोह लेने वाला था।

Wednesday, April 25, 2018

KANGRA : 2018

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

नगरकोट धाम वर्ष २०१८ 

KANGRA TEMPLE


        इस बार काँगड़ा जाने की एक अलग ही ख़ुशी दिल में महसूस हो रही थी, इसका मुख्य कारण था करीब पांच साल बाद अपनी कुलदेवी माता बज्रेश्वरी के दर्शन करना और साथ ही अपनी पत्नी कल्पना को पहली बार नगरकोट ले जाना। यह सपना तो पहले भी पूरा हो सकता था परन्तु वो कहते है न जिसका बुलाबा जब भवन से आता है तभी वो माता के दर्शन का सुख पाता है। 

इसबार माँ ने मुझे भी बुलाया था और कल्पना को भी साथ इस यात्रा में मेरी माँ मुख्य यात्री रहीं। अन्य यात्रियों में मेरे बड़े मामाजी रामखिलाड़ी शर्मा उनकी पत्नी रूपवती शर्मा, मेरे एक और मामा किशोर भारद्धाज उनकी पत्नी रितु एवं उनके बच्चे गौरव और यतेंद्र। इनके अलावा मेरी बुआजी कमलेश रावत और मेरा दोस्त कुमार भाटिया अपने बेटे क्रियांश और अपनी पत्नी हिना भाटिया और उसके साले साहब कपिल वासवानी अपनी पत्नी रीत वासवानी के साथ थे। 

Saturday, March 31, 2018

Kachhala bridge



यात्रा दिनांक - 31 मार्च 2018 

 पूर्णिमा पर गंगा स्नान - कछला ब्रिज 

कछला ब्रिज - मीटरगेज का स्टेशन 


       चूँकि आज पूर्णिमा थी और मुझे मेरे घर के लिए गंगाजल की आवश्यकता भी थी इसलिए शनिवार की छुट्टी भी थी तो चल दिया आज गंगा स्नानं करने कछला की ओर। आज मेरी कमलेश बुआजी भी अपने गांव अमोखरि जा रही थी तो दोनों चल दिए सुबह सबेरे पांच बजे मथुरा स्टेशन की ओर। स्टेशन पर बाइक खड़ी कर सीधे ट्रेन की तरफ पहुंचे। आगरा कैंट - कोलकाता एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म पर खड़ी हुई थी और चलने ही वाली थी, सही वक़्त पर पहुंचकर हमने ट्रेन में सीट में जगह पा ली।  यह वही ट्रेन है जिससे मैं कुछ महीनों पहले बिहार की यात्रा पर गया था, आज इस ट्रेन में यात्रा का मेरा दूसरा मौका था। ट्रेन मथुरा से चलकर सीधे हाथरस सिटी  रुकी, बुआजी यहीं उतर गई, अब आगे की यात्रा मुझे अकेले ही करनी थी। 

Friday, March 23, 2018

Rewari Passenger



  फ़िरोज़पुर से भटिंडा व रेवाड़ी  पैसेंजर यात्रा 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

        हुसैनीवाला से वापस मैं फ़िरोज़पुर आ गया, यहाँ से भटिंडा जाने के लिए एक पैसेंजर तैयार खड़ी हुई थी जो जींद की तरफ जा रही थी परन्तु मैं भटिंडा से रेवाड़ी वाली लाइन यात्रा करना चाहता था इसलिए सीधे भटिंडा का टिकट लेकर ट्रेन में पहुंचा और खाली पड़ी सीट पर जाकर बैठ गया। शाम चार बजे तक भटिंडा पहुँच गया परन्तु चार से पांच बज गए इस ट्रेन को भटिंडा के प्लेटफॉर्म पर पहुँचने में। तभी दुसरे प्लेटफॉर्म पर खड़ी रेवाड़ी पैसेंजर ने अपना हॉर्न बजा दिया, मैं जींद वाली पैसेंजर से उतरकर लाइन पार करके रेवाड़ी पैसेंजर तक पहुंचा , ट्रेन तब तक रेंगने लगी थी, इस ट्रेन में बड़ी जबरदस्त मात्रा में भीड़ थी जबकि ये भटिंडा से ही बनकर चलती है।

Hussaini Wala Border


शहीदी मेला -  भगत सिंह जी की समाधि पर

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी का समाधी स्थल 


           मैंने सुना था कि पंजाब में एक ऐसी भी जगह है जहाँ साल में केवल एक ही बार ट्रेन चलती है और वो है फ़िरोज़पुर से हुसैनीवाला का रेल रूट। जिसपर केवल वैशाखी वाले दिन ही ट्रेन चलती है, जब मैंने इसके बारे में विस्तार से जानकारी की तो पता चला कि यहाँ साल में एक बार नहीं दो बार ट्रेन चलती है, वैसाखी के अलावा शहीदी दिवस यानी २३ मार्च को भी। इसलिए इसबार मेरा प्लान भी बन गया शहीदी दिवस पर भगत सिंह जी की समाधी देखना और साल में दो बार चलने वाली इस ट्रेन में रेल यात्रा करना। मैंने मथुरा से फ़िरोज़पुर तक पंजाब मेल में रिजर्वेशन भी करवा दिया। अब इंतज़ार था तो बस यात्रा की तारीख का। और आखिर वो समय भी भी आ गया।

Thursday, March 15, 2018

Laakhnu Fort



लाखनूं किले के अवशेष और रियासत

        हाथरस उत्तर प्रदेश का एक छोटा शहर है परन्तु यह शहर अनेक छोटी छोटी रियासतों के कारण इतिहास में काफी योगदान रखता है।  पर्यटन दृष्टि से देखा जाए तो हाथरस में आज सबसे ऊँची चोटी पर स्थित दाऊजी महाराज का भव्य मंदिर है जहाँ देवछठ के दौरान विशाल मेला लगता है। कई बड़े बड़े राजनीतिक लोग, बॉलीवुड सितारे इस मेले के दौरान यहाँ देखे जा सकते हैं। दाऊजी महाराज का मंदिर अंग्रेजों के समय का बना हुआ है उस समय यहाँ हाथरस का विशाल किला स्थित था, किला तो अब नष्ट हो चुका है किन्तु  इसमें बना दाऊजी का विशाल मंदिर आज भी ज्यों का त्यों खड़ा है। यह दाऊजी की ही शक्ति है कि इस मंदिर को गिराने के लिए अंग्रेजों ने अनेक तोपों से गोले दागे परन्तु वह गोले मंदिर की दीवारों में जाकर धँस जाते थे। परन्तु मंदिर का बालबांका भी न कर सके। अंग्रेज भी हार गए दाऊजी की शक्ति के आगे और अपनी हार मानकर चलते बने। आज भी इस मंदिर की दीवारों पर तोपों के गोलों के निशान स्पष्ट देखे जा सकते हैं।

Sunday, March 4, 2018

Katni Junction


                                                             
                माँ जालपा देवी मंदिर - कटनी एवं रेल यात्रा 




यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

       रायपुर एक शानदार रेलवे स्टेशन है और हो भी क्यों न, आखिरकार यह छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी भी है। रेलवे स्टेशन पर बने भोजनालय में खाना खाकर मैं भूख से निर्वृत हो गया और प्लेटफॉर्म पर टहलने लगा। मुझे अब मथुरा की तरफ वापसी करनी थी इसलिए अब मैं कटनी की तरफ जाने वाली ट्रेन की प्रतीक्षा में था। मोबाइल में ट्रेन का पता किया, रात को सवा बारह बजे एक ट्रेन दिखाई दी गोंदिया - बरौनी एक्सप्रेस जो प्रतिदिन चलती है। इसको यहाँ रात सवा बारह बजे आना चाहिए था, परन्तु यह अपने निर्धारित समय से साढ़े तीन घंटे लेट यानी सुबह पौने चार बजे आई। मेरी पूरी रात ख़राब हो चुकी थी परन्तु सुबह की नींद सबसे ज्यादा अच्छी होती है इसलिए इसके जनरल कोच में खिड़की वाली सीट पर स्थान जमाया और चादर ओढ़ कर सो गया।

Saturday, March 3, 2018

Rajim


 राजीव लोचन मंदिर  - राजिम 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

       सिरपुर से लौटकर हम महासमुंद आ गए, दोपहर के डेढ़ बजे थे और मैंने सिवाय एक समोसे के कुछ भी नहीं खाया था और मैं बिना नहाये कुछ खाना भी नहीं चाहता था। बस स्टैंड पहुंचकर देखा तो राजिम जाने वाली बस तैयार खड़ी थी, राजिम से चलकर यह कुछ देर फिंगेश्वर में खड़ी रही। फिंगेश्वर के बाद सीधे शाम चार बजे हम राजिम पहुँच गए। मुझे लगा था कि यहाँ महानदी पर घाट बने होंगे और मुझे महानदी में नहाने का मौका  मिलेगा परन्तु यहाँ भी मेरी मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई। नदी में पानी तो था परन्तु घाटों से बहुत दूर। राजिम छत्तीसगढ़ का एक मुख्य धार्मिक स्थल है  इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है।

Sirpur



सिरपुर  - एक ऐतिहासिक नगर 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
     
        सुबह दस बजे के आसपास हम महासमुंद पहुँच गए थे, यह रायपुर के नजदीक छत्तीसगढ़ का जिला है।  मैं और आकाश, निधि को बेंच पर बैठाकर स्टेशन के आरक्षण केंद्र पहुंचे। यहाँ हमने अपने लौटने के लिए गोंडवाना में दो दिन बाद का रिजर्वेशन कराया। इसके बाद स्टेशन से थोड़ी दूरी पर बने बस स्टैंड पहुंचे। हालाँकि मध्य प्रदेश की तरह यहाँ भी रोडवेज बसें नहीं चलती किन्तु प्राइवेट बसें बहुत थीं। हमें सिरपुर जाना था जो यहाँ से करीब 37 किमी दूर है।

Friday, March 2, 2018

Mahasamund



महासमुंद की ओर



         पिछली बार जब छत्तीसगढ़ की यात्रा पर दुर्ग गया था तो मेरे पिताजी मेरे साथ थे। यह मेरे साथ मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा थी। इस यात्रा से लौटने के तीन माह बाद ही पिताजी मुझे इस संसार में हमेशा के लिए अकेला छोड़ गए। पिताजी तो नहीं रहे पर उनकी यादें हमेशा मेरे साथ रहती हैं। अब तीन साल हो चुके हैं और मुझे छत्तीसगढ़ फिर से बुला रहा था। यात्रा करने के लिए मुझे सबसे ज्यादा परेशानी ऑफिस से छुट्टी लेने में आती है। आसानी से नहीं मिलती, प्राइवेट नौकरी है इसलिए कोई उपाय सोचना पड़ता है।

Tuesday, February 27, 2018

Sankarshan Kund


गोवर्धन परिकर्मा प्रथम चरण 
आन्यौर ग्राम स्थित श्रीनाथ का प्राकट्य स्थल और संकर्षण कुंड।

      अब मैं गोवर्धन पर्वत की तलहटी के बिलकुल नजदीक पहुँच गया था, मेरे दूसरी तरफ आन्यौर ग्राम था। यहाँ से एक रास्ता गोवर्धन पर्वत के ऊपर स्थित एक मंदिर को जाता है। मैं फिर से अपने जूते उतार कर गोवर्धन पर्वत पर चढ़ा और मंदिर पर पहुंचा। यहाँ मैंने गोवर्धन पर्वत के दूसरी तरफ देखा तो ये जतीपुरा था जो यहाँ से परिक्रमा मार्ग के अनुसार काफी दूर था। आन्यौर और  जतीपुरा के लोग पैदल के रूप में जाने जाने के लिए गोवर्धन पर्वत का इस्तेमाल करते हैं। इस मंदिर के बारे में अगले पोस्ट में जिक्र किया जायेगा।

Saturday, February 17, 2018

Bahulavan




बहुलावन - ग्राम बाटी 


       ब्रज के बारह वनो में से एक बहुलावन ब्रज का चौथा वन है जहाँ बहुला बिहारी के साथ साथ बहुला गौ माता के दर्शन हैं। मथुरा से आठ किमी दूर स्थित ग्राम बाटी में स्थित  ब्रज का पौराणिक स्थल बहुलावन अत्यंत ही प्राकृतिक और ब्रज की धार्मिक धरोहर के रूप में व्यवस्थित है। यहाँ भगवान् श्री कृष्ण ने बहुला गाय की बाघ से रक्षा की थी। इसकी कथा निम्नप्रकार है -

Thursday, February 8, 2018

Goverdhan



गिर्राज धाम श्री गोवर्धन पर्वत
गोवर्धन परिक्रमा 1  -  दानघाटी मंदिर और दानीराय जी का मंदिर 



        आज कंपनी का इवेंट फिर से गोवर्धन में लगा। इवेंट में हरेंद्र को बैठकर मैं गिर्राज जी के दर्शन को पैदल ही निकल पड़ा। दानघाटी के दर्शन करते हुए मैं गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर निकल पड़ा ब्रज की उस अनमोल धरोहर को देखने,  जिसके लिए देश के कोने कोने से लाखों भक्त हर दिन यहाँ आते हैं और कठिन परिस्थिति में भी गोवर्धन पर्वत की 21 किमी की परिक्रमा पैदल पूरी करते हैं। गोवर्धन पर्वत की कथा भी कम रोचक नहीं है गोवर्धन पर्वत ने बड़ी चतुराई से स्वयं को ब्रज में स्थापित किया था।

Friday, January 5, 2018

Indraprastha



विश्व शांति स्तूप - इंद्रप्रस्थ, दिल्ली



       अब 2017 से 2018 में आ गए, जनवरी का महीना भी है। बाहर कोहरे की चादर चारोंतरफ तनी हुई है, इंसान को इंसान नहीं दिख रहा, सामने सड़क में गड्डा नजर नहीं आ रहा। यमुना एक्सप्रेस वे की खबरे जोरों पर हैं, सर्दी के मारे गाड़ियां एकदूसरे में घुसी जा रहीं हैं, रेलगाड़ियों की गति धीमी हो चली है,  कल सुबह आने वाली ट्रेन आज शाम तक आएगी। बाइक पर कहीं जाना तो दूर पैदल निकलने की हिम्मत नहीं हो रही और ऐसे में मन कह रहा है क्यों न कहीं घूम कर आया जाए।

Tuesday, October 24, 2017

MAGADH EXPRESS : ISLAMPUR

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

मगध एक्सप्रेस -  इस्लामपुर से नईदिल्ली 

इस्लामपुर रेलवे स्टेशन 
इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

       राजगीर से दोपहर दो बजे दानापुर इंटरसिटी चलती है, मुझे इसी ट्रेन से वापस पटना लौटना था क्योंकि मेरा रिजर्वेशन आज शाम को मगध एक्सप्रेस में था जो शाम को साढ़े छः बजे पटना से रवाना होगी। मैं सही वक़्त पर राजगीर स्टेशन पहुँच गया और मेरे आते ही ट्रेन भी चल पड़ी, मुझे इस सफर में बस यही अफ़सोस रहा कि मैं नालंदा का विश्व विध्यालय नहीं देख पाया जिसे मोहम्मद गौरी के सेनापति बख़्तियार ख़िलजी ने नष्ट कर दिया था, परन्तु कोई बात नहीं नालंदा अभी मेरी यात्राओं की लिस्ट में शामिल रहेगा। 

Monday, October 23, 2017

RAJGIR STOOP

UPADHYAY TRIPS PRESENTS


विश्व शांति स्तूप - राजगीर




इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

      जीवक का दवाखाना देखने के बाद हमारी घोड़ागाड़ी राजगीर के गिद्धकूट पर्वत की तरफ बढ़ चली।  कहा जाता है कि यही वो पर्वत है जिस पर बैठकर महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था। उन्ही की याद में यहाँ एक विशाल स्तूप का निर्माण कराया गया है जो राजगीर स्तूप के नाम से जाना जाता है, इसे विश्व शांति स्तूप भी कहते हैं। यह पिकनिक के लिए बेहद खूबसूरत स्थान है यहाँ स्तूप तक जाने के लिए रोपवे की व्यवस्था है यह रोपवे एक सीट का है इसलिए यह अन्य रोपवे से थोड़ा अलग और एडवेंचर लगता है। स्तूप के चारों तरफ महात्मा बुद्ध की मूर्तियां स्वर्णिम रूप में व्यवस्थित हैं। 

SON BHANDAR CAVE : RAJGIR

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

सोन भंडार या स्वर्ण भंडार गुफा 




इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें 

      मनियार मठ से आगे चलते ही रास्ता और भी रोमांचक हो गया था, बड़े बड़े वनों के बीच से गुजरते हुए अचानक एक ढलान आई, यह एक नदी थी जो इन दिनों सूखी पड़ी हुई थी, टाँगे वाले बाबा इस पर खेद प्रकट करते हुए बोले गर सरकार इस पर एक ब्रिज बना देता तो हमका काफी सहूलियत रहता। गाडी उतर जाती तो है पर चढ़ने में घोडा को काफी दिक्कत होता है। इसके बाद एक हिरन पार्क मिला जो इनदिनों बंद था, इसमें कोई भी हिरन नहीं था। अब हमारे सामने स्वर्ण भंडार गुफा थी जो राजगीर या वैभारगिरि पर्वत को काटकर बनाई गई थी।

JARA DEVI TEMPLE : MOTHER OF JARASANDH

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


जरासंध और ज़रा देवी मंदिर



यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ  क्लिक करें ।


      सप्तपर्णी गुफा देखने के बाद मैं वापस पर्वत से नीचे आया और आगे बढ़ने लगा। एक तांगे वाले बाबा से अन्य स्थलों को घुमाने के लिए 200 रूपये में राजी किया। और तांगे में बैठकर में राजगीर की अन्य प्राचीन धरोहरों को देखने के लिए निकल पड़ा, इस समय देश में हर जगह पर्यटन पर्व चल रहा था। यह मेरी ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल भ्रमण यात्रा थी। ताँगे वाले सबसे पहले ज़रा देवी के मंदिर पहुंचे और मंदिर से निकलने के बाद उन्होंने जरासंध और ज़रा देवी की कथा शुरू की।

SAPTPARNI CAVE

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

वैभारगिरि पर्वत और सप्तपर्णी गुफा 

 इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ  क्लिक करें।

     ब्रह्मकुंड में स्नान करने के बाद मैं इसके पीछे बने पहाड़ पर चढ़ने लगा, यह राजगीर की पांच पहाड़ियों में से एक वैभारगिरि पर्वत है जिसे राजगीर पर्वत भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इसी पर्वत पर वह ऐतिहासिक गुफा स्थित है जहाँ अजातशत्रु के समय प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था। इसे सप्तपर्णी गुफा कहते हैं। माना जाता है प्रथम बौद्ध संगीति महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के अगले वर्ष मगध सम्राट अजातशत्रु द्वारा राजगृह की सप्तपर्णी गुफा में आहूत की गई जिसमे 500 से भी अधिक बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया था तथा जिसकी अध्यक्षता महाकश्यप द्वारा की गई।

     इसी के साथ ही यहाँ जैन सम्प्रदाय के कुछ पूजनीय मंदिर भी स्थित हैं। और इनके अलावा एक महादेव का मंदिर भी इस पर्वत स्थित है। इसप्रकार यह पर्वत तीनों धर्मो के लिए विशेष महत्त्व रखता है।

RAJGIR 2018

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

   राजगीर या राजगृह - एक पर्यटन यात्रा 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।


      मेरी ट्रेन सुबह ही राजगीर पहुँच गई थी, जनरल कोच की ऊपर वाली सीट पर मैं सोया हुआ था, एक बिहारिन आंटी ने मुझे नींद से उठाकर बताया कि ट्रेन अपने आखिरी स्टेशन पर खड़ी है। मैं ट्रेन से नीचे उतरा तो देखा एक बहुत ही शांत और खूबसूरत जगह थी ये, सुबह सुबह राजगीर की हवा मुझे एक अलग ही एहसास दिला रही थी कि मैं रात के चकाचौंध कर देने वाले गया और पटना जैसे शहरों से अब काफी दूर आ चुका था। हर तरफ हरियाली और बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ जिनके बीच राजगीर स्थित है। यूँ तो राजगीर का इतिहास बहुत ही शानदार रहा है, पाटलिपुत्र ( पटना ) से पूर्व मगध साम्राज्य की राजधानी गिरिबज्र या राजगृह ही थी जिसका कालान्तर में नाम राजगीर हो गया।

Buddha Poornima Express

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

बुद्धपूर्णिमा एक्सप्रेस - गया से पटना और राजगीर




इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।


   रोहतासगढ़ से लौटने के बाद मैं डेहरी ऑन सोन स्टेशन पर आ गया था, यहाँ से गया जाने के लिए मुझे झारखण्ड स्वर्णजयंती एक्सप्रेस मिल गई और सोन नदी पुल पार करके मैं गया पहुँच गया। गया पहुँचने तक मुझे शाम हो चुकी थी, स्टेशन पर उतरकर मुझे अनायास ही एहसास हुआ कि यह एक तीर्थ स्थान है और मुझे माँ को यहाँ लेकर आना चाहिए था। स्टेशन से बाहर निकलकर मैं बाजार पहुंचा और विष्णुपद मंदिर की तरफ रवाना हो गया। काफी चलने के बाद जब मैं थक गया तो एक हेयर सैलून में अपने बाल कटवाने पहुँच गया।

   बाल कटवाने के बाद मैं फिर से विष्णुपद मंदिर की तरफ रवाना हुआ फिर मन में सोचा कि अब रात भी हो चुकी है और पटना जाने वाली ट्रेन का समय भी होने वाला है, किसी दिन माँ के साथ ही आऊंगा तभी विष्णु जी के दर्शन भी हो जायेंगे और फल्गु नदी को भी देख लेंगे इसके अलावा बौद्ध गया का मंदिर भी देख लेंगे, अभी गया घूमने का उपयुक्त समय नहीं है इसलिए बिना दर्शन किये ही वापस स्टेशन आ गया।

Sunday, October 22, 2017

Rohtasgarh Road


UPADHYAY TRIPS PRESENTS

                             रोहतासगढ़ की तरफ एक यात्रा 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

     सुबह दस बजे के करीब मैं वापस सासाराम स्टेशन आ गया, अब मुझे रोहतास के किले को देखने जाना था, रोहतास जाने के लिए डेहरी होकर जाना पड़ता है और डेहरी जाने के लिए ट्रेन ही सर्वोत्तम है जो दस मिनट में सासाराम से डेहरी पहुंचा देती है। स्टेशन पर दीक्षाभूमि एक्सप्रेस आ रही थी जो अगले स्टेशन देहरी जाने के लिए तैयार थी। कुछ ही देर बाद मैं डेहरी स्टेशन पर था। यहाँ स्टेशन के बाहर लगे बोर्ड पर रोहतास के किले को देखकर मन और भी रोमांचित हो उठा।

SHERSHAH SURI TOMB

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


शेरशाह सूरी और उसका मक़बरा 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें 

      बिहार की ऐतिहासिक धरती पर इतिहास को खोजते हुए मैं, इतिहास के महान शासक शेरशाह सूरी तक जा पहुँचा, जिसने अपने शासन काल में भारतीय इतिहास के सबसे बड़े और विशाल साम्राज्य  'मुग़ल साम्राज्य ' को छिन्न भिन्न कर दिया। बाबर द्वारा स्थापित मुग़ल साम्राज्य की जमीं नींव को उखाड़ फेंकने और दिल्ली की गद्दी पर किसी मुग़ल शासक को हटाकर खुद दिल्ली का शासक बनने और मुग़ल वंश को हटाकर सूरी वंश की स्थापना करने का श्रेय महान शासक शेरशाह सूरी को ही जाता है।

Tarachandi Devi Temple

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

माँ ताराचंडी देवी शक्तिपीठ धाम




 इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

           मैं रात दो बजे सासाराम स्टेशन उतर गया था, यहाँ आकर स्टेशन पर बने एक बोर्ड पर मैंने देखा कि यहाँ ताराचंडी देवी का शक्तिपीठ धाम है। सासाराम के बारे में कहा जाता है कि यह महान ऋषि परशुराम की भूमि है। सहस्रराम, सहसराम, सासाराम = परशुराम। रात को तो स्टेशन पर बने ब्रिज पर मैं सो गया परन्तु सुबह पांच बजे में उठकर देवी ताराचंडी की तरफ निकल गया। स्टेशन से इस दिव्यधाम की दूरी मात्रा पांच किमी ही है सोचा था पैदल ही नाप दूंगा।

Saturday, October 21, 2017

KOLKATA EXPRESS : MTJ TO SASARAM

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

बिहार की तरफ एक सफ़र



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

      आज भैया दौज का त्यौहार था, अपनी बहनो से सुबह पाँच बजे ही टीका करवाकर मैं अकेला ही उस सफर पर निकल पड़ा जहाँ जाने के लिए ना जाने कब से मैं विचार बना रहा था। सुबह सुबह हलकी ठण्ड सी लगने लगी थीं। मैं पैदल ही स्टेशन पहुँच गया था। आगरा कैंट से चलकर कोलकाता जाने वाली 13168 कोलकाता एक्सप्रेस मुझे मथुरा स्टेशन पर तैयार खड़ी हुई मिली। यह ट्रेन आगरा से तो खाली आती है परन्तु मथुरा आकर यह फुल हो जाती है। अधिकतर बंगाल के लोग इस ट्रेन का उपयोग कोलकाता से मथुरा आने के लिए ही करते हैं और साथ ही मथुरा से कोलकाता जाने के लिए। खैर मैं आज बिना रिजर्वेशन था, जनरल कोच में मुझे जगह नहीं दिखी इसलिए रिजर्वेशन कोच में मैंने खड़े खड़े ही अपना सफर शुरू कर दिया।