UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
शेरशाह सूरी और उसका मक़बरा
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बिहार की ऐतिहासिक धरती पर इतिहास को खोजते हुए मैं, इतिहास के महान शासक शेरशाह सूरी तक जा पहुँचा, जिसने अपने शासन काल में भारतीय इतिहास के सबसे बड़े और विशाल साम्राज्य 'मुग़ल साम्राज्य ' को छिन्न भिन्न कर दिया। बाबर द्वारा स्थापित मुग़ल साम्राज्य की जमीं नींव को उखाड़ फेंकने और दिल्ली की गद्दी पर किसी मुग़ल शासक को हटाकर खुद दिल्ली का शासक बनने और मुग़ल वंश को हटाकर सूरी वंश की स्थापना करने का श्रेय महान शासक शेरशाह सूरी को ही जाता है।
शेरशाह सूरी का जन्म बिहार के रोहतास जिले में स्थित सासाराम में 1472 ई. को हुआ था। उसके बचपन का नाम फरीद खां था। बचपन में शेर को मार देने का कारण फरीद से उसका नाम शेरख़ाँ पड़ गया जो कालांतर में शेरशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। शुरू में शेरशाह, बाबर की सेना में सैनिक के रूप में नियुक्त हुआ, शेरशाह की प्रतिभा को देखते हुआ बाबर ने शेरशाह को सेनापति के रूप में नियुक्त किया और फिर बाद में बिहार के राज्यपाल के रूप में।
सन 1539 ई. में चौसा के युद्ध में शेरशाह ने हूमाँयु को हराकर खुद को स्वतंत्रत शासक घोषित किया और अपने नए वंश सूरी वंश की स्थापना की। इस युद्ध के बाद ही हूमाँयु को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था और उफनती गंगा को पार करने में एक भिश्ती ने हूमाँयु की सहायता की जिसके बदले में हूमाँयु ने उस भिश्ती को एक दिन का दिल्ली का सम्राट बनाया। भिश्ती ने इसी एक दिन में चमड़े का सिक्का चलवाकर खुद को इतिहास में अमर कर लिया।
सन 1540 ई. में हूमाँयु ने फिर से कन्नौज के निकट शेरशाह से युद्ध किया, इस युद्ध में शेरशाह ने हूमाँयु को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और बाबर द्वारा स्थापित मुग़ल वंश को समाप्त कर खुद दिल्ली का सुल्तान बन बैठा। यह युद्ध कन्नौज के निकट बिलग्राम में हुआ था, यहीं से शेरशाह को भारत का सम्राट माना जाता है।शेरशाह के जीवनकाल में हूमाँयु ने वापस भारत आने की भूल नहीं की। सं 1545 में कालिंजर के किले में चंदेल राजपूतों से युद्ध करते समय तोप का गोला फटने के कारण शेरशाह की मृत्यु हो गई। उसी के बाद हुमायूँ वापस भारत आया और पुनः मुग़ल साम्राज्य की स्थापना कर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ।
शेरशाह ने अपने जीवनकाल में ही अपने पिता हसन शाह सूरी का और अपना मकबरा सासाराम में ही बनवा लिया था। यह मकबरा चारों ओर से कृत्रिम झील से घिरा हुआ है। महान इतिहासकार मानते हैं कि शेरशाह के मकबरे को देखकर ऐसा लगता है जैसे मानो वह अंदर से हिन्दू हो और बाहर से मुस्लिम। आज सासाराम में शेरशाह का यह खूबसूरत मकबरा बिहार की धरती के उस महान शासक की याद दिलाता है जिसने बंगाल से लेकर अफगानिस्तान के काबुल तक ग्रैंड ट्रक रोड का निर्माण कराया, भारतीय डाक व्यवस्था को दुरुस्त किया। सासाराम में ही शेरशाह सूरी मकबरे के साथ ही उसके पिता हसनशाह सूरी का मकबरा भी स्थित है।
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शेरशाह सूरी |
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शेरशाह सूरी के मकबरे का प्रवेश द्वार |
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टिकट |
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SHER SHAH SURI TOMB |
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SHER SHAH TOMB |
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SUDHIR UPADHYAY IN SHER SHAH TOMB |
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SHER SHAH SURI TOMB |
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SHER SHAH SURI TOMB |
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SHER SHAH SURI TOMB |
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SHER SHAH GRAVE |
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GRAVE OF SHER SHAH SURI |
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SHERSHAH TOMB |
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मकबरे की मीनार |
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एक झुका हुआ बुर्ज , शेरशाह टॉम्ब |
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शेरशाह का मकबरा |
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THE TOMB OF SHER SHAH |
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शेरशाह का मकबरा |
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शेरशाह का मकबरा |
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शेरशाह का मकबरा |
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शेरशाह का मकबरा |
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शेरशाह का मकबरा |
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SHER SHAH SURI TOMB |
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SHERSHAH TOMB |
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THE TOMB OF SHER SHAH SURI, INDIA |
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शेरशाह का मकबरा |
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शेरशाह का मकबरा |
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शेरशाह का मकबरा |
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HASAN SHAH SURI TOMB, SASARAM |
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FATHER OF SHER SHAH SURI, HASAN SHAH SURI TOMB |
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शेरशाह के पिता हसनशाह सूरी का मकबरा |
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हसन शाह सूरी का मकबरा |
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हसन शाह सूरी का मकबरा |
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हसन शाह सूरी का मकबरा |
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हसन शाह सूरी का मकबरा |
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हसन शाह सूरी का मकबरा |
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हसनशाह सूरी का मकबरा |
आनन्द आ गया जानकारी पढकर और सुन्दर चित्र देखकर । धन्यवाद
ReplyDeleteशेरशाह मुगलों से बेहतर था।
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