अकोला रेलवे स्टेशन पर एक सुबह
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मैं रात को गोंदिया से 12812 हटिया - मुंबई एक्सप्रेस में बैठा और सुबह चार बजे अकोला पहुँच गया। ट्रेन से उतरा तो ठण्ड सी लगने लगी, सीधे चाय की स्टाल पर गया। चाय पीते पीते मेरी नजर एक तेंदुए पर पड़ी। एक बार को तो मुझे लगा कि असली है पर उसके आसपास लगी रेलिंग देखकर मैं समझ गया यह एक तेंदुएं का बुत है जो काटेपूर्णा सेंचुरी में पर्यटकों को स्वागत पर बुलाता है। देखने में एकदम असली लगने वाले इस बुत को मैं देखता ही रहा और जब मन भर गया तो आगे चल पड़ा। स्टेशन की दीवारों पर मेलघाट टाइगर रिज़र्व के शानदार चित्र बने हुए हैं, इन्हें देखने पर एक बार को तो यही लगता है कि हम रेलवे स्टेशन पर नहीं बल्कि मेलघाट के जंगलों में हैं।