Friday, June 29, 2018

Nadrai Bridge


काठगोदाम से मथुरा - आखिरी पड़ाव नदरई पुल, कासगंज। 




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   सोरों देखने के बाद हम अपने आखिरी पड़ाव कासगंज पहुंचे। वैसे तो कासगंज कुछ समय पहले तक एटा जिले का ही एक भाग था परन्तु अप्रैल 2008 में इसे उत्तर प्रदेश का 71वां जिला बना दिया गया। बहुजन समाजवादी पार्टी के संस्थापक कांशीराम की मृत्यु वर्ष 2006 में हो गई थी उन्हीं की याद में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने इसे कांशीराम नगर के नाम से घोषित किया गया। कासगंज पूर्वोत्तर रेलवे का एक मुख्य जंक्शन स्टेशन है जहाँ से बरेली, पीलीभीत, मैलानी तथा फर्रुखाबाद, कानपुर और लखनऊ के लिए अलग से रेलवे लाइन गुजरती हैं। हालाँकि कासगंज गंगा और यमुना के दोआब में स्थित होने के कारण काफी उपजाऊ शील जिला है यहाँ की मुख्य नदी काली नदी है। 


पर्यटन दृष्टि से कासगंज में नदरई का पुल विशेष दर्शनीय है। ब्रिटिश शासन काल में सन 1885 में इस विशेष पुल का निर्माण होना शुरू हुआ और चार साल के अंतराल में यह बनकर पूरा हुआ। इस पुल की खास विशेषता यह है कि इस ब्रिज के नीचे अगर नदी बहती है तो ऊपर बहती है अति वेगवान हजारा गंग नहर। यानी नीचे भी नदी और ऊपर भी नदी। ऐसा कोई और पुल शायद ही हिंदुस्तान में कहीं हो। कला की दृष्टि यह पुल आज हमारी ऐतिहासिक धरोहर में शामिल है। हजारों युवा प्रतिदिन यहाँ आकर इसे देखते हैं और सेल्फियाँ लेते हैं। 

दरअसल ब्रिटिश शासन काल में कासगंज में सिंचाई हेतु केवल काली नदी ही एकमात्र विकल्प था जिससे हमेशा पानी का अभाव रहा करता था। लोगो की समस्या और पानी के अभाव को दूर करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने ऊपरी गंग नहर का निर्माण शुरू किया। जब यह नहर कासगंज पहुंची तो सामने काली नदी परेशानी बनकर खड़ी हो गई। अब इसे कैसे पार किया जाए, तब ब्रिटिश सरकार ने इस पुल का निर्माण आरंभ किया और काली नदी के ऊपर इस ब्रिज को बनाकर हजारा नहर को इसके ऊपर से निकाला। इसे झार का पुल भी कहा जाता है। इतने वर्ष व्यतीत होने के बाद भी यह पुल अपनी मजबूती के साथ खड़ा है। यह वास्तव में उत्कृष्ट कला का एक नमूना है। 

इस पुल के बीच बीच में कोठरियों का निर्माण भी हुआ है जिनमें बनी सीढ़ियों के आधार पर नीचे जाने का रास्ता भी था, आजके समय में इन्हें चोर कोठरियों के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में इस पुल को और इस पर बहने वाली नदी और नहरों की अविरल छटा देखते ही बनती है। एकबार इसे देखने के बाद आप जीवन भर इस ब्रिज की यादों को कभी भुला नहीं पायेंगे। तो फिर इसबार झोला उठाइये और उत्तर प्रदेश के कासगंज आ जाइये। कासगंज - मथुरा रोड पर हज़ारा नहर के समीप ही आप इस ब्रिज को देख सकते हैं और इसके बाद आप  यहीं से बस पकड़कर सोरों और कछला के दर्शन भी कर सकते हैं। 

इस पुल को देखने के बाद मैं और कल्पना मथुरा की तरफ रवाना हो गए। अगसौली नामक स्थान पर एक प्राकृतिक वातावरण से भरपूर ढाबे पर हमने भोजन किया। यह स्थान कल्पना को बहुत ही पसंद आया इसकलए बाद अब हमारा घर ज्यादा दूर नहीं था। हाथरस, बिचपुरी होते हुए शाम  को साढ़े पांच बजे तक मैं अपने घर पहुँच गया।  इस प्रकार मेरी नैनीताल बाइक यात्रा समाप्त होती है।

नदरई पुल , कासगंज 

हजारा नहर, नदरई पुल कासगंज 

इसे झाल का पुल भी कहते हैं 



काली नदी 


पुल के नीचे बहती काली नदी 





SUDHIR UPADHYAY ON NADRAI BRIDGE 


A DHABA IN AGSOULI 
{{{ धन्यवाद }}}

नैनीताल यात्रा के अन्य भाग

  • मथुरा से मुरादाबाद बाइक यात्रा 
  • बाजपुर रेलवे स्टेशन 
  • कालाढूंगी और नैनीताल बाइक यात्रा 
  • नैनीताल की सैर 
  • कैंची धाम आश्रम 
  • भीमताल और नौकुचियाताल 
  • काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर एक रात 
  • काठगोदाम से मथुरा बाइक यात्रा 
  • कछला घाट 
  • सोरों सूकर क्षेत्र 

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