मथुरा से मुरादाबाद - एक बाइक यात्रा
जून की गर्मी मेरे बर्दाश्त से बाहर थी, काम करते हुए भी काफी बोर हो चुका था, इस महीने का और मई का टारगेट इस महीने पूरा कर ही लिया था इसलिए अब कहीं घूमने जाने का विचार मन में आ रहा था, सोचा क्यों न अबकी बार बद्रीनाथ बाबा के दर पर हो ही आएं और हाँ इसबार केनन का एक कैमरा भी ले लिया था फ्लिपकार्ट से। जिस दिन कैमरा हाथ में आया उसी दिन बाइक और वाइफ को लेकर निकल पड़ा।
मथुरा से बद्रीनाथ जी की दूरी लगभग 600 किमी के आसपास थी, रास्ता रामनगर होते हुए चुना गया और उसी तरफ बाइक को भी मोड़ दिया गया। मथुरा से निकलकर पहला स्टॉप बिचपुरी पर लिया, यहाँ एक नल लगा हुआ है जिसका पानी अत्यंत ही मीठा है और हर आने जाने वाला यात्री इस नल से पानी पीकर अपनी प्यास अवश्य बुझाता है। कल्पना कुछ आम और घर से खाना बनाकर लाई थी, यहाँ आकर भोजन किया और आम ख़राब हो गए तो यहीं छोड़ दिए। बिचपुरी से एक रास्ता अलीगढ की तरफ जाता है और दूसरा हाथरस होते हुए बरेली की ओर।
हम अलीगढ वाले रास्ते पर रवाना हो गए, इगलास की चमचम काफी मशहूर है यहाँ हमने अपना दूसरा स्टॉप लिया और चमचम का आनंद लिया। यहाँ से आगे रवाना होते ही हलकी हलकी बारिश शुरू हो गई, मौसम सुहावना था ही कुल मिलाकर इस बाइक यात्रा का पूरा आनंद हमें आ रहा था। थोड़ी देर बाद हम अलीगढ में थे ये मथुरा के बाद अगला शहर था जहाँ हमने अपना तीसरा स्टॉप लिया। यहाँ के ताले काफी प्रसिद्ध हैं पर हमें अभी इनकी आवश्यकता नहीं थी।
हम आगे बढ़ चले और तीसरे जिले बुलंद शहर के अनूप शहर पहुंचे। यह गंगाजी के किनारे बसा हुआ छोटा सा शहर है, गंगा किनारे वाले शहर मुझे काफी प्रिय हैं गंगाजी के किनारे थोड़ी देर बैठना मुझे बहुत अच्छा लगता है। शाम का समय हो चला था, हम मथुरा से तीन बजे रवाना हुए थे और अब शाम के सात बज चुके थे। गंगाजी के किनारे बैठकर मुझे काफी अच्छा लग रहा था, गंगा जी की आरती भी हो रही थी, मैंने यहाँ गंगास्नान किया और फिर उसके बाद हम अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो चले थे।
अब सूरज छिपने की कगार पर था, अनूपशहर में गंगा का ब्रिज पार करने के बाद हम संभल जिले की सीमा में आ चुके थे, रास्ता सुनसान तो था ही साथ ही अँधेरा भी बढ़ चला था, हालाँकि इस स्थान के बारे मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी परन्तु बचपन से सुना था कि यह क्षेत्र रात्रि के समय खतरनाक हो जाता है। रात्रि में अनजानी जगहों पर बाइक चलाना मेरे अपने नियमों के विरुद्ध है परन्तु मंजिल मुरादाबाद थी जो अभी दूर थी। हालाँकि दिल में थोड़ा डर सा भी महसूस हो रहा था परन्तु ऊपर वाले का नाम हर मुश्किल से बचाता है।
एक गवां के नाम से जगह आई जहाँ से एक रास्ता संभल होते हुए मुरादाबाद की ओर जाता है, मैं इसी रास्ते पर चलता जा रहा था कि अचानक एक नीलगाय मेरी बाइक के सामने से रोड पार करती हुई निकल गई जिससे हम बाल बाल बचे। संभल में बिना रुके हम सीधे मुरादाबाद की तरफ चलते ही रहे और साढ़े आठ बजे तक मैं मुरादाबाद में था।
हमें आज रात मुरादाबाद में ही रुकना था, मैं रेलवे स्टेशन पहुंचा, मुझे केवल रात को ही रुकना था इसलिए एक होटल में रुकने की बात की तो वो मेरी आईडी के साथ साथ कल्पना की भी आई डी मांग रहे थे। कल्पना अपनी आईडी साथ में नहीं लाई थी इसलिए हमें कहीं कमरा नहीं मिला। स्टेशन के बाहर एक चाय वाले की दुकान हम रूकने का इंतज़ाम सोच ही रहे थे की यहाँ बैठे एक घुमक्कड़ सज़्ज़न ने हमारी परेशानी समझी और हमारे रूकने का इंतज़ाम कराया।
उन्होंने हमें अपनी रेल यात्रा की टिकट दी जिसके विहाप पर मैंने रिटायरिंग रूम में कमरा माँगा परन्तु यहाँ कोई कमरा खाली नहीं था इसलिए डोरमेट्री में दो बेड बुक किये और बाइक को पार्किंग स्टैंड में खडा कर हम रात भर मुरादाबाद में रुके रहे।
उन्होंने हमें अपनी रेल यात्रा की टिकट दी जिसके विहाप पर मैंने रिटायरिंग रूम में कमरा माँगा परन्तु यहाँ कोई कमरा खाली नहीं था इसलिए डोरमेट्री में दो बेड बुक किये और बाइक को पार्किंग स्टैंड में खडा कर हम रात भर मुरादाबाद में रुके रहे।
अनूप शहर में प्रवेश |
गंगाजी किनारा, अनूप शहर |
अनूप शहर |
मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर |
नैनीताल यात्रा के अन्य भाग
Bahut hee achcha warnan kiya he aapne
ReplyDeletethanks sir
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