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Friday, January 26, 2024

TAMILNADU EXPRESS 2023

 

तमिलनाडु की ऐतिहासिक धरा पर  … अंतिम भाग 

तमिलनाडू एक्सप्रेस और घर वापसी 

5 JAN 2023

महाबलीपुरम घूमने के बाद मैं वापस बस स्टैंड आ गया।  मेरे मोबाइल की बैटरी अब लगभग समाप्त होने को थी। मैं बस में बैठने से पूर्व मोबाइल को चार्ज करना चाहता था, इसके लिए बस स्टैंड के सामने स्थित एक चाय की दुकान पर मैंने अपने मोबाइल को चार्जर में लगा दिया और एक कप चाय लेकर मैं आधे घंटे से अधिक समय तक उस दुकान पर बैठा रहा। इस बीच अनेकों बसें चेन्नई की अलग अलग दिशाओं के लिए आई और चली गई। 

चाय बेचने वाला दुकानदार, एक अच्छा इंसान था। उसने ना सिर्फ मेरे फोन को चार्ज करवाया बल्कि उसने मुझे चेन्नई पहुँचने के लिए टूटी फूटी हिंदी भाषा में बसों की जानकारी भी दी। मोबाइल चार्ज होने के बाद मैं एक बस मैं बैठकर चेन्नई के लिए रवाना हो चला। तमिलनाडू की पूरी यात्रा करने करने के बाद अब मेरी घर की वापसी यात्रा शुरू हो चुकी थी।

 यह बस महाबलीपुरम से तांबरम के लिए जा रही थी और मेरे घर वापसी की यह पहली सवारी थी। एक डेढ़ घंटे की यात्रा करने के बाद मैं तांबरम बाजार पहुंचा। यात्रा के शुरुआत में, मैं इस बाजार में घूमने आया था और यहीं से अन्तोदय एक्सप्रेस से मैं त्रिची के लिए रवाना हुआ था। तब सोचा था कि लौटते हुए ही मैं यहाँ से घर के लिए कुछ खरीद के लेकर जाऊँगा। 

Friday, January 12, 2024

MAHABALIPURAM 2023

 तमिलनाडु की ऐतिहासिक धरा पर …   भाग - 11 

 महाबलीपुरम - पल्लवों की ऐतिहासिक विरासत 


5 JAN 2023

चेन्नई से दक्षिण की ओर समुद्र के किनारे मामल्लापुरम नामक स्थान है जिसे महाबलीपुरम भी कहते हैं।  इस स्थान पर पल्लवकालीन अनेकों अवशेष स्थित हैं जिनमें शोर मंदिर और पांडव रथ महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान में यह एक शानदार पर्यटक स्थल है जहाँ समुद्र के बीच के साथ साथ भारतीय इतिहास की एक शानदार झलक देखी जा सकती है। 

चेन्नई से महानगरीय बसें सीधे मामल्लापुरम पहुँचती हैं और प्रत्येक आधे घंटे के अंतराल पर उपलब्ध हैं। चेन्नई से मामल्लपुरम की दूरी लगभग 40 किमी है। महाबलीपुरम में अनेकों प्राचीन प्रस्तर कलाओं के ऐतिहासिक अवशेष देखने को मिलते हैं जो सातवीं शताब्दी में निर्मित किये गए थे। यह पल्लवकालीन हैं और पल्लव शासकों ने अलग अलग समय पर इनका निर्माण कराकर अपने समय की अमिट छाप छोड़ी थी। 

Monday, November 20, 2023

NILGIRI RAILWAY MUSEUM

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर …  भाग - 9

नीलगिरि रेल संग्रहालय 

दक्षिण रेलवे की नीलगिरि घाटी रेलवे की ऐतिहासिक विरासतें आज भी नीलगिरि रेल संग्रहालय में सुरक्षित हैं और पर्यटकों के देखने हेतु उपलब्ध हैं।  यह संग्रहालय मेट्टुपालयम स्टेशन के सामने ही स्थित है। 

1. मेट्टुपालयम रेलवे स्टेशन और संग्रहालय 

नीलगिरि रेलवे म्यूजियम 

Saturday, November 18, 2023

AN EVENING OF COIMBATORE & CHERAN EXPRESS


तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर…     भाग - 10 

कोयंबटूर की एक शाम और चेरान एक्सप्रेस 



 कोयंबटूर नगर और ईशा कोविल का प्लान 

शाम को करीब पांच बजे मैं कोयंबटूर पहुंचा, मैं यहाँ से ईशा कोविल जाना चाहता था जहाँ भगवान शिव की शानदार मूर्ति के दर्शन होते हैं  किन्तु अब ईशा कोविल जाना मुश्किल था क्योंकि मैंने अपने जीजाजी बासुदेव को फोन किया जो कुछ ही समय पहले यहाँ से अपने गाँव गए थे।  वे कोयंबटूर शहर में ही रहते हैं और यहीं कार्यरत हैं किन्तु छुटियों में वे इगलास अपने गाँव चले जाते हैं, उन्हें कोयंबटूर शहर के बारे में अच्छी जानकारी है।  

उन्होंने ही मुझे बतलाया कि अगर मैं इस समय ईशाकोविल जाऊँगा तो सुबह से पहले नहीं लौट पाउँगा जबकि रात को चेन्नई के लिए मेरी ट्रेन है वो निकल जाएगी। अतः बिना देर किये मैं ईशा कोविल जाने वाली बस में से उतरा और वापस रेलवे स्टेशन पहुंचा। 

रेलवे स्टेशन के बाहर ही काफी बड़ा और अच्छा बाजार है। मैं खाना खाने से पहले आज की सारी थकान दूर करना चाहता था इसलिए मुझे जाम की आवश्यकता थी। जाम की दुकान स्टेशन से कुछ ही मिनट की दुरी पर थी, मैं वहां पहुंचा और कुछ मूल्य देने के बाद मुझे एक बियर की बोतल प्राप्त हुई। जाम पीने के बाद मैं वापस स्टेशन पहुंचा और अपना बैग लेकर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचा। 

NILGIRI RAILWAY

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर…     भाग - 8

नीलगिरि रेलवे की एक रेल यात्रा 

मेट्टुपालयम से उदगमंडलम मीटर गेज रेल यात्रा

4 JAN 2024

चेर राज्य और कोंगु प्रदेश 

      प्राचीन चेर राज्य के अंतर्गत समस्त कोंगू प्रदेश शामिल था जिसमें नीलगिरि की ऊँची वादियाँ, प्राकृतिक झरने, चाय के बागान और ऊंटी जैसा हिल स्टेशन शामिल है। प्राचीन चेर राज्य की राजधानी वनजी थी, जो करूर, इरोड, कोयंबटूर और तिरूप्पर के बीच कहीं स्थित थी, अब इसके अवशेष देखने को नहीं मिलते हैं। चेर राज्य के शासकों का स्थापत्य कला में कोई मुख्य योगदान नहीं रहा है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि अगर चेर के कुछ शासकों ने स्थापत्य की दृष्टि से कुछ भवनों या मंदिरों का निर्माण कराया भी होगा तो वक़्त के साथ बदलते साम्राज्यों में यह ढेर हो गए किन्तु आज भी केरल में चेर शासकों के स्थापत्य के निर्माण मौजूद हैं। 

Monday, August 21, 2023

ROCKFORT TEMPLE, TRICHI

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर   भाग - 8 

रॉकफोर्ट मंदिर और त्रिची की एक शाम 



3 JAN 2023

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तमिलनाडू के मध्य भाग में स्थित त्रिची एक बड़ा और सुन्दर नगर है। यह नगर कावेरी नदी के किनारे स्थित है।  प्राचीनकाल में यह चोल शासकों की प्रथम राजधानी भी रहा है जिसे उरैयूर के नाम से जाना जाता था। चोल सभ्यता के अलावा यहाँ पल्लवकालीन सभ्यता के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। 

नगर के बीचोबीच एक ऊँची चट्टान पर रॉकफोर्ट स्थित हैं जहाँ से अनेक पल्लवकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। चट्टान के सबसे ऊपरी शिखर पर श्री गणेश जी का मंदिर स्थित है जहाँ गणेश जी को दूब ( घास ) चढाने का विशेष महत्त्व है। यहाँ से समूचे नगर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है और साथ ही कावेरी की अविरल धाराएं भी यहाँ से स्पष्ट नजर आती हैं। 

कावेरी के मध्य में स्थित भगवान विष्णु का धाम श्री रंगम जी का मंदिर भी दिखलाई पड़ता है। 

Saturday, August 19, 2023

VIJAYALAY CHOLESHWARAM TEMPLE

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर … भाग - 7 

विजयालय चोलेश्वरम मंदिर - नारतामलाई 

3 JAN 2023

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वर्तमान में तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर और गंगईकोंड चोलपुरम का बृहदीश्वर मंदिर चोल स्थापत्य के मुख्य उत्कृष्ट उदाहरण तो हैं ही किन्तु इसके निर्माण से भी सैकड़ों वर्षों पूर्व भी एक साधारण से गाँव की विशाल चट्टान पर, प्रथम चोल सम्राट विजयालय ने अपनी विजयों के फलस्वरूप आठवीं शताब्दी में एक शानदार शिव मंदिर का निर्माण कराया, जिसे उन्होंने अपने ही नाम से सम्बोधित किया ''विजयालय चोलेश्वर कोविल'' जिसका अर्थ है विजयालय चोल के ईश्वर का मंदिर। मंदिर की वास्तुकला और शैली बेहद शानदार है इसी कारण यह इतने वर्षों के पश्चात भी ज्यों का त्यों स्थित है। 

Thursday, July 20, 2023

Tirumayam Fort

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर …. भाग - 6  

तिरुमयम किला 


3 JAN 2023

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   अब वक़्त हो चला था त्रिची से आगे बढ़ने का और उस मंजिल पर पहुँचने का जिसके लिए विशेषतौर पर, मैं इस यात्रा पर आया था। यह वह स्थान था जहाँ आठवीं शताब्दी में चोल वंश के प्रथम सम्राट विजयालय ने नारतामलै नामक स्थान पर चोलेश्वर शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। सम्राट विजयालय के शासनकाल में पूर्णतः द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर चोलकालीन सभ्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है। 

   नारतामलै, त्रिची से दक्षिण दिशा की तरफ तीस किमी दूर स्थित है। इस स्थान तक पहुँचने के लिए रेलमार्ग और सड़कमार्ग दोनों ही सुगम हैं।

 मैंने अपनी यात्रा के लिए रेलमार्ग को चुना और सुबह होटल से नहाधोकर चेकआउट करने के बाद, मैं त्रिची रेलवे स्टेशन पहुंचा। हालांकि इससे पूर्व मेरा एक और प्लान था कि मैं रेंट पर बाइक लेकर, उससे सभी चुनिंदा ऐतिहासिक स्थलों को देखकर शाम तक त्रिची वापस आ जाता किन्तु रेंट पर मिलने वाली कोई बाइक मुझे यहाँ नहीं दिखी और फिर मैंने रेलमार्ग द्वारा ही अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया। 

Sunday, April 2, 2023

BRIHDESHWAR TEMPLE - THANJAVOUR

तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर, भाग - 4 

 बृहदेश्वर अथवा राजराजेश्वर मंदिर 

2 JAN 2023

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वैदिक धर्म के विपरीत बौद्ध और जैन धर्म की भारतवर्ष में ही नहीं, अपितु भारत के नजदीकी देशों में भी प्रसरता अपने चरमोत्कर्ष पर थी। मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का सबसे अधिक प्रचार प्रसार किया और उसके पुत्र व पुत्री ने श्री लंका में बौद्ध धर्म की पराकाष्ठा बढ़ाई। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत में हर्षवर्धन ने भी बौद्ध धर्म को सबसे अधिक महत्त्व दिया, इसकारण भारत अब विभिन्न धर्मों का देश बन चुका था।

 किन्तु दक्षिण भारत की बात अलग थी, यहाँ के राजवंश और शासकों ने शुरू से ही केवल वैदिक धर्म को सर्वोच्च स्थान दिया था। वह वैदिक धर्म के अनुयायी थे और पूर्ण रूप से अपने रीतिरिवाजों और अपनी संस्कृति के साथ अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूर्ण किया करते थे। उनके द्वारा निर्मित अभिलेखों से इस बात की पुष्टि होती है। 

चोल वंश का सबसे प्रतापी सम्राट राज राज प्रथम था जिसका मूल नाम अरिमोलीवर्मन था। उसने अपने साहस और कुशल रणनीति से चोल राज्य को साम्राज्य में बदल दिया था। अपने राज्यभिषेक के सुअवसर पर उसने राजराज की उपाधि धारण की थी। इसके अलावा और भी अनेकों उपाधि थी जो उसने धारण की किन्तु सबसे अधिक प्रसिद्धि उसे राजराज की उपाधि से ही मिली। 

इसी उपाधि के चलते उसने दक्षिण भारत के तंजौर नगर में देश के सबसे बड़े मंदिर का निर्माण कराया जो भगवान शिव को समर्पित है। उसने इस मंदिर का नाम राजराजेश्वर मंदिर रखा जो कालांतर में बड़ा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। सत्रहवीं शताब्दी में मराठा सरदारों ने इसे बृहदेश्वर मंदिर नाम दिया। जिसका अर्थ होता है सबसे बड़ा मंदिर। 

Saturday, March 18, 2023

CHENNAI CENTRAL

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर .... भाग - 2 

मैं, नई साल और राजधानी चेन्नई

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SUN - 1 JAN 2023 

चेन्नई अथवा मद्रास 

  बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल पर स्थित चेन्नई, भारत देश का चौथा सबसे बड़ा शहर और तीसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। चेन्नई, तमिलनाडू प्रदेश की राजधानी है और संस्कृति, आर्थिक और शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण  शहर है। प्राचीन काल में यह पल्लव, चोल, पांडय और विजयनगर के शासकों का मुख्य क्षेत्र रहा है, पंद्रहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने यहाँ एक बंदरगाह का निर्माण किया। पुर्तगालियों ने चेन्नई में पुलिकट नामक शहर बसाया और वहीँ डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।

  सोलहवीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चेन्नई में अपनी फैक्ट्री और गोदाम के निर्माण किये और सेंट जॉर्ज किले का निर्माण करवाया। इस बीच फ्रांसीसियों ने सत्तरहवीँ शताब्दी में इस किले पर अपना अधिकार कर लिया किन्तु यह अधिकार कुछ ही समय के लिए था, इसके बाद पुनः यह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण में आ गया और इन्होने यहाँ मद्रास प्रेसीडेंसी की स्थापना की जिसमे तमिलनाडू के साथ साथ कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को भी शामिल किया गया। इस प्रकार तमिलनाडु की राजधानी मद्रास की स्थापना हुईं।

 सन 1996 में डीऍमके सरकार ने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई करने का फैसला लिया और सन 1998 में मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई हो गया। नाम बदलने का मुख्य कारण यह था कि चूँकि यह तमिल प्रदेश की राजधानी थी और मद्रास एक तमिल नाम नहीं है अतः तमिल में चेन्नई कहा जाने लगा। 

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Friday, March 10, 2023

Grand Truck Express : MTJ TO MAS

 

तमिलनाडु की ऐतिहासिक धरा पर - भाग 1 

मथुरा से चेन्नई - ग्रैंड ट्रक एक्सप्रेस 

30 DEC 2022

    आख़िरकार एक लम्बे समय के बाद वो वक़्त आ ही गया जब मैं फिर से अपनी दक्षिण भारत की ऐतिहासिक यात्रा के लिए एकदम से तैयार था। पिछली बार कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा करने के बाद मैंने इस बार तमिलनाडू राज्य को अपनी यात्रा के लिए चुना क्योंकि तमिलनाडु राज्य भी प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म का ऐतिहासिक केंद्र रहा है जहाँ चोलों ने अपनी वास्तुकला और स्थापत्य के ऐसे उदाहरण छोड़े हैं, जिन्हें देखने भर से उनकी महानता और सर्वोच्चता के साथ साथ भविष्य को लेकर उनकी दूर दृष्टि का बोध होता है। 

चोल साम्राज्य के साथ साथ तमिलनाडु की भूमि चेर, पांडय और पल्लवों के महान साम्राज्य और उनकी विजयों का भी गुणगान करती है। बस इन्ही राज्यों से मिलने की तमन्ना लिए मैंने ब्रजभूमि से तमिल भूमि की ओर प्रस्थान किया। 

आँग्ल नववर्ष आने में अब दो दिन ही शेष बचे थे, मेरी तमिलनाडु यात्रा की सभी तैयारियाँ लगभग पूर्ण हो चुकी थीं, नई साल का पहला दिन तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मनाने का पूरा प्रबंध किया हुआ था। 

30 दिसंबर की शाम, मथुरा से चेन्नई के लिए मैंने ग्रैंड ट्रक एक्सप्रेस से अपनी यात्रा शुरू की।

Wednesday, February 20, 2013

KANYAKUMARI

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

भारत का अंतिम छोर - कन्याकुमारी 

कन्याकुमारी 

TRIP DATE - 20 FEB 2013

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      किला पैसेंजर से  सुबह चार बजे हम नागरकोइल स्टेशन पहुंचे । कन्याकुमारी यहाँ से पंद्रह किमी दूर थी , स्टेशन के बाहर आकर हमने दो ऑटो किराये पर किये बस स्टैंड के लिए, बस स्टैंड स्टेशन से एक दो किमी की दूरी पर था, पहले पता होता तो पैदल भी आ जाते। बस स्टैंड पर कन्याकुमारी की बस तैयार खड़ी थी, बस ने हमें सुबह 5 बजे कन्याकुमारी उतार  दिया। कन्याकुमारी की सबसे खास चीज़ है यहाँ का सूर्योदय जिसे देखने दूर दूर से लोग यहाँ आते हैं, आज मुझे भी ये मौका मिलने वाला था, कन्याकुमारी में बस से उतारकर मैं सीधे समुन्द्र के किनारे पहुंचा और सूर्योदय का इन्तजार करने लगा, यहाँ पहले से भी अधिक संख्या में पर्यटक बैठे हुए थे और सूर्योदय होने का इंतजार कर रहे थे ।

MADURAI

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


                                                मीनाक्षी मंदिर - मदुरै की शान 


मीनाक्षी मंदिर 

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   सुबह पांच बजे हम मदुरै पैसेंजर से मदुरै की तरफ रवाना हुए, एक्सप्रेस ट्रेनों की अपेक्षा पैसेंजर ट्रेनों मे आपको लोकल संस्कृति देखने को मिल सकती है, क्योंकि वो जिस राज्य में से होकर गुजरती है उसकी सवारियां भी अधिकतर उसी राज्य की होती हैं। हमारे आसपास भी तमिलनाडु के ही लोग बैठे हुए थे जो आपस में बातें करते जा रहे थे , क्या बातें कर रहे थे ये मेरी समझ से बाहर था, और हम भी आपस में जब हिंदी बोल रहे थे तो वे भी नहीं समझ पा रहे थे, गर मुझे उनसे कुछ पूछना होता था तो इंग्लिश का प्रयोग करना पड़ता था। आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ इंग्लिश आपका हर जगह साथ देगी, शायद इसीलिए इसे अंतरराष्ट्रीय भाषा कहा जाता है ।

Tuesday, February 19, 2013

RAMESHWARAM

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


 ज्योतिर्लिंग और धाम - रामेश्वरम 

रामेश्वरम मंदिर 

TRIP DATE - 18 FEB 2013

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग 

आज से हजारों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जब त्रेतायुग का काल था उस समय भारत के दक्षिण में पृथ्वी के आखिरी छोर पर लंका पहुँचने का मार्ग ढूँढ़ते हुए भगवान् राम ने विशालकाय समुद्र को बाधा बने हुए देखा तो समुद्र को ललकारते हुए उन्होंने अपने धनुष की तेज टंकार दी। समुद्र देव हाथ जोड़ते हुए भगवान श्री राम के समक्ष उपस्थित हुआ और भगवान और उनकी सेना को समुद्र पर सेतु बाँधकर लंका पहुँचने का मार्ग सुझाया। भगवान राम के मित्र और किष्किंधा के राजा सुग्रीव की सेना में नल और नील नामक दो वीर वानर योद्धा थे जो अभियांत्रिक कार्यों में अनुभवी और कुशल थे और साथ उन्हें एक ऋषि द्वारा यह श्राप भी मिला था कि वह जिस वस्तु को उठाकर पानी में फेकेंगे वह वस्तु पानी में तैरने लगेगी। नल - नील को मिला श्राप आज भगवान श्री राम के लिए वरदान साबित हुआ।  

Sunday, February 17, 2013

SETHU EXPRESS - MS TO RMM

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

चेन्नई एग्मोर से रामेश्वरम - सेतू एक्सप्रेस 


यात्रा दिनाँक - 17 - 18 फरवरी 2013 

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शाम के पांच बज गए थे, सेतु एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से चेन्नई से प्रस्थान कर चुकी थी, मैंने सोचा नहीं था कि ये सफ़र इतना रोमांचक हो सकता है , कैसे ?  बताता हूँ , शाम का वक़्त तो था ही, ट्रेन को डीजल इंजन बड़ी मस्त गति से दौड़ा रहा था, और साथ ही साथ हमारे साथ अभी चेन्नई भी चल रहा था, काफी देर बाद मुझे लगा कि ट्रेन समुद्र के किनारे चल रही है परन्तु ये समुद्र नहीं था, ये कोलावई झील थी जो बहुत बड़ी और शानदार झील थी। ट्रेन झील के बिलकुल किनारे किनारे चल रही थी, ये मेरे सफ़र का एक वाकई सुखद अनुभव था ।

Saturday, February 16, 2013

AGRA TO CHENNAI BY TAMILNADU EXPRESS

UPADHYAY TRIPS PRESENTS   

आगरा कैंट से चेन्नई - तमिलनाडु यात्रा         





     आज मैं अपने परिवार सहित रामेश्वरम के दर्शन हेतु निकल पड़ा। आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंचे तो देखा तमिलनाडु एक्सप्रेस एक घंटा लेट आ रही है, हालाँकि मुझे आरक्षण जीटी एक्सप्रेस में करवाना चाहिए था क्योंकि उससे न तो मेरी और साथ के सभी की रात खराब होती और ना ही मुझे एक घंटे का इंतजार करना पड़ता। चलो रात के सही दो बजे तमिलनाडु भी आ गयी। सीट पर पहुंचे तो वहां पहले से ही कोई सोया पड़ा था।

    मैंने उसे जगाया और सीट खाली करने के लिए कहा। उसने मुझसे पुछा कौन सा स्टेशन है भाई, मैंने कहा आगरा है। वो मेरा धन्यवाद करने लगा, जबकि अधिकतर मैंने जब किसी को अपनी सीट से उठाया है ,मन में गाली जरुर देकर जाता है, पर ये श्रीमान जी अलग थे, वो सिर्फ इसलिए क्योंकि इन्हें आगरा ही उतरना था, और मैंने इन्हें जगाकर इनका काम आसान कर दिया था ।