Tuesday, February 19, 2013

RAMESHWARAM

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


 ज्योतिर्लिंग और धाम - रामेश्वरम 

रामेश्वरम मंदिर 

TRIP DATE - 18 FEB 2013

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।


रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग 

आज से हजारों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जब त्रेतायुग का काल था उस समय भारत के दक्षिण में पृथ्वी के आखिरी छोर पर लंका पहुँचने का मार्ग ढूँढ़ते हुए भगवान् राम ने विशालकाय समुद्र को बाधा बने हुए देखा तो समुद्र को ललकारते हुए उन्होंने अपने धनुष की तेज टंकार दी। समुद्र देव हाथ जोड़ते हुए भगवान श्री राम के समक्ष उपस्थित हुआ और भगवान और उनकी सेना को समुद्र पर सेतु बाँधकर लंका पहुँचने का मार्ग सुझाया। भगवान राम के मित्र और किष्किंधा के राजा सुग्रीव की सेना में नल और नील नामक दो वीर वानर योद्धा थे जो अभियांत्रिक कार्यों में अनुभवी और कुशल थे और साथ उन्हें एक ऋषि द्वारा यह श्राप भी मिला था कि वह जिस वस्तु को उठाकर पानी में फेकेंगे वह वस्तु पानी में तैरने लगेगी। नल - नील को मिला श्राप आज भगवान श्री राम के लिए वरदान साबित हुआ।  

समुद्र पर सेतु बाँधने के पश्चात् और लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व श्री राम ने भगवान शिव की स्तुति करने के लिए समुद्र किनारे बालू के रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और पुष्प अर्पण कर भगवान शिव का ध्यान किया। श्री राम द्वारा स्थापित यह शिवलिंग ही, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहलाता है। रामेश्वर अर्थात राम के ईश्वर। भगवान शिव ने भी श्री राम को विजय श्री का आशीर्वाद प्रदान किया और साथ ही कहा कि भविष्य में जो भी भक्त रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेगा उसकी ना सिर्फ समस्त बाधाएं दूर होंगी बल्कि वह भगवान शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भक्ति भी प्राप्त करेगा।

भगवान विष्णु ने ही त्रेतायुग में राम के रूप में अवतार लिया था अतः रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग न सिर्फ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है बल्कि यह भारतवर्ष की चारों दिशाओं में स्थित भगवान विष्णु के चार धामों में से भी एक है। अतः यहाँ के दर्शन करने से भगवान् शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। भगवान विष्णु का यहाँ सेतुमाधव मंदिर भी स्थित है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का गलियारा विश्व का सबसे बड़ा गलियारा है। 

यहाँ 22 अलग अलग कुंड बने हुए हैं जिनके बारे में मान्यता है कि इन कुंडों में भारत वर्ष के अलग अलग तीर्थों का जल समाहित है। भक्तों को पंडो द्वारा इन्हीं 22 कुंडों के जल से स्नान करने के पश्चात ही भगवान शिव के दर्शन करने होते हैं। यहाँ बाईस अलग अलग कुएँ हैं जिनमे अलग अलग तरह का पानी आता है, पता नहीं कहाँ से। मंदिर में जाने से पूर्व इन बाईस कुंडों के जल से स्नान करना भी जरुरी होता है जिसके लिए पच्चीस रुपये प्रति व्यक्ति टिकट लगती है। कहते हैं की इन कुंडों का जल भारत के अन्य तीर्थो का जल है इसीलिए यहाँ हर कुंड का अपना एक अलग नाम है जैसे गंगा तीर्थ, यमुना तीर्थ।

मंदिर के अन्दर पहुंचे तो यहाँ तीन तरह की लाइन लगी थी, पहली वीआईपी लाइन थी जिसकी टिकट थी 500 रूपये, शिव जी के शिवलिंग पर स्वयं जल चढ़ा सकते हो। दूसरी लाइन थी स्पेशल जिसकी टिकट थी 100  रुपये शिव जी के दरवाजे तक आ सकते हो। और तीसरी लाइन थी आम जनता की जो बिलकुल मुफ्त थी, दूर से ही दर्शन कर सकते हो, बस आपको एक ब्रिज पर चढ़ना है और ऊंचाई पर पहुँच कर आपको शिवलिंग दिखाई दे जाएगा और नहीं देख पाए तो तुम्हारा भाग्य। मैं तीसरी लाइन का ही आदमी था क्यों कि मेरा मानना है कि भगवान कभी अपने भक्तों में भेदभाव नहीं रखते उनके लिए तो सब एक समान हैं, ये तो बस इंसान की कारीगरी है जो भगवान के घर पे भी कीमतें निर्धारित कर देती हैं ।

रामेश्वरम मंदिर का गोपुरम बहुत ही विशाल और ऊँचा है। यह मुख्य शहर ने हर तरफ से दिखाई देता है। भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के पश्चात हम रामेश्वरम धाम के अन्य मंदिरों और तीर्थों के दर्शन हेतु एक ऑटो किराये पर लेकर निकल पड़े।    


RAMESHWARAM JYOTIRLING

GOPURAM OF RAMESHWARAM 


ENTRY GATE OF RAMESHWARAM TEMPLE


LOTUS POND IN RAMESHWARAM 


MY FATHER, MOTHER AND FRIEND KUMAR



MY NEIGHBORS


MY WIFE - KALPANA 


RAMESHWARAM JYOTIRLING


अग्नितीर्थ 

समुद्र के किनारे पांच बड़े बड़े स्तम्भनुमा दरवाजे दिखलाई देते हैं जो अग्नितीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस स्थान के बारे में प्रचलित है कि यहाँ रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद माता सीता ने यहाँ अग्नि परीक्षा दी थी। यहाँ स्थित समुद्र बंगाल की खाड़ी है जिसे रत्नाकर भी कहा जाता है। यहां हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी का संगम होता है। 

AGNITEERTHAM

SEA IN RAMESHWARAM

AGNITIRTH 


RAMESHWARAM SEA

AGNITIRTH 



श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर 

रामेश्वरम धाम में श्री पंच मुखी हनुमान जी का मंदिर है। हनुमान जी की यह मूर्ति काले ग्रेनाइट के पत्थर से निर्मित है। 

PANCHMUKHI HANUMAN TEMPLE



लक्ष्मण मंदिर 

प्रभु श्री राम के अनुज अथवा छोटे भाई लक्ष्मण जी को समर्पित यह मंदिर बहुत ही शानदार और भव्य है। यहाँ एक कुंड है जिसके बीचोंबीच भव्य चौकोर मंडप बना हुआ है। इस कुंड के जल में तैरते हुए पत्थर आज भी देखे जा सकते हैं। 

MANDAP AT LAKSHMAN TEMPLE

OUR RENTED AUTO

KALARAM TEMPLE








गंधमादन पर्वत और चरण पादुका मंदिर 

गंधमादन पर्वत, रामेश्वरम धाम में एक ऊँचा रेतीला टीला है जिसपर खड़े होकर प्रभु श्री राम, वानर सेना को सम्बोधित किया करते थे और हनुमान जी ने इसी टीले से लंका के लिए छलांग लगाई थी। भगवान श्री राम के यहाँ चरणों के दर्शन होते हैं जहाँ वह खड़े हुआ करते थे। उनके चरणों के दर्शन करने के कारण इस पर्वत चरण पादुका या राम पादुका के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान बहुत ही प्राकृतिक और रमणीय है, इस पर्वत पर स्थित रामपादुका मंदिर से समस्त रामेश्वरम धाम और आस पास फैले अथाह सागर का दृश्य बहुत ही रोमांचक लगता है।  

WAY TO GANDHMADAN HILL








GANDHMADAN HILL

A VIEW OF TV TOWER FROM GANDHMADAN HILL

RAM PADUKA TEMPLE AT GANDHMADAN HILL



विभीषण मंदिर 

रामेश्वरम से धनुष्कोटि जाते हुए रास्ते में समुद्र के किनारे विभीषण मंदिर स्थित है। देश का एक मात्र यही विभीषण जी का मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि रावण द्वारा लंका से निष्काषित किये जाने के बाद विभीषण जी इसी स्थान पर प्रभु श्री राम की शरण में आये थे और भगवान श्री राम ने यहीं उनका राज्यभिषेक कर लंका का सम्राट बनाने का वचन दिया था।  




VIBHISHAN TEMPLE








एपीजे अब्दुल कलाम हॉउस 

भारत के मिशाइल मैन के नाम से मशहूर भारत के राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का पैतृक घर रामेश्वरम में ही स्थित है। कलाम साब का जन्म रामेश्वरम में हुआ और यहीं उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण की। आज उनके निवास स्थान पर एक भव्य बाजार का संचालन होता है जहाँ से समुद्र में पाई जाने वाली अनेकों वस्तुओं से बनी चीजें मिलती हैं। 

नाग मंदिर

ऑटो वाले हमें रास्ते में और भी कई मंदिरों के दर्शन करवाए, इनमें से एक नाग मंदिर है जहाँ विभिन्न प्रकार के नाग और सर्पों की मूर्तियां स्थित हैं। यह एक रहस्य मय मंदिर है। 






 अन्य मंदिर और भवन 











सेतु दर्शन 

मंदिर के दर्शन तो कर लिए अब हमें वो सेतु देखना था जिस पर होकर राम जी अपनी सेना के साथ लंका पहुंचे थे। होटल वाले ने बताया कि वो धनुष्कोटी में है, मंदिर से धनुषकोटि की दूरी दस किमी थी, हमने दो ऑटो किराये पर लिए और चल दिए धनुष्कोटी की ओर। यहाँ तीनों तरफ अथाह सागर था पर एक दम शांत। ऑटो वाला हमें एक मंदिर पर लेकर गया और उसने बताया कि ये विभीषण मंदिर है, यहाँ विभीषण राम की शरण में आये थे। और सामने हमने दूरबीन से देखा तो हमें कुछ लोग समुद्र में चलते हुए दिखाई दे रहे थे, दूरबीन वाले ने बताया कि ये लोग उसी सेतु पर चल रहे हैं जो राम जी ने बनाया था। 

न चाहते हुए भी मुझे उसकी बात पर विश्वास करना पड़ा क्योंकि मैंने अपनी आँखों से उसी समुद्र में भयानक मगरमच्छ देखे थे, और उन लोगों को बीच समुन्द्र में अपने पैरो पर चलते देखा था नहीं तो डूबने में देर कैसी वो भी समुद्र में । यहाँ से आगे धनुषकोटि आठ किमी दूर थी जहाँ अंग्रेजों के जमाने का एक रेलवे स्टेशन भी था पर 1960 सन में आये चक्रवाती तूफ़ान ने उसे अपने लपेटे में ले लिया और धनुषकोटि के साथ साथ स्टेशन भी समुन्द्र में समां गया, अब वहां उनके कुछ अवशेष ही मौजूद थे, समय के अभाव के कारण हम वहां तक नहीं जा पाए ।






समुद्र दर्शन और स्नान 










लगभग पूरा दिन घूमने के बाद हम सभी लोग रेलवे स्टेशन पहुंचे। शाम को स्टेशन पर बनी रेलवे कैंटीन से खाना खाकर हमने अपने बिस्तर प्लेटफॉर्म पर लगा लिए और यहीं सोने की कोशिश की किन्तु बड़े बड़े समुद्री मच्छरों के कारण हम यहाँ नहीं सो सके और यहाँ बने एक वेटिंग रूम में  एक जगह देखकर अपना बिस्तर लगाया। हमारी ट्रेन सुबह पांच बजे थी जिससे हमें मदुरै पहुँचना था। रातभर मैं सोया नहीं और यहाँ लगे नारियल के पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करने में लगा रहा। मेरे बुआ और फूफा जी रात को ही ग्यारह बजे वाली ट्रेन से मदुरै के लिए निकल गए। 

WAY TO RAMESHWARAM STATION


RAMESHWARAM RAILWAY STATION

RAMESHWARAM RAILWAY STATION

RAMESHWARAM RAILWAY STATION



RAMESHWARAM RAILWAY STATION

RAMESHWARAM RAILWAY STATION






RAMESHWARAM RAILWAY STATION




RAMESHWARAM RAILWAY STATION



RAMESHWARAM RAILWAY STATION
     



THANKS YOUR VISIT 
🙏

No comments:

Post a Comment

Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.