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Thursday, March 27, 2025

MAHE - A BEUTIFULL CITY OF WEST PUDUCHERRY

UPADHYAY TRIPS PRESENT'

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 8

 माहे - पश्चिमी पुडुचेरी का एक सुन्दर नगर 


 यात्रा दिनाँक :- 29 जून 2023 

     सोलहवीं शताब्दी में फ्रांसीसियों ने भारत के पूर्वी तट पर अपनी बस्तियां और औद्योगिक इकाइयां स्थापित की। उन्होंने पांडिचेरी नाम का एक नगर बसाया। प्राचीन काल में पांडिचेरी का नाम वेदपुरी था, जहाँ  के बारे में जनश्रुति है कि यहाँ अगस्त ऋषि का आश्रम था। पूर्वी तट के बाद भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मालाबार के कुछ क्षेत्र को भी फ्रांसीसियों ने अपने व्यापार के लिए चुना और यहाँ अपनी बस्तियां स्थापित की। यही स्थान आज माहि कहलाता है जो एक ओर से समुद्र और बाकी ओर से केरल राज्य के जिलों से घिरा हुआ है। इस जिले का नाम यहाँ बहने वाली माहि नदी के नाम पर रखा गया है। 

दोपहर के आसपास हम एरनाड एक्सप्रेस से माहे रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहाँ घूमने के लिए हमारे पास अभी शाम तक का समय था क्योंकि यहाँ से आगे की यात्रा के लिए हमारा रिजर्वेशन परशुराम एक्सप्रेस में था जो यहाँ शाम को छः बजे के बाद आएगी। 

माहि मालाबार के तट पर केंद्रशासित राज्य पुडुचेरी का यह एक छोटा सा शहर है जिसका क्षेत्रफल कुल 9 किमी का है। माहे रेलवे स्टेशन एक छोटा रेलवे स्टेशन है, हमें यहाँ अपना बैग जमा करने के लिए क्लॉक रूम में सुविधा नहीं मिली। हम जैसे ही स्टेशन के बाहर निकले, तो हमें ऑटो वालो ने घेर लिया और वह मलयालम भाषा में पता नहीं कहाँ जाने की कह रहे थे। 

हमें माहे में कहाँ घूमना था, यहाँ क्या देखना था, इसके बारे में हमें कुछ भी जानकारी नहीं थी, बस इतना पता था कि यहाँ समुद्र है और यहाँ अवश्य ही बीच भी होगा और यहाँ आने का मुख्य कारण था, कि मैं पुडुचेरी के इस छोटे से नगर की यात्रा करके इसे अपनी यात्रा सूची में  शामिल करना चाहता था। क्योंकि इसके बाद पुडुचेरी के बाकी तीन नगर और शेष बचेंगे जो भारत के पूर्वी तट यानी कि बंगाल की खाड़ी के किनारे थे। एक आंध्र प्रदेश में और बाकि  तमिलनाडू राज्य की सीमा के आसपास। 

Saturday, March 22, 2025

NIL TO MAHE : MANSOON RAILWAY TRIP 2023

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 7 

 निलंबूर रोड से माही - केरला में एक रेल यात्रा 


सन 1840 में, अंग्रेजों ने  लकड़ी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नीलांबुर में सागौन का बागान बनाया। 1923 में, साउथ इंडियन रेलवे कंपनी, जो मद्रास-शोरानूर-मैंगलोर लाइन का संचालन करती थी, को मद्रास प्रेसीडेंसी द्वारा नीलांबुर से शोरानूर तक रेलमार्ग बनाने का अनुबंध दिया गया था ताकि इन जंगलों से मैदानी इलाकों तक और  बंदरगाहों  के लिए लकड़ी का आसान परिवहन सुनिश्चित किया जा सके। 

कंपनी ने तीन चरणों में इस रेलमार्ग का निर्माण पूर्ण किया। शोरानूर से अंगदिप्पुरम रेल खंड 3 फरवरी 1927 को, अंगदिप्पुरम से वानियम्बलम 3 अगस्त 1927 को खोला गया और शोरानूर से नीलांबुर तक का पूरा खंड 26 अक्टूबर 1927 को खोला गया। 1941 में इस लाइन का अस्तित्व समाप्त हो गया। देश की स्वतंत्रता पश्चात, जनता के दबाव के बाद, भारतीय रेलवे ने रेलवे लाइन का पुनर्निर्माण इसके मूल संरेखण के अनुसार किया। शोरनूर-अंगदिपुरम लाइन 1953 में फिर से खोली गई और अंगदिपुरम-नीलांबुर 1954 में। यह कुल 66 किमी का रेल खंड है। 

नीलांबुर रोड केरला का एकमात्र टर्मिनल रेलवे स्टेशन है।  

Saturday, March 15, 2025

TVC TO NIL : KERLA RAIL TRIP 2023

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 6

तिरुवनंतपुरम से निलंबूर रोड - केरल में रेल यात्रा 


श्री अनंत पद्यनाभ स्वामी मंदिर के दर्शन करने के पश्चात, हम पैदल ही मंदिर से रेलवे स्टेशन की तरफ रवाना हो गए जोकि यहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। रास्ते में बस स्टैंड के समीप एक फलमंडी भी दिखाई दी जहाँ से सोहन भाई ने कुछ फल और आम खरीदे। स्टेशन पहुंचकर हमने क्लॉकरूम से अपने अपने बैग वापस लिए। अब यहाँ से आगे की यात्रा सोहन भाई और मुझे अलग अलग करनी थी।

यहाँ से अब हमारी घर की ओर वापसी की यात्रा शुरू होनी थी, जबकि सोहन भाई अब यहाँ से आगे अपनी तमिलनाडू यात्रा पर प्रस्थान करने वाले थे। हमें यहाँ से वापसी की राह पर निलंबूर रोड स्टेशन जाना था जो केरल के मालाबार प्रान्त के समीप मन्नार पर्वतमाला की तलहटी में स्थित एक छोटा सा नगर है। हमारा रिजर्वेशन कोचुवेली से था और कोचुवेली यहाँ से आगे तीसरा स्टेशन है। 

तिरुवनंतपुरम से कोच्चुवेली जाने वाली डीएमयू ट्रेन का अब समय हो चला था। हमने बड़े भारी मन से सोहन भाई और उनके परिवार से विदा ली। रास्ते के लिए कुछ आम सोहन भाई की माँ ने मुझे भी दे दिए। घर से इतनी दूर आकर अपने मित्र और उनके परिवार से अलग होते समय मेरा दिल भर आया और आँखों में आंसू भी आ गए। सोहन भाई से बिछड़ने के बाद अब एक अजीब सा डर भी मेरे मन में घर कर गया। 

Monday, March 3, 2025

MANGLORE TO TRIVENDRAM : MALABAR RAIL TRIP 2023

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 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 3

मैंगलोर से तिरुवनंतपुरम - केरला रेल यात्रा 



28 JUN 2023

     केरल, भारत देश का एक छोटा और सुन्दर प्रदेश है। भारत के अन्य प्रांतों की अपेक्षा यहाँ के लोग अत्यंत बुद्धिमान, पढ़े लिखे और उद्यमी होते हैं। यहाँ की साक्षरता का स्तर हमेशा से ही उच्च रहा है। सम्पूर्ण केरल प्रदेश में नदियां, नारियल और खजूर के वृक्ष, इलायची एवं अन्य मसालों की खेती के साथ साथ पर्वतीय क्षेत्रों में चाय के बागान भी देखने को मिलते हैं। ओणम यहाँ का प्रमुख त्यौहार है एवं मलयालम यहाँ की प्रमुख भाषा है।  

1 नवंबर 1956 को त्रावणकोर, कोचीन और मालाबार के सम्पूर्ण भूभाग को मिलाकर केरल राज्य का गठन किया गया था। इससे पूर्व केरल राज्य में केवल त्रावणकोर और कोचीन के भूभाग को शामिल किया गया था, मालाबार के तटीय क्षेत्र को इसमें बाद में शामिल किया गया था क्योंकि मालाबार उस समय मद्रास प्रोविन्स का एक भाग था और 1956 में एक एक्ट के तहत यह केरला का एक भाग बन गया। प्राचीन समय में यहाँ चेरों का शासन था। 

रात्रि में मंगलौर पहुँचने के बाद हमारी कोंकण की रेल यात्रा समाप्त हो गई। ट्रेन मध्य रात्रि के आसपास मंगलौर पहुंची थी और मंगलौर से चलकर, कर्नाटक की सीमा से निकलकर अब यह अपने अंतिम प्रदेश केरला में चल रही थी। चूँकि यह रात्रि का समय था इसलिए हमारी यह यात्रा नींद के समय पूरी हुई। अगली सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा ट्रैन एर्नाकुलम से भी आगे आ चुकी है और जल्द ही यह केरला के कायकुलम रेलवे स्टेशन पहुंची।  

नारियल के वृक्षों से आच्छादित इस प्रदेश को प्रकृति ने अपने अनुपम उपहारों से सुसज्जित किया है। केले और कटहल के वृक्ष भी यहाँ बहुतायत मात्रा में देखने को मिलते हैं। एक स्टेशन आया  करूनागपल्ली। 

Sunday, March 2, 2025

ROHA TO MANGLURU : KONKAN RAIL TRIP 2023

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 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 2

कोंकण रेलवे की एक यात्रा 


27 जून 2023 

    भारत के सुंदर प्राकृतिक क्षेत्रों में कोंकण क्षेत्र का प्रमुख स्थान है। इस क्षेत्र के अंतर्गत महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक कुछ भाग शामिल हैं। कोंकण में एक तरफ अथाह समुद्र है तो वहीँ दूसरी ओर पश्चिमी घाटों के ऊँचे ऊँचे पहाड़ हैं, इन पहाड़ों से निकलने वाली नदियाँ और झरने, इसकी प्राकृतिक सुंदरता को एक अविस्मरणीय अनोखा रूप देते हैं। 

    मुख्यतः कोंकण क्षेत्र के वनों में अनेक किस्मों के पेड़ पौधे देखने को मिलते हैं जिनसे अनेकों प्रकार की दुर्लभ जड़ीबूटियां भी प्राप्त होती हैं। मानसून के समय में कोंकण क्षेत्र की सुंदरता अपने उच्चतम शिखर पर होती है जिसे एकबार देखने वाला, जीवनपर्यन्त उसे भुला नहीं पाता। 

   प्राचीन समय में कोंकण के घने वनों और पहाड़ों के मध्य आवागमन बहुत ही दुर्लभ था, किन्तु वर्तमान में यहाँ सड़कों के साथ साथ रेल मार्ग भी सुचारु है। यह रेलमार्ग समुद्र और पश्चिमी घाटों के पर्वतों के मध्य से होकर गुजरता है। जिसपर अनेकों सुरंगें और छोटे बड़े पुल दिखाई देते हैं। 

   इस रेलमार्ग का सञ्चालन भारतीय रेलवे की एक शाखा 'कोंकण रेलवे' करती है जो भारत के 19 रेलवे जोनों में से एक है। कोंकण रेलमार्ग की कुल लम्बाई 756 किमी है और यह महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक तीन राज्यों को आपस में जोड़ता है। यह महाराष्ट्र के रोहा से शुरू होकर कर्नाटक के ठोकूर स्टेशन पर समाप्त होता है। 

Wednesday, February 12, 2025

MATHURA TO PANVEL : KERLA RAIL TRIP 2023

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 1 

मथुरा से पनवेल - तिरूवनंतपुरम सुपरफ़ास्ट एक्सप्रेस 


26 जून 2023 

    मानसून के समय में देश के पश्चिमी घाट, कोंकण क्षेत्र, गोवा और केरला की प्राकृतिक सुंदरता अपने चरम पर होती है। देश में सबसे पहले मानसून भी केरल में ही अपनी दस्तक देता है। अतः बरसात का यहाँ अनोखा रूप देखने को मिलता है। कोंकण क्षेत्र और पश्चिमी घाटों की सुंदरता की अलग ही छटा देखते बनती है। 

इसके अलावा इन सब नजारों और प्राकृतिक सौंदर्य को दिखाने के लिए कोंकण रेलवे अपनी अहम् भूमिका निभाती है। मानसून में कोंकण रेलवे की यात्रा, हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसा यादगार अनुभव छोड़ती है जिसे शायद ही जीवन पर्यन्त भुलाया जा सके।  

… 

काफी वर्ष पहले मैंने भी कोंकण रेलवे के इन शानदार नजारों के बारे में सुन रखा था तथा इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी भी एकत्रित की हुई थी। उस समय हम आगरा में रहते थे, और मेरे पिताजी आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर  रेलवे में नौकरी किया करते थे, तब मैंने जाना था कि यहाँ से गुजरने वाली 'मंगला लक्षद्वीप एक्सप्रेस' एक ऐसे मार्ग से होकर अपनी यात्रा करती है जिसके नज़ारे और सुंदरता का एक अलग ही अलौलिक वर्णन है। 

आगरा होकर जाने वाली यह एक मात्र ट्रेन थी जो कोंकण रेलवे से होकर गुजरती थी अतः शुरू से ही इसमें यात्रा करने का मन बना लिया था, कि एक बार तो अवश्य इसमें यात्रा करनी है किन्तु ऐसा अवसर मुझे अबतक प्राप्त ही नहीं हो पाया था। किन्तु अब ईश्वर की कृपा से ऐसा अवसर मिला है कि कोंकण रेलवे की यात्रा करने का स्वपन, साकार होने जा रहा है। 

आगरा के बाद हम लोग मथुरा आ गए और यहीं इस ब्रजभूमि में अपना स्थाई निवास स्थान बनाया। अब ये ब्रजभूमि ही अपना निवास स्थान है और अपनी कर्मभूमि भूमि भी। सम्पूर्ण देश में अनेकों यात्राएं करने के बाद प्रत्येक मानसून में मुझे कोंकण यात्रा याद आती ही अतः इसबार मैंने मथुरा से केरल के तिरुवनंतपुरम नगर की यात्रा का विचार बनाया। 

… 

Friday, January 3, 2025

KACHHALA GHAT : GANGA RIVER 2023

 कछला घाट पर गंगा स्नान - वर्ष 2023 

29 अप्रैल 2023 

अप्रैल का माह चल रहा है और गर्मी अपने चरमोत्कर्ष पर है। इस समय तो केवल ठन्डे स्थानों और नदियों की तरफ यात्रा का रुख स्वतः ही हो जाता है। इस सप्ताह के अंत में शनिवार के अवकाश को मैंने अपनी एक यात्रा में बदल दिया। इस बार गंगा जी जाने का विचार मन में आया और शनिवार को गंगा जी के लिए प्रस्थान करने के पूरी तैयारी कर ली। मेरी पत्नी कल्पना भी मेरे साथ गंगा स्नान के लिए तत्पर हो उठी तो अपनी इस यात्रा में शामिल कर लिया। 

मथुरा से सुबह साढ़े पांच बजे कासगंज जाने वाली पैसेंजर ट्रेन जाती है इसलिए सुबह पांच बजे ही घर से तैयार होकर, माँ को प्रणाम कर हम स्टेशन की तरफ प्रस्थान कर गए। स्टेशन से पहले ही एक रेल फाटक पर बाइक खड़ी करके हम स्टेशन की तरफ दौड़ लिए क्योंकि अब ट्रेन को चलने में ज्यादा समय नहीं रहा गया था और जैसे ही हम स्टेशन पर पहुंचे, तो एक जोरदार सीटी हमारी ट्रेन के इंजन की सुनाई दी और ट्रेन चल पड़ी। मतलब ये था कि अगर हम थोड़ी बहुत और देर से आते तो शायद इस ट्रेन का मिलना मुश्किल ही था। 

मथुरा जंक्शन स्टेशन के बाद मथुरा छावनी स्टेशन आया और इसके बाद यमुना जी  को पार करती हुई ट्रेन गंगा जी की तरफ रवाना हो चली। सुबह सुबह की ठंडी हवा ने मन को प्रफुल्लित कर दिया और यात्रा का आनंद दुगना कर दिया। राया, सोनाई और मुरसान के बाद हम हाथरस पहुंचे, यहीं से अगला स्टेशन हमारे गांव का है हाथरस रोड। 

मीटरगेज के समय में यह मुख्य स्टेशन था क्योंकि अधिकतर मीटरगेज की ट्रेनों का क्रॉस एक दूसरे से इसी स्टेशन पर होता था परन्तु जब से ये बड़ी लाइन हुई है तब से इस स्टेशन की महत्ता और सुंदरता दोनों ही समाप्त हो चले हैं। एक समय में मेरे दादाजी इसी रेलवे स्टेशन पर नौकरी करते थे, आज उनकी ऑफिस एक खंडहर के रूप में बची है सिर्फ।  इस स्टेशन से मेरा गांव सिर्फ एक किमी की दूरी पर है।  यहाँ आकर अनायास ही मुझे मेरे बचपन के दिनों की याद आ जाती है। 

अब आगे बढ़ते हैं - रति का नगला, बस्तोई, सिकंदरा राऊ, अगसौली और मारहरा के बाद आखिर कार हम  अपने अंतिम गंतव्य स्टेशन कासगंज पहुंचे। यह ट्रेन यहीं तक थी और इस समय कछला घाट जाने वाली कोई ट्रेन नहीं थी इसलिए अब आगे की यात्रा बस द्वारा ही होनी थी। इसलिए हम पैदल ही स्टेशन से बस स्टैंड की तरफ रवाना हो चले। एक चौक पर हमने नाश्ते की दूकान देखी, जहाँ बहुत से लोगों की भीड़ सी भी लगी थी। 

 अगर किसी कचौड़ी वाली दूकान पर अत्यधिक भीड़ देखने को मिले तो समझ जाना चाहिए कि वो उस नगर की प्रसिद्ध नाश्ते की दुकान है। मैंने और कल्पना ने भी यहाँ सुबह सुबह गर्मागर्म कचौड़ी का नाश्ता किया। जो कि अत्यंत ही स्वादिष्ट था। 

कुछ समय तक हम बस स्टैंड पर खड़े रहे और फिर थोड़ी देर बाद हमें अलीगढ डिपो की एक बस मिल गई जो कि बरेली जा रही थी। हम इस बस द्वारा कछला घाट पहुंचे। गंगा जी पार करने के बाद हम रेलवे स्टेशन की तरफ से गंगा नदी में उतरे, और पूजा अनुष्ठान के बाद हमने जी भर कर गंगा जी में स्नान किया।  यहाँ गंगा जी की गहराई थोड़ी कम है इसलिए गंगा नहाने का असली आनंद प्राप्त होता है। 

गंगा नदी में ही वो पुराने पिलर दिखाई देते हैं जिनपर कभी मीटरगेज की ट्रैन और बरेली जाने वाला सड़कमार्ग एक साथ गुजरता था। बदलते समय के साथ अब गंगा जी पर दो पुल नए बन गए हैं जिनमें से एक सड़कमार्ग का और दूसरा रेल मार्ग का है। 

गंगा जी में काफी देर नहाने के बाद हम कछला घाट स्टेशन पहुंचे, क्योंकि थोड़ी बहुत देर में अब यहाँ कासगंज  जाने वाली पैसेंजर ट्रेन आने वाली है। कछला घाट स्टेशन पर पुरानी मीटरगेज की अनेकों निशानियाँ आज भी दिखाई देती हैं, जैसे कि गंगा जी पर बने पुराने पुल के अवशेष, कछला घाट का पुराना मीटरगेज का रेलवे स्टेशन और प्लेटफॉर्म। 

इन सबको देखकर मुझे मेरे बचपन के दिनों की और मीटरगेज के दौर की पुरानी यादें ताजा हो उठती हैं। कुछ समय बाद कासगंज जाने वाली ट्रेन आ पहुंची और एक बार  फिर से हम गंगा से यमुना की तरफ रवाना हो चले। यह ट्रेन कासगंज तक ही थी, और अब मथुरा जाने के लिए शाम से पहले यहाँ कोई ट्रेन नहीं थी इसलिए अब वापसी का प्लान बस द्वारा कन्फर्म हुआ। 

 कासगंज स्टेशन के बोर्ड के साथ कुछ फोटो लेने के बाद हम मथुरा रोड पर पहुंचे। यहाँ गन्ने के जूस की स्टाल से दो दो गिलास हमने जूस पिया जिससे एक बार फिर से हमारा मन और शरीर तरोताज़ा हो गया। कुछ समय बाद हमें मथुरा जाने वाली एक रोडवेज बस मिल गई और हम मथुरा अपने घर की तरफ  प्रस्थान कर गए। 



KALPANA AT KASGANJ RAILWAY STATION 

OLD PILLER OF METER GUAGE RAIL TRACK

BANK OF GANGA 

BAREILLY HIGHWAY


KALPANA IN GANAGA





मीटर गेज रेलवे के समय के अवशेष 

मीटर गेज ट्राली 

कभी यहीं होकर गोकुल एक्सप्रेस गुजरती थी। 



गंगा सेतु की तरफ से कछला घाट स्टेशन का एक दृश्य 


गंगा रेल सेतु 


KACHHALA BRIDGE 


मीटर गेज के समय का स्टेशन नामपट 



मीटर गेज का प्लेटफॉर्म 






SORON SHUKAR KSHETRA STATION

KALPNA IN TRAIN 

GANGAGARH RAILWAY STATION 

GANGAGARH HALT

KASGANJ CITY STATION 

KASGANJ JUNCTION


🙏

Thursday, January 2, 2025

SAFDARJUNG HOSPITAL : NEW DELHI 2023


सफदरजंग हॉस्पिटल और मेरी दिल्ली यात्रा 

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल और आल इंडिया हॉस्पिटल के नाम देश भर में विख्यात हैं, कहते हैं जिस बीमारी का इलाज कहीं और नहीं हो पाता, वह यहाँ संभव हो जाता है। मैं पहले भी एक बार सफदरजंग हॉस्पिटल की यात्रा कर चूका हूँ।  उनदिनों मेरी बहिन रश्मि इस हॉस्पिटल में भर्ती रही थी, तब मैं अपनी माँ के साथ इस अस्पताल की यात्रा पर गया था और तभी मैंने इसकी विशालता को देखा था। देश भर के अनेकों अमीर - गरीब समुदाय के लोग यहाँ अपने रोगों से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं और अनेकों दिन यहाँ रहकर अपना इलाज कराते हैं। 

Monday, March 6, 2023

VARODARA BUS STAND : GUJRAT 2023

गुजरात की एक अधूरी यात्रा - 2023 

 वड़ोदरा बस स्टैंड पर एक दिन 



गिरनार पर्वत की दस हजार सीढ़ियाँ उतरने के बाद मैं जूनागढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचा, यहाँ कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरे पैरों ने काम करना बंद कर दिया है। अब मैं स्टेशन पर बनी एक ब्रेंच से दूसरी ब्रेंच तक जाने में असमर्थ था। इसलिए यहीं सीट पर लेटे लेटे ही मैं ट्रेन का इंतज़ार करने लगा। 

मुझे अगली सुबह वड़ोदरा स्थित चम्पानेर और पावागढ़ की यात्रा करनी थी इसलिए अब मुझे रात को सोमनाथ एक्सप्रेस से अहमदाबाद तक जाना था। इसी बीच रेलवे का मैसेज आया जिसमें लिखा था आपकी सीट कन्फर्म नहीं हुई है, कैंसिल चार्ज काटकर आपका भुगतान वापस कर दिया जायेगा। जब हम घर से कहीं दूर किसी नगर में हों और हमें पूरी रात एक ट्रेन में सफर करना हो तब ऐसा मैसेज आ जाये तो बड़ी ही गुस्सा आती है पर यह ऐसी गुस्सा होती है जिसका किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। 

Sunday, March 5, 2023

JUNAGARH : GUJRAT 2023

गुजरात यात्रा - 2023 

 जूनागढ़ - गुजरात का एक ऐतिहासिक नगर 


5 MAR 2023

श्री गिरनार पर्वत की तलहटी में बसा जूनागढ़ नगर, गुजरात के सौराष्ट्र प्रान्त का एक प्रमुख नगर है। जूनागढ़ ना केवल ऐतिहासिक अपितु पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।पौराणिक काल में यह रैवत प्रदेश कहलाता था, इसलिए गिरनार पर्वत का दूसरा नाम रैवतक पर्वत भी है। जूनागढ़, श्री नरसी जी की भूमि है जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने उनकी अनेकों बार सहायता की थी। 

ऐतिहासिक दृष्टि से जूनागढ़ अथवा गिरनार मौर्य काल से ही इतिहास में अपना योगदान रखता है, सम्राट अशोक, रुद्रदामन, स्कन्द गुप्त जैसे महान सम्राटों के शिलालेख यहाँ देखने को मिलते हैं। 

चूँकि जूनागढ़ नगर का भ्रमण करना, मेरी इस यात्रा का उद्देश्य नहीं था, मैं तो केवल जूनागढ़ से देलवाड़ा जाने वाली मीटर गेज ट्रेन से यात्रा करना चाहता था परन्तु कल वघई से लौटने के बाद, जूनागढ़ आने वाली सौराष्ट्र ट्रेन के निकल जाने के कारण मेरी आगे की यात्रा का सारा कार्यक्रम रद्द हो गया और फिर भी मैं उस ट्रैन के मिलने की उम्मीद लिए जूनागढ़ आ गया। मीटर गेज की ट्रैन सुबह सात बजे यहाँ से रवाना हो गई जबकि मैं यहाँ सुबह दस बजे पहुंचा था। अब मेरे पास जूनागढ़ नगर को देखने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। 

Saturday, March 4, 2023

SURAT TO JUNAGARH : GUJRAT 2023

 गुजरात की एक अधूरी यात्रा - भाग 3 

वघई से जूनागढ़ रेल यात्रा 

यात्रा दिनाँक :- 4 MAR 2023 TO 5 MAR 2023 

वघई आने के बाद मेरी यह नेरो गेज रेल यात्रा तो पूरी हो गई किन्तु मुझे अभी मीटर गेज की भी रेल यात्रा करनी थी जिसके लिए मुझे सुबह जल्दी जूनागढ़ पहुंचना होगा और इसके लिए सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस सबसे बेस्ट ट्रेन है जो शाम को साढ़े पांच बजे सूरत से चलकर अगली सुबह चार बजे जूनागढ़ उतार देगी और वहां से सुबह सात बजे मीटरगेज ट्रेन देलवाड़ा के लिए चलती है। 

देलवाड़ा, दीव का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है अतः अब यात्रा दीव तक प्रस्तावित है। इसप्रकार हमारी मीटर गेज रेल यात्रा भी हो जायेगी और दीव शहर भी घूम लिया जायेगा जोकि एक केंद्र शासित प्रदेश है। 

BILIMORA TO WAGHAI NG RAIL TRIP : GUJRAT 2023

 

बिलिमोरा से वघई नेरोगेज रेल यात्रा 
 

4 MAR 2023

बिलिमोरा से वघई रेल लाइन, पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल की एकमात्र नेरोगेज रेल लाइन है। यह गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापुतारा रेंज की तरफ सैर कराती हुई ले जाती है। वघई इस रेल लाइन का अंतिम स्टेशन है जो गुजरात के डांग जिले में स्थित है। वघई से 50 किमी दूर गुजरात और महाराष्ट्र राज्य की सीमा के नजदीक सापुतारा, एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। वघई रेलवे स्टेशन के नजदीक ही बस स्टैंड है जहाँ से सापुतारा जाने के लिए बस और अन्य साधन उपलब्ध मिलते हैं। रेल शौकीन, इस रेल यात्रा का लुफ्त उठाने के लिए एकबार इसमें अवश्य यात्रा करते हैं। 

तत्कालीन बड़ौदा राज्य के शासक सयाजी राव गायकवाड के निर्देशानुसार सन 1913 में अंग्रेजों ने इस रेल लाइन का शुभारम्भ किया और इसकी शुरुआत बिलिमोरा से रन्कुवा रेलवे स्टेशन के बीच की गई। इस रेलमार्ग की कुल लम्बाई 63 किमी है जोकि बिलिमोरा से वघई तक है। वघई तक का रेलमार्ग 1926 में बनकर तैयार हुआ।  बड़ौदा स्टेट रेलवे के अंतर्गत शामिल इस रेल लाइन को बनाने का मुख्य उद्देश्य जंगल से सागौन की लकड़ियों की ढुलाई करना था, तत्पश्चात इन लकड़ियों को बिलिमोरा बंदरगाह से अन्य देशों को भेजा जाता था। देश की आजादी के बाद इस रेल लाइन का भारतीय रेलवे में विलय कर दिया गया। 

सन 2020 में पश्चिम रेलवे ने इस रेल लाइन को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला लिया किन्तु कुछ समय पश्चात ही यहाँ के स्थानीय लोगों ने इसे बंद करने के चलते भारतीय रेलवे और स्थानीय राजनीती का विरोध करना शुरू कर दिया। अंततः गुजरात के राजनीतिक दबाब के चलते भारतीय रेलवे ने इसका पुनः सुचारु रूप से सञ्चालन करना शुरू कर दिया और आज वर्तमान में यह हेरिटेज सेवा के रूप में स्थानीय यात्रियों और पर्यटकों हेतु पूर्ण रूप से संचालित है। इसमें पर्यटकों हेतु एक वातानुकूलित विस्टाडैम कोच भी लगाया गया है जिसमें कि सापुतारा रेंज के साथ साथ पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य के शानदार नजारों को देखते हुए सफर का आनंद लिया जा सकता है। 

Friday, March 3, 2023

GARIBRATH EXPRESS : MTJ TO SURAT 2023

 गुजरात की यात्रा पर - भाग 1 

गरीबरथ एक्सप्रेस और सूरत रेलवे स्टेशन 

3 MARCH 2023

    भारतीय रेलवे बहुत ही शीघ्रता के साथ आमान परिवर्तन का कार्य कर रही है, जिसका मतलब है कि देश की पुरानी मीटर गेज और नेरो गेज की पटरियों को उखाड़कर उन्हें ब्रॉड गेज में बदलना, जिसके बाद ब्रिटिश काल में बिछाई गई सभी पटरियां और उसी समय में बनाये गए रेलवे स्टेशन एक इतिहास बनकर रह जायेंगे और उनकी जगह आधुनकिता ही सिर्फ देखने को मिलेगी। 

अभी भी देश में कुछ ऐसी पुरानी मीटर गेज और नेरो गेज की रेलवे लाइन बची हैं जो आज भी संचालित और भविष्य में कभी भी आमान परिवर्तन हेतू हमेशा के लिए बंद हो जाएँगी। अधिकतर ये रेलवे लाइन गुजरात में संचालित है जहाँ किसी समय केवल मीटर गेज और नेरो गेज का ही राज था। इसलिए इस बार इन रेल लाइन पर यात्रा करने हेतु मैंने गुजरात की यात्रा का प्लान किया। 

Thursday, January 5, 2023

TAMILNADU EXPRESS 2023

 

तमिलनाडु की ऐतिहासिक धरा पर  … अंतिम भाग 

तमिलनाडू एक्सप्रेस और घर वापसी 

5 JAN 2023

महाबलीपुरम घूमने के बाद मैं वापस बस स्टैंड आ गया।  मेरे मोबाइल की बैटरी अब लगभग समाप्त होने को थी। मैं बस में बैठने से पूर्व मोबाइल को चार्ज करना चाहता था, इसके लिए बस स्टैंड के सामने स्थित एक चाय की दुकान पर मैंने अपने मोबाइल को चार्जर में लगा दिया और एक कप चाय लेकर मैं आधे घंटे से अधिक समय तक उस दुकान पर बैठा रहा। इस बीच अनेकों बसें चेन्नई की अलग अलग दिशाओं के लिए आई और चली गई। 

चाय बेचने वाला दुकानदार, एक अच्छा इंसान था। उसने ना सिर्फ मेरे फोन को चार्ज करवाया बल्कि उसने मुझे चेन्नई पहुँचने के लिए टूटी फूटी हिंदी भाषा में बसों की जानकारी भी दी। मोबाइल चार्ज होने के बाद मैं एक बस मैं बैठकर चेन्नई के लिए रवाना हो चला। तमिलनाडू की पूरी यात्रा करने करने के बाद अब मेरी घर की वापसी यात्रा शुरू हो चुकी थी।

 यह बस महाबलीपुरम से तांबरम के लिए जा रही थी और मेरे घर वापसी की यह पहली सवारी थी। एक डेढ़ घंटे की यात्रा करने के बाद मैं तांबरम बाजार पहुंचा। यात्रा के शुरुआत में, मैं इस बाजार में घूमने आया था और यहीं से अन्तोदय एक्सप्रेस से मैं त्रिची के लिए रवाना हुआ था। तब सोचा था कि लौटते हुए ही मैं यहाँ से घर के लिए कुछ खरीद के लेकर जाऊँगा। 

Wednesday, January 4, 2023

AN EVENING OF COIMBATORE & CHERAN EXPRESS : 2023


तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर…     भाग - 10 

कोयंबटूर की एक शाम और चेरान एक्सप्रेस 



 कोयंबटूर नगर और ईशा कोविल का प्लान 

शाम को करीब पांच बजे मैं कोयंबटूर पहुंचा, मैं यहाँ से ईशा कोविल जाना चाहता था जहाँ भगवान शिव की शानदार मूर्ति के दर्शन होते हैं  किन्तु अब ईशा कोविल जाना मुश्किल था क्योंकि मैंने अपने जीजाजी बासुदेव को फोन किया जो कुछ ही समय पहले यहाँ से अपने गाँव गए थे।  वे कोयंबटूर शहर में ही रहते हैं और यहीं कार्यरत हैं किन्तु छुटियों में वे इगलास अपने गाँव चले जाते हैं, उन्हें कोयंबटूर शहर के बारे में अच्छी जानकारी है।  

उन्होंने ही मुझे बतलाया कि अगर मैं इस समय ईशाकोविल जाऊँगा तो सुबह से पहले नहीं लौट पाउँगा जबकि रात को चेन्नई के लिए मेरी ट्रेन है वो निकल जाएगी। अतः बिना देर किये मैं ईशा कोविल जाने वाली बस में से उतरा और वापस रेलवे स्टेशन पहुंचा। 

रेलवे स्टेशन के बाहर ही काफी बड़ा और अच्छा बाजार है। मैं खाना खाने से पहले आज की सारी थकान दूर करना चाहता था इसलिए मुझे जाम की आवश्यकता थी। जाम की दुकान स्टेशन से कुछ ही मिनट की दुरी पर थी, मैं वहां पहुंचा और कुछ मूल्य देने के बाद मुझे एक बियर की बोतल प्राप्त हुई। जाम पीने के बाद मैं वापस स्टेशन पहुंचा और अपना बैग लेकर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचा। 

NILGIRI RAILWAY : TAMILNADU 2023

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर…     भाग - 8

नीलगिरि रेलवे की एक रेल यात्रा 

मेट्टुपालयम से उदगमंडलम मीटर गेज रेल यात्रा

4 JAN 2023

चेर राज्य और कोंगु प्रदेश 

      प्राचीन चेर राज्य के अंतर्गत समस्त कोंगू प्रदेश शामिल था जिसमें नीलगिरि की ऊँची वादियाँ, प्राकृतिक झरने, चाय के बागान और ऊंटी जैसा हिल स्टेशन शामिल है। प्राचीन चेर राज्य की राजधानी वनजी थी, जो करूर, इरोड, कोयंबटूर और तिरूप्पर के बीच कहीं स्थित थी, अब इसके अवशेष देखने को नहीं मिलते हैं। चेर राज्य के शासकों का स्थापत्य कला में कोई मुख्य योगदान नहीं रहा है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि अगर चेर के कुछ शासकों ने स्थापत्य की दृष्टि से कुछ भवनों या मंदिरों का निर्माण कराया भी होगा तो वक़्त के साथ बदलते साम्राज्यों में यह ढेर हो गए किन्तु आज भी केरल में चेर शासकों के स्थापत्य के निर्माण मौजूद हैं। 

NILGIRI RAILWAY MUSEUM : 2023

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर …  भाग - 9

नीलगिरि रेल संग्रहालय 

दक्षिण रेलवे की नीलगिरि घाटी रेलवे की ऐतिहासिक विरासतें आज भी नीलगिरि रेल संग्रहालय में सुरक्षित हैं और पर्यटकों के देखने हेतु उपलब्ध हैं।  यह संग्रहालय मेट्टुपालयम स्टेशन के सामने ही स्थित है। 

1. मेट्टुपालयम रेलवे स्टेशन और संग्रहालय 

नीलगिरि रेलवे म्यूजियम