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Monday, July 22, 2024

SURAT TO JUNAGARH : RAILWAY TRIP

 गुजरात की एक अधूरी यात्रा - भाग 3 

सूरत से जूनागढ़ रेल यात्रा 

यात्रा दिनाँक :- 4 MAR 2023 TO 5 MAR 2023 

वघई आने के बाद मेरी यह नेरो गेज रेल यात्रा तो पूरी हो गई किन्तु मुझे अभी मीटर गेज की भी रेल यात्रा करनी थी जिसके लिए मुझे सुबह जल्दी जूनागढ़ पहुंचना होगा और इसके लिए सौराष्ट्र जनता एक्सप्रेस सबसे बेस्ट ट्रेन है जो शाम को साढ़े पांच बजे सूरत से चलकर अगली सुबह चार बजे जूनागढ़ उतार देगी और वहां से सुबह सात बजे मीटरगेज ट्रेन देलवाड़ा के लिए चलती है। 

देलवाड़ा, दीव का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है अतः अब यात्रा दीव तक प्रस्तावित है। इसप्रकार हमारी मीटर गेज रेल यात्रा भी हो जायेगी और दीव शहर भी घूम लिया जायेगा जोकि एक केंद्र शासित प्रदेश है। 

Sunday, July 7, 2024

BILIMORA TO WAGHAI : NG RAIL TRIP

 

बिलिमोरा से वघई नेरोगेज रेल यात्रा 
 

4 MAR 2023

बिलिमोरा से वघई रेल लाइन, पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल की एकमात्र नेरोगेज रेल लाइन है। यह गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापुतारा रेंज की तरफ सैर कराती हुई ले जाती है। वघई इस रेल लाइन का अंतिम स्टेशन है जो गुजरात के डांग जिले में स्थित है। वघई से 50 किमी दूर गुजरात और महाराष्ट्र राज्य की सीमा के नजदीक सापुतारा, एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। वघई रेलवे स्टेशन के नजदीक ही बस स्टैंड है जहाँ से सापुतारा जाने के लिए बस और अन्य साधन उपलब्ध मिलते हैं। रेल शौकीन, इस रेल यात्रा का लुफ्त उठाने के लिए एकबार इसमें अवश्य यात्रा करते हैं। 

तत्कालीन बड़ौदा राज्य के शासक सयाजी राव गायकवाड के निर्देशानुसार सन 1913 में अंग्रेजों ने इस रेल लाइन का शुभारम्भ किया और इसकी शुरुआत बिलिमोरा से रन्कुवा रेलवे स्टेशन के बीच की गई। इस रेलमार्ग की कुल लम्बाई 63 किमी है जोकि बिलिमोरा से वघई तक है। वघई तक का रेलमार्ग 1926 में बनकर तैयार हुआ।  बड़ौदा स्टेट रेलवे के अंतर्गत शामिल इस रेल लाइन को बनाने का मुख्य उद्देश्य जंगल से सागौन की लकड़ियों की ढुलाई करना था, तत्पश्चात इन लकड़ियों को बिलिमोरा बंदरगाह से अन्य देशों को भेजा जाता था। देश की आजादी के बाद इस रेल लाइन का भारतीय रेलवे में विलय कर दिया गया। 

सन 2020 में पश्चिम रेलवे ने इस रेल लाइन को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला लिया किन्तु कुछ समय पश्चात ही यहाँ के स्थानीय लोगों ने इसे बंद करने के चलते भारतीय रेलवे और स्थानीय राजनीती का विरोध करना शुरू कर दिया। अंततः गुजरात के राजनीतिक दबाब के चलते भारतीय रेलवे ने इसका पुनः सुचारु रूप से सञ्चालन करना शुरू कर दिया और आज वर्तमान में यह हेरिटेज सेवा के रूप में स्थानीय यात्रियों और पर्यटकों हेतु पूर्ण रूप से संचालित है। इसमें पर्यटकों हेतु एक वातानुकूलित विस्टाडैम कोच भी लगाया गया है जिसमें कि सापुतारा रेंज के साथ साथ पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य के शानदार नजारों को देखते हुए सफर का आनंद लिया जा सकता है। 

Thursday, July 4, 2024

GARIBRATH EXPRESS : MTJ TO SURAT

 गुजरात की यात्रा पर - भाग 1 

गरीबरथ एक्सप्रेस और सूरत रेलवे स्टेशन 

3 MARCH 2023

    भारतीय रेलवे बहुत ही शीघ्रता के साथ आमान परिवर्तन का कार्य कर रही है, जिसका मतलब है कि देश की पुरानी मीटर गेज और नेरो गेज की पटरियों को उखाड़कर उन्हें ब्रॉड गेज में बदलना, जिसके बाद ब्रिटिश काल में बिछाई गई सभी पटरियां और उसी समय में बनाये गए रेलवे स्टेशन एक इतिहास बनकर रह जायेंगे और उनकी जगह आधुनकिता ही सिर्फ देखने को मिलेगी। 

अभी भी देश में कुछ ऐसी पुरानी मीटर गेज और नेरो गेज की रेलवे लाइन बची हैं जो आज भी संचालित और भविष्य में कभी भी आमान परिवर्तन हेतू हमेशा के लिए बंद हो जाएँगी। अधिकतर ये रेलवे लाइन गुजरात में संचालित है जहाँ किसी समय केवल मीटर गेज और नेरो गेज का ही राज था। इसलिए इस बार इन रेल लाइन पर यात्रा करने हेतु मैंने गुजरात की यात्रा का प्लान किया। 

Friday, January 26, 2024

TAMILNADU EXPRESS 2023

 

तमिलनाडु की ऐतिहासिक धरा पर  … अंतिम भाग 

तमिलनाडू एक्सप्रेस और घर वापसी 

5 JAN 2023

महाबलीपुरम घूमने के बाद मैं वापस बस स्टैंड आ गया।  मेरे मोबाइल की बैटरी अब लगभग समाप्त होने को थी। मैं बस में बैठने से पूर्व मोबाइल को चार्ज करना चाहता था, इसके लिए बस स्टैंड के सामने स्थित एक चाय की दुकान पर मैंने अपने मोबाइल को चार्जर में लगा दिया और एक कप चाय लेकर मैं आधे घंटे से अधिक समय तक उस दुकान पर बैठा रहा। इस बीच अनेकों बसें चेन्नई की अलग अलग दिशाओं के लिए आई और चली गई। 

चाय बेचने वाला दुकानदार, एक अच्छा इंसान था। उसने ना सिर्फ मेरे फोन को चार्ज करवाया बल्कि उसने मुझे चेन्नई पहुँचने के लिए टूटी फूटी हिंदी भाषा में बसों की जानकारी भी दी। मोबाइल चार्ज होने के बाद मैं एक बस मैं बैठकर चेन्नई के लिए रवाना हो चला। तमिलनाडू की पूरी यात्रा करने करने के बाद अब मेरी घर की वापसी यात्रा शुरू हो चुकी थी।

 यह बस महाबलीपुरम से तांबरम के लिए जा रही थी और मेरे घर वापसी की यह पहली सवारी थी। एक डेढ़ घंटे की यात्रा करने के बाद मैं तांबरम बाजार पहुंचा। यात्रा के शुरुआत में, मैं इस बाजार में घूमने आया था और यहीं से अन्तोदय एक्सप्रेस से मैं त्रिची के लिए रवाना हुआ था। तब सोचा था कि लौटते हुए ही मैं यहाँ से घर के लिए कुछ खरीद के लेकर जाऊँगा। 

Monday, November 20, 2023

NILGIRI RAILWAY MUSEUM

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर …  भाग - 9

नीलगिरि रेल संग्रहालय 

दक्षिण रेलवे की नीलगिरि घाटी रेलवे की ऐतिहासिक विरासतें आज भी नीलगिरि रेल संग्रहालय में सुरक्षित हैं और पर्यटकों के देखने हेतु उपलब्ध हैं।  यह संग्रहालय मेट्टुपालयम स्टेशन के सामने ही स्थित है। 

1. मेट्टुपालयम रेलवे स्टेशन और संग्रहालय 

नीलगिरि रेलवे म्यूजियम 

Saturday, November 18, 2023

AN EVENING OF COIMBATORE & CHERAN EXPRESS


तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर…     भाग - 10 

कोयंबटूर की एक शाम और चेरान एक्सप्रेस 



 कोयंबटूर नगर और ईशा कोविल का प्लान 

शाम को करीब पांच बजे मैं कोयंबटूर पहुंचा, मैं यहाँ से ईशा कोविल जाना चाहता था जहाँ भगवान शिव की शानदार मूर्ति के दर्शन होते हैं  किन्तु अब ईशा कोविल जाना मुश्किल था क्योंकि मैंने अपने जीजाजी बासुदेव को फोन किया जो कुछ ही समय पहले यहाँ से अपने गाँव गए थे।  वे कोयंबटूर शहर में ही रहते हैं और यहीं कार्यरत हैं किन्तु छुटियों में वे इगलास अपने गाँव चले जाते हैं, उन्हें कोयंबटूर शहर के बारे में अच्छी जानकारी है।  

उन्होंने ही मुझे बतलाया कि अगर मैं इस समय ईशाकोविल जाऊँगा तो सुबह से पहले नहीं लौट पाउँगा जबकि रात को चेन्नई के लिए मेरी ट्रेन है वो निकल जाएगी। अतः बिना देर किये मैं ईशा कोविल जाने वाली बस में से उतरा और वापस रेलवे स्टेशन पहुंचा। 

रेलवे स्टेशन के बाहर ही काफी बड़ा और अच्छा बाजार है। मैं खाना खाने से पहले आज की सारी थकान दूर करना चाहता था इसलिए मुझे जाम की आवश्यकता थी। जाम की दुकान स्टेशन से कुछ ही मिनट की दुरी पर थी, मैं वहां पहुंचा और कुछ मूल्य देने के बाद मुझे एक बियर की बोतल प्राप्त हुई। जाम पीने के बाद मैं वापस स्टेशन पहुंचा और अपना बैग लेकर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचा। 

NILGIRI RAILWAY

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर…     भाग - 8

नीलगिरि रेलवे की एक रेल यात्रा 

मेट्टुपालयम से उदगमंडलम मीटर गेज रेल यात्रा

4 JAN 2024

चेर राज्य और कोंगु प्रदेश 

      प्राचीन चेर राज्य के अंतर्गत समस्त कोंगू प्रदेश शामिल था जिसमें नीलगिरि की ऊँची वादियाँ, प्राकृतिक झरने, चाय के बागान और ऊंटी जैसा हिल स्टेशन शामिल है। प्राचीन चेर राज्य की राजधानी वनजी थी, जो करूर, इरोड, कोयंबटूर और तिरूप्पर के बीच कहीं स्थित थी, अब इसके अवशेष देखने को नहीं मिलते हैं। चेर राज्य के शासकों का स्थापत्य कला में कोई मुख्य योगदान नहीं रहा है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि अगर चेर के कुछ शासकों ने स्थापत्य की दृष्टि से कुछ भवनों या मंदिरों का निर्माण कराया भी होगा तो वक़्त के साथ बदलते साम्राज्यों में यह ढेर हो गए किन्तु आज भी केरल में चेर शासकों के स्थापत्य के निर्माण मौजूद हैं। 

Monday, August 21, 2023

ROCKFORT TEMPLE, TRICHI

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर   भाग - 8 

रॉकफोर्ट मंदिर और त्रिची की एक शाम 



3 JAN 2023

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तमिलनाडू के मध्य भाग में स्थित त्रिची एक बड़ा और सुन्दर नगर है। यह नगर कावेरी नदी के किनारे स्थित है।  प्राचीनकाल में यह चोल शासकों की प्रथम राजधानी भी रहा है जिसे उरैयूर के नाम से जाना जाता था। चोल सभ्यता के अलावा यहाँ पल्लवकालीन सभ्यता के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। 

नगर के बीचोबीच एक ऊँची चट्टान पर रॉकफोर्ट स्थित हैं जहाँ से अनेक पल्लवकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। चट्टान के सबसे ऊपरी शिखर पर श्री गणेश जी का मंदिर स्थित है जहाँ गणेश जी को दूब ( घास ) चढाने का विशेष महत्त्व है। यहाँ से समूचे नगर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है और साथ ही कावेरी की अविरल धाराएं भी यहाँ से स्पष्ट नजर आती हैं। 

कावेरी के मध्य में स्थित भगवान विष्णु का धाम श्री रंगम जी का मंदिर भी दिखलाई पड़ता है। 

Thursday, July 20, 2023

Tirumayam Fort

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर …. भाग - 6  

तिरुमयम किला 


3 JAN 2023

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   अब वक़्त हो चला था त्रिची से आगे बढ़ने का और उस मंजिल पर पहुँचने का जिसके लिए विशेषतौर पर, मैं इस यात्रा पर आया था। यह वह स्थान था जहाँ आठवीं शताब्दी में चोल वंश के प्रथम सम्राट विजयालय ने नारतामलै नामक स्थान पर चोलेश्वर शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। सम्राट विजयालय के शासनकाल में पूर्णतः द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर चोलकालीन सभ्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है। 

   नारतामलै, त्रिची से दक्षिण दिशा की तरफ तीस किमी दूर स्थित है। इस स्थान तक पहुँचने के लिए रेलमार्ग और सड़कमार्ग दोनों ही सुगम हैं।

 मैंने अपनी यात्रा के लिए रेलमार्ग को चुना और सुबह होटल से नहाधोकर चेकआउट करने के बाद, मैं त्रिची रेलवे स्टेशन पहुंचा। हालांकि इससे पूर्व मेरा एक और प्लान था कि मैं रेंट पर बाइक लेकर, उससे सभी चुनिंदा ऐतिहासिक स्थलों को देखकर शाम तक त्रिची वापस आ जाता किन्तु रेंट पर मिलने वाली कोई बाइक मुझे यहाँ नहीं दिखी और फिर मैंने रेलमार्ग द्वारा ही अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया। 

Saturday, March 18, 2023

CHENNAI CENTRAL

 तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर .... भाग - 2 

मैं, नई साल और राजधानी चेन्नई

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SUN - 1 JAN 2023 

चेन्नई अथवा मद्रास 

  बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल पर स्थित चेन्नई, भारत देश का चौथा सबसे बड़ा शहर और तीसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। चेन्नई, तमिलनाडू प्रदेश की राजधानी है और संस्कृति, आर्थिक और शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण  शहर है। प्राचीन काल में यह पल्लव, चोल, पांडय और विजयनगर के शासकों का मुख्य क्षेत्र रहा है, पंद्रहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने यहाँ एक बंदरगाह का निर्माण किया। पुर्तगालियों ने चेन्नई में पुलिकट नामक शहर बसाया और वहीँ डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।

  सोलहवीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चेन्नई में अपनी फैक्ट्री और गोदाम के निर्माण किये और सेंट जॉर्ज किले का निर्माण करवाया। इस बीच फ्रांसीसियों ने सत्तरहवीँ शताब्दी में इस किले पर अपना अधिकार कर लिया किन्तु यह अधिकार कुछ ही समय के लिए था, इसके बाद पुनः यह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण में आ गया और इन्होने यहाँ मद्रास प्रेसीडेंसी की स्थापना की जिसमे तमिलनाडू के साथ साथ कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को भी शामिल किया गया। इस प्रकार तमिलनाडु की राजधानी मद्रास की स्थापना हुईं।

 सन 1996 में डीऍमके सरकार ने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई करने का फैसला लिया और सन 1998 में मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई हो गया। नाम बदलने का मुख्य कारण यह था कि चूँकि यह तमिल प्रदेश की राजधानी थी और मद्रास एक तमिल नाम नहीं है अतः तमिल में चेन्नई कहा जाने लगा। 

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Friday, March 10, 2023

Grand Truck Express : MTJ TO MAS

 

तमिलनाडु की ऐतिहासिक धरा पर - भाग 1 

मथुरा से चेन्नई - ग्रैंड ट्रक एक्सप्रेस 

30 DEC 2022

    आख़िरकार एक लम्बे समय के बाद वो वक़्त आ ही गया जब मैं फिर से अपनी दक्षिण भारत की ऐतिहासिक यात्रा के लिए एकदम से तैयार था। पिछली बार कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा करने के बाद मैंने इस बार तमिलनाडू राज्य को अपनी यात्रा के लिए चुना क्योंकि तमिलनाडु राज्य भी प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म का ऐतिहासिक केंद्र रहा है जहाँ चोलों ने अपनी वास्तुकला और स्थापत्य के ऐसे उदाहरण छोड़े हैं, जिन्हें देखने भर से उनकी महानता और सर्वोच्चता के साथ साथ भविष्य को लेकर उनकी दूर दृष्टि का बोध होता है। 

चोल साम्राज्य के साथ साथ तमिलनाडु की भूमि चेर, पांडय और पल्लवों के महान साम्राज्य और उनकी विजयों का भी गुणगान करती है। बस इन्ही राज्यों से मिलने की तमन्ना लिए मैंने ब्रजभूमि से तमिल भूमि की ओर प्रस्थान किया। 

आँग्ल नववर्ष आने में अब दो दिन ही शेष बचे थे, मेरी तमिलनाडु यात्रा की सभी तैयारियाँ लगभग पूर्ण हो चुकी थीं, नई साल का पहला दिन तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मनाने का पूरा प्रबंध किया हुआ था। 

30 दिसंबर की शाम, मथुरा से चेन्नई के लिए मैंने ग्रैंड ट्रक एक्सप्रेस से अपनी यात्रा शुरू की।

Thursday, July 8, 2021

SHRI JAGANNATH PURI

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


मैं, माँ और हमारी जगन्नाथ पुरी की चमत्कारिक यात्रा 


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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रात को ट्रेन में अचानक माँ की तबियत ख़राब हो गई और वह अपनी सुध बुध खो बैठीं। अपनी सीट को छोड़कर वह अन्य कोचों में चलती जा रही थीं। एक सहयात्री के कहे अनुसार मैं उन्हें देखने अन्य कोचों में गया और भगवान श्री जगन्नाथ जी की कृपा से वह मुझे मिल गईं। वह मुझे मिल तो गईं थीं किन्तु अब वह बिलकुल भी ऐसी नहीं थीं जैसी कि वह कल यात्रा के वक़्त अथवा यात्रा से पूर्व घर पर थीं। वह अपनी सुध खो चुकीं थीं। 

लगभग मुझे भी पहचानना अब उन्हें मुश्किल हो रहा था। वह कहाँ हैं, क्या कर रही हैं, कहाँ जा रही हैं, अब उन्हें कुछ  भी ज्ञात नहीं था। माँ की ऐसी हालत देखकर मैं बहुत डर सा गया था। काफी कोशिशों के बाद मैं उन्हें अपने कोच तक लेकर आ पाया था। इधर ट्रेन खोर्धा रोड स्टेशन छोड़ चुकी थी और अपनी आखिरी मंजिल पुरी की तरफ दौड़ी जा रही थी। 

Wednesday, June 30, 2021

UTKAL KALINGA EXP : MTJ - PURI - MTJ

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


कलिंग उत्कल एक्सप्रेस से एक सफर 



मेरी माँ ने देश के दो धामों द्वारिका और रामेश्वरम के दर्शन करने के पश्चात तीसरे धाम श्री जगन्नाथ पुरी के दर्शन की इच्छा व्यक्त की। माँ का स्वास्थ, अब पहले की अपेक्षा काफी कमजोर हो चुका है, अभी छः माह पहले ही उन्होंने अपने दोनों घुटनों का ओपरेशन भी करवाया है, इसके बाद जब वह चलने फिरने में समर्थ हो गईं तो एक बार फिर से उनका मन अपने भगवान से मिलने को व्याकुल हो उठा और मुझे तुरंत होली के बाद श्री पुरी जी की यात्रा का कार्यक्रम तय करना पड़ा। मथुरा से पुरी जाने के लिए अभी एकमात्र ट्रेन कलिंग उत्कल एक्सप्रेस ही थी जो अब  हरिद्वार के स्थान पर नए बने योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन से आने लगी थी। 

Thursday, May 27, 2021

KARNATAKA SPECIAL : GTL TO MTJ

 UPADHYAY TRIPS PRESENT 

कर्नाटक यात्रा का अंतिम भाग 

 गुंतकल से मथुरा - कर्नाटका स्पेशल ट्रेन 


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पूरा दिन हम्पी घूमने के बाद अंत में मैंने भगवान विरुपाक्ष जी के दर्शन किये और अपनी कर्नाटक की इस ऐतिहासिक यात्रा को विराम दिया। आज के दिन के मैंने जो किराये पर साइकिल ली थी उसे जमा कराकर मैं बस स्टैंड पर पहुंचा। यहाँ होस्पेट जाने के लिए अभी कोई बस उपलब्ध नहीं थी। होसपेट स्टेशन से मेरी ट्रेन रात को साढ़े आठ बजे थी जिससे मुझे गुंतकल पहुंचना है और वहां से कर्नाटक एक्सप्रेस द्वारा अपने घर मथुरा जंक्शन तक। इसप्रकार मेरी वापसी यात्रा शुरू हो चुकी थी।

 शाम ढलने की कगार पर थी और विजयनगर मतलब हम्पी अब धीरे धीरे अँधेरे के आगोश में समाने लगा था। शाम के साढ़े छ बज चुके थे, बस स्टैंड पर ऑटो वालों का ताँता लगा हुआ था जो हम्पी के नजदीक कमलापुर के लिए सवारियां ढूढ़ने में लगे हुए थे। काफी देर तक जब कोई बस यहाँ नहीं आई, तो मुझे थोड़ी चिंता होने लगी और अब मुझे ट्रेन के निकलने का डर सताने लगा था। मैंने आसपास के दुकानदारों से होस्पेट जाने वाली बस के बारे में पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि शाम को सात बजे आखिरी बस आती है जो होस्पेट जाती है। यह सुनकर मुझे थोड़ा सुकून मिल गया, किन्तु कहीं ना कहीं डर अब भी था।

Tuesday, February 9, 2021

TELANGANA SPECIAL : MTJ TO HYD

 UPADHYAY TRIPS PRESENT

कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर भाग-2

मथुरा से हैदराबाद - तेलांगना स्पेशल से एक यात्रा 



यात्रा दिनाँक  - 30 DEC 2020 से 31 DEC 2020 

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   अभी हाल ही में रेलवे ने तेलांगना एक्सप्रेस का स्पेशल ट्रेन के रूप में संचालन किया है, जिसके कोचों को भी रेलवे ने नया रूप दिया है। इन सबके अलावा इस ट्रेन का समय भी रेलवे ने बदल दिया है जिसकारण मैंने जब से इस ट्रेन में अपना आरक्षण करवाया तब से प्रतिदिन रेलवे की तरफ से मुझे बदले हुए समय को लेकर एक एलर्ट सन्देश प्राप्त होता रहता था और यह तब तक आता रहा जब तक मेरी यात्रा का दिन नहीं आ गया।

   तेलांगना एक्सप्रेस नई दिल्ली से हैदराबाद के बीच चलती है और यह एक सुपरफ़ास्ट ट्रेन है जो अपना सफर 25 घंटे में पूरा कर लेती है। इस ट्रेन का नाम पहले आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस था जिसे जन भाषा में  ए.पी. एक्सप्रेस ज्यादा कहा जाता था। आंध्रप्रदेश के विभाजन के बाद जब 2014 में तेलांगना नामक नया राज्य बना तो इस ट्रेन का नाम बदलकर तेलांगना एक्सप्रेस कर दिया गया। 

   तेलांगना एक्सप्रेस का समय अब मथुरा जंक्शन पर शाम को साढ़े पाँच बजे का हो गया है, मैं ऑफिस से 3 बजे ही छुट्टी लेकर घर आ गया और अपनी यात्रा की समुचित तैयारी को एक बार फिर से भली भाँति जाँचा। कल्पना ने मेरी यात्रा के लिए गर्मागर्म पूड़ियाँ और आलू की सूखी सब्जी बनाकर यात्रा भोजन का प्रबंध कर दिया। माँ ने मुझे एकबार फिर से अपने बैग को भली भाँति देखने की सलाह दी कि कहीं मैं कुछ भूल तो नहीं रहा हूँ। 

Saturday, February 1, 2020

Chila Mata Temple & Desert Village Jhanjheu

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

चीला माता मंदिर - मरुभूमि ग्राम झंझेऊ 



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श्री डूँगरगढ़ से झंझेऊ बस यात्रा 


     श्री डूंगरगढ़ स्टेशन से एक ऑटो द्वारा मैं राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर पहुंचा। यह आगरा से बीकानेर मार्ग है जो राजस्थान का एक मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग है। मामाजी ने मुझे बताया था कि यहाँ से ग्राम झंझेऊ 12 किमी के आसपास है और बीकानेर 50 किमी के आसपास। इसलिए मुझे यहाँ से बस द्वारा झंझेऊ उतरना है जो की इसी राजमार्ग पर स्थित है। मामाजी फ़िलहाल चूरू में एक रिश्तेदारी में गए हुए थे अतः वे शामतक झंझेऊ पहुंचेंगे इसलिए मैं अकेला ही अपने मामा की ससुराल झंझेऊ की तरफ एक बस द्वारा बढ़ चला। मैं यहाँ काफी सालों बाद आया था इसलिए मैंने अपने पास बैठे एक राजस्थानी सज्जन से झंझेऊ ग्राम आने पर बताने के लिए कह दिया था। 

     राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों और रेत के बड़े बड़े और ऊँचे ऊँचे टीले दिखने शुरू हो चुके थे जो मुझे एहसास करा रहे थे कि मैं अब मरुस्थलीय क्षेत्र में हूँ। यहाँ आबादी बहुत ही कम है इसलिए सड़क दूर दूर तक खाली ही नजर आ रही थी और इस खाली सड़क पर बस बड़ी ही तेज रफ़्तार से दौड़ी जा रही थी। कुछ समय बाद मैं झंझेऊ पहुँच गया। यहाँ रोड पर लगा चीला माता के मंदिर का बोर्ड ही इस ग्राम की पहचान कराता है। यह तंवरों का ग्राम है और चीला माता उनकी कुलदेवी हैं अतः यहाँ चीला माता की विशेष मान्यता है। बोर्ड के कुछ फोटो खींचने के बाद मैं ग्राम में अंदर अपने मामाजी की ससुराल की तरफ बढ़ चला। 

Monday, April 30, 2018

Amb Andoura Railway Station


अम्ब अंदौरा स्टेशन पर एक रात 

अम्ब अंडोरा स्टेशन 


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        हम चिंतपूर्णी से लौटने में काफी लेट हो गए थे। हमारा रिजर्वेशन अम्ब अंदौरा स्टेशन से दिल्ली तक हिमाचल एक्सप्रेस में था जिसका छूटने का समय रात आठ बजकर दस मिनट था जबकि हमें सात तो चिंतपूर्णी में ही बज चुके थे।  पर कहा जाता है कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है, मेरी उम्मीद अभी ख़त्म नहीं हुई थी। मैंने एक टैक्सी किराये पर की और अम्ब के लिए निकल पड़ा। हालाँकि रात के समय में पहाड़ी रास्तों पर टैक्सी वाले ने गाडी खूब तेज चलाई और आठ बजकर दस मिनट पर हमें अब स्टेशन लाकर रख दिया। हमारी ट्रेन हमारी आँखों के सामने सही समय पर छूट चुकी थी और अब हमारे पास इस वीरान स्टेशन पर रुकने के सिवाय कोई रास्ता नहीं था। टैक्सी वाला भी अब तक जा चुका था। अम्ब अंदौरा स्टेशन शहर से काफी दूर एकांत जगह में बना हुआ है। यहाँ आसपास कोई बाजार नहीं था, बस स्टेशन के बाहर दो तीन दुकानें थी जिनका भी बंद होने का समय हो चला था। 

Saturday, April 28, 2018

Jwalamukhi Road Railway Station


चामुंडा मार्ग से ज्वालामुखी रोड रेल यात्रा 



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      काँगड़ा वैली रेल यात्रा में जितने भी रेलवे स्टेशन हैं सभी अत्यंत ही खूबसूरत और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर हैं। परन्तु इन सभी चामुंडा मार्ग एक ऐसा स्टेशन है जो मुझे हमेशा से  ही प्रिय रहा है, मैं इस स्टेशन को सबसे अलग हटकर मानता हूँ, इसका कारण है इसकी प्राकृतिक सुंदरता।  स्टेशन पर रेलवे लाइन घुमावदार है, केवल एक ही छोटी सी रेलवे लाइन है।  स्टेशन के ठीक सामने हरियाली से भरपूर पहाड़ है और उसके नीचे कल कल बहती हुई नदी मन को मोह लेती है।

 स्टेशन के ठीक पीछे धौलाधार के बर्फीले पहाड़ देखने में अत्यंत ही खूबसूरत लगते हैं। सड़क से स्टेशन का मार्ग भी काफी शानदार है।  यहाँ आम और लीची के वृक्ष अत्यधिक मात्रा में हैं। यहाँ के प्रत्येक घर में गुलाब के फूलों की फुलवारी लगी हुई हैं जिनकी महक से यह रास्ता और भी ज्यादा खुसबूदार रहता है। स्टेशन पर एक चाय की दुकान भी बनी हुई है परन्तु मैं यहाँ कभी चाय नहीं पीता। 

Friday, March 23, 2018

Rewari Passenger



  फ़िरोज़पुर से भटिंडा व रेवाड़ी  पैसेंजर यात्रा 



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        हुसैनीवाला से वापस मैं फ़िरोज़पुर आ गया, यहाँ से भटिंडा जाने के लिए एक पैसेंजर तैयार खड़ी हुई थी जो जींद की तरफ जा रही थी परन्तु मैं भटिंडा से रेवाड़ी वाली लाइन यात्रा करना चाहता था इसलिए सीधे भटिंडा का टिकट लेकर ट्रेन में पहुंचा और खाली पड़ी सीट पर जाकर बैठ गया। शाम चार बजे तक भटिंडा पहुँच गया परन्तु चार से पांच बज गए इस ट्रेन को भटिंडा के प्लेटफॉर्म पर पहुँचने में। तभी दुसरे प्लेटफॉर्म पर खड़ी रेवाड़ी पैसेंजर ने अपना हॉर्न बजा दिया, मैं जींद वाली पैसेंजर से उतरकर लाइन पार करके रेवाड़ी पैसेंजर तक पहुंचा , ट्रेन तब तक रेंगने लगी थी, इस ट्रेन में बड़ी जबरदस्त मात्रा में भीड़ थी जबकि ये भटिंडा से ही बनकर चलती है।

Hussaini Wala Border


शहीदी मेला -  भगत सिंह जी की समाधि पर

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी का समाधी स्थल 


           मैंने सुना था कि पंजाब में एक ऐसी भी जगह है जहाँ साल में केवल एक ही बार ट्रेन चलती है और वो है फ़िरोज़पुर से हुसैनीवाला का रेल रूट। जिसपर केवल वैशाखी वाले दिन ही ट्रेन चलती है, जब मैंने इसके बारे में विस्तार से जानकारी की तो पता चला कि यहाँ साल में एक बार नहीं दो बार ट्रेन चलती है, वैसाखी के अलावा शहीदी दिवस यानी २३ मार्च को भी। इसलिए इसबार मेरा प्लान भी बन गया शहीदी दिवस पर भगत सिंह जी की समाधी देखना और साल में दो बार चलने वाली इस ट्रेन में रेल यात्रा करना। मैंने मथुरा से फ़िरोज़पुर तक पंजाब मेल में रिजर्वेशन भी करवा दिया। अब इंतज़ार था तो बस यात्रा की तारीख का। और आखिर वो समय भी भी आ गया।