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सोन भंडार या स्वर्ण भंडार गुफा
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मनियार मठ से आगे चलते ही रास्ता और भी रोमांचक हो गया था, बड़े बड़े वनों के बीच से गुजरते हुए अचानक एक ढलान आई, यह एक नदी थी जो इन दिनों सूखी पड़ी हुई थी, टाँगे वाले बाबा इस पर खेद प्रकट करते हुए बोले गर सरकार इस पर एक ब्रिज बना देता तो हमका काफी सहूलियत रहता। गाडी उतर जाती तो है पर चढ़ने में घोडा को काफी दिक्कत होता है। इसके बाद एक हिरन पार्क मिला जो इनदिनों बंद था, इसमें कोई भी हिरन नहीं था। अब हमारे सामने स्वर्ण भंडार गुफा थी जो राजगीर या वैभारगिरि पर्वत को काटकर बनाई गई थी।
कहा जाता है कि इस गुफ़ा के अंदर मगध के राजा बिम्बिसार का सोने का ख़जाना सुरक्षित रखा हुआ है। इसीलिए इसे सोन भंडार या स्वर्ण भंडार भी कहते हैं। यह मेरे लिए रोमांचक स्थल था, पुराणी सम्पदाओं से भरपूर कोई जगह जिसके साथ वर्तमान ने कोई भी छेड़छाड़ नहीं की हो, मुझे अति प्रिय हैं। स्वर्ण भंडार भी उनमे से एक थी। सप्तपर्णी गुफा के बाद यह अगला महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो वर्षों से अपने अंदर मगध का गौरवशाली इतिहास संजोये हुए है।
स्वर्ण भंडार गुफा राजगीर पर्वत के अंदर स्थित है और इसी पर्वत से गर्म पानी का स्त्रोत भी है अतः यह पर्वत भारतीय इतिहास में ही नहीं वरन विश्व में महान योगदान रखता है। इस गुफा के बाहर एक बुजुर्ग बाबा बैठे हुए थे जो यहाँ आने वाले सैलानियों को इस गुफा के इतिहास से परिचित कराते हैं बदले में सैलानी अपनी स्वेच्छा से जो देना चाहे उसे यह ख़ुशी से स्वीकार कर लेते हैं।
मैं जब इस गुफा के अंदर गया तो बाबा ने मुझे गुफा के द्धार पर रखा वो पत्थर दिखाया जो गुफा के प्रवेश द्वार पर सालों से स्थित हैं इसके बराबर में ही एक श्लोक लिखा है जो शंखलिपि में वर्णित हैं। हजारों वर्षों पुरानी इस लिपि आजतक कोई नहीं पढ़ सका है। माना जाता है कि जो कोई भी इस लिपि का सही ढंग से पढ़कर इसका उच्चारण करेगा यह दरवाजा अपने आप ही खुल जायेगा।
ब्रिटिश काल के दौरान अंग्रेजों को जब इस गुफा के बारे में पता चला उन्होंने इस गुफा के द्धार पर रखे पत्थर के इस प्रवेश द्वार को तोड़ने के अनेकों प्रयास किये परन्तु हरबार असफल ही रहे। डाइनामाइट का प्रयोग करके इसे अवश्य तोडा जा सकता है परन्तु जिस पर्वत में यह गुफा स्थित है उसमे गर्म पानी के स्त्रोत हैं यानी कि गंधक, अभ्रक तथा अन्य खजिनो का भंडार है इसकारण डाइनामाइट के प्रयोग से यह पर्वत नष्ट हो जाएगा और साथ ही समस्त गर्म पानी के स्त्रोत भी।
अतः सरकार ने इस गुफा के साथ कोई भी छेड़खानी न करते हुए ऐसे भारतीय पुरातत्व स्मारक का दर्जा दिया है। इस गुफा के बराबर में ही अजातशत्रु के समय का महावीर स्वामी का एक जैन मंदिर भी स्थित था जो अंग्रेजों ने गुफा के द्धार को तोड़ने के समय नष्ट कर दिया था। आज भी इसके खंडहर यहाँ मौजूद हैं।
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हिरन पार्क |
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सोनभंडार गुफा का इतिहास |
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मैं और सोन भंडार गुफा |
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सोन भंडार गुफा |
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गुफा के प्रवेश द्धार पर रखा पत्थर |
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पत्थर को टॉप से तोड़ने के लिए बनाई गई खिड़की |
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काश यह पत्थर हट जाता |
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गुफा में जाने के लिए शंखलिपि में लिखा मंत्र |
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शंखलिपि |
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गुफा की दीवार पर उत्कीर्ण महावीर स्वामी की आकृति |
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जैन मंदिर के भग्नावेश |
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पुराना जैन मंदिर |
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सोने की गुफा, बिम्बिसार का खजाना |
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राजगीर पर्वत और सोने की गुफा |
बिहार यात्रा के भाग
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