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रोहतासगढ़ की तरफ एक यात्रा
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सुबह दस बजे के करीब मैं वापस सासाराम स्टेशन आ गया, अब मुझे रोहतास के किले को देखने जाना था, रोहतास जाने के लिए डेहरी होकर जाना पड़ता है और डेहरी जाने के लिए ट्रेन ही सर्वोत्तम है जो दस मिनट में सासाराम से डेहरी पहुंचा देती है। स्टेशन पर दीक्षाभूमि एक्सप्रेस आ रही थी जो अगले स्टेशन देहरी जाने के लिए तैयार थी। कुछ ही देर बाद मैं डेहरी स्टेशन पर था। यहाँ स्टेशन के बाहर लगे बोर्ड पर रोहतास के किले को देखकर मन और भी रोमांचित हो उठा।
स्टेशन से बाहर निकल कर मैंने बिहार की मशहूर लिट्टी चोखा का नाश्ता किया। और डेहरी से रोहतास जाने वाली बस में सबसे आगे बैठ गया। सोन नदी के किनारे स्थित रोहतासगढ़ का किला यहाँ से 40 किमी दूर था। बस सोन नदी के किनारे किनारे बिहार के सुन्दर और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर गाँवों में से होकर गुजर रही थी।
कुछ समय बाद बस ने मुझे अकबरपुर नामक एक गांव में उतार दिया। यह बस यहीं तक थी और यहीं से वापस डेहरी को जा रही थी। अकबरपुर एक बड़ा कस्वा और बाजार है जो रोहतास जिले से 5 -6 किमी पहले स्थित है। यहाँ स्थित एक ऊँचे पहाड़ पर रोहतास का किला दिखाई देता है। रोहतास के किले में जाने के लिए यहीं से शार्ट रास्ता भी गया है जिसके लिए इस ऊँचे पहाड़ को चढ़ना पड़ता है।
मैं करीब 1 बजे यहाँ आया था, मैंने यहाँ के स्थानीय निवासियों से किले में जाने के लिए पुछा तो वे मुझे बड़े आश्चर्य से देख रहे थे और उन्होंने बड़े इत्मीनान से मुझे रास्ता भी बताया। परन्तु इसमें एक दिक्कत मुझे बस यही थी कि एक तो मैं अकेला था और इस पहाड़ को चढ़कर किले में पहुँचने की समयावधि 3 घंटे थी। रास्ता कुलमिलाकर जंगली ही है। यहाँ के स्थानीय निवासी इस पहाड़ को दिन में केवल दो बार चढ़ते हैं एक सुबह 9 बजे और दोपहर तीन बजे।
मैं चढ़कर किले में जा तो सकता था परन्तु वापस लौटकर डेहरी पहुँचना असंभव था। यहाँ से बस केवल 4 बजे तक ही मिलती है और मजिक शाम पांच बजे तक। जबकि अगर मैं किले में जाता तो किसी भी हालत में शाम 6 बजे से पहले लौटकर आना असंभव था। यूँ तो प्राइवेट वाहन से किले तक सीधे भी पहुंचा जा सकता था परन्तु सड़क मार्ग द्वारा दूरी बहुत ज्यादा थी और वहां जाने वाले वाहनों का यहाँ अभाव था। रोहतासगढ़ किले की पहाड़ी को देखकर ही मैंने स्वयं को संतुष्ट किया और अगली मंजिल पर पहुँचने का मन बना लिया।
रोहतासगढ़ की पहाड़ी से एक नदी भी निकलती है जिसमे स्नान कर मैं वापस बस स्टैंड आया और वापस डेहरी की तरफ रवाना हो लिया। रोहतासगढ़ किले की यात्रा अभी अधूरी जरूर थी परन्तु टली नहीं है। इस यात्रा को जल्द ही पूरा किया जाएगा बस जरुरत पड़ेगी तो किसी मित्र के साथ जाने की। क्योंकि यह भारत की ऐतिहासिक धरोहर है जिसके नाम से प्रभावित होकर ही शेरशाह ने इसी नाम का किला पाकिस्तान स्थित झेलम जिले में बनवाया था।
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रोहतास किला |
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लिट्टी चोखा - एक बिहारी नाश्ता |
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रोहतास की तरफ |
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रोहतास रोड |
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रोहतास किले की पहाड़ी - इसी पर रोहतास किला बना है |
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रोहतास पहाड़ी |
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बिहार में भोजन |
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रोहतास |
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रोहतास |
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रोहतास |
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सोन नहर |
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एक पैसेंजर यात्रा |
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डेहरी यहाँ का मुख्य स्टेशन है |
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विश्व प्रसिद्द सोन नदी का पुल |
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अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन |
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