मीटर गेज के साथ मेरे अनुभव
भारत में कभी मीटर गेज की ट्रेनों का बोलबाला था इनका जाल उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैला हुआ था इनमें अधिकतर कुछ ऐसी ट्रेनें भी थीं जो बहुत लम्बी दूरी की यात्रा करती थीं जिनमें राजस्थान की राजधानी जयपुर से चलकर दुसरे दिन महाराष्ट्र के पूर्णा जाने वाली मीनाक्षी एक्सप्रेस प्रमुख थी। मैंने कभी इस ट्रेन में यात्रा नहीं की थी, किन्तु आज भारतीय रेलवे के इतिहास में इस ट्रेन का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। मैं बचपन से आगरा में ही रहा हूँ और मैंने आगरा फोर्ट से गोंडा जाने वाली गोकुल एक्सप्रेस में अनगिनत यात्रायें की हैं, आगरा फोर्ट से चलने वाली मीटर गेज की निम्न ट्रेनों को कभी नहीं भूल सकता जो निम्न हैं -
- आगरा फोर्ट से गोंडा वाया मैलानी जँ. - गोकुल एक्सप्रेस
- आगरा फोर्ट से लालकुआँ वाया बरेली - कुमांयूँ एक्सप्रेस ( कभी काठगोदाम तक चलती थी )
- आगरा फोर्ट से कानपुर वाया फर्रुखाबाद - आगरा एक्सप्रेस
- आगरा फोर्ट से लखनऊ जँ. वाया मैलानी जन. - आगरा एक्सप्रेस
- आगरा फोर्ट से बाँदीकुई वाया अछनेरा, भरतपुर - पैसेंजर
- आगरा फोर्ट से कासगंज जं. वाया मथुरा, हाथरस - पैसेंजर
- भरतपुर से कासगंज जं. वाया मथुरा, हाथरस - पैसेंजर
- मथुरा जं. से कानपुर - पवन एक्सप्रेस कम पैसेंजर
- मथुरा जं. से कासगंज जं. - पैसेंजर ( इस ट्रेन को स्थानीय लोग कारगिल के नाम से पुकारते थे।)
- वृन्दावन से मथुरा जं. - पैसेंजर
आगरा एक्सप्रेस मीटरगेज की ऐसी ट्रेन थी जो सबसे लम्बी थी मतलब कासगंज जं. में लखनऊ से आने वाली और कानपुर से आने वाली दोनों ट्रेन एक होकर आगरा तक आया करती थीं। मैंने इन तीनों ट्रेनों में यात्रा की है और इतना ही नहीं एक बार ईदगाह आगरा स्टेशन से मैं साइकिल सहित बाँदीकुई जाने वाली मीटर गेज की पैसेंजर ट्रेन में चढ़ गया था, यह ट्रेन सुबह आठ बजे बाँदीकुई जाती थी और इसका दूसरा रेक सुबह 11 बजे वापस आगरा आ जाता था, मुझे लगा था कि यही ट्रैन 11 बजे आ जाएगी तो क्यों ना इसमें बाँदीकुई घूम आ जाये परन्तु मेरे पैरों टेल जमीन उस वक़्त खिसक गई जब इकरन स्टेशन पर इस ट्रैन के साथ इसके दुसरे रेक के साथ क्रॉस हुआ और मुझे जब पता चला कि जो 11 बजे आगरा पहुँचने वाली ट्रैन थी वो तो निकल गई, मैं छोटा तो था ही, घबराकर रो पड़ा परन्तु मेरे पास साइकिल थी इसलिए थोड़ी तसल्ली रही और मैं भरतपुर स्टेशन पर उतर गया।
बस स्टैंड पहुँचा तो बस वाला मेरे और साइकिल के ज्यादा पैसे मांगने लगा, इतने पैसे मेरे पास नहीं थे इसलिए मैं साइकिल से ही आगरा की तरफ चल पड़ा, मुझे घर समय से ना पहुँचने का डर भी सता रहा था इसलिए मैं मार्ग भटक गया और आगरा की बजाय अछनेरा पहुँच गया। मुझे ख़ुशी तब मिली जब मैंने यहाँ अपनी मनपसंद ट्रेन गोकुल एक्सप्रेस को खड़े देखा जो आगरा जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थी। बस फिर क्या था मैंने अपनी साइकिल ट्रेन में रखी और सही समय से आगरा पहुँच गया। इस प्रकार मीटर गेज की उन ट्रेनों ने मेरे दिल पर वो छाप छोड़ी जिन्हें मैं उम्र भर नहीं भूल पाऊंगा।
हम आगरा कैंट रेलवे स्टेशन के समीप रेलवे कॉलोनी में रहते थे, मेरे दादाजी हर माह मेरे गांव के नजदीक स्थित हाथरस रोड स्टेशन से गोकुल एक्सप्रेस ईदगाह आगरा तक आते थे जो सुबह दस बजे वहां से चलती थी और दोपहर 1 :30 बजे आ जाती थी और मैं साइकिल लेकर दादाजी को लेने ईदगाह स्टेशन जाता था। मेरी ही आँखों के सामने देखते ही देखते आगरा फोर्ट से अछनेरा और बांदीकुई वाले मीटर गेज खंड को बंद कर दिया गया और कासगंज से आने ट्रेनें अछनेरा और मथुरा तक ही शेष रह गईं। कासगंज अभी भी मीटर गेज का मुख्य जंक्शन स्टेशन था और यहाँ भी ब्रॉड गेज ने अपनी दस्तक देना शुरू कर दिया।
कासगंज से कानपुर वाला मीटर गेज का खंड भी बंद कर दिया गया और इसका प्रभाव सीधे आगराफोर्ट से कानपुर जाने वाली आगरा एक्सप्रेस पर पड़ा। इस रूट पर चलने वाली सबसे लम्बी ट्रेन अब औरों की तरह ही हो गई मतलब आगरा फोर्ट से कानपुर जाने वाली ट्रैन को बंद कर दिया गया और यह अब केवल लखनऊ जं. तक ही जाने लगी और इसके कुछ दिन बाद ही इसका रूट अछनेरा जं. से ऐशबाग जं. तक ही रह गया। कुमाँयू एक्सप्रेस की भी लालकुआँ से कासगंज तक की ही सेवा रह गई किन्तु गोकुल एक्सप्रेस आज भी मथुरा से गोंडा तक अपनी सेवा दे रही थी। मथुरा जंक्शन पर जब लोड बढ़ने लगा तब मथुरा से वृन्दावन जाने वाली चार कोच की ट्रेन को बंद कर दिया गया।
देश विकास की राह पर अग्रसर था और रेलवे धड़ाधड़ मीटर गेज की लाइनों को उखाड़ता जा रहा था। इसी बीच मैंने अपनी माँ साथ राजस्थान की एक यात्रा की जिसमे मैं मथुरा से रेवाड़ी तक ब्रॉडगेज से पहुँचा और फिर रेवाड़ी से सादुलपुर तक हाल ही में बदली गई मीटरगेज की लाइन जो अब ब्रॉड गेज में थी पर यात्रा की। सादुलपुर एक जंक्शन रेलवे स्टेशन था जहाँ मीटरगेज की लाइन चूरू, बीकानेर और हनुमानगढ़ तक जाती थी। और ब्रॉड गेज की लाइन हिसार और रेवाड़ी की तरफ मुड़ती थी। सादुलपुर के समीप ददरेवा में हमारे कुल देवता जाहरवीर बाबा का जन्म स्थान है और इनकी समाधी सादुलपुर से हनुमानगढ़ जाने वाली मीटरगेज लाइन पर स्थित गोगामेड़ी में है जिनका इनदिनों मेला चल रहा था। कुछ मीटरगेज की स्पेशल पैसेंजर भी रेलवे ने यहाँ चला रखी थी। मैं और माँ इसी स्पेशल ट्रेन से गोगामेड़ी पहुँचे और लौटने में हमारा रिजर्वेशन बीकानेर से जयपुर जाने वाली मीटर गेज की एक्सप्रेस ट्रेन में था।
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मीटर गेज ट्रेन में रिजर्वेशन कोच में बनाई गई BPT टिकट |
जयपुर से बाँदीकुई होते हुए आगरा फोर्ट जाने वाली लाइन अब ब्रॉड गेज हो चुकी थी और इसबार ट्रेनें भी चलने लगी थीं। इसलिए अब इस ब्रॉडगेज ने अछनेरा होते हुए मथुरा और कासगंज तक भी अपनी नजर दौड़ाना शुरू कर दी और देखते ही देखते मथुरा - कासगंज मीटर गेज ट्रैक को भी बंद कर दिया गया और यहाँ की ट्रेनों के पहिये कासगंज पर ही थम गए। आगरा एक्सप्रेस को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया क्योंकि इसके स्थान पर कासगंज से ऐशबाग तक रुहेलखंड एक्सप्रेस चल रही थी। गोकुल एक्सप्रेस आज भी गोंडा से कासगंज तक सेवा दे रही थी और जब भोजीपुरा से लालकुआँ मीटरगेज खंड गेज परिवर्तन के लिए बंद हुआ तो कुमांयूँ एक्सप्रेस की सेवा समाप्त कर दी गई। वृन्दावन से मथुरा का मार्ग गेज परिवर्तन के लिए बंद नहीं किया गया और इसपर डीज़ल से चलने वाली रेलबस चलने लगी जो पहले मथुरा छावनी तक अपनी सेवा देती थी और वहीँ रखरखाव हुआ करता था। गेज परिवर्तन के समय इस रेलबस लिए इसका नया शेड मथुरा जंक्शन के समीप बनाया गया।
हाथरस रोड स्टेशन को आज वर्तमान में हाल्ट बना दिया गया है इसपर फ़ास्ट पैसेंजर के रुकाव को लेकर यहाँ के स्थानीय लोगों ने काफी संघर्ष करना पड़ा था और आख़िरकार प्रशासन ने इन लोगों की माँग पूरी करनी पड़ी। और मांग पूरी होती भी क्यों नहीं, आखिरकार जब मीटर गेज का जमाना था तब हाथरस रोड स्टेशन की एक अलग ही शान थी। इस स्टेशन पर दो प्लेटफार्म हुआ करते थे, अधिकतर ट्रेनों का क्रॉस यहीं हुआ करता था और सभी एक्सप्रेस ट्रेनें यहाँ रुका करती थीं।
सन 2013 में मैंने कासगंज से बरेली होते हुए लखनऊ तक की यात्रा रुहेलखंड एक्सप्रेस से की थी, इसी वर्ष मैंने राजस्थान में मेवाड़ स्थित मावली जंक्शन से मारवाड़ जंक्शन तक भी मीटरगेज यात्रा की थी और मावली से ही बड़ी सादड़ी तक भी। अब मावली से बड़ी सादड़ी जाने वाला मीटर गेज खंड गेज परिवर्तन के लिए बंद है। इसी वर्ष मैं अपनी माँ के साथ खंडवा से उज्जैन वाली मीटरगेज की लाइन पर भी घूमा, इस यात्रा के दौरान मैंने माँ को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ओम्कारेश्वर के दर्शन कराये और उज्जैन में महाकाल जी के। इस तरह मैंने सन 2013 में मैंने सबसे अधिक गेज ट्रैक की यात्रायें कीं।
कुछ समय बाद सुनने में आया कि रेलवे ने कासगंज से बरेली मीटर गेज को बंद कर दिया गया है। इस प्रकार कासगंज से मीटरगेज हमेशा के लिए समाप्त हो गई परन्तु इसके अवशेष आज भी यहाँ इसकी याद दिलाते हैं। मीटरगेज के समय मथुरा से बरेली जाते समय कासगंज पर इंजन को ट्रेन आगे से हटाकर पीछे लगाना पड़ता था और ट्रैन वापस मथुरा की दिशा में चलकर बरेली के लिए मुड़ जाया करती थी परन्तु अब ब्रॉडगेज होने के बाद इसे सीधे ही निकला गया मतलब मथुरा से बरेली के लिए बिलकुल सीधा रेल मार्ग है। इसलिए कासगंज के पश्चिम में आज भी मीटर गेज वाला ट्रैक अपनी पूर्ण अवस्था में है।
सन 2016 में मैं अयोध्या गया और वहां से गोंडा। गोंडा में सुबह मैंने गोंडा से नेपालगंज जाने वाली पैसेंजर ट्रैन से मीटरगेज रेलयात्रा की और नानपारा से मैलानी होते हुए पीलीभीत तक की यात्रा पूर्ण की। अब यह लाइन गोंडा से बहराइच तक बंद है और मैलानी से पीलीभीत के बीच भी। अब मेरी निगाहें मीटर गेज की तलाश में रेलवे के मानचित्र को घूरे जा रही थी और मेरी नजरों ने पाया की इस समय गुजरात में मीटरगेज का जाल अब भी कायम था इसलिए सन 2017 में मैंने द्वारिका यात्रा के दौरान वेरावल से ढसा तक की मीटरगेज यात्रा की। यह लाइन एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध सासन गिर नेशनल पार्क में से होकर गुजरता है। यह मेरी अंतिम मीटर गेज यात्रा थी।
उपरोक्त फोटो विषय उपयोगिता हेतु गूगल से लिए गए हैं।
भाई ग़ज़ब के यात्रा अनुभव है....जबरदस्त जुनून और घुमक्कड़ी
ReplyDeleteधन्यवाद बड़े भाई, आप कुछ दिन से फेसबुक पर दिखाई नहीं दे रहे हैं
Deleteवाकई पुराने दिन याद आ गए। बहुत ही यादगार अनुभव लिखा है आपने। ऐसे ही सैकड़ो अनुभव हमारे भी हैं मीटर गेज से लेकिन कभी लिख नहीं पाया।
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteएक बार लिखिए और अपने अनुभव सभी के साथ साझा कीजिये।
Deleteअद्भुत और भाव विभोर कर देने वाला...
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद, ऐसे ही अपनी प्रतिक्रियाएँ देते रहिये, हमें अच्छा लगेगा।
ReplyDeleteBahut khub bade bhai emotional ho gya aapki story padkar meri apni yaade taza hogyi meri jaan basti hai meter gauge mai or aapki stiry padkr laga kahi na kahi aap bhi mere jese ho , mere papa loco pilot hai izzatnagar divison mai maine bahut safar kiya hai locomotives mai meri favourite locomotive ydm4 hai
ReplyDeleteBahut khub bade bhai emotional ho gya aapki story padkar meri apni yaade taza hogyi meri jaan basti hai meter gauge mai or aapki stiry padkr laga kahi na kahi aap bhi mere jese ho , mere papa loco pilot hai izzatnagar divison mai maine bahut safar kiya hai locomotives mai meri favourite locomotive ydm4 hai
ReplyDeleteMai bhi loco pilot ki tayari kr rha hu or apne papa ki tarah loco pilot banna chahta hu
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