रसखान समाधि
महावन घूमने के बाद रमणरेती की तरफ आगे ही बढ़ा था कि रास्ते में एक बोर्ड लगा दिखाई दिया, और उसी बोर्ड की लोकेशन पर मैं भी चल दिया। आज मेरी गाडी घने जंगलों के बीच से निकलकर उस महान इंसान की समाधि पर आकर रुकी जिनके नाम को हम इतिहास में ही नहीं बल्कि अपनी हिंदी की किताब में भी बचपन से पढ़ते आ रहे थे और वो थे कृष्ण भक्त रसखान। आज यहाँ एकांत में रसखान जी की समाधी देखकर थोड़ा दुःख तो हुआ पर ख़ुशी भी हुई कि आज एक ऐसे भक्त के पास आया हूँ जिसने मुसलमान होते हुए भी भगवन कृष्ण की वो भक्ति पाई जो शायद कोई दूसरा नहीं पा सका।