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ज्योतिर्लिंग और धाम - रामेश्वरम
TRIP DATE - 18 FEB 2013
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
आज से हजारों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जब त्रेतायुग का काल था उस समय भारत के दक्षिण में पृथ्वी के आखिरी छोर पर लंका पहुँचने का मार्ग ढूँढ़ते हुए भगवान् राम ने विशालकाय समुद्र को बाधा बने हुए देखा तो समुद्र को ललकारते हुए उन्होंने अपने धनुष की तेज टंकार दी। समुद्र देव हाथ जोड़ते हुए भगवान श्री राम के समक्ष उपस्थित हुआ और भगवान और उनकी सेना को समुद्र पर सेतु बाँधकर लंका पहुँचने का मार्ग सुझाया। भगवान राम के मित्र और किष्किंधा के राजा सुग्रीव की सेना में नल और नील नामक दो वीर वानर योद्धा थे जो अभियांत्रिक कार्यों में अनुभवी और कुशल थे और साथ उन्हें एक ऋषि द्वारा यह श्राप भी मिला था कि वह जिस वस्तु को उठाकर पानी में फेकेंगे वह वस्तु पानी में तैरने लगेगी। नल - नील को मिला श्राप आज भगवान श्री राम के लिए वरदान साबित हुआ।