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Monday, April 5, 2021

VIJYAPUR

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

TRIP DATE :- 05 JAN 2021

कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर  भाग - 11 

आदिलशाही राज्य बीजापुर 

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     दक्षिण भारत में मुहम्मद बिन तुगलक के लौट जाने के बाद बहमनी सल्तनत की शुरुआत हुई थी, यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी सल्तनत थी किन्तु सल्तनत चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, उसके शासक कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हो, हमेशा स्थिर नहीं रहती। एक ना एक दिन उसे इतिहास के पन्नों में समाना ही होता है और ऐसा ही बहमनी सल्तनत के साथ हुआ। बहमनी सल्तनत का, महमूद गँवा की मृत्यु के बाद से ही पतन होना प्रारम्भ हो गया था और जब इस सल्तनत को कोई योग्य सुल्तान नहीं मिला तो यह पांच अलग अलग प्रांतों में विभाजित हो गई। इनमें से ही एक बीजापुर की आदिलशाही सल्तनत थी जिसके दमन का प्रमुख कारण मराठा और मुग़ल थे। 

Wednesday, March 3, 2021

BENGALURU CITY

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर भाग - 5,                                                        यात्रा दिनांक -  02 JAN 2021 

बेंगलूर शहर में इतिहास की खोज 



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पूरा दिन बीदर शहर साइकिल चलाकर घूमने के बाद जब शाम को मैं बीदर स्टेशन पहुंचा, तो बेंगलुरु जाने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म पर तैयार खड़ी थी। हालाँकि मेरी यात्रा का उद्देश्य केवल उत्तर कर्नाटक की यात्रा का था किन्तु रात व्यतीत करने के लिए कोई स्थान तो चाहिए इसलिए मैंने होटल के स्थान पर ट्रेन को पसंद किया जिसमें मैं रात को आराम से सो भी जाऊँगा और सुबह बेंगलुरु भी पहुँच जाऊँगा। सही समय के साथ ट्रेन बीदर से रवाना हो चली, और मैंने ऊपर वाली सीट पर अपना बिस्तर लगाया और सो गया।  सुबह जब मेरी आँख खुली तो ट्रेन बेंगलोर पहुँच चुकी थी। ट्रेन में से बेंगलोर शहर की ऊँची ऊँची इमारतें और बड़ी बड़ी सड़कें दिखाई दे रही थीं। कर्नाटक के एक छोटे से शहर से मैं अब कर्नाटक की राजधानी बेंगलोर पहुँच चुका था। 

बीदर से आने वाली यह ट्रेन बेंगलोर के यशवंतपुर स्टेशन पहुंची। बहुत नाम सुना था मैंने इस स्टेशन का, आज देख भी लिया। बहुत ही साफ़ सुथरा और बड़ा स्टेशन है। यहीं बने एक जन सुविधा केंद्र में नहा धोकर मैं तैयार हो गया और स्टेशन के बाहर निकला। बेंगलोर का मौसम मुझे बीदर की अपेक्षा बहुत अलग मिला। ना ज्यादा यहाँ सर्दी थी और ना ही गर्मी। आसमान में बादल से हो रहे थे इसलिए सूर्य भी दिखाई नहीं दे रहा था। स्टेशन के ठीक सामने बेंगलोर मेट्रो का यशवंतपुर नाम से स्टेशन है। बेंगलोर की मेट्रो नम्मा मेट्रो के नाम से प्रसिद्ध है। कन्नड़ भाषा में नम्मा का मतलबा हमारी या हमारा होता है इसलिए बेंगलोर वासियों के लिए यह उनकी मेट्रो है। मैंने मेट्रो का कार्ड लिया और प्लेटफार्म पर पहुंचा। 

Sunday, March 26, 2017

MEHRANGARH FORT : JODHPUR

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
मेहरान गढ़ की ओर

मेहरानगढ़ किला 


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       शाम को पांच बजे तक सिंधी कैंप बस स्टैंड आ गया यहाँ से गोपाल ने एक डीलक्स बस में मेरी टिकट ऑनलाइन करवा दी थी जिसके चलने का समय शाम सात बजे का था, काफी पैदल चलने की वजह से मैं काफी थक चुका था इसलिए बस में जाकर अपनी सीट देखी, यह स्लीपर कोच बस थी मेरी ऊपर वाली सीट थी उसी पर जाकर लेट गया। ट्रेन की अपेक्षा बस मे ऊपर वाली सीट मुझे ज्यादा पसंद है क्यूंकि बस की ऊपर वाली सीट में खिड़की होती है। 
         मैंने गोपाल को फोनकर बस के जोधपुर पहुंचने का टाइम पुछा उसने बताया रात को 2 बजे।  उसी हिसाब से अलार्म लगाकर मैं सो गया और फिर ऐसी नींद आयी की सीधे बाड़मेर से सत्तर किमी आगे डोरीमन्ना में जाकर खुली, जोधपुर और बाड़मेर कबके निकल चुके थे मैंने बस वाले से पुछा भाई हम कहाँ हैं मुझे तो जोधपुर उतरना था तुमने जगाया क्यों नहीं। वह मेरी तरफ ऐसा देख रहा था जैसे मैंने को महान काम कर दिया हो, उसने मुझसे कहा की आधा घंटा और सोते रहते तो पाकिस्तान पहुँच जाते। 

AMER FORT : JAIPUR

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आमेर किले की ओर 

आमेर का किला 


     मुंबई से लौटे हुए अब काफी समय हो चुका था इसलिए अब मन नई यात्राओं की तैयारी कर रहा था बस जगह नहीं मिल रही थी, यूँ तो कुछ दिन बाद द्धारका यात्रा का प्लान तैयार था परन्तु उसमे अभी काफी समय था, मन बस अभी जाना चाहता था और ऐसी जगह जहाँ कुछ देखा न हो। काफी सोचने के बाद मुझे मेरे भाई गोपाल की याद आई जो इन दिनों जोधपुर में था, गर्मी के इस मौसम में रेगिस्तान की यात्रा ......... मजबूरी है।

शाम को घर जाकर जोधपुर हावड़ा एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया और यात्रा शुरू। शाम को मेवाड़ एक्सप्रेस पकड़कर भरतपुर पहुँच गया और ट्रेन का इंतज़ार करने लगा। 

Friday, June 7, 2013

RUPBAS

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एक सफ़र रूपवास की ओर

      आगरा से एक रास्ता जगनेर और तांतपुर की तरफ जाता है, रास्ते में रघुकुल कॉलेज भी पड़ता है जहाँ आज निधि का इतिहास का पेपर था, मैंने निधि को कॉलेज तक छोड़ दिया और इससे आगे चल दिया जगनेर की ओर। आगरा से जगनेर करीब पचास किमी दूर है, और उत्तर प्रदेश का आखिरी हिस्सा भी है जगनेर के तीनों ओर रूपवास की सीमा है, जगनेर से कुछ किमी पहले सरेंधी नामक एक चौराहा भी है जहाँ राजस्थान के भरतपुर से एक सड़क धोलपुर की ओर जाती है और उत्तरप्रदेश की एक सड़क तांतपुर से आगरा की ओर आती है अतः दोनों राज्यों की सडकों का मेल सरेंधी पर ही होता है मैं सरेंधी पहुंचा, यहाँ नाश्ते की कुछ दुकाने खुली हुई थी , मैंने दो कचोड़ी खाई और रूपवास की ओर चल दिया