UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
आमेर किले की ओर
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आमेर का किला
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मुंबई से लौटे हुए अब काफी समय हो चुका था इसलिए अब मन नई यात्राओं की तैयारी कर रहा था बस जगह नहीं मिल रही थी, यूँ तो कुछ दिन बाद द्धारका यात्रा का प्लान तैयार था परन्तु उसमे अभी काफी समय था, मन बस अभी जाना चाहता था और ऐसी जगह जहाँ कुछ देखा न हो। काफी सोचने के बाद मुझे मेरे भाई गोपाल की याद आई जो इन दिनों जोधपुर में था, गर्मी के इस मौसम में रेगिस्तान की यात्रा ......... मजबूरी है।
शाम को घर जाकर जोधपुर हावड़ा एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया और यात्रा शुरू। शाम को मेवाड़ एक्सप्रेस पकड़कर भरतपुर पहुँच गया और ट्रेन का इंतज़ार करने लगा।
यूँ तो भरतपुर एक साफ़ सुथरा रेलवे स्टेशन है यह वेस्ट सेंट्रल रेलवे के कोटा मंडल में है। रात को एक बजे ट्रेन आई और अपनी सीट घेर कर आराम से सो गया और सुबह जोधपुर के स्थान पर जयपुर पहुँच गया।
दरअसल सुबह 4 बजे के आसपास मैं जगा और बाथरूम में गया, यहाँ मेरे साथ एक घटना घटित हो गई, मेरा पर्स ट्रेन के बाथरूम में से नीचे गिर गया जिसमे मेरे रुपयों के साथ साथ ट्रेन का टिकट और जरूरी कागजात थे। एक पल के लिए मैं घबरा गया और जब मुझे कुछ समझ नहीं आया तो हड़बड़ी में मैंने ट्रेन को खड़ी करने की जंजीर खींच दी। तेज रफ़्तार से दौड़ती हुई ट्रेन राजस्थान के कँटीले झाड़ियों के क्षेत्र में रूक गई और मैं ट्रेन से उतर पड़ा और वापस ट्रेन की विपरीत दिशा में चलने लगा। एक रेलवे फाटक के पास मुझे रेलवे लाइन पर काम करने वाला एक व्यक्ति मिला जिससे मैंने पर्स के बारे में पुछा।
पर्स तो उसके पास मिल गया किन्तु बिलकुल खाली। मैंने उस व्यक्ति से फिर पुछा बाबा तुम्हे ये पर्स कहाँ मिला था तो उसने एक पूंठरी की तरफ इशारा किया और मैं उस पूंठरी की तरफ चल दिया। सबसे पहले मुझे मेरा पचास का नोट पड़ा दिखाई दिया। मेरे ख़ुशी की सीमा न रही और मेरा विश्वास अब पहले से अत्यधिक बढ़ गया था। मैंने वहां चरों तरफ देखा तो मुझे मेरे सारे रुपये और कागज वापस मिल गए। मैं पास ही स्थित सड़क पर आया। अब मुझमे और चलने की शक्ति नहीं बची हुई थी। इसलिए एक बाइक वाले को हाथ देकर मैं नजदीकी रेलवे स्टेशन फुलेरा पहुंचा। यहाँ से एक पैसेंजर के जरिये मैं जयपुर स्टेशन पहुँच गया।
स्टेशन के वेटिंग रूम में नहा धोकर बाहर निकला तो सामने अन्नपूर्णा वैन खड़ी दिखाई दी, यह राजस्थान सरकार की एक पहल है जो गरीबों को कम दाम में भरपेट भोजन उपलब्ध कराती है आज शनिवार था इसलिए आज खाना मुफ्त था। मैंने भी एक प्लेट ले ली। खाना खाकर मैंने आमेर के लिए एक बस पकड़ ली और आमेर की ओर कूच कर दिया। जयपुर से कुछ दूर जलमहल के बाद पहाड़ियां पार करके आमेर का किला पड़ता है। यहाँ ढूँढास प्रदेश कहलाता है। यहाँ के राजा भारमल की पुत्री जोधाबाई का विवाह मुग़ल सम्राट अकबर के साथ हुआ था जिसने भारतीय स्थान में एक अलग ही गाथा लिखी।
कुछ देर आमेर के किले में विश्राम करने के बाद मैं जल महल की तरफ गया और पहली बार मैंने जल महल देखा। यहाँ काफी देर इंतज़ार करने के बाद एक ऑटो पकड़कर मैं हवामहल भी गया पर इसे बाहर से ही देखकर जयपुर के बस स्टैंड पहुंचा यहाँ से मेरी टिकट मेरे भाई गोपाल ने एक प्राइवेट बस में करवा रखी थी। मैं शाम को बस द्वारा जोधपुर के लिए रवाना हो गया।
आइये देखते हैं जयपुर की एक झलक। .....
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राजस्थानी मुफ्त भोजन |
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अन्नपूर्णा भोजन वैन , जयपुर |
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अन्नपूर्णा भोजन वैन , जयपुर |
आमेर किला - मुग़ल सम्राट अकबर की ससुराल
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आमेर का किला |
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आमेर का किला और सुधीर उपाध्याय |
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आमेर का किला |
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आमेर के किला के नजदीक कुछ खंडहर |
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आमेर का किला |
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आमेर |
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आमेर का किला |
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आमेर का किला |
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आमेर का किला |
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आमेर का किला |
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आमेर के किला में विश्राम |
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आमेर का किला |
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आमेर का किला |
आमेर से मार्कोपोलो बस में बैठकर जल महल उतर गया | और पहली बार मैंने जल महल देखा |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर और सुधीर उपाध्याय |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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जल महल, जयपुर |
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हवामहल और सुधीर उपाध्याय |
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हवामहल, जयपुर |
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जयपुर दर्शन की एक बस |
अगली यात्रा
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