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Saturday, March 8, 2025

SHANGUMUGHAM BEACH : TIRUVANANTPURAM

  UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 4

शंखुमुखम बीच - तिरुवनंतपुरम का एक सुन्दर समुद्री किनारा 


28 जून 2023 

तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में नहाधोकर हम तैयार गए, यहाँ हमने कोई होटल नहीं लिया क्योंकि आज शाम को हमें अपनी अपनी मंजिलों पर रवाना होना था। सोहन भाई  यहाँ के बाद, अपने परिवार सहित कन्याकुमारी जाएंगे और मैं कल्पना के साथ निलंबूर रोड रेल यात्रा पर। इसलिए तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन के क्लॉक रूम में हमने अपने अपने बैग जमा करा दिए। 

आज हमें यहाँ के प्रसिद्द अनंत पद्यनाभ स्वामी मंदिर के दर्शन करने थे। इसलिए हम मंदिर की दिशा की तरफ बढ़ चले, जो स्टेशन से थोड़ी ही दूरी पर था। स्टेशन के बाहर निकलते ही एक शानदार सा मॉल दिखाई दिया जिसके सामने खड़े होकर हमने कुछ फोटो लिए और एक बस द्वारा हम सेंट्रल बस स्टैंड पहुंचे जो मंदिर के नजदीक ही है। बस स्टैंड पहुंचकर हमें ज्ञात हुआ कि इस समय तो मंदिर बंद हो चुका है अतः हमने यहाँ से समुद्री बीच जाने का निर्णय लिया। 

 

केरला में लॉटरी आज भी चलती है, हमारे यहाँ तो यह कबकी बंद हो चुकी है। बस स्टैंड पर ज्यादातर दुकानें लॉटरी की थीं पर हमने कोई लॉटरी नहीं खरीदी। कुछ देर प्रतीक्षा करने के बाद हमने एक बस मिल गई जो तिरुवनंतपुरम के प्रसिद्ध बीच शंगुमुघम की तरफ जा रही थी। 

हम इसी बस में सवार हो लिए और अपनी इस यात्रा के एक एक पल को यादगार बनाने हेतु हमने केरला की इस सिटी बस में भी अपने कुछ फोटो लिए। बस में मछली की दुर्गन्ध आ रही थी क्योंकि इसमें कुछ मछुआरे अपने बड़े बड़े बर्तनों के साथ यात्रा कर रहे थे। सोहन भाई ने बस में सफर कर रहे एक भिखारी का गाना भी रिकॉर्ड किया जो बड़ी सुरीली आवाज में बस में गाना गा रहा था, सोहन भाई ने इसे बाद में कुछ रूपये भी दिए। 

जल्द ही हम शंखुमुखम  बीच पहुंचे। बस हमें इसके प्रवेश द्वार के सामने उतार कर गई थी किन्तु हम इस द्वार को नहीं देख सके क्योंकि हमारी दृष्टि इसके दूसरी तरफ बने सुन्दर से मंदिर की ओर जो चली गई थी जो शंखुमुखम  माता का मंदिर था। मंदिर के बाहर बने एक छोटे से मंदिर के साथ हमने कुछ फोटो लिए और सामने सड़क के सहारे समुद्र की तरफ बढ़ चले। हम पार्क का रास्ता छोड़ चुके थे और सीधे समुद्र की तरफ बढ़ते जा रहे थे।  

 

जल्द ही हम समुद्र के नजदीक पहुंचे और विशाल समुद्र को काफी समय बाद देखकर गदगद हो उठे। गलत रास्ते से हमने समुद्री बीच पर प्रवेश किया। सोहन भाई, सपना भाभी और उनकी बहिन तुरंत समुद्र की लहरों से खेलने के लिए उनके और नजदीक पहुंचे। मैंने, कल्पना और सोहन भाई की माँ ने दूर से ही समुद्र देव को प्रणाम किया। 

लहरों के साथ अठखेलती करते हुए सोहन भाई के साथ एक छोटा सा हादसा हो गया। उनकी बहिन के हाथ में एक बड़ा पर्स था जिसमें रुपयों के अलावा कुछ और भी जरुरी कागजात थे, वह गलती से उनके हाथ से छूट गया और समुद्र की लहरों के साथ बह गया। 

चूँकि सोहन भाई ने उसे पकड़ने की काफी कोशिस की किन्तु हाथ ना आ सका। बेचारी बहिनजी को उनकी माँ के द्वारा काफी कुछ सुनने को मिल गया। थोड़ी देर बाद समुद्र की लहरें उस पर्स को वापस किनारे पर छोड़ गईं क्योंकि समुद्र रत्नों का भण्डार है और वह किसी भी बाहरी वस्तु को ग्रहण नहीं करता है। जल्द ही उसे वापस किनारे पर वापस छोड़ देता है। आंटी जी पुनः पर्स को पाकर प्रसन्न थी वहीँ बहिनजी ने भी राहत की साँस ली। 

 

समुद्र में लहरें बहुत तेजी के साथ काफी ऊँचे तक उठ रहीं थी। जगह जगह सुरक्षा गार्ड यहाँ तैनात थे और सैलानियों को समुद्र के नजदीक जाने से रोक रहे थे, समुद्र में नहाने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था। यहाँ लाल रंग के झंडे से गढ़े हुए थे जो खतरे के संकेत देने के साथ साथ सैलानियों के घूमने की सीमा निर्धारित करने के लिए थे। 

इन लाल झंडों से आगे जाना सख्त मना था और जैसे ही कोई इन लाल झंडों से आगे जाता, तो तुरंत ही सुरक्षा गार्ड की सीटी सुनाई देती। वाकई में अगर ये सुरक्षा गार्ड यहाँ ना होते तो यहाँ बड़े हादसे हो सकते थे। हमने समुद्र के किनारे ही अपने अपने कुछ फोटो लिए, कुछ रीलें भी बनाई और जल्द ही हम इसके किनारे बने पार्क  की तरफ बढ़ चले। 

 

 एक आइसक्रीम स्टॉल से हमने कुछ आइसक्रीम लीं और काफी देर तक यहाँ बैठकर हमने समुद्र से उठने वाली इन ऊँची ऊँची लहरों को देखा। समुद्र को निहारते निहारते समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता। 

इसी बीच पर कुछ पुरानी ऐतिहासिक इमारतें भी देखने को मिलती हैं जो शायद त्रावणकोर शासकों के द्वारा निर्मित हैं। यह यात्रियों के ठहरने और वर्षा से बचाव हेतु बनाई गई प्रतीत होती हैं। जल्द ही धीमी धीमी बारिश की फुहारे शुरू हो गईं जिन्होंने यात्रा का एक अद्भुत उत्साह सीने में भर दिया। 

 

शंखुमुखम  बीच शानदार और आनंदित कर देने वाली जगह है। यदि आप तिरवनंतपुरम की यात्रा पर आते हैं तो इस बीच को अवश्य ही अपनी यात्रा सूची में रखना चाहिए। रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से यहाँ के लिए सीधी नगरीय बसें उपलब्ध रहती हैं। वैसे एयरपोर्ट इस बीच के बिलकुल नजदीक स्थित है। 

यह वही एयरपोर्ट है जिसका जिक्र अजय देवगन की मूवीज रनवे 34 में किया गया है। रनवे 34, त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट का रनवे है जहाँ ख़राब मौसम के बाबजूद अजय देवगन ने आँख बंद करके लैंडिंग की थी। वैसे यह फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित थी अतः यह एयरपोर्ट भी हमारे लिए ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। बस द्वारा लौटते समय हमने इस एयरपोर्ट और रनवे 34 को देखा था। 

 

शंखुमुखम  बीच पर शानदार प्रतिकृतियाँ बनी हुईं हैं जिनमें सबसे मुख्य एक जलपरी की विशाल और शानदार लेटी हुई मूर्ति हैं। चूँकि यह नग्न अवस्था में है इसलिए मुझे अपने सहयात्रियों के साथ देखने में थोड़ी सी झिझक सी भी हुई। 

इसके अलावा यहाँ कंक्रीट से बनी लेटे हुए आदमी का प्रतिरूप भी है। इस पर चढ़कर सोहन भाई ने काफी फोटो लिए और इंजॉय किया। हम यहाँ आये ही इंजॉय करने के लिए थे किन्तु सोहन भाई कुछ ज़्यादा ही आनंदित थे और उन्हें यह स्थान बहुत पसंद आया। 

 

यहीं पास ही में एक पुराना हैलीकॉप्टर भी खड़ा हुआ था जो अब सेवानिवृत है। इसका नाम MI 8 है जो 1972 में वायुसेना में शामिल हुआ था, वायु सेना के सभी कार्यों और उद्देश्यों में यह खरा उतरा है। इसने श्रीलंका से लेकर सियाचिन ग्लेशियर तक अनेकों बार अपनी यात्रायें की हैं। 

वर्ष 2017 में इसे वायुसेना ने सेवानिर्वृत कर दिया और अब यह अपने गौरवशाली अतीत की यादें संजोये आज शंखुमुखम  बीच और पार्क की शोभा बनकर खड़ा है। हमने इस हैलीकॉप्टर के साथ भी फोटो लिए। अब मंदिर खुलने के समय हो चला था इसलिए अब हम यहाँ से बस पकड़कर कर वापस पद्यनाभ स्वामी मंदिर की तरफ रवाना हो गए। 

 

तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन के बाहर एक मॉल 


तिरुवनंतपुरम के बस स्टैंड पर मैं और मेरे सहयात्री 

सोहन भाई के कैमरे से एक सेल्फी 

मेरे साथ भी 


केरला की नगरीय बस 


सपना भाभी बस में फोटो खिचवाती हुईं 

भैया - भाभी जी की एक सेल्फी 

हमारा भी एक फोटो 

सोहन भाई और सपना भाभी का फोटो, ये मैंने खींचा 

बस में एक हमारी भी सेल्फी 

तिरुवनंतपुरम में एक चर्च 

श्री गणेश मंदिर - तिरुवनंतपुरम 

केरला के मंदिरों की शैली कुछ अलग प्रकार की है 



शंखमुखम माता मंदिर