Saturday, February 15, 2020

Bikaner Fort - Junagarh



जूनागढ़ - बीकानेर का किला



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें


आज शाम को ही मुझे और किशोर मामा जी को मथुरा निकलना था जिसके लिए मैंने पहले ही बीकानेर से हावड़ा जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में रिजर्वेशन करवा रखा था। झंझेऊ से दोपहर में विदा होकर मैं बीकानेर आया और आज मेरा मकसद बीकानेर का प्रसिद्ध किला जूनागढ़ देखना था। बस से उतारकर एक ऑटो द्वारा मैं जूनागढ़ किला पहुंचा।

राजस्थान के अधिकांश किले किसी ना किसी पहाड़ी पर स्थित होते हैं परन्तु यह राजस्थान का एक ऐसा किला है जो किसी पहाड़ी पर स्थित ना होकर शहर के बीचोंबीच स्थित है। इसकी बाहरी दीवारें मुझे ऐसा एहसास करा रही थी कि यह हूबहू आगरा किले के समान है।



 मैं इसकी दीवारों के सहारे सहारे चलता हुआ इसके मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंचा। इस विशाल किले में प्रवेश करते वक़्त मेरे मन में विचार आया कि आज हम कितनी आसानी से इन किलों में प्रवेश कर जाते हैं। इन द्वारों ने ना जाने अतीत में कैसे कैसे समय देखे होंगे। दुश्मनों के प्रवेश को रोकने के लिए इस किले के बड़े बड़े दरवाजों को बंद कर दिया जाता होगा और इसकी सुरक्षा में सैकड़ों सैनिक हर समय यहाँ तैनात रहते होंगे। किले की सुरक्षा के लिए इसके चारों तरफ गहरी खाई का भी निर्माण किया गया है।


कहते हैं राजस्थान की अधिकांश रियासतों और किलों  पर आज भी उनके मालिकों का मालिकाना हक़ है, जिनमें से अधिकतर आज एक बड़े होटल का रूप ले चुके हैं, कुछ में आज भी राजशाही लोग निवास करते हैं और कुछ खंडहर के रूप में तब्दील हो चुके हैं। जूनागढ़ भी एक एक ऐसी ही रियासत है जिसकों इसके मालिकों द्वारा एक ट्रस्ट में तब्दील कर दिया गया है और इसके विशाल शौर्यशाली गौरवगाथा को महसूस कराने के लिए इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया है। हालांकि किले की अच्छी देखभाल और रखरखाव के लिए इसमें प्रवेश शुल्क भी निर्धारित किया गया है। आज यह किला महाराजा रायसिंह  जी ट्रस्ट के नाम से संचालित है।

करन पोल 

    किले में प्रवेश करने के बाद मैं किले के दूसरे मुख्य दरवाजे के पास पहुंचा जिसका नाम करण पोल है। राजस्थान के अधिकतर किलों के दरवाजों के नाम इसी तरह के होते हैं, गणेश पोल, चंद्र पोल, सूर्य पोल और आज करण पोल। इस दरवाजे का नाम शायद बीकानेर के पूर्ववर्ती राजा महाराजा करण सिंह के नाम पर रखा गया होगा या ऐसा हो सकता है कि उन्होंने ही इस दरवाजे का निर्माण कराया हो।
किले में भव्य आयोजन एवं समारोह

 इस किले में आलिशान शादियों व अन्य भव्य पार्टियों का आयोजन हमेशा होता रहता है। राजशाही अंदाज में अपने कुछ चुनिंदा अवसरों को यादगार बनाने के लिए इस किले में आयोजन करना एक अलग ही अनुभव कराता है। किले की हर चीज को ऐसे सजाया जाता है जैसे कि सचमुच हम उस दौर में आ गए हों जहाँ यह किला अपने बीते हुए समय को फिर से जीने लगता है। सबकुछ राजशाही अंदाज में यहाँ होता है। मैं जब इस किले में आया था तब यहाँ एक शादी समारोह का आयोजन था और इस समारोह को और खूबसूरत बनाने के लिए किले को काफी अच्छे ढंग से सजाया गया था।

किले में एक शादी समारोह के लिए सजावट 


सती का पंजा 

सती का पंजा 
    राजस्थान की परम्परा के अनुसार जब भी कोई नई  वधु किले में आती थी तो उसके पंजे की थाप दीवार पर लगाईं जाती थी। आज भी उत्तर भारत में ऐसा देखने को मिलता है। अतः किले में प्रवेश करने के दौरान आपको दीवारों पर इन हाथों के पंजे के निशान देखने को मिलेंगे। हालांकि इन्हें यहाँ सती के पंजें के निशान के नाम से जाना जाता है।

जूनागढ़ किला 

सूरज पोल 

    किले का एक और मुख्य द्वार सूरज पोल है, इस द्वार को पार करने के बाद हम सीधे किले के प्रांगण में पहुँचते है और द्वारों का क्रम इसके बाद समाप्त हो जाता है। इस द्वार के दोनों तरफ हाथियों की मूर्तियों पर सवार सैनिक की मूर्तियां देखने में काफी अच्छी  लगती हैं। 
श्री करणी माता मंदिर

    सूरज पोल से आगे बढ़ते ही बीकानेर की कुलदेवी श्री करणी माता जी का भव्य मंदिर है। बीकानेर के राजपरिवार में श्री करणी माता जी का विशेष योगदान रहा है और आज करणी माता जी का नाम बीकानेर में ही नहीं समूचे हिंदुस्तान में विख्यात और पूजनीय है।  श्री करनी माता जी मंदिर बीकानेर के देशनोक में स्थित है जिसमें अधिकांश चूहे पाए जाते हैं।
 वीर दल्ला बाघोड़ की देवली -

महाराजा श्री डूंगरसिंह जी की अनुपस्थिति में जब किले में कैद कुछ कैदी फरार होने में कामयाब हो गए तो वह महल को लूटने के इरादे से आगे बढ़ने लगें। उस समय सूरजपोल के पास वीर दल्ला बाघोड़ की चौकसी कायम थी जब इन कैदीयों के आने की भनक वीर दल्ला बघौड़ को लगी तो उसने अपनी समझदारी और साहस के साथ उन कैदियों को सेना के आने तक रोककर रखा और महल को लूटने से बचाया। हालांकि इसके बाद वीर दल्ला बाघोद वीरगति को प्राप्त हुए। इस स्थान पर वीर दल्ला की यह छोटी से प्रतिमा उनके इस साहसिक वीरता की याद दिलाती है।


किले के महलों में प्रवेश :- 
किले में बने भवनों की सुंदरता को मैं देखकर मैं दंग रह गया क्योंकि मैंने इतनी उत्कृष्ट और शिल्पकला का ऐसा उदाहरण कहीं नहीं देखा था। भवनों और महलों की सुंदरता अनुपम थी। इस किले मैं अनेकों महल बने हुए थे जिनकी दीवारों और दरवाजों के साथ साथ छतों पर भी शानदार कलाकृतियाँ और पच्चीकारियाँ बनी हुई थीं। इसके साथ ही यह किला अन्य किलों की तरह खंडहर या खाली नहीं था। इसमें रखी हुई वस्तुएँ और साजसज्जा को देखकर लगता है कि यहाँ आज भी महाराजाओं  उपस्थिति है यहाँ आज भी दरबार लगते हैं क्योंकि सब ज्यों का त्यों हैं।  महाराज की बैठक उनका सिंहासन सेनाओं के हथियार और उनके कवच, सबकुछ यहाँ सुरक्षित हैं।

शानदार महल जूनागढ़ किला, बीकानेर 

किलें की दीवारों पर शानदार पच्चीकारी, जूनागढ़ किला, बीकानेर 


जूनागढ़ किला, बीकानेर 

सूर्य मंदिर, जूनागढ़ किला, बीकानेर 

फूल महल , जूनागढ़ किला बीकानेर 

जूनागढ़ किला, बीकानेर 



दरबार ए जूनागढ़ किला, बीकानेर 





जूनागढ़ का राजकीय चिन्ह 

जूनागढ़ में मीना बाजार 

मीना बाजार का प्रवेश द्वार 


जूनागढ़ किला, बीकानेर 



जन्माष्टमी झूला, जूनागढ़ किला, बीकानेर 

जूनागढ़ किला, बीकानेर 

जूनागढ़ किला, बीकानेर 


जूनागढ़ किला, बीकानेर 


जूनागढ़ किले में महाराज गंगा सिंह जी का व्यक्तिगत हवाई जहाज 


Add caption


जूनागढ़ किला, बीकानेर 

जूनागढ़ किला, बीकानेर 

जूनागढ़ किला, बीकानेर 

जूनागढ़ किले का संग्रहालय 

संग्रहालय प्रवेश द्वार 

चौपट 

मुग़ल शासक अकबर पर घात करती करणी माँ 





जूनागढ़ किले की राजवंशावली का वृक्ष रुपी वर्णन 


जूनागढ़ किला, बीकानेर 

जूनागढ़ किला, बीकानेर 

सूरसागर झील 

सूरसागर झील

सूरसागर झील

भारतमाता की प्रतिमा 

महाराजा डूँगरसिंह जी का स्टेचू 

बीकानेर किला 


THANKS FOR VISIT 

No comments:

Post a Comment

Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.