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Sunday, February 25, 2024

MAKAR SAKARANTI TRIP 2023


 रिश्तों के सफ़र पर - मकर सक्रांति यात्रा 2023 

नववर्ष की शुरुआत हो चुकी थी, सर्दियाँ भी अपने जोरों पर थीं। तमिलनाडु से लौटे हुए एक सप्ताह गुजर चुका था, अब अपनों से मिलने की ख्वाहिश मन में उठी और एक बाइक यात्रा का प्लान फाइनल किया। प्रत्येक साल पर पहला हिन्दू पर्व  मकर सक्रांति होता है, दान के हिसाब से इस पर्व का अत्यधिक महत्त्व है जिसमें गुड़ और तिल से बनी गज़कखाने और दान देने की परंपरा है, इसलिए मैंने भी 10 - 15 डिब्बे गजक के खरीद लिए और अगले दिन मकर सक्रांति को मैं अपनी बाइक लेकर रिश्तों के सफर पर निकल चला। 

Thursday, February 23, 2023

CHITRAKOOT DHAM

चित्रकूट धाम यात्रा 

  

                           


    त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ ने अपनी तीसरी पत्नी कैकई को दिये दो वरों को पूरा करने के कारण, अत्यंत ही  विवश और दुखी होकर अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को चौदह वर्ष का वनवास दिया और कैकई पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी। तब श्री राम अपनी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ पिता के वचन को पूरा करने के लिए वन को चले गए। अयोध्या से उन्होंने दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थान किया और तमसा नदी को पार करने के बाद श्रृंगवेरपुर पहुंचे जो उनके मित्र निषादराज का राज्य था। 

   इसके पश्चात उन्होंने केवट की नाव द्वारा गंगा नदी को पार किया और प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पहुंचे। भारद्वाज ऋषि ने भगवान श्री राम को दक्षिण दिशा में यमुना नदी को पार करने के बाद वन में कुटिया बनाकर रहने का सुझाव दिया और श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण और भार्या सीता के साथ यमुना पार करके कामदगिरि के निकट पहुंचे। इसी स्थान को उन्होंने अपने निवास हेतु चुना और यहीं अपनी पर्णकुटी बनाकर रहने लगे। यही स्थान चित्रकूट कहलाता है जो कामदगिरि पर्वत और मन्दाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। 

    इधर जब भरत अपने भाई शत्रुघन के साथ अयोध्या पहुंचे तो उन्हें अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु और बड़े भाई के वनवास चले जाने के जानकारी हुई। वह फूट फूट कर रोने लगे और अपनी माता की गलती के कारण पश्चाताप भी करने लगे। इसी पश्चाताप और अपने धर्म के साथ वह अपने बड़े भाई राम, लक्ष्मण और सीता जी को वन से वापस लाने के लिए और उनका राज्य उन्हें सौंपने के लिए वन को चल दिए। 

    उनके साथ अयोध्या की प्रजा भी साथ थी, निषादराज से मिलने के बाद उन्होंने चित्रकूट में आकर प्रभु श्री राम से भेंट की और उनसे अयोध्या लौट चलने का आग्रह किया किन्तु वचनबद्ध होने के कारण श्री राम ने अयोध्या लौटने से इंकार कर दिया। भरत के चित्रकूट से चले जाने के बाद प्रभु श्री राम भी लक्ष्मण और माता सीता के साथ चित्रकूट छोड़कर दंडकारण्य के घने वनों की तरफ चले गए। इस प्रकार चित्रकूट उनकी रज और निवास के कारण एक पावन धाम बन गया। 

कलियुग में गोस्वामी तुलसीदास जी ने चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के घाट पर बैठकर ही राम चरित मानस की रचना की। चित्रकूट के समीप ही अत्रि मुनि का भी आश्रम था जहाँ वे अपनी पत्नी माता अनुसुइया के साथ रहा करते थे। 

Tuesday, March 15, 2022

KIRTI MANDIR - BARSANA

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

कीर्ति मंदिर  



श्री राधारानी की माता और महाराज वृषभान जी की पत्नी महारानी कीर्ति को समर्पित कीर्ति मंदिर का निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज के सानिध्य में जगद्गुरु कृपालु परिषद द्वारा किया गया। सन 2006 में जगद्गुरु कृपालु महाराज ने स्वयं अपने हाथों से इस मंदिर की नीवं रखी थी।

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 यह मंदिर ब्रज क्षेत्र में मथुरा जिले के बरसाना में स्थित है और रंगीली महल के नजदीक प्रांगण में निर्मित है। इस मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है जो अनायास ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। कीर्ति मंदिर का सम्पूर्ण प्रांगण सफ़ेद रंग की संगमरमर से निर्मित है और भक्तगण यहाँ घंटों बैठकर श्री राधारानी का चिंतन करते हैं। इस मंदिर की भव्यता दूर से देखते ही बनती है। 

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 ना केवल ब्रज क्षेत्र में बल्कि समस्त भारतवर्ष में महारानी कीर्ति का यह एकमात्र मंदिर है जिसमें महारानी कीर्ति की गोद में बैठी श्री राधारानी के सुन्दर और वात्सल्य छवि के दर्शन होते हैं। 

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Saturday, February 6, 2021

Trip With Jain sab

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

मथुरा से हाथरस बाइक यात्रा 

रसखान जी की समाधी पर 

NOV 2020,

सहयात्री - रूपक जैन साब 

     आज नवम्बर के महीने की आखिरी तारीख थी मतलब 30 नवम्बर और कल के बाद इस साल का आखिरी माह और शेष रह जायेगा। आज की सुबह में एक अलग ही ताजगी थी आज मेरे भोपाल वाले मित्र रूपक जैन अपनी आगरा की चम्बल सफारी की यात्रा पूरी कर मथुरा लौट रहे थे। एक लम्बे समय के बाद आज हमारी मुलाकात होनी थी बस सुबह से यही सोचकर कि जैन साब के साथ मुझे कहाँ कहाँ जाना है, अपने सारे काम समाप्त किये। ऑफिस से भी मैंने आज की छुट्टी ले ली थी क्योंकि आज का सारा दिन मुझे जैन साब के साथ घूमने में जो गुजारना था। आज हम कहाँ जाने वाले थे इसका कोई निश्चित नहीं था हालाँकि जैन साब ने मुझसे फोन पर हाथरस घूमने की इच्छा व्यक्त की थी, मगर हाथरस में ऐसा क्या था जिसे देखने हम वहाँ जाएंगे। 

     अभी रूपक जैन जी आगरा में हैं कुमार के पास और उसके साथ वह मेहताब बाग़ देखने गए हैं जो ताजमहल के विपरीत दिशा में है। नदी के उसपार से ताजमहल को देखने के लिए अनेकों लोग मेहताब बाग़ जाते हैं, अनेकों फिल्मों की शूटिंग भी यहाँ होती रहती है। मैंने भी जैन साब को मथुरा में दिखाने के लिए गोकुल को चिन्हित किया जो ब्रज में मेरी पसंदीदा जगहों में से एक है। गोकुल जाने के इरादे को दिल में लेकर मैं मथुरा के टाउनशिप चौराहे पर पहुँचा और अपने एक मित्र की दुकान पर बैठकर मैं जैन साब का आने का इंतज़ार करने लगा। जैनसाब अभी आगरा से चले नहीं थे, कुमार अपनी स्कूटी पर उन्हें ISBT तक लेकर आया और बस में बैठाकर उसने मुझे फोन कर दिया। इसके बाद मैंने अपनी लोकेशन जैन साब को भेज दी और उन्होंने अपनी लोकेशन मुझे भेज दी। इसप्रकार अब मुझे अपने मोबाइल में ही पता चल रहा था कि वह कहाँ तक पहुँच चुके हैं। 

Saturday, April 18, 2020

AIRAKHERA 2020

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

 विष्णु भाई का सगाई समारोह और ग्राम आयराखेड़ा की एक यात्रा 



26 जनवरी 2020 मतलब गणतंत्र दिवस पर अवकाश का दिन।

     पिछले वर्ष जब मैं माँ के साथ केदारनाथ गया था तब माँ के अलावा उनके गाँव के रहने विष्णु भाई और अंकित मेरे सहयात्री थे और साथ ही बाँदा के समीप बबेरू के रहने वाले मेरे मित्र गंगा प्रसाद त्रिपाठी जी भी मेरी इस यात्रा में मेरे सहयात्री रहे थे। 

    आज ग्राम आयराखेड़ा में विष्णु भाई की सगाई का प्रोग्राम था जिसमें शामिल होने के लिए त्रिपाठी बाँदा से सुबह ही उत्तर प्रदेश संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से मथुरा आ गए थे। सुबह पांच बजे मैं अपनी बाइक से उन्हें अपने घर ले आया और सुबह दस बजे तक आराम करने के बाद हम आयराखेड़ा की तरफ रवाना हो गए। 

Sunday, March 29, 2020

AGRA FORT : 2018



आगरा किला



26 जनवरी 2018 मतलब गणतंत्र दिवस, भारतीय इतिहास का वो दिन जब भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् देश का संविधान बनकर लागू हुआ। भारतीय संविधान को बनकर तैयार होने में कुल 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा और जब इसे लागू किया गया वह दिन भारतीय इतिहास में एक राष्ट्रीय पर्व बन गया और इसे आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है जिसे मनाने के लिए आज मैं अपनी पत्नी कल्पना को लेकर अपने शहर आगरा पहुंचा और अपने शहर को करीबी से देखने का मौका हासिल किया।

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ताजमहल पर आज के दिन काफी भीड़ रहती है, देश विदेश से हजारों पर्यटक इसे यहाँ देखने आते हैं अतः हमने इसे दूर से देखना ही उचित समझा और इसे देखने के लिए हम पहुंचे आगरा फोर्ट, जहाँ कभी अपने पुत्र औरंगजेब की कैद में रहकर मुग़ल सम्राट शाहजहाँ भी एक झरोखे में से इसे देखा करता था, जो उसने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। यहीं इसी झरोखे से ताजमहल को निहारते हुए ही उसकी मृत्यु हो गई। आज आगरा फोर्ट में भी पर्यटकों की संख्या ज्यादा ही थी।

Saturday, March 28, 2020

AWAGARH FORT

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

अवागढ़ किला - एटा यात्रा




यात्रा दिनाँक :- 20 फरवरी 2018

इस फरवरी में जब शादियों का सीजन चल ही रहा है तो एक शादी का निमंत्रण हमारे पास भी आया और यह निमंत्रण था एटा में रहने वाली हमारी बुआजी की लड़की की शादी का। कुछ साल पहले मैं अपनी बहिन निधि के साथ उनके यहाँ एटा गया था तब से अब मुझे दुबारा एटा जाने का मौका मिला, परन्तु इसबार मेरे साथ मेरी बहिन नहीं बल्कि मेरी पत्नी कल्पना मेरी सहयात्री रही और यह यात्रा ट्रेन या बस ना होकर केवल बाइक से ही पूरी की गई। मथुरा से एटा की कुल दुरी 115 किमी के आसपास है और शानदार यात्रा में हमने बहुत ही एन्जॉय किया और इसे यादगार बनाया। 

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20 फरवरी मैं और मेरी पत्नी कल्पना अपनी बाइक द्वारा एटा के लिए रवाना हुए। मथुरा से निकलकर हमने अपना पहला स्टॉप बलदेव में लिया। बलदेव, ब्रजभूमि का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम और उनकी पत्नी रेवती जी का शानदार मंदिर स्थापित है। बलदेव से निकलकर हमारा दूसरा स्टॉप सादाबाद था। सादाबाद, हाथरस जनपद की प्रमुख तहसील है और हाथरस - आगरा मार्ग पर बहुत ही बड़ा क़स्बा है। यह एक जंक्शन पॉइंट है जहाँ से पाँच अलग अलग दिशाओं में रास्ते जाते हैं। यहाँ कुछ समय रूककर और एक प्रसिद्ध भल्ले की दुकान से भल्ला खाकर हम आगे बढ़ चले। 

Friday, June 30, 2017

BIKE TRIP 2017 : MTJ TO HW

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

मथुरा से हरिद्धार बाइक यात्रा

     मानसून का मौसम शुरू हो चुका था, मन में कई दिनों से इसबार बाइक से कहीं लम्बा सफर करने का मन कर रहा था परन्तु केवल पहाड़ों की तरफ। मेरे मन में इसबार नैनीताल जाने का विचार बना पर तभी आगरा से साधना ( मेरी ममेरी बहिन ) का फोन आया और उसने हरिद्वार जाने की इच्छा जाहिर की। मैं हरिद्धार पहले भी कई बार जा चुका हूँ परन्तु वह पहली बार हरिद्धार जा रही थी इसलिए नैनीताल जाने का विचार कैंसिल और हरिद्धार का प्लान पक्का। हालाँकि मैं इस बार बाइक से ही यात्रा करना चाहता था इसलिए मैंने इस यात्रा को थोड़ा और आगे तक बढ़ाने का विचार बनाया मतलब बद्रीनाथ जी तक।

Monday, February 1, 2016

M.G. PASSENGER : NEPALGANJ TO PILIBHIT

                                                UPADHYAY TRIPS PRESENT'S     


                                                 
  नेपालगंज  - पीलीभीत पैसेंजर ट्रेन यात्रा



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     नानपारा से हम मैलानी ओर चल दिए, यह सफर मीटर गेज ट्रेन का एक अदभुत सफर है जो सरयू नदी के ऊपर बने बाँध के किनारे होता हुआ नेपाल की तराई में दुधवा नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरता है। मेरी बचपन की पसंदीदा ट्रेन गोकुल एक्सप्रेस इसी रास्ते से होकर गोंडा आगरा फोर्ट पहुंचती थी और आज यह ट्रेन केवल पीलीभीत तक ही सीमित है क्योंकि पीलीभीत से आगे की लाइन अब ब्रॉड गेज में कन्वर्ट हो चुकी है जल्द ही यह ट्रेन गोंडा से मैलानी रह जाएगी।

Sunday, January 31, 2016

M.G. PASSENGER : GONDA TO NEPALGANJ


गोंडा से नेपालगंज पैसेंजर यात्रा 

NEPALGANJ ROAD


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     सुबह करीब तीन बजे मैं वेटिंग रूम में नहा धोकर तैयार हो गया और बाहर जाकर गर्मागर्म चाय पीकर आया और कृष्णा को जगाया। मोबाईल भी अब चार्ज हो चुका था। सुबह चार बजे गोंडा से मीटर गेज की ट्रेन नेपालगंज के लिए रवाना होती है , हम इसी ट्रेन में आये और खली पड़ी सीट पर सो गए। मुझे बहराइच स्टेशन देखना था इसलिए सोया नहीं और वैसे भी नहाने के बाद मुझे नीँद नहीं आती है। अभी दिन निकलने में काफी समय था, ट्रेन गोंडा के बाद अगले स्टेशन पर रुकी यह गंगागढ़ स्टेशन था मैंने ट्रेन से बाहर देखा तो घने कोहरे के अलावा मुझे बड़ी लाइन के स्लीपर दिखाई दिए जिसका मतलब था कि जल्द ही ये लाइन भी बड़ी लाइन में बदल जाएगी। 

Saturday, January 30, 2016

AYODHYA 2016



  प्रभु श्री राम की जन्मभूमि - अयोध्या 


अयोध्या रेलवे स्टेशन 


      मेरा काफी दिनों से मन कर रहा था कि एकबार प्रभु श्री राम लला के दर्शन किये जाएँ और अयोध्या नगरी की सैर की जाए। इसबार मेरी ऑफिस में काम करने वाला कन्हैया भी मेरे साथ चलने के लिए तैयार था। मैंने 13238 कोटा - पटना एक्सप्रेस में दो सीट बुक कर दी और यात्रा की तैयारी आरम्भ कर दी। आजकल ट्रेन अपने रूट से डाइवर्ट होकर चल रही थी। यह आगरा कैंट - टूंडला -कानपुर की बजाय, कासगंज - फर्रुखाबाद -कानपुर अनवरगंज के रास्ते चल रही थी।


    हम शाम को ट्रेन के नियत समय पर रेलवे स्टेशन पहुंचे परंतु यह ट्रेन कोहरे की वजह से पांच - छह घंटे लेट हो गई और रात को दो बजे मथुरा आई। हमारी नींद तो ट्रैन के इंतज़ार में पूरी हो गई अब तो बस दिन निकलने का इंतज़ार था पर हमारा दिन निकला कानपुर अनवरगंज पर।

Thursday, October 10, 2013

SARNATH 2013

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सारनाथ दर्शन 

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     माँ को वाराणसी स्टेशन पर छोड़कर मैं एक पैसेंजर ट्रेन के जरिये सारनाथ पहुँच गया, सबसे पहले स्टेशन के शाइन बोर्ड को देखा, यह और स्टेशनों की अपेक्षा कुछ अलग लगा फिर ध्यान आया कि मैं महात्मा बुद्ध की भूमि में हूँ और उन्ही के धम्म के अनुसार रेलवे ने इस स्टेशन का बोर्ड भी बनाया है। सारनाथ पूर्वोत्तर रेलवे का एक छोटा सा स्टेशन है परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण भी है।

Monday, October 7, 2013

VARANASI 2013

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पहली काशी यात्रा 

वाराणसी रेलवे स्टेशन 


    अभी एक महीना ही हुआ था इलाहाबाद से लौटे हुए कि दुबारा रेलवे का कॉल लैटर आ गया,  इसबार यह मेरे नाम से आया था। सेंटर इलाहाबाद में ही था इसलिए एक इलाहाबाद की टिकिट बुक करा ली, इसबार मेरी माँ मेरे साथ इलाहाबाद जा रही थी, उनका भी पी टी ओ पापाजी बनवा दिया और इलाहाबाद की एक और टिकिट बुक हो गई ।

    एग्जाम से एक दिन पहले ही हम इलाहाबाद के लिए निकल लिए, दुसरे दिन हम इलाहाबाद में थे स्टेशन पर काफी लड़कों की भीड़ थी जिन्हे देखकर यह एहसास दिल को हुआ कि इस देश के अंदर एक अकेले हम ही बेरोजगार नहीं थे, हमारे जैसे जाने कितने ही न थे जो आज मुझे यहाँ देखने को मिले।

Sunday, September 1, 2013

BUNDELKHAND EXPRESS : GWL TO PRG

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बुंदेलखंड एक्सप्रेस से एक सफ़र 

आगरा से प्रयाग 

 
BUNDELKHAND EXPRESS ON PRAYAG JUNCTION


      मैं जब कभी किसी यात्रा पर जाता हूँ तो उसकी तैयारी महीने भर पहले से ही शुरू कर देता हूँ। अभी मैं अपनी राजस्थान यात्रा की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक किशोरी लालजी का फोन आया, बोले भाई साहब इलाहाबाद चलना है। दरअसल किशोरीलाल जी मेरे बहनोई हैँ और नोयडा में नौकरी हैं, आज से दो साल पहले रेलवे का कोई फॉर्म भरा होगा आज उसी का कॉललैटर आया है। अब अचानक से किसी यात्रा की तैयारी करना मेरे लिए कोई कठिन काम नहीं था, बस मुश्किल था तो इलाहबाद जाने वाली किसी भी ट्रेन में उपलब्ध सीट का मिलना । 

Saturday, July 6, 2013

RUHELKHAND EXPRESS : LUCKNOW

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रुहेलखंड एक्सप्रेस से एक सफर 

 लखनऊ की एक शाम 



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    हालाँकि मैं पूरी रात का जगा हुआ था सो ऊपर वाली सीट पर सो गया और जब उठा तो देखा ट्रेन लखनऊ शहर में दौड़ रही थी, रास्ते में कुछ स्टेशन पड़े। ट्रेन शाम को 4:30 बजे ट्रेन ऐशबाग स्टेशन पहुंची, मेरा रूहेलखंड एक्सप्रेस से सफ़र यही पर समाप्त हो गया। ट्रेन को अकेला छोड़कर मैं ऐशबाग से चारबाग की ओर चल दिया , और रूहेलखंड एक्सप्रेस खड़ी रही सुबह फिर किसी मेरे जैसे मुसाफिर को ले जाने के लिए कासगंज की ओर।


Friday, June 14, 2013

एटा पैसेंजर से एक यात्रा

UPADHYAY TRIPS PRESENTS

एटा यात्रा 

   यूँ तो एटा आगरा के नजदीक ही है, दोनों में केवल 85 किमी का ही फासला है परन्तु मेरा एटा जाने का जब भी विचार बनता तो कोई न कोई अड़चन आ ही जाती थी और एटा जाने का विचार आगे के लिए खिसक जाता था एटा के लिए रास्ता टूंडला होकर गया है, और टूंडला से ही एक रेलवे लाइन बरहन होकर एटा के लिए गई है , जिस पर दिन में एक ही पैसेंजर ट्रेन चलती है जो टूंडला से एटा के २ चक्कर लगाती है, मेरा इस रेलवे लाइन को देखने का बड़ा ही मन था, पर कभी मौका नहीं मिल पाया । 

Monday, April 15, 2013

अदभुत ग्राम धौरपुर

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अदभुत ग्राम धौरपुर 




          धौरपुर ग्राम,  दिल्ली - हावड़ा रेल मार्ग पर स्थित हाथरस जंक्शन स्टेशन से 1 किलोमीटर दूर है। यह उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में स्थित है। हाथरस एक छोटा शहर है जिसकी सीमाए आगरा, मथुरा, अलीगढ, एटा तथा कासगंज से छूती हैं। उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती ने इसका नाम हाथरस से बदलकर महामाया नगर कर दिया था किन्तु उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद इस जिले का नाम पुनः हाथरस रख दिया गया। पता नहीं क्यों मायावती जी को जिलों के नाम बदलने में बड़ा मजा आता है जैसे कासगंज को कांशीराम नगर बनाकर या अमरोहा को ज्योतिबा फुले नगर। खैर हमारे गाँव का नाम नहीं बदलने वाला वो तो धौरपुर ही रहेगा। फिर चाहे वो हाथरस जिले में आये या अलीगढ जिले में। 

Saturday, March 16, 2013

एक यात्रा मुरसान होकर

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एक यात्रा मुरसान होकर 

     आज मैं और कुमार रतमान गढ़ी के लिए रवाना हुए। यह मेरी छोटी मौसी का गाँव है जो मथुरा कासगंज वाली रेल लाइन पर स्थित मुरसान स्टेशन से पांच किमी दूर है। आज माँ ने कहा जा अपनी मौसी के यहाँ से आलू ले आ । दरअसल मेरे मौसा जी एक किसान हैं और हरबार की तरह उनके खेतों में इसबार भी आलू हुए। इसलिए मैं भी चल दिया एकाध बोरी लेने और साथ मैं कुमार भी। 

     आगरा कैंट से होते हुए हम मथुरा पहुंचे और मथुरा से पैसेंजर पकड़कर सीधे मुरसान। मुरसान पूर्वोत्तर रेलवे का स्टेशन है जिसका मुख्यालय बड़ा ही इज्ज़तदार है मतलब इज्ज़त नगर, जो बरेली में हैं। मथुरा से कासगंज वाली पैसेंजर ट्रेनों में अधिकतर भीड़ चलती है, कारण है सड़क मार्ग से कम समय और सस्ता किराया। परन्तु हम तो मथुरा से ही सीट पर बैठकर आये थे, बस उतरने में ही थोड़ी परेशानी हुई । 

Friday, March 26, 2010

ग्राम बहटा और प्राकृतिक ग्रामीण जीवन

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ग्राम बहटा और प्राकृतिक ग्रामीण जीवन 



   बहटा मेरी मौसी का गांव है जो हाथरस - कासगंज रोड पर सलेमपुर के निकट स्थित है। प्राकृतिक वातावरण से भरपूर इस गाँव का जीवन शहरीय जीवन से बिल्कुल अलग है। यहाँ की सुबह में एक अलग ही ताजगी थी जो हमें एहसास कराती है कि शहरों की सुबह की मॉर्निंग वॉक इस ग्राम की मॉर्निंग वॉक के सामने कुछ नहीं है। यहाँ कृतिम रूप से बनाये गए पार्क नहीं हैं परन्तु प्रकृति ने यहां की धरती को प्राकृतिक सुंदरता से नवाजा है जो शहरीय पार्कों की तुलना में अत्यंत ही खूबसूरत और खुशबूदार हैं। सुबह सुबह छोटी सी पगडंडियों पर चलना और चारों तरफ से आती हुई धान के खेतों की मनमोहक खुशबू मन को एहसास कराती है कि कुछ ही समय के लिए सही परन्तु मन को सच्चा सुख और ख़ुशी कहीं मिल सकती है तो वह सिर्फ प्रकृति द्वारा ही संभव है। 

   अभी मैं इन धान के खेतों के बीच से होकर आगे बढ़ ही रहा था कि मेरे सामने खेतों के बीच से धुँआ उड़ाती हुई ट्रेन गुजरी, वाकई कितना शानदार नजारा है जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इस समय मौसम भी खुशनुमा बना हुआ है, आकाश में छाई काली घटायें सुबह के इस समय को और भी खूबसूरत बना रही थी। कहीं पूरब में दिखाई देने वाला वो सुबह का सूरज, आज आसमान में छाये हुए बादलों के पीछे कहीं गुम सा हो गया था परन्तु उसकी लालिमा आसमान को रंगीन बनाये हुए थी जिसे देखकर लग रहा था कि साक्षात् प्रकृति ने आसमान में एक नई चित्ररेखा तैयार की हो। अभी बस मैं पीछे मुड़ा ही था कि मेरी नजर पत्ते पर बैठे एक कीट पर गई जो देखने में बहुत ही खूबसूरत था, लाल रंग के इस कीट को प्रकृति ने काले काले घेरों से सुंदरता के साथ सजाया है। 
   मैं रेलवे लाइन पार करने के बाद गाँव की तरफ बढ़ चला। बारिश की हल्की हल्की फुहार अब बरसने लगी थीं,लोग ऐसी फुहारों से नहाने के लिए अपने घरों के बाथरूमों में बड़े बड़े शावर लगवाते हैं किन्तु आज प्रकृति ने इस गाँव को ही बिना किसी आकार का शावर प्रदान किया हुआ है जिसमें केवल इंसान ही नहीं ये पेड़ पौधे और जीव जंतु भी इस प्राकृतिक शावर का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। पीपल के पेड़ की नई पत्तियाँ इस बरसाती मौसम में और भी खिल उठी हैं और अपने रंग में जोर जोर से चमकने लगीं हैं। इस पीपल के पेड़ को देखकर लगता है जैसे कि ये अभी अभी उत्पन्न हुआ हो। गाँव की प्राथमिक पाठशाला की दीवारों पर बने चित्र और उनपर लिखी  हुईं बातें मुझे मेरे बचपन में ले जाते हैं। 

   जिस प्रकार शहरों की शान कारें हुआ करती हैं उसी प्रकार गाँव की शान यहाँ अलग अलग घरों में खड़े हुए विभिन्न तरह के ट्रैक्टर होते हैं और इतना ही नहीं इनके साथ इनके उपकरणों की भी उतनी ही विशेषता है जो गाँव के किसी भी कोने में कहीं भी हमें खड़े हुए दिखाई दे जाते हैं और वो भी बिना किसी रखवाली के। लोग शहरों में कुत्तों को पालते हैं और उन्हें अपने साथ मॉर्निंग वाक पर ले जाते हैं वहीँ गाँव में लोग गाय - भैंस अपने घरों में रखते हैं और सुबह सुबह इन्हें अपने साथ नहीं बल्कि इनके ( गाय और भैंस ) साथ मॉर्निंग वॉक पर जातें हैं। फर्क केवल इतना होता है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शहरीय लोगों को ना चाहते हुए भी सुबह जल्दी उठाना पड़ता है और मॉर्निंग वॉक पर जाना पड़ता है और वहीं ग्रामीण लोग सुबह सुबह अपने पशुओं को चराने के लिए मॉर्निंग वाक पर निकलते हैं जिससे इनका शरीर स्वतः ही स्वस्थ रहता है। 

   मेरी मौसी मुझे एक बड़े गिलास में ताजा छाछ लाकर देती हैं जिसे मैं बड़ी ही देर में समाप्त कर पाता हूँ वो भी सिर्फ इसलिए कि शायद मुझे प्रतिदिन छाछ पीने का और इतने बड़े गिलास में पीने का अभ्यास नहीं है। मेरे मौसाजी सरकारी हैडपम्प से पानी भर रहे हैं जो मेरे मौसा जी के घर के ठीक बाहर लगा हुआ है। इसे देखकर मुझे याद आया कि हमारे यहाँ तो केवल एक स्विच दबाने की देर होती है और सबंसिरबल स्वतः ही पानी भर देती है जिसके लिए हम प्रत्येक महीने बिजली विभाग को कुछ रूपये भी अदा करते हैं, जबकि यहाँ शरीर की मेहनत जमीन से पानी खींचती है वो बिना किसी शुल्क के, और इसका दूसरा फायदा ये है कि नल चलाने से शरीर मेहनत करता है और स्वतः ही स्वस्थ बना रहता है। 

   गाँव के जीवन से सरावोर होने के बाद मैंने सिर्फ इतना अनुभव किया कि शहरों की तुलना में ग्रामीण लोगों का जीवन काफी सरल, सुखद और सम्पन्न होता है। ये गर्मियों के दिनों में रात को खुले आसमान के नीचे सोते हैं और शुद्ध हवा को ग्रहण करते हैं इनहें एसी और कूलर की कोई आवश्यकता नहीं होती। ये रात को जल्दी सोते हैं और सुबह पौं फटने से पहले ही जाग जाते हैं जिससे सुबह की शुद्ध वायु इनके शरीर को पूरे दिन ताजा और फुर्तीला रखती है। ये पैक मिल्क नहीं पीते हैं बल्कि शुद्ध और ताजा गाय भैस का दूध पीते हैं। इनके यहाँ रोटियां मिटटी के चूल्हे पर बनाई जाती हैं जो शरीर के लिए गैस की अपेक्षा अत्यधिक लाभदायक होती हैं। ये आसपास की दूरी पैदल ही तय करते हैं जिससे ये जनहित में बाइक या कार ना चलाकर वायु प्रदूषण से बचते हैं और पैदल चलकर अपने शरीर की शारीरिक क्षमता को बढ़ाते हैं। 

   कुल मिलाकर हम कह सकते हैं की ग्रामीण लोग शहरीय लोगों की तुलना में शारीरिक रूप से अधिक मजबूत और ऊर्जावान होते हैं। यह प्रकृति की रखा तहे दिल से करते हैं इसलिए प्रकृति हमेशा इन पर मेहरबान रहती है और इन्हें हमेशा सम्पन्न रखती है।  

मीटरगेज का इंजन जो अपना कार्य और समय पूरा कर चुका है 

मेरा मौसेरा भाई - नीरज उपाध्याय 

ट्रेन में से कुछ देखते हुए 

मेंडू रेलवे स्टेशन 

मीटरगेज का पुराना स्टेशन - हाथरस रोड जहाँ पहले डबल मीटरगेज लाइन थी और आज केवल सिंगल ब्रॉड गेज लाइन है 

हाथरस रोड 

मौसी के गाँव का रेलवे स्टेशन - रति का नगला 

रति का नगला 

रति का नगला स्टेशन की सड़क से लोकेशन 

नानी को दवा देती मौसी 

मेरे मौसाजी - श्री रामकुमार उपाध्याय 

मेरी नानी - महादेवी शर्मा 

मौसाजी और मौसी जी 

पपीता काटती हुई मौसी 

मौसी का पुराना घर जिसके आगे सिर्फ खेत हैं 

रोहित उपाध्याय - मेरी मौसी का सबसे छोटा पुत्र 

मेरी पुरानी  बाइक के साथ मेरा एक फोटो - कोडेक कैमरे से 

   बहुत पुरानी यात्रा है इसलिए केवल संस्मरण ही मुझे याद थे बाकी जो उस समय के कुछ फोटो मैंने अपने कोडेक के कैमरे में और मोबाइल में लिए थे आप सभी के सामने हैं। इस ब्लॉग में अगर कोई कंटेंट ऐसा लिख गया हो जो आपकी नजर से गलत या ना लिखने लायक हो तो कृपया नीचे दिए गए कंमेंट बॉक्स में अवश्य बताइयेगा। बाकी कोई त्रुटि हो गई हो तो उसके लिए तहे दिल से क्षमा प्रार्थीं हूँ। 
आपका - सुधीर उपाध्याय 


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Wednesday, February 10, 2010

आयराखेड़ा यात्रा

UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

साधना की शादी में - आयराखेड़ा यात्रा



 

FEB 2010,

    आज दस तारीख थी और आज मेरी प्रिय ममेरी बहिन साधना की शादी है। मैं साधना को प्यार से बहना कहकर बुलाता हूँ,  मुझे अच्छा लगता है और साधना को भी। हालाँकि उसकी शादी आगरा में ही हो रही है और शाम को बारात भी आगरा से ही आयराखेड़ा जायेगी परन्तु मुझे बारात से पहले ही वहां पहुँचना होगा। इसलिए मैं बिना देर किये मंगला एक्सप्रेस से मथुरा पहुंचा। यहाँ कासगंज से मथुरा वाला रेलखंड अभी हाल ही में मीटरगेज से ब्रॉडगेज में बदला गया है इसलिए यहाँ नई गाड़ियों का उदघाटन हो रहा था। पहली थी मथुरा से छपरा तक जाने वाली एक्सप्रेस गाड़ी और दूसरी कासगंज से मथुरा पैसेंजर। 

    मैं इस फूलमाला से लदी नई ट्रेंन से राया पहुँचा और फिर वहाँ से आयरा खेड़ा पहुँचा। जैसा कि अपनी पिछली पोस्ट में बता चुका हूँ कि आयराखेड़ा मेरी माँ का गॉव है और मेरी ननिहाल है। मैं जब यहाँ पहुँचा तो साधना मुझे देखकर बहुत खुश हुई। आज बारात आनी थी इसलिए उसकी तैयारी भी करना जरूरी थी। मैं साधना के बड़े भाई धर्मेंद्र शर्मा जिन्हें मैं हमेशा अपने सगे बड़े भाई के रूप में ही मानता आया हूँ उनके साथ बाइक से मुरसान की तरफ निकल गये और कुछ सामान लेकर वापस आये। रास्ते में मैं सोचता आ रहा था कि जिंदगी में कभी कभी ही ऐसे मौके आते हैं जब हम एक साथ होते हैं और साथ घूमते हैं। इसवक्त ना किसी नौकरी की कोई टेंशन होती है और नाही किसी दूसरी बात की कोई फ़िक्र। 

    मैं जब भी आयराखेड़ा जाता हूँ अपनी सारी टेंशनों को भूलकर दिल से यहाँ भरपूर एंजॉय लेता हूँ। यहाँ रहने  वाला हर शख़्स मुझे बहुत मानता है और मेरी इज़्ज़त भी करते हैं। मैं इन लोगों के साथ अपनी जिंदगी के हर सुखदुख को शेयर करता हूँ। आज तो मेरी प्रिय बहिन की शादी है मुझे इस बात का इतना दुःख नहीं था कि वो आज हमेशा के लिए आयराखेड़ा से अपने घर जाने वाली थी बल्कि ख़ुशी इस बात की थी कि आज वो मेरे शहर आगरा में जा रही थी यानी कि मेरे पास ही आने वाली थी। शाम को बारात आ गई, नोहरे की गली में ही बफर सिस्टम का प्रोग्राम था। बारात ने नाश्ता और दावत खाने के बाद इस गॉव से आगरा के लिए विदाई ली और बाकी लड़के वालों के कुछ गिने चुने सदस्य ही यहाँ रह गए। 

    मेरी प्रिय मीरा मौसी भी यहाँ शादी में अपने पति के साथ आई हुई थी। गोपाल, जीतू और धर्मेंद्र भैया यही तो सब मेरे बचपन के साथी थे। इनमें गोपाल और मुझे छोड़कर सभी की शादी हो चुकी है और यह अब अपनी बचपन की जिंदगी को भूलकर अपने परिवार के लिए जी रहे हैं यही तो जिंदगी है जिसमे भूतकाल के लिए कोई जगह नहीं होती। सिर्फ आगे बढ़ने का ही नाम जिंदगी है। साधना भी अब बचपन की यादों को दिल में लेकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रही है। मैं ईश्वर से कामना करता रहा कि मेरी बहिन को उसके यहाँ वो सारी खुशियाँ मिलें जो उसे नहीं मिल पाईं थीं और फिर वो जहाँ जा रही है वहां हर पल उसके साथ मैं रहूँगा ही। 



बाद रेलवे स्टेशन 

मथुरा जंक्शन पर एक केबिन 


मथुरा छपरा एक्सप्रेस का उदघाटन 

नई मथुरा कासगंज पैसेंजर 

धर्मेंद्र भैया सोनाई रेलवे स्टेशन पर 

सोनई 

अनिल उपाध्याय और धर्मेंद्र भैया 


साधना - शादी से पहले 


भात पहनाते ब्रजेश मामा 

शादी में वीके 

शादी वाली रात साधना 

अपने पुत्र सनी के साथ भाई 

शादी की हार्दिक शुभकामनायें 

बफर सिस्टम 

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