आगरा की एक दिवसीय यात्रा और कल्पना का जन्मदिन
5 जून 2023
आज 5 जून है यानी मेरी पत्नी कल्पना का जन्मदिवस। इसलिए आज हमने इस दिन को विशेष बनाने के लिए अपने पूर्व गृहनगर आगरा को चुना। वैसे भी काफी समय बीत चुका था, अपने पूर्व गृहनगर आगरा गए हुए।
दरअसल मैं बचपन से ही आगरा में रहा हूँ, वहां हम आगरा कैंट रेलवे स्टेशन के समीप रेलवे कॉलोनी में रहते थे क्योंकि मेरे पिताजी वहां रेलवे में कार्यरत थे। आगरा में रहकर ही मैंने बहुत कुछ सीखा और अपनी शिक्षा पूरी की। युवावस्था में मेरा विवाह मथुरा निवासी कल्पना से हुआ और उसे पत्नी के रूप में पहली बार मैं आगरा ही लेकर आया। इसप्रकार आगरा शहर मेरे और कल्पना के लिए विशेष महत्त्व रखता है। यहाँ आकर हमारी वो समस्त पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं।
हम अपनी बाइक से ही मथुरा से आगरा के निकल पड़े। यह दूरी 50 किमी के लगभग थी जिसे पूरा करने में मात्र एक घंटा काफी है। स्प्लेंडर एक अच्छी बाइक होने के साथ साथ अच्छा माइलेज भी देती है, अतः हमें आगरा पहुँचने में ज्यादा विलम्ब नहीं हुआ। आगरा - मथुरा के बीच रैपुरा नामक स्थान है, यह दोनों नगरों का मध्य केंद्र भी है अतः यहाँ हम थोड़ी देर रुके और गन्ने का जूस पिया क्योंकि यह ग्रीष्म ऋतू है और इस ऋतू में जितना भी शीतल पेय लिया जाए, फायदेमंद ही होता है।
इस स्थान से एक बाईपास रोड भी गुजरता है जो आगरा शहर को बाईपास करता है। यह दिल्ली - कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग को आगरा - मुंबई राजमार्ग से जोड़ता है। अतः धौलपुर , ग्वालियर की तरफ जाने के लिए यह मार्ग उपयोगी है। इसी मार्ग के पुल के नीचे हम गन्ने का जूस पीकर थोड़ी देर रुके और फिर अपने पुराने नगर की तरफ बढ़ चले।
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मेरे सफर के साथी |
आगरा कैंट पहुंचकर सर्वप्रथम हमने अपने उस रेल आवास को देखा जहाँ कभी कल्पना प्रथम बार अपने मातापिता का घर छोड़कर अपने नए घर में आई थी। इस समय इस रेल आवास में कोई अन्य रेल कर्मचारी निवास कर रहे थे। हमें यूँ घर की तरफ देखते हुए उन्होंने हमसे इसका कारण पूछा तो कारण जानने के बाद वह बहुत प्रसन्न हुए और अनजान होते हुए भी उन्होंने हमें अंदर बुलाया।
काफी सालों बाद आज अपने पुराने घर को देखकर मन में बचपन की यादें और वैवाहिक यादें एक बार फिर से ताजा हो गईं। यह आज भी वैसा ही था जैसा हम इसे छोड़कर गए थे, इस घर की हरेक जगह से मेरी यादें जुडी हुईं थी। मैंने इस घर के नए मालिक का आभार व्यक्त किया और उन्हें धन्यवाद कहकर हम आगरा के शाहगंज बाजार की तरफ बढ़ चले।
आगरा में शाहगंज एक बड़ा बाजार है जो आगरा कैंट के नजदीक ही है। शाहगंज के समीप कोठी मीना बाजार का बड़ा मैदान है। इस मैदान में हमेशा कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है जैसे कभी यहां सर्कस चलता है या काफी यहाँ हस्त शिल्प बाजार लगता है।
अभी फ़िलहाल यहाँ डिस्नी लैंड मेला चल रहा था। यह अधिकतर गर्मियों के दिनों में ही यहाँ लगता है। अभी जून का महीना है इसलिए हमें यह यहाँ देखने को मिला। मैंने इस मेले की दो टिकट लीं और कल्पना को यह मेला दिखाया।
इस मेले में अनेकों दुकाने और झूले लगे थे, एक दो झूलों पर हम भी झूले और एकबार पुनः बचपन की मस्ती में खो गए। अब शाम करीब हो चली थी और दिन ढलने की कगार पर था अतः एक दो घंटे यहाँ घूमने के बाद अब हम अपने वर्तमान नगर मथुरा की ओर प्रस्थान कर गए।
डिस्नी लैंड मेला देखने के बाद हम मथुरा की तरफ प्रस्थान कर चुके थे किन्तु अभी हमारी यात्रा समाप्त नहीं हुई थी। आज कल्पना का जन्मदिन था इसलिए मैं इस शाम को भी विशेष बनाना चाहता था अतः हम मथुरा से पहले ही मैकडॉनल्ड के रेस्रोरेन्ट पहुंचे और यहाँ शाम का भोजन किया। कल्पना को आज का दिन बहुत ही अच्छा लगा और वह बहुत खुश थी। मैंने उसके चेहरे पर यही ख़ुशी देखना चाहता था। इस प्रकार हमने आज के दिन को एक यात्रा का रूप दे दिया और कल्पना का बर्थडे भी मन गया।
धन्यवाद
🙏
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