Sunday, August 5, 2018

Pinahat Fort


चम्बल किनारे स्थित -  पिनाहट किला

पिनाहट किला 


    आज मेरा जन्मदिन था और आज सुबह से बारिश भी खूब अच्छी हो रही थी इसलिए आज मैं कहीं घूमने जाना चाहता था इसलिए मैंने भिंड में स्थित अटेर दुर्ग को देखने का प्लान बनाया। परन्तु मैं वहाँ अकेला नहीं जाना चाहता था इसलिए मैंने अपने साथ किसी मित्र को ले जाने के बारे में सोचा। आगरा में मेरे एक मित्र भाई है जिनका नाम है राजकुमार चौहान, मैंने आज कई सालों बाद उन्हें फोन किया तो मेरा फोन आने पर उन्हें कितनी ख़ुशी हुई ये मैं बयां नहीं कर सकता। उनके पास मेरा नंबर नहीं था और आगरा से मथुरा आने के बाद मैंने उनके पास कभी फोन नहीं किया, आज अचानक मेरा फोन आने से वो बहुत खुश हुए। 


      मैंने उन्हें अपनी यात्रा के बारे में बताया, वो ख़ुशी ख़ुशी मेरे साथ चलने के लिए राजी हो गए। मैं आगरा पहुँचा और खेरिया मोड़ के पुल पर आज काफी सालों बाद मेरी राजकुमार भाई से मुलाकात हुई। हम दोनों आगरा कैंट पर पहुंचे और मैंने उन्हें यहाँ बताया कि हमें अटेर की तरफ जाना है। अटेर का नाम सुनकर वो थोड़े हैरान हो गए पर आज पूरा दिन हम एकसाथ रहने वाले थे इसलिए चलने को राजी भी हो गए। अपना काम छोड़कर आज मेरे साथ वो इस यात्रा पर जा रहे थे, घूमने के विचार से नहीं बल्कि अपने दोस्त की ख़ुशी के लिए यही एक सच्ची मित्रता का उदहारण है। 

    बारिश का मौसम हो चला था और आगरा कैंट से जो रास्ता सीधे ताजमहल की तरफ जाता है हम उसी पर चले जा रहे थे। कुछ देर बाद हमारी बाइक ने आगरा को काफी पीछे छोड़ दिया और ताजमहल की तरफ जाने वाले दुसरे रास्ते को भी और हम उसी रास्ते पर बढ़ते रहे। फतेहाबाद के नजदीक पहुंचकर भाई ने देखा कि रोड के दोनों तरफ अमरुद वाले फड़ लगाकर बैठे हुए हैं, भाई का मन मुझे अमरुद खिलाने का था इसलिए मैंने बाइक को थोड़ी देर यहाँ रोककर अमरूदों का लुफ्त उठाया। काले घने बादल आसमान में छाए हुए थे  हमारे दोनों तरफ अमरूदों के बाग़ थे और सामने फतेहाबाद का प्रवेशद्वार था। फतेहाबाद पार करके हम अरनोटा पहुँचे। मैं यहाँ काफी साल पहले भी आ चुका था इसलिए मैं जानता था कि यहाँ से एक रास्ता पिनाहट के लिए दाईं तरफ मुड़ जाता है हम रेलवे लाइन पार करके पिनाहट की तरफ बढ़ चले। 

     अब हम भदावर क्षेत्र में आ चुके थे, आगरा कोसों पीछे रह गया था परन्तु जिले के रूप में अभी भी हमारे साथ था। चम्बल नदी के किनारों के बीहड़ों में बसा पिनाहट आगरा जिले का आखिरी क़स्बा है, इससे आगे चम्बल नदी है जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा रेखा भी है। चम्बल के इस पार जहाँ अभी हम थे उत्तर प्रदेश था और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश का जिला भिंड। सबसे पहले हम पिनाहट के किले पर पहुंचे, ये किला आज पूर्ण रूप से खंडहरों में तब्दील हो चुका है यहाँ के निवासी इसके ऐतिहासिक पत्थरों को सिर पर उठाकर अपने अपने घरों को ले जा रहे थे क्योंकि यह किला पुरातत्व विभाग के अधीन नहीं है और नाही इसे किसी का संरक्षण प्राप्त है। मुझे बहुत दुःख होता है अपनी ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों को इस तरह से नष्ट होते हुए देखकर। एक समय में यह किला कभी भदावर राज्य की शान  हुआ करता था, पिनाहट नगर की पहचान भी इसी किले की वजह से ही थी और आज यह वक़्त की मार झेल रहे इस किले को कोई अपना कहने वाला ही नहीं बचा। 

    14 वीं शताब्दी में पिनाहट किला, भदावर राज्य की राजधानी था। यहाँ के राजा चन्द्रसेन थे जिन्होंने पिनाहट को अपनी राजधानी बनाकर इस किले को पूर्ण रूप से सुदृढ़ बनाया। यहाँ एक बारादरी भी हमने देखी जिसके बारे में कहा जाता है कि भदावर राजाओं का दरबार इसी बारादरी में लगा करता था। यह किला काफी मजबूत था इसलिए यह आज भी भीना किसी संरक्षण के अपनी अवस्था में सुदृढ़ खड़ा है पर यहाँ के निवासी अपने ही शहर  विरासत नष्ट करने में लगे हुए हैं। 

      किले को घूमने के बाद हम अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ चले। पिनाहट के निकलते ही चम्बल के बीहड़ शुरू हो जाते हैं और इन बीहड़ों में से होते हुए हम चम्बल के किनारे पहुंचे। पिछली बार जब मैं यहाँ आया था तब मैं अकेला था और मुझे काफी डर सा भी लगा था किन्तु आज भाई मेरे साथ थे इसलिए आज डर नाम की कोई चीज मेरे जेहन में न थी। पहले यहाँ पीपों का बंधा हुआ पुल था किन्तु अब वो पुल यहाँ नहीं था उसकी जगह एक बड़ी से नाव थी जिसमे आने जाने वाले यात्री इस पार से उस पार चम्बल को पार करते हैं। अटेर जाने के  लिए हमें चम्बल को पार करना जरूरी था पर मैंने ये सुना कि नाव में केवल पैदल यात्री ही जा सकते हैं बाइक नहीं तो मेरा अटेर जाने का प्लान यहीं समाप्त हो गया और हमने किसी अन्य जगह जाने का विचार बनाया। 

फतेहाबाद रोड, आगरा 

अमरुद खरीदते राजकुमार भाई 

पिनाहट की ओर 
पिनाहट में एतिहसिककालीन एक मंदिर 

यह भदावर राजाओं ने बनवाया था 

पिनाहट किले की ओर 

किले का मुख्य द्धार 

पिनाहट किले का मुख्य द्धार 

द्धार के बराबर से एक रास्ता 

पिनाहट किले के प्रथम दर्शन 


पिनाहट किले की दीवार 

पिनाहट किला 

पिनाहट किले की एक मीनार 

पिनाहट किले में बारादरी 

पिनाहट किला 

पिनाहट किला 

पिनाहट किला 

पिनाहट किला 

पिनाहट किले में राजकुमार भाई 

पिनाहट किला 

पिनाहट किला 

पिनाहट 

पिनाहट किला 

पिनाहट  मीनार 

किले से पत्थर ले जाते यहाँ के निवासी 

पिनाहट किले का एक दृश्य 

पिनाहट किले की दूसरी मीनार 

पिनाहट किले की दूसरी मीनार 

पिनाहट किले की एक मीनार 

पिनाहट किला 

पिनाहट किला 

चम्बल के बीहड़ 

पिनाहट निवासी 

चम्बल के नजदीक 

राजकुमार भाई 

चम्बल नदी, पिनाहट 

उत्तर प्रदेश का जल सयंत्र, चम्बल नदी पिनाहट 

नाव की प्रतीक्षा में भाई 

राजकुमार चौहान, चम्बल के किनारे पर 

सुधीर उपाध्याय चम्बल के किनारे पर 

मध्य प्रदेश से सवारियाँ लाती एक नाव 


पीपों के पुल का एक भाग 

वापस पिनाहट की तरफ 

यात्रा की पसंदीदा चॉइस, कुछ तूफानी हो जाये 

सुधीर उपाध्याय पिनाहट में 
अगली यात्रा : - यमुना किनारे स्थित नौगँवा किला  

1 comment:

  1. पिनाहट कई बार जा चुका हूँ, चंबल में नहाए भी है इस पार और पीपे का पुल पार करके उस पार भी । अब कई साल हो गए यहाँ आये हुये । पिनाहट के किले के बारे में कभी नही सुना आपकी पोस्ट से जानकारी प्राप्त हुई ।
    पिनाहट की खोये की गुजिया बहुत प्रसिद्ध है ।

    अच्छी लगी आपकी पोस्ट और चित्र ।

    ReplyDelete

Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.