Showing posts with label लोहागढ़ दुर्ग. Show all posts
Showing posts with label लोहागढ़ दुर्ग. Show all posts

Saturday, September 8, 2018

Lohagarh Fort




लोहागढ़ दुर्ग की एक यात्रा

लोहिया गेट, भरतपुर 


     मथुरा शहर से थोड़ी दूरी पर राजस्थान में भरतपुर शहर है जिसे लोहागढ़ के नाम से भी जाना जाता है, इसका प्रमुख कारण है यहाँ स्थित मजबूत दीवारों वाला किला जो हमेशा ही अजेय रहा। दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाला और हमेशा ही उनकी पहुँच दूर रहने के कारण ही इसे अजेय कहा जाता है। भरतपुर रियासत जाट राजाओं का प्रमुख गढ़ है और यहाँ बना हुआ यह किला उनकी सुरक्षा और विजय का मुख्य कारण रहा है।

     कहा जाता है इस किले की दीवारें लोहे के समान मजबूत हैं इसी वजह से इसे लोहागढ़ कहा जाता है। भरतपुर जाने वाली सरकारी बसें भी लोहागढ़ आगार के नाम से ही चलती हैं। अनेकों आक्रमण सहने के बाद भी यह किला आज भी अपनी उचित अवस्था में खड़ा हुआ है। भरतपुर को राजस्थान का पूर्वी सिंह द्धार  या प्रवेश द्धार भी कहा जाता है। 

     भरतपुर की स्थापना रुस्तम जाट द्वारा की गई थी, सन 1733 में महाराजा सूरजमल ने इस पर अधिकार कर लिया और नगर के चारों ओर एक सुरक्षित चारदीवारी का निर्माण करवाया। इसलिए भरतपुर का मुख्य संस्थापक महाराजा सूरजमल को माना जाता है और लोहागढ़ दुर्ग का निर्माणकर्ता भी। चूँकि भरतपुर का अधिकांश क्षेत्र ब्रजभूमि के अंतर्गत शामिल है इसलिए ब्रज और उसके आसपास के क्षेत्र पर महाराज सूरजमल का राज होने कारण शत्रुओं ने कभी इसतरफ अपना रुख करना उचित नहीं समझा और जिन्होंने इस तरफ रुख किया वो कहीं और रुख करने लायक ही नहीं रहे इसलिए महाराजा सूरजमल को जाट जाति का प्लेटो या अफलातून भी कहा जाता है।