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Tuesday, March 24, 2020

SANCHI AND CANCER TROPIC


साँची के स्तूप और कर्करेखा 



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    अपनी कलिंग विजय के दौरान जब सम्राट अशोक ने रणभूमि में भयंकर रक्तपात देखा, दोनों ओर की सेनाओं के वीर सैनिकों के शव और चारों ओर मची शोकभरी चीत्कार सुनकर उसका हृदय काँप उठा और मानसिक रूप से विचलित हो उठा। भयंकर रक्तपात और नरसंहार ने उसका सुकून छीन सा लिया था। एक राजा के लिए युद्ध लड़ना आवश्यक नहीं बल्कि उसकी मजबूरी होता है फिर चाहे वो युद्ध साम्राज्य वाद के लिए हो, अपने राज्य की रक्षा के लिए हो या फिर किसी राज्य को लूटने के उद्देश्य से हो परन्तु सम्राट अशोक के लिए इस युद्ध के पीछे क्या कारण था यह अज्ञात है किन्तु इस युद्ध के बाद उसका हृदय परिवर्तित हो गया और उसने हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिंसा का मार्ग अपनाया और जिस धर्म ने उसे अहिंसा का मार्ग दिखलाया वह था बौद्ध धर्म। जिसकी शुरआत सम्राट अशोक ने साँची का स्तूप बनवाकर की।