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कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 5
श्री अनंत पद्यनाभस्वामी मंदिर - तिरुवनंतपुरम
28 जून 2023
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम का नाम यहाँ स्थित श्री अनंत पद्नाभस्वामी मंदिर के नाम से लिया गया है। तिरुवनंतपुरम में तिरु अर्थात श्री विष्णु, अनंत अर्थात शेषनाग और पुरम अर्थात नगरी, श्री विष्णु और शेष नाग जी का धाम। मान्यता है कि पृथ्वी पर सर्वप्रथम भगवान श्री विष्णु की मूर्ति यहीं पाई गई थी। अतः शेष शैया पर लेटे हुए भगवान विष्णु की इस विशाल मूर्ति को प्राचीन काल में उसी स्थान पर स्थापित किया जहाँ आज वर्तमान में है।
श्री अनंत पद्नाभ स्वामी का मंदिर केरल और द्रविड़ शैली का मिश्रित रूप है। यहाँ का गोपुरम द्रविड़ शैली में निर्मित है और मुख्य मंदिर केरल शैली का एक अनुपम उदाहरण है। मंदिर के अंदर अष्टधातु के स्तम्भ हैं जिनपर सुन्दर कारीगरी देखने को मिलती है।
हजारों जलते हुए दीपों से मंदिर की रौशनी बनी रहती है और मंदिर के गर्भगृह में शेष शैय्या पर लेटे हुए भगवान श्री विष्णु के दिव्य दर्शन होते हैं। मंदिर में सिर्फ हिन्दू लोगों का प्रवेश ही मान्य है इसके अलावा यहाँ पुरुष और महिलाओं के लिए सिर्फ धोती पहनकर ही दर्शन करने की परंपरा है।
मंदिर का निर्माण तो प्राचीन काल से है किन्तु समय समय पर इस मंदिर की देख रेख होने के वजह से आज यह केरल राज्य का मुख्य तीर्थ स्थान है। सत्रहवीं शताब्दी में त्रावणकोर के महाराज श्री मार्तण्ड वर्मा ने इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया था। वर्तमान में भी त्रावणकोर राज परिवार के लोग ही इस मंदिर की देख रेख करते हैं।
इस मंदिर की महत्ता यहीं समाप्त नहीं होती, वर्तमान में कुछ साल पहले इस मंदिर के तहखानों से लाखों करोड़ों रूपये का खजाना मिला है। माना जाता है कि मंदिर के नीचे सात तहखाने हैं जिनमें से एक तहखाना खुलना बाकी है क्योंकि उसपर भारतीय सर्वोच्च न्यायलय ने रोक लगा दी है।