UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
खजुराहो के पर्यटन स्थल - अनमोल भारतीय विरासत
कोरोनाकाल और घुमक्कड़ी
इस वर्ष जब पूरे देश में लॉक डाउन लगा, तो इतिहास में पहली बार भारतीय रेलों के पहिये थम गए। सभी शहर और गाँव, बाजार एवं यातायात तक बंद हो चुका था। लोग कोरोना जैसे वायरस से बचने के लिए अपने ही घरों में कैद हो चुके थे। देश की आर्थिक व्यवस्था पूर्ण रूप से डूबने लगी थी। परन्तु इस सबका पर्यावरण पर बेहद गहरा प्रभाव पड़ा था, नदियों का जल एक दम स्वच्छ होने लगा था। अब शुद्ध वायु का प्रभाव साफ़ दिखलाई पड़ता था। इस बीच हम जैसे घुमक्कड़ लोगों की यात्रायें भी स्थगित हो गईं क्योंकि घर से बाहर निकलना, सरकार के आदेशों का उल्लंघन करना था।
सभी यातायात के साधन बंद थे, तीर्थ स्थान अनिश्चितकालीन बंद कर दिए गए थे। सभी ऐतिहासिक स्मारक भी पूर्ण रूप से बंद हो चुके थे और इसके अलावा गैर राज्य में जाना तो दूर अपने नजदीकी शहर में भी जाने पर सख्त प्रतिबन्ध था। इसलिए 24 मार्च 2020 से जून 2020 तक हम सभी अपने अपने घरों में बंद रहे। जून के बाद से सरकार ने देश में अनलॉक जारी कर दिया और भारत की अर्थव्यवस्था धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी। यह हमारे समय का कोरोना काल था जो काफी तबाही मचाकर भी अभी तक शांत नहीं हुआ है।
रेल संचालन और यात्रा प्लान
अभी हाल ही में भारतीय रेलों का पुनः संचालन धीरे धीरे शुरू होने लगा था, दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के लिए ट्रेनें स्पेशल नंबर के साथ शुरू हो चुकी थीं। इस बार रेल के सामान्य श्रेणी के कोच में भी आरक्षण की सुविधा उपलब्ध थी और ग़ैर आरक्षित टिकट अभी भी प्रतिबंधित थी। रेलवे ने कुरुक्षेत्र से मथुरा आने वाली ट्रेन को खजुराहो तक बढ़ा दिया था जो कि मध्य प्रदेश का एक मुख्य ऐतिहासिक स्थल है और यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में दर्ज है।
मैं पहले भी कई बार यहाँ जाने के रिजर्वेशन करवा चुका था किन्तु कभी जाने का मौका नहीं मिला पाया। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर जो सरकारी अवकाश रहता है उसी अवकाश को मैंने खजुराहो जाने के लिए चुना और अपने दोस्त कुमार भाटिया जो कि आगरा में ही रेलवे में जॉब करता है, अपने साथ जाने को सहयात्री के रूप में चुना। रेलवे से मिलने वाली सुविधा के अंतर्गत उसने अपना और मेरा रिजर्वेशन दोनों तरफ से इसी ट्रेन में करवा लिया और यात्रा की तारीख आने पर हम खजुराहो की तरफ रवाना हो चले।