Monday, February 8, 2021

KARNATAKA TRIP 2021

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

उत्तरी कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा 

1 जनवरी 2021 से 7 जनवरी 2021 


कर्नाटक का यात्रा प्लान 

कोरोनाकाल के बाद जब यह साल 2020 अपने अंतिम कगार पर थी तब मैंने उत्तर भारत में बढ़ती हुई सर्दी को देखते हुए, दक्षिण भारत की यात्रा के बारे में सोचा। दक्षिण भारत के तमिलनाडू और आंध्रप्रदेश की यात्रा करने के बाद अब मेरा मन दक्षिण भारत के सुन्दर राज्य कर्नाटक की और अग्रसर हुआ। भारतीय इतिहास के हिसाब से कर्नाटक की धरती बहुत ही महत्वपूर्ण है। 

यहाँ की धरती पर अनेक राजवंश हुए जिन्होंने अपने अपने धर्मों के अनुसार यहाँ अनेकों मंदिरों, मठों, गुफाओं और चैत्य विहारों का निर्माण करवाया। इसके अलावा कर्नाटक की धरती पर पुलकेशिन और कृष्णदेव राय जैसे हिन्दू सम्राटों ने हिन्दू धर्म की उन्नति का प्रचार किया। टीपू सुल्तान जैसे वीर योद्धाओं ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से बचाने के लिए वीरगति प्राप्त की। 

 इन सबके अलावा पौराणिक दृष्टि से भी कर्नाटक की भूमि पवित्र है जहाँ भगवान श्रीराम के चरण पड़े और उनकी हनुमान जी से प्रथम भेंट भी यहीं हुई। किंष्किन्धा नगरी, ऋषिमूक पर्वत, पम्पा सरोवर, मातंग ऋषि का आश्रम आदि स्थान कर्नाटक की भूमि पर ही स्थित हैं। इसलिए कर्नाटक पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है। 

चूँकि मेरी कर्नाटक की यह यात्रा ऐतिहासिक स्थलों और यहाँ के प्रमुख राजवंशों की राजधानियों के भ्रमण पर आधारित थी, इसलिए मैंने अपनी यात्रा का कार्यक्रम अपने हिसाब से तैयार किया और अनेकों मित्रों को अपने साथ इस यात्रा पर चलने को आमंत्रित किया, परन्तु यात्रा बहुत दूर और कई दिनों की होने के कारण किसी मित्र ने इस यात्रा पर चलने के लिए सहमति नहीं जताई, इसलिए मुझे यह यात्रा अकेले ही पूरी करनी पड़ी और यकीन मानिये मैंने अकेले होने के बाबजूद भी इस यात्रा को बहुत ही शानदार तरीके से पूर्ण किया और अपने जीवन की यादगार यात्रा बनाया। 

सोलो ट्रैवलर के रूप में 

उमेश पांडे भाई के एक सोलो ट्रैवलर ब्लॉग को पढ़ने के बाद मुझे इस यात्रा के लिए शानदार प्रेरणा मिली और एक सोलो ट्रैवलर के सारे फ़र्ज़ निभाते हुए मैंने अपने घर से इतनी दूर एक अलग राज्य में जहाँ का खान पीन और रहन सहन हमसे भिन्न है और यहाँ तक कि वहाँ की भाषा कन्नड़ जिसे ना मैं पढ़ सकता था और नाही समझ सकता था, आठ दिनों में इस यात्रा को पूर्ण किया। मुझे यहाँ के लोगों से मिलने के बाद काफी अपनापन महसूस हुआ और यहाँ मुझे अनेकों नए मित्र मिले। यहाँ के लोगों के व्यवहार और उनके आतिथ्य सेवाभाव को देखकर मुझे लगा ही नहीं कि मैं अपने घर से इतनी दूर हूँ। किसी भी तरह का छल कपट, धोखाधड़ी, बेईमानी यहाँ के लोगों में देखने को नहीं मिलती है। फिर चाहे वो बेंगलुरु जैसा बड़ा शहर हो या डम्बल और इत्तगि जैसा कोई छोटा गाँव।  

आप किसी भी यात्रा का प्लान बनाकर अपनी यात्रा शुरू करते हैं तो जिस प्रकार आपने अपना यात्रा प्लान तैयार किया है उसी के मुताबिक आपको वह यात्रा पूर्ण करनी चाहिए अन्यथा आप उस यात्रा को अच्छे से पूर्ण करने में अक्षम हो जायेंगे। यह मेरा अपना अनुभव है जो पिछली कई यात्राओं के दौरान मैंने महसूस किया है।

कर्नाटक का ऐतिहासिक महत्त्व 

कर्नाटक की धरती पर नन्द, मौर्य और सातवाहन वंश के राजाओं के बाद बादामी के चालुक्यों का अधिपत्य हो गया जिन्होंने राज्य अनेकों गुफाओं और मंदिरों का निर्माण करवाया। इसी वंश के महान सम्राट पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा के तट पर उत्तर भारत के प्रतापी सम्राट हर्षवर्धन को पराजित किया जिसे एक संधि करके उसका राज्य वापस दे दिया और नर्मदा नदी दोनों सम्राटों के राज्यों की सीमा बन गई। इस प्रकार भारत भूमि पर छटवीं शताब्दी में दो महान सम्राटों का राज्य स्थापित था। बादामी के चालुक्यों के बाद कल्याणी के चालुक्यों का यहाँ आधिपत्य रहा और इसके बाद हैलीबिड के होयसल राजाओं का राज्य रहा जिन्होंने यहाँ वेसर शैली में सुन्दर मंदिरों का निर्माण करवाया। 

13वीं  शताब्दी में इस्लामी आक्रमणकारियों ने होयसल राज्य को नष्ट कर दिया और अब कर्नाटक की भूमि दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बन गई परन्तु शीध्र ही दिल्ली सल्तनत के सामंतों ने अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया और अब यहाँ  एक नई सल्तनत का उदय हुआ जो बहमनी सल्तनत के नाम से भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध है। बहमनी सल्तनत की प्रारम्भिक राजधानी गुलबर्गा थी जिसे बाद में बीदर स्थानांतरित कर दिया गया। तीन शताब्दियों के पश्चात यह सल्तनत भी अनेक भागों में विभाजित हो गई और कर्नाटक में इसके पश्चात बीजापुर के आदिलशाही शासकों का राज्य स्थापित हुआ जिन्होंने यहाँ अनेक महलों, मस्जिदों और मकबरों का निर्माण कराया जिनमें गोलगुम्बज विश्व प्रसिद्ध है। 

भारत भूमि और दक्षिण भारत में बढ़ते हुए मुस्लिम साम्राज्य और हिन्दू राष्ट्र के पतन की ओर जाने के कारण यहाँ हरिहर और बुक्का नामक दो हिन्दू सामंतों ने एक नए वंश की नींव रखी जो आगे चलकर न केवल दक्षिण भारत का वरन समस्त भारत देश का एक विकसित और शक्तिशाली हिन्दू राष्ट्र कहलाया जिसे विजय नगर के नाम से जाना गया। पौराणिक कालीन किष्किंधा नगरी को ही विजय नगर साम्राज्य की राजधानी बनाया गया जिसे आज विश्व पर्यटन स्थल हम्पी के नाम से जाना जाता है। तुंगभद्रा नदी के किनारे बड़े बड़े गोल गोल पत्थरों से सजे इस राज्य में विजय नगर के शासकों ने अनेक मंदिरों और बाजारों का निर्माण कराया। इन मंदिरों में राजा कृष्णदेव राय के द्वारा बनवाया गया विट्ठलनाथ जी का मंदिर मुख्य है जिसमें पत्थर का रथ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। 

विजयनगर साम्राज्य की बढ़ती हुई शक्ति मुस्लिम राष्ट्रों की चिंता का कारण बन गई जिसके फलस्वरूप पाँच इस्लामिक सल्तनतों ने मिलकर इस राष्ट्र पर आक्रमण कर दिया जिसके बाद विजयनगर साम्राज्य पतन हो गया और विजयनगर साम्राज्य की राजधानी को नष्ट भ्रष्ट कर दिया गया। विजय नगर साम्राज्य विरुद्ध जिन पाँच इस्लामिक सल्तनतों ने भाग लिया उनमें बीजापुर, गोलकुंडा, बीदर, अहमदनगर और बरार मुख्य थे जिन्होंने इस युद्ध में मुख्य भूमिका निभाई और विजयनगर के सम्राट रामचंद्र राय को पराजित कर उनका वध कर दिया। भारतीय इतिहास में तालीकोट का यह युद्ध राक्षसी तांगड़ी युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। 

कर्नाटक के इन्हीं ऐतिहासिक राजधानियों और इनके राजवंशों से सम्बंधित स्थानों को देखने के लिए ही मैंने अपनी कर्नाटक यात्रा प्लान की और इसे पूर्ण किया। मैंने इस यात्रा को तेलंगाना के हैदराबाद शहर से शुरू किया और आंध्र प्रदेश के गुंतकल पर पहुंचकर मेरी यह यात्रा समाप्त हो गई। मेरा यात्रा प्लान कुछ इस प्रकार है - 

कर्नाटक के मुख्य राजवंश और उनकी राजधानियाँ   [ मेरी यात्रा अनुसार ]

1. बीदर - बहमनी सल्तनत की राजधानी 

2. बेंगलोर - कर्नाटक राज्य की आधुनिक राजधानी 

3. बादामी  - वातापि के चालुक्यों की राजधानी 

4. मालखेड - राष्ट्रकूट राजाओं की राजधानी   

5. गुलबर्गा - बहमनी सल्तनत की प्रारम्भिक राजधानी 

6. बीजापुर - आदिलशाही सल्तनत की राजधानी 

7. हम्पी - विजयनगर साम्राज्य की राजधानी 


कर्नाटक में मेरी धार्मिक यात्रा 

1. बीदर  - श्री झरणी नरसिम्हा मंदिर 

2. बेंगलोर - श्री स्वामी सोमेश्वर महादेव 

3. बादामी - बादामी गुफा मंदिर, ऐहोल के मंदिर और पट्टादाकल मंदिर समूह 

4. गुलबर्गा - श्री  सरण बिसवेश्वर जी का मंदिर 

5. अन्निगेरी - श्री अमृतेश्वर महादेव 

6. गदग - श्री त्रिकुटेश्वर मंदिर 

7. डम्बल - डोड्डाबासप्पा मंदिर 

8. लकुंडी - लकुंडी मंदिर समूह और काशी विश्वनाथ मंदिर 

9. इत्तगि - महादेवी मंदिर 

10. कुकनूर - महामाया मंदिर 

11. हम्पी - विरुपाक्ष जी का मंदिर 



कर्नाटक के मुख्य शहरों में मेरी यात्रा 

1. बीदर 

2. बेंगलुरु 

3. बादामी 

4. गुलबर्गा या कलबुर्गी 

5. बीजापुर या विजयापुर 

6. गदग सिटी 

7. कुकनूर एवं कोप्पल 

8. होसपेट 


कर्नाटक के मुख्य ग्रामों में मेरी यात्रा 

1. ऐहोल एवं पट्टादकल 

2. मालखेड 

3. अन्निगेरी 

4. डम्बल 

5. लकुण्डी 

6. इत्तगि 

7. हम्पी 


कर्नाटक के प्रसिद्ध स्थलों का यात्रा प्रोग्राम 

दिनांक स्थान   स्थल   2  4 
31-12-20 हैदराबाद चारमीनार सिकंदराबाद 
1 -1 -21 बीदर किला महमूदगँवा का मदरसा श्री झिरासाहिब गुरुद्वारा बहमनी शासकों के मक़बरे श्री झरणी नरसिम्हा मंदिर 
2 -1 -21 बेंगलोर 
किला टीपू सुल्तान समर प्लेस कर्नाटक की विधान सभा लालबाग़ नम्मा मेट्रो 
3 -1 -21 
बादामी किला बादामी गुफाएँ ऐहोल पट्टादाकल मंदिर समूह भूतनाथ मंदिर 
4 -1 -21 गुलबर्गा किला मालखेड का किला बौद्ध विहार श्री सरन बिसवेश्वर कलबुर्गी शहर 
5 -1 -21  बीजापुर किला गोल गुम्बज इब्राहिम का रोज़ा संगीत नारी महल गगन महल 
6 -1 -21 गदग अन्निगेरी श्री त्रिकुटेश्वर डम्बल लकुंडी इत्तगि 
7 -1 -21 विजय नगर होसपेट हम्पी किष्किंधा तुंगभद्रा नदी विरुपाक्ष मंदिर 
8 -1 -21 गुंतकल रेलवे स्टेशन 



MY TRAVEL SCEDULE FOR KARNATAKA TRIP 2021


DATE FROM TOBY
30 DEC 20 MATHURA   HYDRABAD TELANGANA  SPECIAL
1 JAN 21SCUENDRABADBIDARBIDAR SPECIAL
1 JAN 21BIDAR YASHWANTPUR BIDAR - YASHWANTPUR SPECIAL 
2 JAN 21KSR BENGALURU BADAMIGOL GUMBAZ SPECIAL
3 JAN 21BADAMICHITTAPURHUBLI - HYDRABAD SPL.
4 JAN 21KALBURAGIVIJYAPURHYDRABAD - HUBLI SPL.
5 JAN 21VIJYAPURHOTTGI JN.HUBLI - SOLAPUR PASSENGER
5 JAN 21HOTTGI JN.ANNIGERIHYDRABAD - HUBLI SPL.
6 JAN 21ANNIGERIGADAG JN.HUBLI - BELLARI PASSENGER
6 JAN 21GADAGHAMPIKSRTC BUS
7 JAN 21HOSPETEGUNTKAL JN.HAMPI SPECIAL
8 JAN 21GUNTKAL JN.MATHURAKARNATAKA SPECIAL



कर्नाटक यात्रा से सम्बंधित यात्रा विवरणों के मुख्य भाग :-
 
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2 comments:

  1. बहुत सुंदर ऐसे ही लिखते रहो

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  2. सुंदर यात्रा व्रतांत

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