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कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर भाग-2
मथुरा से हैदराबाद - तेलांगना स्पेशल से एक यात्रा
यात्रा दिनाँक - 30 DEC 2020 से 31 DEC 2020
यात्रा की शुरुआत के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।
अभी हाल ही में रेलवे ने तेलांगना एक्सप्रेस का स्पेशल ट्रेन के रूप में संचालन किया है, जिसके कोचों को भी रेलवे ने नया रूप दिया है। इन सबके अलावा इस ट्रेन का समय भी रेलवे ने बदल दिया है जिसकारण मैंने जब से इस ट्रेन में अपना आरक्षण करवाया तब से प्रतिदिन रेलवे की तरफ से मुझे बदले हुए समय को लेकर एक एलर्ट सन्देश प्राप्त होता रहता था और यह तब तक आता रहा जब तक मेरी यात्रा का दिन नहीं आ गया।
तेलांगना एक्सप्रेस नई दिल्ली से हैदराबाद के बीच चलती है और यह एक सुपरफ़ास्ट ट्रेन है जो अपना सफर 25 घंटे में पूरा कर लेती है। इस ट्रेन का नाम पहले आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस था जिसे जन भाषा में ए.पी. एक्सप्रेस ज्यादा कहा जाता था। आंध्रप्रदेश के विभाजन के बाद जब 2014 में तेलांगना नामक नया राज्य बना तो इस ट्रेन का नाम बदलकर तेलांगना एक्सप्रेस कर दिया गया।
तेलांगना एक्सप्रेस का समय अब मथुरा जंक्शन पर शाम को साढ़े पाँच बजे का हो गया है, मैं ऑफिस से 3 बजे ही छुट्टी लेकर घर आ गया और अपनी यात्रा की समुचित तैयारी को एक बार फिर से भली भाँति जाँचा। कल्पना ने मेरी यात्रा के लिए गर्मागर्म पूड़ियाँ और आलू की सूखी सब्जी बनाकर यात्रा भोजन का प्रबंध कर दिया। माँ ने मुझे एकबार फिर से अपने बैग को भली भाँति देखने की सलाह दी कि कहीं मैं कुछ भूल तो नहीं रहा हूँ।
माँ मेरी हमेशा से ही एक अच्छी सहयात्री रही हैं इसलिए उन्हें पता है कि यात्रा के दौरान मुझे भूख भी बहुत लगती है और मैं कुछ ना कुछ भूल भी जाता हूँ। इसबार भी ऐसा ही हुआ जब मैं अपना फास्ट्रैक का चश्मा ही रखना भूल गया था। माँ से आशीर्वाद लेकर अपने पड़ोस में आये जीतू को अपनी बाइक पर बैठाकर मैं रेलवे स्टेशन पहुँचा और जीतू को बाइक देकर उसे घर वापस रवाना किया और मैं प्लेटफॉर्म पर पहुँचा।
सूर्यदेव ढलने की कगार पर थे। मैं अपनी नई गर्म जैकेट पहनकर नहीं आया था क्योंकि मैं जानता था कि जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ मुझे इसकी जरुरत नहीं पड़ने वाली थी। प्लेटफॉर्म 1 पर झेलम स्पेशल आकर खड़ी हुई, आज यह ट्रेन जम्मूतवी की तरफ से बहुत देरी से आई है जबकि यह समय पुणे की तरफ से आने वाली झेलम स्पेशल का है। साढ़े पांच से ऊपर बज चुके हैं, झेलम आगरा की तरफ प्रस्थान कर चुकी है और सचखंड स्पेशल के आने की अनाउंसमेंट शुरू हो चुकी है। शाम का वक़्त है, दिन ढल चुका है और अब प्लेटफार्म पर सर्दी धीरे धीरे शरीर को कंपाने लगी थी। सचखंड के जाने के तुरंत बाद गोवा स्पेशल आकर खड़ी हो गई और हमारी ट्रेन अभी मथुरा जिले की सीमा तक भी नहीं पहुंची थी।
शाम को लगभग साढ़े सात बजे के आसपास, अपने पुराने समय पर तेलांगना स्पेशल मथुरा जंक्शन पहुँची। हमारा कोच नंबर S5 है जिसमें हमने अपनी सीट ग्रहण की। ट्रेन के ये नए कोच बेहद शानदार थे, हवा के साथ साथ ट्रेन के चलने की आवाज भी कोच के अंदर नहीं आ रही थी। मेरी सीट नीचे वाली थी, मेरे नजदीक के सीटों पर झाँसी से मथुरा वृन्दावन घूमने आये एक परिवार के सदस्य भी साथ में बैठे, जिनके पास श्री बाँके बिहारी जी की एक बड़ी तस्वीर भी थी। अपने साथ अपने इष्टदेव को यात्रा करते देख मुझे बहुत ख़ुशी हुई।
वह लोग ब्रज दर्शन की चित्रों वाली किताब में उन स्थानों को देख रहे थे और आपस में कह रहे थे हम यहाँ गए थे , हमसे यह रह गया, हम यहाँ नहीं जा पाए। कितनी अद्भुत लीला है लीलाधर की और भारतीय रेलवे की, इसमें कोई अपनी यात्रा शुरू करता है तो कोई अपनी यात्रा समाप्त करके घर लौट रहा होता है। ख़ैर अपनी यात्रा तो अभी शुरू हुई है। कल्पना की बनाई पूड़ी सब्जी खाकर मैं अपनी सीट पर सो गया।
सुबह सात बजे के लगभग मैं जब जगा तो महाराष्ट्र की खुशबु सी आने लगी थी, मैंने खिड़की से झाँक कर देखा तो संतरों के पेड़ों के खेत दिखाई दे रहे थे। मुझे समझते देर नहीं लगी कि ट्रेन शीघ्र ही नागपुर पहुंचने वाली है। अभी तीगाँव स्टेशन आया है मतलब अभी नागपुर पहुँचने में डेढ़ से दो घंटे लगने वाले थे। अपनी आसपास की सीटों पर जब मैंने नज़रें दौड़ाई तो मेरे सभी सहयात्री बदल चुके थे, ठाकुर जी की तस्वीर वाले यात्री तो कबके झाँसी उतर चुके थे। बस मेरे बराबर वाली नीचे की सीट पर सो रहा व्यक्ति ही मेरे साथ मथुरा से बैठने वाला एकमात्र सहयात्री बचा था, जो भारतीय फौज का जवान लग रहा था और अपनी छुट्टियाँ समाप्त कर वापस अपनी यूनिट लौट रहा था। वह अपनी पत्नी से रात से ही फोन पर बातें करता आ रहा था और अब सुबह सुबह भी उसकी पत्नी ने उसे फोन करके गुडमॉर्निंग कहा होगा।
कहते हैं नागपुर संतरों का शहर है परन्तु यहाँ संतरों का वही रेट है जो अपने मथुरा में है। इसलिए मैंने यहाँ से संतरे नहीं खरीदे, क्योंकि मुझे संतरा ज्यादा पसंद नहीं है और सर्दियों के मौसम में तो बिल्कुल भी नहीं। नागपुर स्टेशन पर एक पुरानी व्हेट स्केल मशीन देखकर मुझे अपना बचपन याद आ गया जब मैं बचपन में इस पर खड़े होकर अपना वजन तौलने की कोशिश करता था, पर यह वजन कैसे दिखाती थी वो आज तक समझ नहीं आया। आज मैंने इस पर अपना वजन तो नहीं तौला, पर याद के तौर पर इसका एक फोटो अवश्य ले लिया। ट्रेन नागपुर से प्रस्थान कर चुकी है। घर की बनी पूड़ी सब्जी खाकर और वेंडर से एक चाय लेकर मैंने अपने सुबह के नाश्ते को पूरा किया।
नागपुर के बाद इस ट्रेन का अगला स्टॉप चंद्रपुर और बल्लारशाह हैं परन्तु फ़िलहाल इसे सेवाग्राम पर रोक दिया गया है। इसके ठीक विपरीत दिशा की तरफ एक ट्रेन सेवाग्राम से रवाना होती दिखाई दी जिसपर लगे बोर्ड को गौर से देखने पर समझ आया कि यह ग्रैंडट्रक स्पेशल है जो चेन्नई से नईदिल्ली जा रही है। इसका शॉर्टकट नाम जीटी एक्सप्रेस है, यह सुबह चार बजे मथुरा पहुँच जाएगी। यह वर्धा जिला है परन्तु हमारी यह ट्रेन वर्धा से बाईपास होकर गुजर जायेगी, वर्धा नहीं जायेगी। ट्रेन में एक बच्चा साइड लोअर सीट पर अपने पिता के साथ सफर कर रहा था, इसे देखकर मुझे मेरे भांजे यश की याद आ गई जो लगभग इसी की तरह ही दिखता है। मैंने इस बच्चे का एक फोटो खींच लिया।
कुछ समय बाद हम महाराष्ट्र के आखिरी जिले चंद्रपुर पहुंचे और बल्लारशाह निकलने के बाद ट्रेन अपने होम टाउन तेलांगना राज्य में प्रवेश कर गई। अभी कागजों का नगर आया है इसे कागज़ नगर कहते हैं इसी का पड़ोसी जिला सिरपुर है, इन दोनों शहरों के लिए एक ही रेलवे स्टेशन है जिसका नाम है सिरपुर कागज़ नगर। भारत में अन्य स्थानों पर भी कुछ ऐसे ही स्टेशन हैं जैसे कि लखीमपुर खीरी, मुड़ेसी रामपुर आदि। मुझे इतने ही याद हैं बाकी कोई और हो तो कृपया कमेंट में अवश्य बताइयेगा।
खैर हम इसके बाद काजीपेट स्टेशन पहुँचे, वारंगल जिले का मुख्य जंक्शन रेलवे स्टेशन है ये। वारंगल ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्त्व रखता है यह प्राचीन काकतीय वंश की राजधानी था जिसके अवशेष अब भी यहाँ देखे जा सकते हैं। मैंने इसे अपनी लिस्ट में संभाल कर रखा है, यहाँ अवश्य आऊंगा।
रामगुंडम निकलने के बाद अब हम हैदराबाद की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं, ट्रेन अपनी रफ़्तार से बस अपने होम स्टेशन की तरफ दौड़े जा रही है। शाम का समय हो चला है, वेंडर साब से शाम की चाय लेकर और नजरे ट्रेन खिड़की पर टिकाकर तेलांगना राज्य का शानदार आनंद जो इस समय आ रहा है बस इसे ही तो महसूस करने और रोज की जिंदगी की भागदौड़ से दूर आकर कुछ सुकून के पल अपने लिए जीने हम यहाँ आये हैं और इसी का नाम सफ़र है।
मंजिलें तो प्यारी होती ही हैं उनसे भी खूबसूरत होते हैं रास्ते और रास्तों से भी आनंददायक होता है सफ़र, बस सफर को एकबार दिल महसूस करने की देर होती है क्योंकि यह इतनी जल्दी ही बीत जाता है जैसे रेत की भरी शीशी से रेत निकल जाता है।
शाम हो चली है, तेलांगना का स्वच्छ व् अतिसुन्दर रेलवे स्टेशनआ चुका है, नाम है सिकंदराबाद। यह हैदराबाद शहर का मुख्य व महत्वपूर्ण जंक्शन रेलवे स्टेशन है। ट्रेन यहाँ लगभग पूर्ण रूप से खाली हो गई। मेरे नजदीक सीटों पर बैठे मेरे सहयात्री भी यहीं उतर गए। मुझे तो हैदराबाद उतरना है जो यहाँ से आगे इस ट्रैन का आखिरी स्टॉप है और साथ ही टर्मिनल स्टेशन है। टर्मिनल मतलब जिससे आगे कोई ट्रैन नहीं जाती और वापसी की राह पर निकल पड़ती हैं। अब ट्रेन हुसैन सागर झील के किनारे से होकर गुजर रही है। हुसैन सागर झील हैदराबाद की सबसे बड़ी और मुख्य झील है। जेम्स स्ट्रीट, संजीविह पार्क, नेकलेस रोड और लकड़ी का पुल जैसे छोटे छोटे सिटी स्टेशन निकलने के बाद अंत में हम हैदराबाद पहुंचे।
हैदराबाद रेलवे स्टेशन बहुत ही साफ़ सुथरा और आधुनिक सुविधाओं से युक्त रेलवे स्टेशन है। यह बिल्कुल भी व्यस्त रेलवे स्टेशन नहीं है क्योंकि यह एक टर्मिनल रेलवे स्टेशन है और चारों तरफ के ट्रैफिक से मुक्त है इसलिए यहाँ इतनी भीड़ भी नहीं होती। इसकी जगह इस काम को सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन करता है जहाँ देश के हर कोने से ट्रेनें आती हैं और इसकी व्यस्तता का कारण बनती हैं।
तेलांगना एक्सप्रेस हैदराबाद के प्लेटफार्म न. 3 पर पहुँची। प्लेटफार्म का फर्श एकदम चमचमा रहा था, मैंने सबसे पहले स्टेशन पर लगे बोर्ड के साथ एक सेल्फी ली और उसवक्त को याद किया जब पहली बार मैं माँ के साथ यहाँ आया था और हमने इसी स्टेशन के वेटिंग रूम में एक रात गुजारी थी। अपनी उन्हीं पुरानी यादों को ताजा करते हुए मैंने फुटओवर ब्रिज को छोड़ स्टेशन के एन्ड पॉइंट की तरफ से प्लेटफार्म 1 पर पहुँचा और बाहर निकलकर उस वेटिंग रूम को देखा जहाँ पिछली बार मैं और माँ रुके थे। तेलंगाना स्पेशल की मेरी यह यात्रा यहाँ पूर्ण हो गई।
परन्तु याद रहे यात्रा अभी जारी है इसलिए जुड़े रहिये मेरे साथ, शीघ्र मिलेंगे अगले भाग में। तब तक के लिए आप सभी को इस भारतीय घुमक्क्ड़ सुधीर उपाध्याय का प्यार भरा नमस्कार 🙏
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मथुरा जंक्शन पर मुसाफ़िर |
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पूर्णिमा के चाँद का दृश्य आगरा शहर में |
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नागपुर पर व्हेट स्केल मशीन |
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BHUGAON RAILWAY STATION |
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CHANDRAPUR RAILWAY STATION |
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ट्रेन में बैठा वह बच्चा |
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KAZIPET RAILWAY STATION |
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welcome to Hyderabad |
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HYDERABAD RAILWAY STATION |
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VIEW OF HYDERABAD RAILWAY STATION FROM END POINT |
अगली यात्रा : - नई साल और हैदराबाद की एक शाम
पुनः आगमन प्रार्थनीय है 🙏
कर्नाटक यात्रा से सम्बंधित यात्रा विवरणों के मुख्य भाग :-
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शानदार लिख रहे हो आप
ReplyDeletenacaZfirpu Annette Daigle https://www.vintedois.net/profile/Automation-Studio-60-Full-Crack-Part-1-EXCLUSIVE-Download/profile
ReplyDeleteramilosa