UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
विजय नगर साम्राज्य और होसपेट की एक रात
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कुकनूर से कोप्पल होते हुए रात साढ़े नौ बजे तक, बस द्वारा मैं होस्पेट पहुँच गया था। बस ने मुझे होसपेट के मुख्य बस स्टैंड पर उतारा था जो कि बहुत बड़ा बस स्टैंड था किन्तु रात्रि व्यतीत करने हेतु मुझे कोई स्थान तो चाहिए था आखिरकार आज मैं सुबह से यात्रा पर था और आज एक ही दिन में अन्निगेरी, गदग, डम्बल, लकुण्डी और इत्तगि की यात्रा करके थक भी चुका था। हालांकि मैंने हम्पी में एक होटल में अपना बिस्तर बुक कर रखा था किन्तु इस वक़्त हम्पी जाने के लिए कोई बस या साधन अभी यहाँ से उपलब्ध नहीं था। मैंने सीधे अपना रुख रेलवे स्टेशन की ओर किया और वहीँ रात बिताने के इरादे से मैं होसपेट रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ चला।
होसपेट बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन एक या दो किमी के आसपास है, इसलिए मैं पैदल ही स्टेशन की ओर जा रहा था। रास्ते में एक अच्छा खाने का रेस्टोरेंट मुझे दिखाई दिया जहाँ तंदूरी रोटियां भी सिक रहीं थीं। आज काफी दिनों बाद मुझे उत्तर भारतीय भोजन की महक आई थी, मुझे भूख भी जोरों से लगी थी, इसलिए मैंने बिना देर किये दाल फ्राई और तंदूरी रोटी का आर्डर दिया। खाना महँगा जरूर था किन्तु बहुत ही स्वादिष्ट था। खाना खाने के बाद मैं रेलवे स्टेशन की ओर रवाना हो चला। होसपेट में एक से एक होटल हैं परन्तु मेरे बजट के हिसाब से कोई नहीं था क्योंकि पिछले आठ दिवसीय कर्नाटक यात्रा में अब मेरा बजट भी समाप्त होने की कगार पर था और जो शेष था उससे मुझे अभी घर भी पहुंचना था इसलिए मैंने होसपेट में कोई कमरा लेना उचित नहीं समझा।
कुछ समय बाद मैं रेलवे स्टेशन पहुंचा। स्टेशन के मुख्य प्रवेशद्वार पर शट्टर गिरा हुआ था जिसका मतलब था स्टेशन बंद हो चुका था। मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा रेलवे स्टेशन देखा था जिसके प्रवेश द्वार पर दुकानों की तरह शटर लगा हुआ था और वो भी बंद। मैंने जीआरपी थाने के बराबर से बने एक रास्ते से स्टेशन के प्लेटफार्म पर पहुंचा तो देखा यहाँ कोई भी एक आदमी नहीं था। चारों तरफ सिर्फ सन्नाटा था, मैंने स्टेशन पर बने वेटिंग रूम के बारे में पता करने की कोशिश की किन्तु यहाँ ना कोई स्टेशन मास्टर था और ना ही कोई टिकट कलेक्टर। पूरा स्टेशन बंद हो चुका था, सभी दफ्तरों के दरवाजे बंद थे, बस कुछ खुला हुआ था तो वो थाना।
मैं थाने पहुंचा तो मुझे बाहर एक पुलिसकर्मी मिला जिसने मुझे बताया कि रात को 9 बजे आखिरी गाडी जाने के बाद स्टेशन बंद हो जाता है। अगली सुबह तक कोई ट्रेन नहीं है अब सुबह ही स्टेशन खुलेगा। मैं परेशान हो गया, अब रात को रुकने का मेरे पास कोई सस्ता विकल्प नहीं बचा था तभी उस पुलिस कर्मी ने मुझे बताया कि तुम बस स्टैंड चले जाओ वहां फर्स्ट फ्लोर पर डोरमेट्री है जहाँ 100/- रूपये में तुम्हें बेड उपलब्ध हो जायेगा और कमरा भी। उसकी इस बात को सुनकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, उसने मुझे वो बता दिया था जो मैं सुनना चाहता था। बिना देर किये मैं बस स्टैंड की तरफ वापस लौटने लगा किन्तु अब पैदल चलने की स्थिति नहीं बची थी और खाना खाने के बाद नींद ने भी मुझे आ घेरा था।
एक ऑटो मुझे स्टेशन के बाहर खड़ा मिल गया जो बस स्टैंड की तरफ ही लौट रहा था, 30/- रूपये में उस ऑटो द्वारा बस स्टैंड वापस लौटने लगा। उस ऑटो वाले ने मुझे होटल में रुकने के काफी ऑफर दिए और बस स्टैंड की डोरमेट्री के लिए कई बार मना किया कि वहां आपको कोई बेड नहीं मिलेगा, मैं आपको अच्छे होटल में सस्ता कमरा दिलवा दूंगा परन्तु मैं ऐसे ऑटो वालों के सारे दावपेच भलीभांति समझता था। मुझपर उसकी बात का कोई प्रभाव नहीं हुआ और अंततः मैं बस स्टैंड पहुँच गया।
मैंने फर्स्ट फ्लोर पर जाकर देखा तो वहां सचमुच डोरमेट्री की सुविधा उपलब्ध थी। डोरमेट्री का संचालक गहरी नींद में सोया पड़ा था, मैंने उसे जगाना उचित नहीं समझा और एक खाली बेड देखकर मैं बिना देर किये सो गया। डोरमेट्री के नजदीक बने बाथरूम में सुबह नहाधोकर मैं तैयार हो गया और डोरमेट्री के संचालक को देखने लगा किन्तु वह कहीं नजर नहीं आया तो बेड का बिना मूल्य चुकाए मैं नीचे आ गया। नीचे आकर मैंने देखा तो पता चला रात को जोरदार बारिश हुई थी। मुझे ख्याल आया कि अगर डोरमेट्री की ये व्यवस्था नहीं होती तो आखिर इस बरसात की रात में, मैं कहाँ सोता। हम्पी जाने वाली एक बस पकड़कर मैं हम्पी के लिए रवाना हो चला।
नारियल के वृक्षों से आच्छादित विजय नगर की यह भूमि अति सुन्दर वातावरण में स्थित है। यहाँ हर तरफ इतिहास को समेटे विजय नगर साम्राज्य के खंडहर और मंदिर नजर आते हैं। ऊँचे नीचे रास्तों पर जगह जगह विजय नगर साम्राज्य का कोई ना कोई अवशेष दिखलाई पड़ता है। गोल गोल चट्टानें रास्तों की शोभा बढाती हैं। केले के अनन्य खेत यहाँ देखे जा सकते हैं और सबसे बढ़कर बारिश के मौसम ने मेरी इस यात्रा को और भी खुशनुमा बना दिया था। कर्नाटक की इस रोडवेज बस ने मुझे हम्पी के विरुपाक्ष मंदिर के समीप उतारा जो यहाँ का सबसे बड़ा और सबसे मुख्य प्राचीन मंदिर है।
हम्पी का मौसम अत्यंत ही सुहावना था, हल्की हल्की बारिश की वजह से विजय नगर की मिटटी में से अलग सी सुगंध आ रही थी, भगवान विरुपाक्ष का अभिषेक आज साक्षात् इंद्रदेव बारिश के रूप में कर रहे थे। मेरे बस से उतरते ही ऑटो वालों ने मुझे घेर लिया और हम्पी घुमाने के तरह तरह के ऑफर मेरे समक्ष पेश किये किन्तु मैं जानता था कि यहाँ बाइक और साइकिल की रेंट पर मिलने की सुविधा उपलब्ध है और बाइक या साइकिल से मैं अपने हिसाब से हम्पी घूम सकता हूँ, इसलिए मैंने ऑटो वालों के ऑफरों को ठुकरा दिया और विरुपाक्ष मंदिर के समीप स्थित एक चाय वाली ठेल पर चाय पीने पहुंचा।
चाय पीते हुए ही मैंने चाय वाली महिला से रेंट पर मिलने वाली बाइक या साइकिल के बारे में पूछा तो उसने बताया कि यहाँ ऐसी अनेकों दुकानें हैं जहाँ से आपको बाइक अथवा साइकिल आसानी से रेंट पर मिल जाएगी। विरुपाक्ष मंदिर के पीछे तुंगभद्रा नदी बहती है जिसके किनारे पर ही हम्पी नामक एक छोटा सा गाँव स्थित है। इस गाँव में यहाँ आने वाले पर्यटकों हेतु अनेक तरह की दुकानें, गेस्ट हाउस और होम स्टे बने हुए हैं, इसी गाँव में रेंट पर मिलने वाली बाइक और साइकिल की दुकानें भी हैं। इन्हीं में से एक दुकान से मैंने 100/- प्रतिदिन के हिसाब से एक माउंटेन बाइक ( साइकिल ) किराये पर ली और अपना बैग भी इन्हीं दूकानदार के पास रख दिया।
मैं सर्वप्रथम किष्किंधा नगरी घूमना चाहता था जो वर्तमान में अणिगोण्डी के नाम से जाना जाता है और तुंगभद्रा नदी के दूसरी ओर है। हम्पी से किष्किंधा अथवा अणि गोण्डी जाने के लिए नदी पर कोई पुल नहीं बना है, यहाँ सिर्फ फैरी की सुविधा उपलब्ध है मतलब आप अपनी बाइक या साइकिल को नाव में रखकर नदी के दूसरी ओर जा सकते हो। पुल की सुविधा यहाँ से काफी दूर है। मैं अपनी साइकिल लेकर तुंगभद्रा नदी के किनारे पहुंचा, जहाँ से किष्किंधा जाने के लिए फैरी मिलती है किन्तु दुर्भाग्य से आज यह सेवा बंद थी। इसलिए मैं सर्वप्रथम किष्किंधा को छोड़ मतलब हम्पी देखने निकल पड़ा।
विजय नगर अथवा हम्पी के बारे में गहनता से जानने के लिए हमें इसके इतिहास में जाना पड़ेगा इसलिए मैं संक्षेप में इसके इतिहास के बारे में आपको अगले भाग में अवगत कराऊँगा जिससे आपको हम्पी घूमने और देखने में अच्छा और आसान लगेगा।
क्रमशः ....
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VIEW OF TUNGBHDRA RIVER IN HAMPI |
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RISHIMUKH HILL AND TUNGBHDRA RIVER |
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VIEW OF ANJANEY HILL |
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TUNGBHDRA RIVER |
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RISHIMUKH HILL |
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VIJAY NAGAR STONE HILL |
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VIJAY NAGAR AS HAMPI |
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HAMPI |
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HAMPI |
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HAMPI |
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HAMPI |
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MATANGA HILL IN HAMPI |
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MATANGA HILL IN HAMPI |
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VIEW OF HAMPI |
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HAMPI ROAD |
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SHIVLING IN BANK OF TUNGBHDRA RIVER IN HAMPI |
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RISHIMUKH HILL |
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TUNGBHDRA RIVER |
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VIEW OF VIJAY NAGAR |
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KISHKINDHA FAIRY ROUTE - HAMPI |
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VIEW OF RISHIMUKH HILL & TUNGBHDRA RIVER |
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HAMPI ROAD |
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SUDHIR UPADHYAY IN HAMPI WITH RENTED BIKE |
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SUDHIR UPADHYAY AND RISHIMUKH HILL |
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WELCOME TO HAMPI |
यात्रा अगले भाग में जारी ...
कर्नाटक यात्रा से सम्बंधित यात्रा विवरणों के मुख्य भाग :-
बहुत सुदर लेख और चित्र, कम से कम एक बार तो हम्पी जाना बनता हैं...धन्यवाद राम राम
ReplyDeleteजी धन्यवाद, हम्पी अवश्य जाइये, बहुत ही सुंदर स्थान है
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रण
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