Sunday, April 18, 2021

LAKUNDI

 UPADHYAY TRIPS PRESENT

कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर भाग - 15 

लकुण्डी के ऐतिहासिक मंदिर 


इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये। 

आज 6 जनवरी है और मैं आज तीन ऐतिहासिक मंदिर घूम चुका हूँ जिनमें अन्निगेरी का अमृतेश्वर मंदिर, गदग का त्रिकुटेश्वर मंदिर और डम्बल का दौड़बासप्पा मंदिर शामिल हैं। अभी आधा दिन गुजर चुका है और मैं वापस डम्बल से गदग पहुँच चुका हूँ। अब मेरी अगली यात्रा लकुण्डी की होनी है जिसके लिए मैं गदग के बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार कर रहा हूँ। दोपहर होने को है और भूख भी लगी है इसलिए यहाँ मैंने पार्लेजी का बिस्कुट का पैकेट ले लिया है। कुछ ही समय में लकुण्डी जाने वाली बस आ गई और लकुण्डी की सवारियां बस में सवार होने लगीं। इन्हीं सवारियों के साथ मैं भी लकुण्डी जाने के लिए इस बस में सवार हो गया। 


कुछ ही समय बाद बस लकुण्डी पहुंची। लकुण्डी में बने एक छोटे से बस स्टैंड पर मैं इस बस से उतर गया और बस अपने आगे के गंतव्य को रवाना हो गई। लकुण्डी एक ऐतिहासिक ग्राम है जहाँ अलग अलग स्थानों पर अनेकों ऐतिहासिक मंदिर बने हुए हैं। यह सभी मंदिर कल्याणी के चालुक्यों द्वारा बनवाये गए हैं जिनका निर्माण संभवतः दशवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य हुआ है। इन सभी मंदिरों में सबसे विशेष 'काशी विश्वेश्वर' का मंदिर प्रमुख है। इसके अलावा प्राचीन ब्रह्मा मंदिर, जिसे अब जैन मंदिर में परवर्तित कर दिया गया है। 

बस से उतर कर, अपना ट्राली बैग हाथ में लेकर मैं बस स्टैंड के सामने ऐसी दुकान की खोज करने लगा, जहाँ मैं अपने बैग को रख सकता। कुछ ही देर में मेरी नजर एक ऐसी दुकान पर पड़ी जहाँ मैं इत्मीनान से अपने बैग को रख सकता था। यह इस ग्राम की निवासी एक लेडीज की चाय की दुकान थी जो बस स्टैंड के ठीक सामने थी। मैं इस दुकान पर पहुँचा और एक चाय पी। चाय पीते समय ही इस दुकानदार के बेटे से मेरी बातों ही बातों में मित्रता हो गई और हम फेसबुक पर फ्रेंड भी बन गए। चाय पीने के बाद मैंने अपना बैग यहीं रख दिया और लकुण्डी की यात्रा करने निकल पड़ा। 

सड़क के दूसरी तरफ गूगल मैप एक ऐतिहासिक मंदिर की लोकेशन दिखा रहा था। मैं इसी लोकेशन की दिशा में चल दिया और मुझे प्राकृतिक वातावरण के बीच एक सुन्दर ऐतिहासिक मंदिर नजर आया। यह मणिकेश्वर मंदिर है जिसके बाहर पुष्करिणी जैसी एक गहरी बाबड़ी बनी हुई थी। मैं इस मंदिर के फोटो ले ही रहा था कि मुझे अचानक यहाँ के रखवाले ने रोका और कहा कि आप कैमरे से मंदिर के फोटो मत खींचिए बेशक मोबाइल से  ले लो। मैंने कहा चाहे मोबाइल से लूँ या कैमरे से लूँ बात तो एक ही है ना। उसने कहा - नहीं, कैमरे के लिए अलग से टिकट खरीदनी होती है जो पुरातत्व विभाग की ऑफिस से मिलेगी। 

मैंने उस रखवाले की बात सुनी और एक दो फोटो कैमरे से खींचने की इजाजत मांगी परन्तु यह रखवाला ईमानदार था, अपनी नौकरी की दुहाई देते हुए उसने मेरी बात तनिक भर भी नहीं मानी। मुझे उस रखवाले की ईमानदारी और उसकी कर्तव्य परायणता देखकर बहुत ख़ुशी हुई और मैंने उसकी बात को सम्मान देते हुए कैमरे के स्विच को ऑफ कर दिया और अपने मोबाइल से ही मैंने इस मंदिर के फोटो लिए। इस मंदिर को देखने के बाद मैंने अपने कदम उस पुरातत्व विभाग की ऑफिस की तरफ बढ़ा दिए जहाँ से मुझे अपने कैमरे के लिए टिकट खरीदना था। 

लकुण्डी ग्राम की गलियों में से होते हुए कुछ ही समय में मैं ब्रह्मा जिनालय मंदिर के नजदीक पहुंचा। इस मंदिर के आसपास अनेकों ऐतिहासिक मंदिर इधर उधर बिखरे पड़े थे और इस मंदिर के नीचे ही पुरातत्व विभाग का लकुण्डी केंद्र का दफ्तर बना हुआ है। यह दफ्तर कम एक संग्रहालय है जहाँ लकुण्डी में खुदाई से प्राप्त अनेकों ऐतिहासिक मूर्तियां सुरक्षित रखी हुईं हैं। यहाँ पहली बार मैंने पुरातत्व विभाग की टिकट पेटीएम के माध्यम से ऑनलाइन खरीदी जिसका मूल्य 20 /- चुकाना पड़ा अन्यथा नकद लेने पर यही टिकट 25 /- रूपये की थी। 

टिकट लेने के बाद पहले मैंने इस संग्रहालय को देखा और इसके बाद इसके ऊपर स्थित ब्रह्मा जिनालय को देखा। यह काले पत्थर से बना बहुत ही सुन्दर मंदिर है। इस मंदिर के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 1007 ई. में कल्याणी के चालुक्य काल के दौरान कर्नाटक की महासती अत्तिमंबे ने कराया था जो कि वीर नागदास की पत्नी थी और अपनी धार्मिकता के कारण आज कर्नाटक माता के नाम से विख्यात हैं। उन्होंने यहाँ 1500 रत्नजड़ित जैन मूर्तियों की स्थापना करवाई थी। ब्रह्मा जिनालय एक सुन्दर मंदिर है जिसके दो भाग हैं। एक भाग में ब्रह्मा जी की मूर्ति दर्शनीय है तो वहीँ दूसरे भाग में जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी की मूर्ति दर्शनीय है। 

इसके अलावा यहाँ और भी जैन मंदिर बने हुए हैं जिनमें से अधिकतर अब नष्ट होने की कगार पर हैं किन्तु पुरातत्व विभाग की ओर से इन मंदिरों का संरक्षण किया जा रहा है। ऐसे अधिकतर मंदिर लकुण्डी ग्राम के बीच बने हुए हैं और ग्रामवासियों ने उनपर अपना अतिक्रमण भी कर रखा है। अपने ग्राम की ऐसी अनमोल धरोहरों को इन ग्रामवासियों को सहेज कर रखना चाहिए। वो कहते हैं ना - हमसे हजारों वर्ष पूर्व वह ऐसी उत्कृष्ट कला के मंदिर बनाकर चले गए और हम उनको सहेज भी ना सके। 

काशी विश्वेश्वर मंदिर के नजदीक ही नैनेश्वर मंदिर भी स्थित है जो देखने में काशी विश्वेश्वर मंदिर के समान ही लगता है। मैंने पहले नैनेश्वर मंदिर को देखा, जो कि अभी बंद था। इस मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है। इसके दूसरी तरफ ही काले पत्थरों से निर्मित काशी विश्वेश्वर मंदिर स्थित है जो कि ऐतिहासिक भव्य मंदिर है। मंदिर के बाहरी भागों में अनेकों कलाकृतियाँ देखने को मिलती हैं। यह इतनी सुन्दर लगती हैं कि ना चाहते हुए भी मैंने इनकी तस्वीरें लेना शुरू कर दिया। 

चूँकि लकुण्डी एक ऐतिहासिक ग्राम है और कर्नाटक सरकार इसे पर्यटक स्थल के रूप में घोषित भी कर चुकी है किन्तु यहाँ पर्यटक नाम मात्र के लिए भी नहीं थे। कर्नाटक के आसपास के जिलों से भले ही लोग इसे देखने आ जाएँ किन्तु भारत के अन्य पर्यटन स्थलों के समान, लकुण्डी आज भी पर्यटकों की बाट जोह रहा है। कर्नाटक राज्य यूँ ही एक सुन्दर राज्य नहीं कहलाता, डम्बल और लकुण्डी जैसी जगहें ही कर्नाटक को खूबसूरत बनाती हैं परन्तु उत्तर भारत से दूर होने के कारण और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों की श्रेणी में आ जाने के कारण कर्नाटक उत्तर भारत के पर्यटकों की अवहेलना का शिकार होता रहा है। 

ख़ैर, कर्नाटक की इस ख़ूबसूरती को वही समझ सकता है जो एक बार यहाँ आकर इसे जीकर गया हो। मैंने जी भरकर कर्नाटक की यात्रा की और इसे समझा, इनमें से लकुण्डी एक ऐसा स्थान रहा जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है। नैनेश्वर और काशी विश्वेश्वर मंदिर देखने के बाद मैंने यहाँ और भी ऐतिहासिक मंदिरों को ढूँढने की कोशिश की परन्तु शायद मैं सबकुछ देख चुका था। मैं वापस उसी चाय की दुकान पर पहुंचा और अपना बैग लेकर बस स्टैंड पर पहुंचा। मुझे अब अपनी अगली यात्रा इत्तगि ग्राम की ओर करनी थी जो इन सबसे अलग और दूर कोप्पल जिले का प्रमुख गाँव है। 

अगले भाग में जारी ..... 

लकुण्डी के नजदीक एक दृश्य 

सुन्दर कर्नाटक - सुन्दर लकुण्डी 

LAKUNDI VILLAGE 

MANIKESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 

MANIKESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 

BEUTIFULL TEMPLE AT LAKUNDI

MANIKESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 

LAKUNDI HOUSE


BEUTIFULL VILLAGE LAKUNDI

खेतों के बीच एक ऐतिहासिक मंदिर - लकुण्डि 

ब्रह्मा जिनालय - लकुण्डी 


BRAHMA JINALAY - LAKUNDI 


SUDHIR UPADHYAY AT LAKUNDI

BRAHMA JINALAY - LAKUNDI 

BRAHMA JINALAY - LAKUNDI 


BRAHMA JINALAY - LAKUNDI 

BRAHMA JINALAY - LAKUNDI 



चालुक्य शासकों का अभिलेख 

परमपिता ब्रह्मा जी की प्रतिमा 

महावीर स्वामी की प्रतिमा 

माँ सरस्वती की प्रतिमा - लकुण्डी 


एक मंदिर के भग्नावेश - लकुण्डी 

गाँव के बीच स्थित एक ऐतिहासिक देवालय 


काशी विश्वेश्वर मंदिर - लकुण्डी 

श्री नैनेश्वर मंदिर - लकुण्डी 


NANNESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 


NANNESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 


NANNESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 

KASHI VISHWESHWAR TEMPLE AT LAKUNDI 

LAKUNDI CHILDREN



KASHI VISHWESHWAR TEMPLE AT LAKUNDI 


KASHI VISHWESHWAR TEMPLE AT LAKUNDI

LAKUNDI TEMPLE'S

KASHI VISHWESHWAR TEMPLE - LAKUNDI 



















LAKUNDI BUS STAND 

कर्नाटक यात्रा से सम्बंधित यात्रा विवरणों के मुख्य भाग :-

 
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