Tuesday, April 13, 2021

GADAG CITY : KARNATAKA 2021

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर,  भाग - 13 

गदग का त्रिकुटेश्वर शिव मंदिर 

TRIP DATE :- 06 JAN 2021

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये। 

सुबह 9 बजे तक मैं बल्लारी पैसेंजर से गदग स्टेशन पहुँच गया था। स्टेशन पर बने वेटिंग रूम में नहाधोकर तैयार हो गया। आज मेरा कर्नाटक यात्रा का सातवाँ दिन था और अभी दो दिन मेरी इस यात्रा को पूर्ण होने में शेष थे इसलिए ये अगले दो दिन मुझे विजय नगर साम्राज्य मतलब हम्पी और किष्किंधा को देखने में गुजारने थे और आज के पूरे दिन की यात्रा मुझे कर्नाटक के छोटे छोटे गाँवों में स्थित मंदिरों की खोज करने में करनी थी। जिसमें से मैं अन्निगेरी की आज की यात्रा पूर्ण कर चुका था। 

अब मुझे घर की और माँ की याद आने लगी थी इसलिए मैंने अपने अगले दो दिन बाद के रिजर्वेशन को एक दिन बाद का करवा लिया था। अपने घर लौटने की टिकट मैंने गदग स्टेशन पर ही करवा ली। इस प्रकार हम्पी के लिए अब कल का ही दिन मेरे पास शेष बचा था और कल ही रात से मेरी कर्नाटक से वापसी की यात्रा शुरू हो जाएगी। 

टिकट करवाने के बाद मैं गदग स्टेशन के प्रांगण के बाहर मुख्य रोड पर पहुंचा। यहाँ चाय की एक दुकान इडली चाय का नाश्ता किया और उसके बाद मैंने यहाँ के प्रसिद्ध त्रिकुटेश्वर मंदिर के लिए ऑटो किया। ऑटो वाला त्रिकुटेश्वर के नाम से मंदिर को पहचान नहीं सका, इसलिए मैंने उसे मोबाइल में मंदिर की फोटो दिखाई तब जाकर उसे समझ आया कि मुझे जाना कहाँ है। 

रास्ते में श्री शरण बस्बेश्वर की खड़ी प्रतिमा एक झील के किनारे दिखाई दी, जिसके फोटो खींचने के लिए ऑटो वाले ने ऑटो को थोड़ी देर के लिए रोका। वह बहुत खुश हुआ कि आज उसके शहर में इतनी दूर से कोई घुमक्कड़ उसका शहर घूमने के लिए आया है। उसने टूटी फूटी हिंदी भाषा और कन्नड़ में मुझे अपने शहर की प्रसिद्ध जगहों के बारे में सबकुछ बताया। 

लकुण्डी और डम्बल जाने के लिए भी पूरा रास्ता और तरीका इस ऑटो वाले ने मुझे समझा दिया था। कुछ ही देर में हम मंदिर के सामने थे। ऑटो वाला मुझे वापसी का रास्ता बताकर वापस चला गया। 

गदग का त्रिकुटेश्वर मंदिर हजार वीं शताब्दी में कल्याणी के चालुक्यों द्वारा बनबाया गया था। अन्निगेरी के अमृतेश्वर मंदिर की तरह ही यहाँ भी उसी आकृति में काले पत्थरों से इस मंदिर का निर्माण हुआ है किन्तु इस मंदिर के दोनों तरफ गर्भगृह प्रतीत होते हैं जिनमें एक तरफ एक ही पत्थर पर बने तीन शिवलिंग हैं और दूसरी तरफ भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं। मंदिर के बीच वाले भाग में नंदी की प्रतिमा स्थापित है। बड़े भाग्यशाली हैं वे लोग जो प्रतिदिन एक मंदिर में पूजा अर्चना करके दो - दो ईश्वरों की भक्ति प्राप्त करते हैं। 

इसके अलावा यहाँ देवी सरस्वती का मंदिर भी स्थित है। जो अभी किन्हीं कारणों वश बंद था। इसके अलावा श्री त्रिकुटेश्वर मंदिर प्रांगण में अन्य मंदिरों के भग्नावेश भी देखने को मिलते हैं। शहर के बीचोंबीच स्थित इतिहास की यह अनुपम छवि देखने योग्य है। मंदिर के पुजारी जी से प्रसाद और चरणामृत लेकर मैंने भगवान त्रिकुटेश्वर जी के दर्शन किये और अपनी आगे की यात्रा को सही सलामत पूर्ण करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। 

कर्नाटक का गदग, एक मुख्य शहर और जिला है। यह हुबली से गुंतकल वाली रेल लाइन पर स्थित है और कर्नाटक के ठीक मध्य में स्थित है। इसके एक ओर हुबली है तो दूसरी और विजय नगर का भाग है मतलब हम्पी है। गदग से ही हम्पी के लिए शानदार राष्टीय राजमार्ग भी बना हुआ है और इसी के पास अन्य क्षेत्रों में डम्बल और लकुण्डि जैसे ऐतिहासिक ग्राम भी मौजूद हैं। 

मंदिर के दर्शन करके, ऑटो वाले भाई के कहे अनुसार मैं पैदल ही गदग के पुराने बस स्टैंड की तरफ चल पड़ा। मुझे नए शहरों अथवा स्थानों पर पैदल ही यात्रा करने में बहुत आनंद आता है बस समय की कमी ना हो। कुछ ही समय में पुराने बस स्टैंड पहुंचा और यहाँ से सिटी बस द्वारा नए बस स्टैंड की टिकट ली जो पांच रूपये की थी। इस बस की कंडक्टर एक महिला थी जिसने मुझे बैठने के लिए सीट दी और मुझे बताया कि डम्बल या लकुण्डी जाने  की बस मुझे नए बस स्टैंड से ही मिलेगी। 

नया बस स्टैंड शहर से थोड़ी दूर बना हुआ था, जहाँ कर्नाटक के अन्य क्षेत्रों में जाने की बसें खड़ी हुईं थीं। 

यात्रा अगले भाग में जारी .......  


श्री बस्बेश्वर जी की प्रतिमा - गदग 

झील में बनी एक और प्रतिमा - गदग सिटी 

श्री त्रिकुटेश्वर मंदिर का प्रवेश द्वार 

TRIKUTESHWAR TEMPLE - GADAG

SARASWATI TEMPLE - GADAG 

मंदिर के प्रांगण में अन्य मंदिरों के भग्नावेश 

सरस्वती मंदिर - गदग 

जैन मंदिर - गदग 







श्री त्रिकुटेश्वर मंदिर - गदग 


कर्नाटक यात्रा से सम्बंधित यात्रा विवरणों के मुख्य भाग :-

 
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