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Friday, May 31, 2019

Ujjaini Express Trip


केदारनाथ यात्रा 2019 - मथुरा से हरिद्वार रेल यात्रा 




   वक़्त बस गुजरता ही जा रहा था और मैं अभी भी हरिद्वार से ऊपर पहाड़ों में अपने आराध्यों के दर्शन करने नहीं जा पाया था। मेरे अन्य घुमक्क्ड़ साथियों ने उत्तराखंड का चप्पा चप्पा छान रखा था और मैं अभी सिर्फ हरिद्वार और ऋषिकेश तक ही सीमित था, कारण था कि मैं पहली बार वहां अकेला नहीं जा सकता था, मेरे साथ मेरी माँ अधिकांशतः मेरी सहयात्री रही हैं और उनके साथ मैंने 12 ज्योतिर्लिंग पूरे करने का प्रण लिया है जिसमे से दस ज्योतिर्लिंग हम कर चुके हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल और कठिन यात्रा जिस ज्योतिर्लिंग की मुझे लगती थी वो श्री बाबा केदारनाथ जी थे क्योंकि यहाँ अधिकतर पैदल और ऊँचाई सहित ट्रैकिंग है, जो मुझे माँ के लिए पर्याप्त नहीं लग रही थी किन्तु जब प्रण लिया है तो जाना तो पड़ेगा ही अगर बाबा नहीं भी बुलाएँगे तो भी हम जायेंगे। बस ऐसा ही सोचकर मैंने एक गलत महीना यात्रा के लिए निश्चित किया और ये महीना जून था। 

Friday, March 1, 2019

Nagbhir to Gondia



विदर्भ की यात्रायें 
नागभीड़ से गोंदिया पैसेंजर रेल यात्रा 

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    इतवारी से आई हुई नेरो गेज पैसेंजर का इंजिन आगे से हटाकर पीछे लगा दिया गया और यह वापस इतवारी  जाने के लिए तैयार थी। अब मैं यहाँ से बल्लारशाह से आने वाली ब्रॉड गेज की लाइन की पैसेंजर से गोंदिया तक  जाऊँगा, जो यहाँ साढे चार बजे आयेगी और अभी 2 बजे हैं, यानी पूरा ढाई घंटा है अभी मेरे पास। नागभीड स्टेशन शहर से दूर एकांत क्षेत्र में स्थित है यह किसी ज़माने में नेरो गेज लाइन का मुख्य जंक्शन स्टेशन था जहाँ से ट्रेन नागपुर, गोंदिया और राजोली तक जाती थी, बाद में इसे चंदा फोर्ट तक बढ़ा दिया गया। सन 1992  इसे चंदा फोर्ट से लेकर गोंदिया तक नेरो गेज से ब्रॉड गेज में बदल दिया गया परन्तु नागपुर से नागभीड रेल खंड आज भी नेरो गेज ही है। कुछ साल पहले नागपुर से इतवारी बीच नैरो गेज ट्रैक को ब्रॉड गेज में बदल दिया गया और नागपुर से नागभीड जाने वाली नैरो गेज की ट्रेनों का इतवारी से संचालन किया जाने लगा।

Monday, July 23, 2018

MT. ABU


आबू पर्वत की एक सैर



     महीना मानसून का चल रहा था और ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि मानसून आ चुका हो और हम यात्रा पर ना निकलें हों। जुलाई के इस पहले मानसून में मैंने राजस्थान के सबसे बड़े और ऊँचे पर्वत, आबू की सैर करने का मन बनाया। इस यात्रा में अपने सहयात्री के रूप में कुमार को फिर से अपने साथ लिया और आगरा से अहमदाबाद जाने वाली ट्रेन में दोनों तरफ से मतलब आने और जाने का टिकट भी बुक करा लिया। 23 जुलाई को कुमार आगरा फोर्ट से ट्रेन में बैठा और मैं अपनी बाइक लेकर भरतपुर पहुंचा और वहीँ से मैं भी इस ट्रेन में सवार हो लिया और हम दोनों आबू पर्वत की तरफ निकल पड़े।