Saturday, February 13, 2021

CHARMINAR

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

कर्नाटक की ऐतिहासिक यात्रा पर भाग-3, 31 DEC 2020

नववर्ष पर हैदराबाद की एक शाम 


यात्रा दिनाँक  - 31 DEC 2020 

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अपने सही समय पर तेलांगना स्पेशल ने मुझे हैदराबाद पहुँचा दिया और स्टेशन बाहर निकलकर सबसे पहले मैंने उस वेटिंग रूम को देखा जहाँ पिछली बार मैं और माँ पूरी रात यहाँ रुके थे और सुबह होने पर तेलांगना एक्सप्रेस से ही अपने मथुरा को रवाना हुए थे। शाम हो चुकी थी और हैदराबाद का स्टेशन इस शाम के अँधेरे में अलग अलग रोशनी के रंगों से जगमगा रहा था। स्टेशन के ऐसे दृश्य को देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने स्टेशन के बाहर ड्यूटी कर रहे एक हैदराबाद पुलिस के सिपाही से अपना फोटो लेने के लिए कहा, उसने बिना हिचक मेरे दो तीन फोटो दिए, जब उसे लगा कि फोटो में अँधेरा ज्यादा आ रहा है, तो उसने मुझे थोड़ा हटकर खड़े होने को कहा और फिर से फोटो खींच दिया, वो बात अलग है कि वो फोटो खींचते समय बीच बीच में अपने सीनियर की ओर भी देख रहा था जो हमसे थोड़ी दूर अलग कुर्सी पर बैठा था और अपने काम में मशगूल था। 

फोटो खिंचवाकर मैं थोड़ा आगे बढ़ा तो पहलीबार हैदराबाद की मेट्रो और स्टेशन पर नजर पहुँची। पिछली बार जब मैं और माँ यहाँ आये थे तब इसके निर्माण का कार्य चल रहा था। मुझे चारमीनार जाना था इसलिए मैंने मेट्रो की बजाय सिटी बस से जाना उचित समझा और रोड क्रॉस करके दूसरी साइड पहुँचा, यहाँ जितनी भी बसें आ रही थी सभी पर उसके स्थान  नाम तेलगु भाषा में लिखा था जो मेरी समझ से बहुत दूर थी इसलिए यहाँ बस का इंतज़ार कर रहे एक यात्री से मैंने चारमीनार जाने वाली बस के बारे में पूछा तो उसने बताया कि चारमीनार के लिए 9c नंबर की बस जाती है। करीब आधा घंटे इंतज़ार करने के बाद 9c नंबर की बस आई और मैं चारमीनार के लिए रवाना हो गया। बस में से हैदराबाद शहर की इस शाम का नजारा देखने लायक था, यहाँ की सड़कें और बाज़ार सचमुच एहसास कराते हैं कि हम देश के एक बड़े शहर में हैं। 

तंग सड़कों से भी होकर कुछ ही समय में बस चारमीनार पहुंची, काफी सवारियाँ उतर चुकी थीं और बाहर ऑटो वालों की बड़ी भीड़ लगी थी, मैं अभी भी नहीं समझ पाया था कि मैं चारमीनार पर हूँ। मैंने बस में बैठे बैठे पीछे की ओर मुड़कर देखा तो मेरी नजर पहली बार खूबसूरत चारमीनार पर पड़ी और बिना देर किये अगले चौक पर में बस से उतर गया। आज साल का आखिरी दिन था, कुछ ही घंटों बाद हम 2020 से 2021 में प्रवेश कर जायेंगे और साल की इस आखिरी शाम को मैंने हैदराबाद में एन्जॉय किया। मेरे ठीक सामने चारमीनार है जिसे देखने पर मुझे वही अनुभव हो रहा है जो आगरा में ताजमहल को देखकर होता है और दिल्ली में इण्डिया गेट को देखकर। मैं इस हसीन शाम को अपने परिवार के साथ एन्जॉय करना चाहता था इसलिए मैंने तुरंत कल्पना  के पास वीडियो कॉल किया और माँ को फोन में चारमीनार दिखाई। 

चारमीनार, हैदराबाद की एक खूबसूरत ईमारत है। इसका निर्माण कुतुबशाही वंश के सुल्तान मुहम्मद कुली क़ुतुब शाह ने 1591 ई. में तब कराया जब हैदराबाद शहर में प्लेग की बीमारी चहुँओर फ़ैलकर लोगों को मौत नींद सुला रही थी और सुल्तान चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। अपनी नजरों के सामने अपनी प्रजा को दम तोड़ते देख उसने खुदा से मन्नत मांगीं कि गर उसकी प्रजा इस बीमारी के कहर से बच जाये और यह बीमारी शीध्र ही समाप्त हो जाये हो जाए तो वह एक शानदार मस्जिद के साथ साथ, शहर के द्वार का निर्माण कराएगा जिसके चारों कोनो की ऊँची ऊँची मीनारों से तेरी इबादत के रूप में तेरा शुक्रिया अदा किया जायेगा। इसी क्रम के साथ चारमीनार का निर्माण प्रारम्भ हुआ और शहर से बीमारी दूर होती गई। आज भी ना सिर्फ हैदराबाद के लोग बल्कि समस्त भारतवासियों के लिए चारमीनार का देश में होना , बड़े गौरव की बात है।   

चारमीनार के बाहर लगने वाले बाजार का दृश्य भी बहुत ही शानदार है, एक से एक दुकानें यहाँ देखने मिलती हैं। यह लाड बाजार है जो कि हैदराबाद का एक प्रसिद्ध और पुराना बाजार है। यहाँ कपड़ों की बड़ी बड़ी एक से बढ़कर एक दुकानें हैं जहाँ से प्रत्येक किस्म के कपड़ों की खरीदारी उचित मूल्य पर की जा सकती है। चारमीनार के ठीक सामने खुले मैदान में भी बड़ा बाजार लगा हुआ है, हैदराबाद के अनेकों लोग, साल की इस आखिरी शाम पर खरीदारी करने और अपने शहर की अनमोल विरासत का दीदार करने यहाँ आये हुए हैं। मैंने यहाँ से अपने लिए एक नया पर्स ख़रीदा और एक गिलास अन्नानास का जूस पिया। हैदराबाद की यह दिलकश शाम मेरे लिए मेरी इस यात्रा का पहला केंद्र थी जो हमेशा के लिए एक यादगार बन गई। 

चारमीनार की एक मीनार के निकट भाग्य लक्ष्मी का छोटा किन्तु बेहद शानदार मंदिर है। हमारे हिन्दू धर्म का होने के नाते यह हमारी आस्था का केंद्र है। जूते बाहर उतारकर मैंने भाग्यलक्ष्मी जी के दर्शन किये। हैदराबाद को उसके दूसरे नाम, भाग्यनगर के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि पुरातत्व विभाग इस मंदिर के निर्माण को अनाधिकृत मानता है और हैदराबाद कोर्ट द्वारा इस मंदिर के और अधिक निर्माण पर पाबंदी भी लगी हुई है। परन्तु चारमीनार देखने आने वाले हिन्दू लोग, माता भाग्य लक्ष्मी के दर्शन कर अपनी हैदराबाद की यात्रा को सफल बनाते हैं। 

कुछ देर चारमीनार के पास घूमने के बाद मैं बस पकड़कर सिकंदराबाद स्टेशन के लिए रवाना  हो गया। हैदराबाद से सिकंदराबाद के बीच अनेकों इमारतें, बाजार, चौराहे और पार्क मुझे देखने को मिले जिनका मैंने वीडियो भी बनाया और अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड भी कर दिया। इस बीच सबसे आकर्षण का केंद्र रहा - हुसैनसागर झील के बीच स्थित महात्मा बुद्ध की खड़ी हुई मूर्ति जो रात के अँधेरे अलग अलग रंगों  रोशनी में अलग ही शोभायमान हो रही थी। कुछ समय बाद बस ने मुझे सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन छोड़ दिया। स्टेशन के सामने बने एक रेस्टोरेंट में जाकर मैंने पहलीबार उत्पम खाने का आर्डर दिया और यहाँ पहलीबार हैदराबादी उत्पम खाया। 

मेरी ट्रेन सुबह चार बजे है जिससे मुझे कर्नाटक के बीदर शहर पहुँचना है। अभी रात के ग्यारह बजे हैं, एक घंटे बाद नई साल लग जायेगी। मैं सिकंदराबाद के शानदार स्टेशन पर पहुंचा और वेटिंग रूम में बैठकर अपने फोन को चार्जर में लगा दिया और कैमरे की बैटरी को भी चार्ज कर लिया।  करीब एक घंटे बाद पटाखों की तेज आवाजें आना शुरू हो गईं। मैंने फुट ओवर ब्रिज पर गया और आसमान में इन पटाखों के नजारों को देखने लगा जो नई साल की ख़ुशी में हैदराबाद शहर के लोगों द्वारा छोड़े जा रहे थे। आसमान का नजारा आज देखने लायक था। हम 2020 से 2021 में प्रवेश कर चुके हैं, आप सभी लोगों को अंग्रेजी वर्ष की इस नई साल की हार्दिक शुभकामनायें। 

नएसाल की खुशियाँ दिल में लिए मैंने फोन पर अपनी पत्नी कल्पना को भी बधाई दी और अपने मित्रबंधुओं को शुभकामनायें भेजी, इसके बाद प्लेटफार्म पर एक जगह देखकर, मोबाइल में साढ़े तीन बजे का अलार्म लगाकर मैं लेट गया और जब साढ़े तीन बजे अलार्म बजा तो मैं भी जागकर उस प्लेटफॉर्म पर पहुँचा जहाँ मेरी ट्रेन आने  अनाउंस हो रहा था। कुछ ही समय में मछलीपट्टनम से बीदर जाने वाली स्पेशल आई जो कि लगभग पूरी खाली ही थी। अपने कोच की सीट पर बिस्तर लगाकर मैं लेट गया और इस प्रकार मेरी हैदराबाद की इस शाम की यात्रा पूरी हो गई।    

VIEW OF HYDERABAD RAILWAY STATION


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HYDERABAD CLOCK TOWER

STATUE OF BUDDHA IN HUSSAIN SAGAR LAKE

LUNCH TIME - 10:30 PM

UTTPAM 


अगली यात्रा :-  बहमनी सल्तनत की राजधानी " बीदर "   

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1 comment:

  1. बहुत सुंदर, हुसैन सागर के पास में ही बिड़ला मंदिर भी ह् , आप उसे भी देख लेते बहुत अच्छा मंदिर ह्

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