Wednesday, June 30, 2021

UTKAL KALINGA EXP : MTJ - PURI - MTJ

 UPADHYAY TRIPS PRESENT'S


कलिंग उत्कल एक्सप्रेस से एक सफर 



मेरी माँ ने देश के दो धामों द्वारिका और रामेश्वरम के दर्शन करने के पश्चात तीसरे धाम श्री जगन्नाथ पुरी के दर्शन की इच्छा व्यक्त की। माँ का स्वास्थ, अब पहले की अपेक्षा काफी कमजोर हो चुका है, अभी छः माह पहले ही उन्होंने अपने दोनों घुटनों का ओपरेशन भी करवाया है, इसके बाद जब वह चलने फिरने में समर्थ हो गईं तो एक बार फिर से उनका मन अपने भगवान से मिलने को व्याकुल हो उठा और मुझे तुरंत होली के बाद श्री पुरी जी की यात्रा का कार्यक्रम तय करना पड़ा। मथुरा से पुरी जाने के लिए अभी एकमात्र ट्रेन कलिंग उत्कल एक्सप्रेस ही थी जो अब  हरिद्वार के स्थान पर नए बने योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन से आने लगी थी। 


मैं और माँ ट्रेन आने के उचित समय से पहले ही मथुरा स्टेशन पहुँच गए थे, यहाँ हमारी मुलाकात केशव अंकल से हुई जो आगरा में हमारे नजदीकी रेलवे आवास में रहते थे। थोड़ी बहुत देर इंतज़ार करने के बाद ट्रेन भी सही समय से स्टेशन पहुँच गई। जिस कोच में हमारा रिजर्वेशन था, वह ठीक हमारे सामने आकर रुका। हम जब अपनी सीट पर पहुंचें तो वहां लखनऊ के रहने वाले दो सज्जन पहले से ही बैठे थे। वह आज श्री बांके बिहारी जी के दर्शन करने के पश्चात श्री जगन्नाथ जी के दर्शन हेतु मथुरा से पुरी जा रहे थे। उन्होंने हमें बताया कि वह आज तीसरी बार श्री जगन्नाथ जी के दर्शन करने जा रहे हैं। हमारे सहयात्री, इस पूरी यात्रा में पुरी तक हमारे साथ ही रहने वाले थे। ट्रेन अपने ठीक समय से चल पड़ी। 

चूँकि उत्कल एक्सप्रेस एक लम्बी दूरी की ट्रेन है जो  राज्यों से होकर अपने गंतव्य पर पहुँचती है 

उत्तराखंड में उत्कल एक्सप्रेस   

उत्तराखंड के नए बने स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश से चलकर वीरभद्र, रायवाला और मोतीचूर होते हुए यह हरिद्वार पहुँचती है। पहले इसका आखिरी स्टेशन हरिद्वार ही था जिसे अब योग नगरी ऋषिकेश तक बढ़ा दिया गया है। उत्तराखंड में रुड़की इसका आखिरी स्टॉप है और इसके बाद यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। 

उत्तर प्रदेश में उत्कल एक्सप्रेस 

सहारनपुर से बाईपास होते हुए यह टपरी, देवबंद, मुजफ्फर नगर, मेरठ होती हुई गाज़ियाबाद पहुँचती है और दिल्ली में प्रवेश करती है। 

दिल्ली में उत्कल एक्सप्रेस 

दिल्ली में उत्कल एक्सप्रेस का एकमात्र स्टॉप हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर है और इसके बाद यह हरियाणा की सीमा को स्पर्श करती है। 

हरियाणा में उत्कल एक्सप्रेस 

दिल्ली से निकलकर उसके नजदीकी स्टेशन फरीदाबाद पर कुछ समय ठहरकर यह हरियाणे की सीमा से निकलकर पुनः उत्तरप्रदेश में प्रवेश करती है। 

उत्तर प्रदेश में पुनः उत्कल एक्सप्रेस 

हरियाणा से निकलकर, पुनः उत्तर प्रदेश के कोसीकलां पहुँचती है और इसके बाद अंततः यह मथुरा पहुँचती है। मथुरा के बाद अगला स्टेशन बाद आया, यहाँ थोड़ी देर के लिए इस ट्रेन का स्टॉप था। मैं पिछलीबार अमरकंटक के लिए यहीं से इसी ट्रैन में बैठा था। राजा की मंडी होते हुए यह आगरा में कुछ पल ठहरकर राजस्थान की सीमा प्रवेश करती है। 

राजस्थान में उत्कल एक्सप्रेस 

आगरा के बाद ही राजस्थान की सीमा प्रारम्भ हो जाती है और इस रूट पर राजस्थान राज्य के  एकमात्र रेलवे स्टेशन धौलपुर जंक्शन पर कुछ समय ठहर कर यह चम्बल नदी की घाटियों को पार करती हुई चम्बल नदी को क्रॉस करती है और इसके बाद यह मध्य प्रदेश के अंचल में प्रवेश करती है। 

मध्य प्रदेश में उत्कल एक्सप्रेस 

दरअसल चम्बल नदी ही राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा रेखा है। इसके एक तरफ राजस्थान का धौलपुर शहर है तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश का मुरैना जिला है। मुरैना रेलवे स्टेशन पर कुछ लोग जलसेवा  भी दे रहे थे। गर्मी के मौसम में किसी प्यासे को पानी पिलाना बड़ा ही पुण्य कार्य होता है परन्तु यहाँ तो पूरी ट्रेन ही प्यासी थी। पलभर के स्टॉप में यहाँ अनेकों लोगों ने जल पीकर अपनी प्यास को शांत किया। मुरैना के बाद मध्य का मुख्य शहर ग्वालियर आया और इसके बाद दतिया और डबरा होते हुए उत्कल एक्सप्रेस  तीसरी बार उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। 

उत्तर प्रदेश में तीसरी बार उत्कल एक्सप्रेस 

ढलती शाम तक उत्कल एक्सप्रेस झांसी पहुँच गई थी। यह उत्तर मध्य रेलवे का मुख्य जंक्शन पॉइंट है। अनेकों  यात्री यहाँ से ट्रैन में सवार हुए। अँधेरा  हो चला था, अब कौन कौन से स्टेशन गुजरते जा रहे थे पता ही नहीं चल रहा था। कुछ समय बाद हम उत्तरप्रदेश के आखिरी शहर ललितपुर में थे, इसके बाद अपनी यूपी से हम कुछ दिनों के लिए दूर होने जा रहे थे। अब हम मध्य प्रदेश की शरण में थे और आज की पूरी रात हम मध्य प्रदेश में ही सफर करने वाले थे। 

मध्य प्रदेश में पुनः उत्कल एक्सप्रेस 

बीना मालखेड़ी, खुरई, सागर, दमोह, कटनी मुरवारा, उमरिया, शहडोल,अमलाई व अनूपपुर आदि मध्य प्रदेश के प्रमुख रेलवे स्टेशन थे। मेरे पास जनरल कोच का टिकट था किन्तु मैं माँ के पास ही ऊपर वाली सीट पर स्लीपर कोच में ही सो गया। आधी रात को दमोह के आसपास टिकट चेक करने वाले सचल दल दस्ते के अधिकारी ने मुझसे टिकट मांगीं तो मैंने उन्हें अपनी जनरल कोच की टिकट दिखाई, वह मुझसे जुर्माना भरने के लिए ही कहने वाले थे उससे पहले ही वह जान गए कि मैं इस कोच में अपनी माँ की वजह से हूँ जो मेरे नजदीक की सीट पर सो रहीं थी। उनकी टिकट रेलवे पास पर थी इसलिए उन्होंने मुझसे उनके रेलवे एम्प्लोयी होने के बारे में पूछा।  उन्हें बताया कि रेलवे में मेरी माँ नहीं बल्कि पिताजी थे जो कबके सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अब वह हमारे बीच भी नहीं है। उनके स्थान पर अब रेलवे मेरी माँ को फ्री पास मुहैया कराती है। इसबार मेरी माँ का पास पुरी का है और वह भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करना चाहती हैं इसलिए मैं उन्हें पुरी लेकर जा रहा हूँ। रेलवे परिवार का होने के नाते और माँ को तीर्थ यात्रा कराते हुए देखकर वह बहुत खुश हुए और उन्होंने मुझे बिना जुर्माना दिए ही छोड़ दिया। मैं उसी सीट पर आराम से रात भर सोता रहा। हालांकि यह सभी रेलवे स्टेशन रात में ही गुजर गए थे और मेरी आँख तो सुबह जब खुली तब ट्रेन पेंड्रा रोड स्टेशन पर खड़ी थी। यह वही रेलवे स्टेशन है जहाँ अमरकंटक जाने के लिए उतरना पड़ता है। अमरकंटक के लिए यह सबसे नजदीकी स्टेशन है।

छत्तीसगढ़ में उत्कल एक्सप्रेस 

पेंड्रा रोड छत्तीसगढ़ राज्य का पहला रेलवे स्टेशन है जहाँ उत्कल एक्सप्रेस का ठहराव लगभग 5 मिनट का है। यह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है। इसके बाद पर्वतीय मार्गों में गोल गोल घूमती हुई ट्रेन सुबह 9 बजे के लगभग बिलासपुर स्टेशन पहुंची। बिलासपुर, छत्तीसगढ़ राज्य का प्रमुख शहर और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है। इसलिए यहाँ उत्कल एक्सप्रेस का ठहराव लम्बे समय के लिए है। यहाँ मैंने माँ को नाश्ता करवाया और देखा कि ट्रेन लगभग पूरी खाली हो चुकी है। 

बिलासपुर के बाद, चाम्पा, जांजगीर होते हुए अन्ततः हम छत्तीसगढ़ के आखिरी शहर रायगढ़ पहुंचे। रायगढ़ तक के लिए मथुरा से गोंडवाना एक्सप्रेस भी आती है जिसका सञ्चालन कोरोना की वजह से बंद है। पूर्व समय में यह एक लम्बी ट्रैन थी जिसके दो अलग अलग भाग थे। इसका एक भाग जबलपुर और दूसरा भाग बिलासपुर जाता था। अब इन दोनों भागों को अलग अलग कर दिया गया है। जबलपुर वाली ट्रेन आज भी जबलपुर तक जाती है किन्तु दूसरे भाग को अब बिलासपुर से आगे रायगढ़ तक बढ़ा दिया गया है जो हफ्ते में ३ दिन रायगढ़ आती है बाकी दिन भुसावल का सफर तय करती है। 

उड़ीसा में उत्कल एक्सप्रेस का पहला प्रवेश 

ट्रेन घने जंगलों से होकर गुजर रही थी, एक स्थान पर छत्तीसगढ़ की सीमा समाप्त हो गई और अब ट्रेन अपने  गृह राज्य उड़ीसा में प्रवेश कर चुकी थी। झारसुगुड़ा और राउरकेला इस प्रखंड के मुख्य रेलवे स्टेशन थे। राउरकेला के बाद  उड़ीसा को छोड़कर यह झारखण्ड राज्य में प्रवेश करती है। 

झारखण्ड में उत्कल एक्सप्रेस 

मनोहरपुर, झारखण्ड में उत्कल एक्सप्रेस का पहला स्टॉप था। इसके बाद शाम ढले यह चक्रधरपुर पहुंची। चक्रधरपुर झारखण्ड के पश्चिमी सिंहभूमि जिले का नगर है। इसके बाद सिनी जंक्शन होते हुए हमने जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे स्टेशन को देखा। यहाँ पहुँचने तक अँधेरा हो चला था और रात की रौशनी में टाटानगर शहर देखने लायक था। टाटानगर के बाद झारखण्ड के पूर्वी सिंहभूमि जिले के घाटशिला और चकुलिया को पार करके हम पश्चिमी बंगाल की सीमा में पहुंचे। 

पश्चिम बंगाल में उत्कल एक्सप्रेस 

 पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के हिजली नामक स्टेशन पर उत्कल एक्सप्रेस काफी देर तक खड़ी रही। इसके अलावा हिजली के ऑउटरों पर भी इसे काफी देर तक रोक कर रखा गया। दरअसल यह खड़गपुर का बाईपास रेलवे स्टेशन है। अत्यधिक ट्रैफिक होने के कारण ट्रैन यहाँ लेट हो गई। 

उड़ीसा में पुनः उत्कल एक्सप्रेस 

बंगाल की भूमि से निकलने के बाद ट्रेन पुनः अपने गृह राज्य उड़ीसा में प्रवेश करती है। जलेश्वर, बालासोर, सोरो, भद्रक, जाजपुर, कटक, भुवनेश्वर, खोरधा रोड होते हुए अंततः यह अपने आखिरी गंतव्य पुरी पहुँचती है। 

रात को दो बजे भुवनेश्वर पहुँचने के लगभग मेरे साथ एक घटना घटी। हिजली से निकलने के बाद जब मैं बीच वाली बर्थ को लगाकर लेट गया और माँ भी मेरे नजदीक साइड लोअर वाली सीट पर सो गईं। रात को दो बजे लगभग जब मेरी आँख खुली तो देखा माँ अपनी सीट पर नहीं थी। मेरे नजदीक सीटों पर सोने वाले सहयात्री भी अब नजर नहीं आ रहे थे, वह शायद पिछले स्टेशनों पर उतर चुके थे।  ट्रेन लगभग खाली हो चुकी थी। सर्वप्रथम मुझे लगा, शायद माँ टॉयलेट गई होंगीं इसलिए मैं निश्चिंत होकर सो गया, किन्तु जब काफी देर तक माँ अपनी सीट पर नहीं आईं तो मेरे मन में शंका उत्पन्न होने लगी। 

मैं सीट से उठकर सीथे ट्रैन के बाथरूमों की तरफ गया जो बिलकुल खाली पड़े थे, मैंने दूसरे साइड के बाथरूम भी चेक किये तो वह भी खाली थे और पूरे कोच में भी माँ कहीं नजर नहीं आईं। अब मेरा मन घबराने लगा था, भुवनेश्वर स्टेशन आ चुका था। जब माँ कहीं नहीं दिखी तो मेरी आँखों में आँसू आ गए, मैं अत्यधिक घबराने लगा और मन ही मन ईश्वर से अपनी माँ से मिलने की प्रार्थना करने लगा। मेरे सीट के नजदीक बैठे एक सहयात्री ने मुझे सांत्वना दी कि आप चिंता मत करो, भगवान जगन्नाथ जी सब ठीक करेंगे। अपनी माँ को उनके दर्शन करने लाये हो तो वह उन्हें दर्शन अवश्य देंगे। आप अगले कोचों में एकबार देखकर आओ शायद वह अपना कोच भूल गई हों। 

उनकी बात को सुनकर मुझे थोड़ी सी राहत मिली और उनके परामर्श के अनुसार मैं अपने सामान की जिम्मेदारी उन्हें सौंपकर माँ को देखने अन्य कोचों में बढ़ चला। मेरे मन में बस यही डर था कि रात को हिजली के बाद आये किसी स्टेशन पर माँ उतर तो नहीं गई है, किन्तु मेरा यह ख्याल तब गलत साबित हो गया जब मैंने तीन चार कोचों के बाद माँ को अगले कोच में पैदल जाते हुए देखा। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने मन ही मन भगवान जगन्नाथ जी का धन्यवाद किया और नाराजगी जाहिर करते हुए माँ को पीछे से टोका। 

माँ अपने होश में नहीं थीं, पिछले कुछ दिनों से मुझे उनकी तबियत में गड़बड़ नजर आ रही थी आज वही हुआ। माँ सबकुछ भूल कर किसी और ही दुनिया में खो चुकी थीं। उनका मस्तिष्क नार्मल नहीं था। मुझे लगा यह शायद किसी टेबलेट के कारण हुआ है। पर जो भी हो मुझे ख़ुशी इस बात की थी कि मेरी माँ मेरे पास थी। कुछ समय बाद हम पुरी पहुँच गए थे। यह उत्कल एक्सप्रेस का आखिरी स्टॉप था। 

MY MOTHER AT MATHURA JN.

RAJA KI MANDI

AGRA CANTT

DHOLPUR JUNCTION

A VIEW NEAR DATIA

A FORT 

VIEW OF DATIA CITY

BINA MALKHEDI

PENDRA ROAD

BILASPUR JUNCTION

BILASPUR JN.

AKALTARA

CHAMPA

CHAMPA

CHAMPA

BARADWAR

SAKTI

RAIGARH

RAIGARH

BRAHMANI RIVER BRIDGE


JHARSUGUDA JN.

JHARSUGUDA JN.

JHARSUGUDA JN.

JHARSUGUDA JN.

A VIEW NEAR OF ORISA & JHARKHAND BORDER

MANOHARPUR 

MANOHARPUR

SUDHIR UPADHYAY WITH HIS MOTHER

CHAKRADHARPUR

RAJKHARSWAN JN.

MAHALIMARUP

SINI JN.

GEETA UPADHYAY - MY MOTHER

A BRIDGE NEAR JAMSHEDPUR


TATANAGAR JN.


TATANAGAR JN.

GHATSHILA

CHAKULIA

HIJLI

HIJLI


RETUERN JOURNY SAME DAY - PURI TO MATHURA JN. BY KALING UTKAL EXPRESS

माँ की तबियत बिगड़ने के कारण मैंने अगले तीन दिन यहाँ रुकने का फैंसला त्याग दिया और आज ही उसी उत्कल एक्सप्रेस से वापस जाने का रिजर्वेशन करवाया जिससे हम आज यहाँ आये थे। यह ट्रेन रात को पौने नौ बजे पुरी से चलेगी। अब पूरा दिन मेरे सामने था, वेटिंग रूम में माँ को नहला कर मैं भगवान् जगन्नाथ जी के दर्शन करवा लाया और शाम को वापस पुरी स्टेशन पहुंचा। माँ अभी भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं थीं। उत्कल एक्सप्रेस की किचिन में काम करने वाले वेंडर हमें भलीभांति जान चुके थे। उनके साथ इस पराये स्थान पर मेरी मित्रता सी हो गई थी क्योंकि  वह 

लोग आगरा और मुरैना के नजदीक के ही थे। माँ की ऐसी हालत को देखकर वह भी हतप्रद थे। 
शाम को जब उत्कल एक्सप्रेस प्लेटफार्म पर लग गई तब गार्ड वाले कोच में ही मुझे मेरी सीट मिली थी। यह एकदम बिलकुल खाली कोच था। मैंने इस कोच में माँ को लिटा दिया। हम ट्रेन की सबसे आखिरी सीट पर थे। हमारे पीछे सिर्फ ट्रैन के गार्ड का केबिन था। शाम को ठंडी ठंडी हवा के बीच उत्कल एक्सप्रेस  अब हमें हमारे घर की ओर लेकर चल पड़ी थी। 

PURI RAILWAY STATION

PURI RAILWAY STATION 

SUDHIR UPADHYAY IN PURI

MY MOTHER ON PURI RAILWAY STATION


MOTHER SLEEPING IN KALING UTKAL EXPRESS

KHURDA ROAD


ROURKELA JN.

SUDHIR UPADHYAY AT ROURKELA

RAIGARH

RAIGARH

SAKTI

SUDHIR UPADHYAY AT SAKTI

BARADWAR

JANJGIR NAILA

AKALTARA


KHONGSARA

BURHAR




AT DHOLPUR STATION

MATHURA JN.

LEAVE KALING UTKAL EXPRESS


MOTHER AT MATHURA JN.

इस यात्रा का अन्य भाग - श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी धाम, उड़ीसा। 

THANKS FOR VISIT

🙏

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