Sunday, February 16, 2020

SOUNKH


कुषाण कालीन मथुरा - सौंख का टीला 



    ब्रजभूमि मथुरा केवल एक पौराणिक स्थान ही नहीं बल्कि पौराणिक होने की वजह से यह भारतीय इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा पर अनेकों शाशकों ने शासन किया है और मध्ययुगीन काल से पहले यह जैन और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र भी रहा है जिसकी पुष्टि यहाँ खुदाई में मिली बौद्ध मूर्ति और जैन धर्म की वस्तुएं से होती है।  मथुरा जिले के आसपास अनेकों मिट्टी के टीले पाए गए और जब इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं की निगरानी में इनकी खुदाई हुई तो इनमें से एक टीले के नीचे कुषाण कालीन अवशेषों की प्राप्ति हुई और आज टीला स्थित है मथुरा से 21 किमी दूर राजस्थान की सीमा पर स्थित सौंख में। 

   मथुरा से राजस्थान की तरफ चलने पर सौंख नामक क़स्बा पड़ता है जहाँ दूर से ही एक ऊँचे टीले के अवशेष दिखाई देते हैं। यह टीला भारतीय इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है जहाँ से खुदाई के दौरान ज्ञात हुआ कि प्राचीन काल में यहाँ तक कुषाण वंशीय सम्राट कनिष्क का साम्राज्य स्थापित था और उसके समय में मथुरा बौद्ध धर्म का एक मुख्य नगर था। सन 1969- 70 के आसपास प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता हर्बर्ट हर्टल के नेतृत्व की गई खुदाई के दौरान यहाँ कई प्राचीन काल की मूर्तियां और कलाकृतियां प्राप्त हुईं जो आज मथुरा के राजकीय संग्रहालय में देखने के लिए रखी हुईं हैं। 

   आज कंपनी के इवेंट के दौरान जब मैंने यहाँ कैंप लगाया, तो यह स्थान मेरे कैंप से कुछ ही दूरी पर स्थित था इसलिए मुझे आज यहाँ घूमने का मौका मिला और मैं इसे देखने गया तो मैंने पाया कि यह ऐतिहासिक स्थान आज अतिक्रमण का शिकार है परन्तु अतिक्रमण को बढ़ने से रोकने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा यह पूर्णतः संरक्षण में ले लिया गया है। यहाँ प्राचीन अवशेष और उनकी दीवारें टीलों में दबी हुई दिखाई पड़ती हैं। इसके अलावा यहाँ एक ऊँचे टीले पर एक दरगाह या मजार भी बनी हुई है। 

   ब्रज की पौराणिक दृष्टि से देखा जाए तो यह स्थान गोवर्धन से 10 किमी दूर दक्षिण में स्थित है जहाँ भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी किसी भी लीलास्थली का वर्णन पुराणों में नहीं मिलता है। 


SONKH ROAD


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SONKH HISTORICAL TEELA

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MAZAAR AT SOUNKH

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WAY TO ARCHAEOLOGICAL SITE SONKH

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1 comment:

  1. अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान प्रतीत होता है। अगर और पुरातात्विक उत्खनन कराया जाय तो सम्भवतः और अधिक कुछ प्रकाश में आए और हो सकता हो यही कुषाणों की द्वितीय राजधानी मथुरा रही हो।

    कृपया इस स्थान पर पहुँचने का मार्ग मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से बताएँ?

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