मैं, कुमार और जैनसाहब से एक मुलाकात - झीलों के शहर भोपाल में
रूपकजैन साहब से मुलाकात होने के बाद हमारी एक दूसरे से काफी अच्छी मित्रता हो गई। जल्द ही जैन साब ने मुझे अपने शहर भोपाल घूमने के लिए आने को कहा। मेरी लिस्ट में भोपाल व उसके आसपास के दर्शनीय स्थल थे जो मुझे कभी ना कभी तो देखने ही थे इसलिए अब उन जगहों पर जाने का वक़्त आ चुका था। मैंने भोपाल का रिजर्वेशन करा लिया और साथ में कुमार को भी भोपाल घुमाने के लिए राजी कर लिया।
उसने भी अपनी टिकट अपने पीटीओ पर बुक कर ली और साल के आखिरी माह में हमारी 2019 की आखिरी ट्रिप भोपाल फाइनल हो गई। मैंने और कुमार ने अपना रिजर्वेशन ग्रांडट्रक एक्सप्रेस में कराया था। हालांकि सर्दियों के दिन थे इसलिए ट्रैन का प्रतिदिन भोपाल पहुँचने का स्टेटस रूपकजैन साब मुझे फोन पर देते थे। मैं हैरान था कि भला कोई मेरा अपना भी ऐसा भी हो सकता है जो इतनी बेसब्री से मेरी प्रतीक्षा कर रहा हो।
यात्रा की तारीख आने तक मैंने अपनी पूरी तैयारी कर ली थी साथ ही जैन साब ने मथुरा से कुछ सामान भी लाने के लिए मुझसे कहा जिनमें मथुराजी के प्रसिद्ध पेड़े तो थे ही, अब हालांकि मैं पहलीबार उनके यहाँ जा रहा हूँ इसलिए मैंने कुमार से आगरा का पंछी का पेठा लाने के लिए कह दिया क्योंकि मथुरा के पेड़े के साथ साथ मैं उन्हें आगरा का प्रसिद्ध पेठा भी खिलाना चाहता था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे मित्र को ब्रज की बनी ये मिठाइयां बेहद ही पसंद हैं।
उन्होंने हमारे आने और घूमने की पूर्ण तैयारी कर ली थी और इस दो दिनी यात्रा का पूरा लेखा जोखा, मुझे फोन पर भेज दिया था। मैं उनके यात्रा कार्यक्रम को देखकर हैरान था, उन्होंने इतना अच्छा और शानदार कार्यक्रम तय किया था जो शायद मैं भी नहीं कर सकता था। अब हम जल्द ही यात्रा की तारीख आने का इंतज़ार करने लगे और आखिरकार हमारी यात्रा का दिन आ ही गया।
मथुरा पर जीटी एक्सप्रेस अपने समय पर पहुँच गई परन्तु आगरा तक पहुंचते पहुंचते यह दो घंटे लेट हो गई, क्योंकि महीना दिसंबर का था और रात में हर तरफ कोहरे का साम्राज्य था, जिसने रेल के पहियों की गति थाम सी दी थी। आगरा आने तक मैं सो चुका था, और कुमार कब आगरा से ट्रेन में बैठा मुझे पता ही नहीं चला। सुबह मेरी आँख जब खुली तो पता चला ट्रेन गंज बासोदा स्टेशन पर खड़ी हुई थी जिसका मतलब था मैं भोपाल के नजदीक ही था।
कुछ समय बाद हम भोपाल स्टेशन पर उतरे और चाय नाश्ता करने के बाद सीधे जैन साब के बताये पते पर पहुँचे। रूपकजैन साब हमारा बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, भोपाल के एक पुराने ऐतिहासिक दरवाजे के पास हमारी मुलाकात जैन साब से हुई और उन्होंने इसबार भी हमें गले मिलकर हमारा स्वागत किया। यहाँ जैनसाब ने हमारी सुविधा के लिए एक शानदार होटल में कमरा बुक कर दिया था। वह इस होटल से थोड़ी दूरी पर रहते हैं।
हम होटल में नहाधोकर तैयार हो गए और भोपाल की गलियों और बाजारों को देखते हुए उनके घर पहुंचे। भोपाल की जामा मस्जिद के नजदीक ही जैन साब का अपना पुश्तैनी आवास है और यहीं उनका अपना शानदार ज्वैलर्स का शोरूम भी है। मुझे जैन साब का यह शोरूम बहुत ही पसंद आया और यहाँ लगी श्री बांकेबिहारी की तस्वीर को मैंने मन ही मन प्रणाम किया। मैं पिछली पोस्ट में बता चुका हूँ की जैनसाब भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त हैं जिसकी झलक भोपाल में भी मुझे देखने को मिली।
आज हमें घूमने के लिए भीमबेटका की गुफाओं की तरफ जाना था। हम घर से उनके गैराज की तरफ बढ़ चले, जहाँ से उनकी कार होंडा बीआरवी द्वारा हम गुफाओं की तरफ निकल पड़े।
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मथुरा में एक रात जीटी का इंतज़ार |
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गंज बासोदा रेलवे स्टेशन |
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मैं और जीटी एक्सप्रेस |
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वेलकम तो भोपाल कुमार भाटिया |
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भोपाल और सुधीर उपाध्याय |
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भोपाल की गलियों में, मैं और कुमार |
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भोपाल की जामा मस्जिद |
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जामा मस्जिद, भोपाल |
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भोपाल और जामा मस्जिद |
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भोपाल में एक मंदिर |
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होटल के बार कुमार |
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जैन साब का पुश्तैनी आवास |
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भीम बेटका की ओर - मैं, कुमार और जैन साब |
अगली यात्रा :- भीमबेटका की गुफाएँ
जैन साब के साथ अन्य यात्राएँ
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