भोजपुर शिव मंदिर
इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
भीमबेटका से लौटकर अब जैन साब के साथ हम भोजपुर शिव मंदिर की तरफ रवाना हुए। दिन ढलने की कगार पर था और शाम अब करीब आ चली थी। भोपाल से होशंगाबाद वाले इस राजमार्ग पर अभी मार्ग चौड़ीकरण का कार्य चल रहा था, आने वाले समय में यह रास्ता भोपाल से भीमबेटका या होशंगाबाद जाने वाले राहगीरों के लिए बहुत ही सुविधा जनक हो जाएगा। अब्दुल्लागंज आने पर जैनसाब ने गाडी सड़क के बाईं ओर खड़ी करके शुभ भाई को यहाँ की मशहूर दुकान से कचौड़ी लाने के लिए कहा जो कि दाल की बनी बेहद ही स्वादिष्ट और गर्मागर्म थीं जिन्हें शाम की चाय के साथ हमें खाने बहुत ही आनंद आया।
शाम ढलने से पूर्व ही हम राजमार्ग से भोजपुर की तरफ मुड़ चले और मध्यम गति से भी चलकर हम समय से भोजेश्वर मंदिर पर पहुँच गए। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है अतः सूर्यास्त के बाद यह पर्यटकों के लिए बंद हो जाता है किन्तु एक धार्मिक आस्था का केंद्र होने के नाते यह सूर्यास्त के बाद होने वाली पूजा के लिए खुला रहता है। यह प्राचीन शहर, भोपाल से लगभग 28 किमी दूर है। इस मंदिर को पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है।
भोपाल से 28 किमी दूर स्थित भोजपुर की स्थापना परमार वंश के राजा भोज ने 11 वीं शताब्दी में की थी। यह स्थान भगवान् शिव के 22 फ़ीट ऊँचे शिवलिंग के लिए जाना जाता है जिसके बारे में प्रचलित है की इस मंदिर और शिवलिंग का निर्माण एक रात में और एक ही पत्थर से हुआ है। चूँकि यह मंदिर एक ही रात में बनाया जाना था इसलिए सुबह सूर्योदय होने पर इसका निर्माण रोक दिया गया और यह मंदिर अधूरा ही रह गया। हालाँकि पुरातत्व विभाग ऐसी किसी बात की पुष्टि नहीं करता, यह सिर्फ एक जनश्रुति है जो मंदिर के निर्माण को लेकर शुरू से ही चली आ रही है।
इसके अलावा यहाँ के लोगों में यह भी मान्यता है कि यह मंदिर महाभारतकालीन है, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस शिव मंदिर का निर्माण अपनी माता कुंती के लिए कराया था क्योंकि माता कुंती परम शिवभक्त थीं। इसके अलावा किंवदंती है कि परमार नरेश राजा भोज कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए। उनको सुझाव दिया गया कि यदि वे 9 नदियों और 19 धाराओं वाले जल से स्नान करेंगे तो वे कुष्ठ रोग से मुक्त हो सकते हैं। इसलिए राजा भोज ने यहाँ एक विशाल बाँध का निर्माण कराया जिसमें 9 नदियों और 19 जलधाराओं वाले जल को एकत्रित किया गया। इसमें स्नान के पश्चात राजा भोज कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए और उन्होंने यहीं विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया। इस बाँध के अवशेष और दीवारें आज भी यहाँ देखी जा सकती हैं।
भोजपुर मंदिर में बहुत ही विशालकाय शिवलिंग स्थापित है जिसकी ऊँचाई 28 फ़ीट है। इतना बड़ा शिवलिंग भारत में अत्यंत कहीं भी देखने को नहीं मिलता। साथ ही यह शिवलिंग एक ही पत्थर से बना चौकोर आकार में है इसलिए इस पश्चिम मुखी मंदिर की तुलना सौराष्ट्र स्थित सोमनाथ मंदिर से की जाती है और इसे पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है। इस मंदिर के मेहराबों की लम्बाई भी करीब 40 फ़ीट के आसपास है, इस मंदिर को अधूरा इसलिए माना जाता है क्योंकि इस मंदिर के ऊपर छत या गुम्बद का निर्माण नहीं हुआ है।
मैंने और कुमार ने मंदिर में भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन किये और मंदिर के प्रांगण में कुछ समय व्यतीत किया। शाम हो चुकी थी और सूर्यदेव भी अस्त हो चले थे। मंदिर को देखने के बाद हम बाहर आये तो देखा जैनसाब और शुभ भाई हमारे इंतज़ार में मंदिर के बाहर ही बैठे हुए थे। कुछ समय मंदिर के बाहर बने बाजार में बिताने के बाद हम भोपाल शहर की तरफ रवाना हो लिए।
भोजपुर शिव मंदिर |
भोजपुर शिव मंदिर |
भोजपुर शिव मंदिर |
भोजपुर शिव मंदिर |
![]() |
भोजपुर शिव मंदिर |
LAST TRIP :-
आप बहुत ही अच्छा लिखते है सर जी ....
ReplyDeleteभोजपुर मंदिर से 7 किमी दूर ही आशापूरा मंदिर समूह उसे भूतनाथ मंदिर समूह भी कहते आप ने उसे भी कवर करना था।
मैं भोजपुर अपने मित्र रूपक जैन जी के साथ गया था, शाम हो जाने और समय की कमी के चलते हम वहां तक नहीं जा पाए थे किन्तु मैं वहां अवश्य जाऊँगा, यह स्थान मेरी यात्रा सूची में प्रतीक्षारत है।
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete