Tuesday, March 31, 2020

MUMBAI : 2020


मुंबई 2020 - नए साल की सैर


1 जनवरी 2020
 
   अपनी ऐतिहासिक यात्रा को आगे बढ़ाते हुए और भीमबेटकाउदयगिरि की गुफाओं के देखने के बाद अब मन में अन्य गुफाओं को देखने ललक जाग उठी थी। भारत की समस्त ऐतिहासिक गुफाओं की एक लिस्ट तैयार की गई और पाया कि ऐसी अधिकतर गुफाएँ महाराष्ट्र प्रान्त में है जो यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में भी दर्ज हैं जिनमें मुख्यतः एलिफेंटा, अजन्ता और एलोरा का मुख्य स्थान है। 

   इन गुफाओं को देखने के लिए यात्रा कार्यक्रम तैयार हुआ और हमने इस यात्रा कार्यक्रम को इस प्रकार बनाया कि यह ऐतिहासिक होने साथ साथ तीर्थ और पर्यटन यात्रा भी साबित हुई। इस यात्रा में रेलमार्ग को मुख्यता के रूप में चुना गया और इस यात्रा की शुरुआत हुई देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से।


मथुरा से मुंबई - पंजाब मेल से एक सफर 

   इस यात्रा में मेरी पत्नी कल्पना, मेरी ममेरी बहिन साधना और उसके पति भरत मोहन अपने बच्चों गोलू और  प्रिंसी सहित साथ थे। मैंने मुंबई जाने वाली पंजाब मेल में रिजर्वेशन कराया और जब सारी दुनिया नई साल का जश्न मना रही थी तब हम मुंबई की तरफ प्रस्थान कर चुके थे। शाम होते होते ट्रेन भोपाल पहुँची, यहाँ नए साल पर हमसे मिलने मेरे परम मित्र रूपक जैन साब, सचिन भाई सहित हमारा इंतज़ार कर रहे थे। भोपाल पहुंचकर एक बार फिर से जैन साब से मिलकर मुझे बहुत ही ख़ुशी हुई और मैंने कल्पना और साधना को उनसे मिलवाया। 

  जैन साब हमारे लिए शाम का भोजन पैक कराकर लाये थे, पांच मिनट की मुलाकात के बाद जब ट्रेन चल दी तो, जैन साब द्वारा राजहंस रेस्टोरेंट से लाये गए भोजन को हमने ग्रहण किया। जैन साब की अपने प्रति मित्रता को देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और मुझे आभास हुआ कि इतनी दूर रहकर भी वह मेरा कितना ध्यान रखते हैं।

   पंजाब मेल यूँ तो बहुत ही साफ़ सुथरी और सुपरफास्ट ट्रेन है परन्तु मथुरा से यह मुंबई तक पहुँचने में पूरे चौबीस घंटे लेती है। परन्तु इसबार इसने पूरे तीस तीस घंटे में हमें मुंबई पहुँचाया। 

मथुरा रेलवे स्टेशन पर मेरी पत्नी कल्पना और उसके भाई राम, लखन 

पंजाब मेल 

दतिया रेलवे स्टेशन 

ट्रेन पर लगे जम्मू और कश्मीर टूरिज्म के विज्ञापन के साथ मैं और भरत मोहन 

यह दृश्य भी सुहावना था - पंजाब मेल 

झाँसी रेलवे स्टेशन 

बबीना रेलवे स्टेशन 

भोपाल स्टेशन पर रूपक जैन साब से एक मुलाकात, साथ में सचिन भाई, कल्पना और साधना 

मुंबई के करीब - घोटी रेलवे स्टेशन 

इगतपुरी रेलवे स्टेशन 

मुंबई 

दादर रेलवे स्टेशन 

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल और मेरे सहयात्री 

सर्वेश भारद्वाज और मेरे सहयात्री - मुंबई सीएसटी 

मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल
 :-

मुंबई का सीएसटी रेलवे स्टेशन एक भव्य और आलिशान रेलवे स्टेशन है परन्तु जन सुविधाओं से यह उतना परिपूर्ण नहीं है जो एक छोटा मथुरा या आगरा जैसा रेलवे स्टेशन हो सकता है। हमें इस स्टेशन पर वेटिंग रूम खोजने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ी और जब हम वहां पहुंचे तो इसे देखकर मुंबई जैसे बड़े शहर की छवि हमारे मन में धूमिल हो गई।  

रेलवे स्टेशन पर ही मेरा मित्र सर्वेश भारद्वाज हमसे मिलने स्टेशन आ पहुंचा जिसे देखकर और मिलकर हमें अपार ख़ुशी हुई। सर्वेश मेरी ननिहाल और साधना के ग्राम आयराखेड़ा का रहने वाला है और मुंबई में जॉब करता है। मुंबई सीएसटी पर कुछ फोटो खींचने के बाद और अपना सामान क्लॉक रूम में जमा करने के बाद हम मुंबई घूमने निकल पड़े। 

मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल जो पहले बम्बई वी.टी. मतलब विक्टोरिया टर्मिनल के नाम से जाना जाता था, एक बहुत बड़ा रेलवे स्टेशन है और साथ ही इसकी ऐतिहासिक ईमारत को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में भी स्थान दिया गया है। आज यह मध्य रेलवे का मुख्यालय है, ब्रिटिश काल में इस स्टेशन निर्माण हुआ और इसके ही ठीक सामने मुंबई महानगर पालिका का मुख्यालय भी है जहाँ से इसे देखने पर एक बार को नजर कहीं और देखना ही भूल जाती है। स्टेशन के पास बने बस अड्डे पर खड़ी दोमंजिला बस भी मुंबई की ख़ास पहचान है। यहाँ से एक सिटीबस में बैठकर हम मुंबई की शान मरीन ड्राइव पहुंचे। 

मुंबई महानगर पालिका का मुख्यालय 


महानगर पालिका मुख्यालय - वृहत्त मुंबई 

मुंबई सीएसटी

मुंबई सीएसएमटी रेलवे स्टेशन 


दोमंजिला बसें - मुंबई 


मरीन ड्राइव : मुंबई 

मुंबई सीएसटी से कुछ ही दूर समुद्र के किनारे मुंबई के बड़े साफ़ सुथरे और चौड़े राजमार्ग के किनारे अर्ध वृत्ताकार आकर में मरीन ड्राइव स्थित है। यह एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है जहाँ हजारों लोगों को समुद्र किनारे बैठा या वॉकिंग करते देखा जा सकता है। मुंबई आने वाला हर पर्यटक मरीन ड्राइव देखने अवश्य आता है। रात्रि के समय जब यहाँ स्थित राजमार्ग पर लगी स्ट्रीट लाइट जलती हैं तो यह एक रानी के गले के हार जैसी प्रतीत होती हैं अतः इसे क्वीन नेकलेस भी कहा जाता है। यहाँ से एक सिटी बस द्वारा हम मरीन ड्राइव के अंतिम चरण मालाबार हिल्स पहुंचे। 

कलाचंद चौक - मुंबई 

मरीन ड्राइव मुंबई - मैं और कल्पना 

MARIN DRIVE - MUMBAI 

MARIN DRIVE ARBIAN SEA - MUMBAI 

SUDHIR UPADHYAY AT MUMBAI 


हैंगिंग गार्डन और कमला नेहरू पार्क 

मालाबार हिल्स पर स्थित हैंगिंग गार्डन का निर्माण, शहर की जलापूर्ति हेतु अंग्रेजों द्वारा हुआ था। यह एक सुन्दर उद्यान है जिसके ऊपर शानदार बाग़ बगीचे तथा इसके नीचे भूगर्भ में तीन पानी की विशाल टंकियां हैं जिनकी जल संग्रह की क्षमता बहुत ही अधिक है। इस उद्यान में घुमते हुए यह एहसास ही नहीं होता कि इसके नीचे जल का अथाह भंडार भी हो सकता है। इसके पास ही में कमला नेहरू उद्यान है जहाँ बूढ़ी अम्मा का जूताघर, बच्चों के मनोरंजन हेतु आकर्षण का केंद्र है। जूताघर देखने के बाद पैदल पैदल ही हम बाणगंगा स्थित बालुकेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचे। 


HANGING GARDEN - MUMBAI 

HANGING GARDEN - MUMBAI 

KAMLA NEHRU PARK - MUMBAI 

SHOE HOUSE - MUMBAI 

A VIEW OF MUMBAI FROM KAMLA NEHRU PARK 




बाणगंगा और बालुकेश्वर महादेव  


बालुकेश्वर का पता पूछते हुए जब हम यहाँ पहुंचे तो हमारी नजर एक आयताकार कुंड पर पड़ी जो बाणगंगा के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम, सीता जी की खोज करते हुए इस स्थान पर पहुंचे और समुद्र किनारे मीठा पीने योग्य जल ना होने के कारण यहाँ धरती में बाण चलाकर मीठा जल उत्पन किया तभी से यह स्थान बाणगंगा के नाम से प्रसिद्ध हुआ और यहीं बालू से भगवान शिव की पूजा हेतु एक शिवलिंग का निर्माण किया जो कालांतर में बालुकेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ आकर हमें अपनी इस पर्यटन यात्रा में धार्मिक यात्रा का एहसास सा हुआ और बालुकेश्वर के दर्शन कर हम वापस मरीन ड्राइव पहुँचें। 

BANGANGA - MUMBAI 

BALUKESHWAR SHIVLING - MUMBAI 

BALUKESHWAR TEMPLE - MUMBAI 




तारापोरवाला मत्स्यालय 


जिस बस से हम मालाबार हिल्स पहुंचे उसी से ही वापस मरीन ड्राइव लौटे। मरीन ड्राइव बीच के ही ठीक सामने तारापोरवाला मत्स्यालय है, मैं पिछली बार जब माँ के साथ मुंबई आया था तब मैं इसे अकेला देखकर गया था। आज साधना और कल्पना को मैंने इसे देखने इसके अंदर भेजा और मैं बाहर ही बैठ गया। सन 1959 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसका उद्घाटन किया। इसके अंदर कांच के बॉक्सों में बहुत ही तरह की मछलियां और समुद्री जीवों को देखा जा सकता है।  इसके अंदर प्रवेश करने के बाद लगता है कि जैसे हम साक्षात् समुद्र में ही विचरण कर रहे हों। 

TARAPOREVALA AQUARIUM - MUMBAI 


TARAPOREVALA AQUARIUM - MUMBAI 

 MARIN DRIVE - MUMBAI 

 MARIN DRIVE - MUMBAI 

 MARIN DRIVE - MUMBAI 


सीएसटी से एलटीटी - मुंबई लोकल का सफर

हमारे रात्रि विश्राम की व्यवस्था मैंने लोकमान्य तिलक टर्मिनल स्टेशन पर बने रिटायरिंग रूम में की थी जहाँ मैंने एक कमरा बुक कर रखा था। तारापोर मत्स्यालय देखने के बाद हम सीएसटी स्टेशन वापस लौटे और यहाँ बने जनआहार रेस्टोरेंट से खाना खाकर और अपना सामान क्लॉक रूम से लेकर, मुंबई लोकल द्वारा तिलक नगर की तरफ रवाना हुए। तिलक नगर, लोकमान्य तिलक टर्मिनल स्टेशन का नजदीकी लोकल स्टेशन है जो कुर्ला से थोड़ा ही आगे है। तिलक नगर से लोकमान्य तिलक टर्मिनल के लिए कॉरिडोर बना है जिसके द्वारा हम अपने रूम पर पहुँच गए। तभी सर्वेश का फोन भी आ गया और उसने मुझे अपने गोरेगाँव स्थित कमरे पर बुलाने की इच्छा प्रकट की। 

MUMBAI CSTM IN NIGHT

TILAK NAGAR RAILWAY STATION - MUMBAI 


तिलक नगर से राम मंदिर - मुंबई लोकल यात्रा 

आज नई साल का दूसरा दिन था, अपने सहयात्रियों को एलटीटी स्टेशन स्थित रिटायरिंग रूम में पहुँचाने के बाद मैं वापस तिलक नगर पहुंचा और वहां से कुर्ला, दादर होते हुए वेस्टर्न रूट के गोरेगाँव स्थित राम मंदिर रेलवे स्टेशन पहुंचा और स्टेशन से थोड़ी दूर एक बहुमंजिला ईमारत के कमरे में रहने वाले अपने मित्र सर्वेश के पास पहुंचा। यहाँ सर्वेश के साथ कार्य करने वाले उसके अन्य मित्रों से भी मेरी मुलाकात हुई। रात को बारह बजे तक उन लोगों ने मेरे इंतज़ार में खाना नहीं खाया और जब मैं वहां पहुँच गया तब हम सबने मिलकर रात्रि भोजन किया। 

RAM MANDIR RAILWAY STATION - MUMBAI 

A ONE NIGHT WITH SARVESH & HIS FRIEMDS AT HIS ROOM - MUMBAI 

RAM MANDIR RAILWAY STATION - MUMBAI 

MATUNGA ROAD RAILWAY STATION - MUMBAI 

चेम्बूर और मोनो ट्रेन 

सर्वेश के पास रात को रुकने के बाद अगली सुबह मैं फिर से एलटीटी पहुंचा और अपने सभी सहयात्रियों सहित सामान इसी स्टेशन के क्लॉकरूम में जमा करने के बाद हम चेम्बूर स्थित मोनो ट्रेन में यात्रा करने चेम्बूर मोनो स्टेशन पहुंचे। मोनो ट्रेन लगभग मेट्रो ट्रेन की तरह  ही होती है परन्तु यह मेट्रो की तरह लोहे की पटरियों पर नहीं बल्कि पत्थर के पिलरों पर चलती है। 

पिछली बार जब मैं मुंबई आया था तब इस ट्रेन में यात्रा कर चुका था मेरे सहयात्रियों के लिए इसमें सफर करना एक नई बात थी। कुछ ही समय में मोनो ट्रेन प्लेटफार्म पर आई और हम इसमें दादर के लिए रवाना हो गए। दादर पहुंचकर हमें मुंबई लोकल पकड़नी थी किन्तु यहाँ मुंबई लोकल का सबसे नजदीकी स्टेशन वडाला रोड था। हम पैदल ही यहाँ पहुंचे, रास्ते में एक चाय की दुकान से हमने चाय के साथ बड़ा पाव का नाश्ता किया। वडाला रोड पहुंचकर हम मुंबई लोकल द्वारा बोरीवली की तरफ रवाना हो गए।  


LOKMANY TILAK TERMINAL RAILWAY STATION  

LOKMANY TILAK TERMINAL RAILWAY STATION  

CORRIDOR FOR CHEMBUR MONO TRAIN

CHEMBUR MONO RAIL STATION 

AT CHEMBUR

MONO TRAIN IN MUMBAI 

KALPANA UPADHYAY IN MONO TRAIN 

MUMBAI 

MONO TRAIN TRACK AT MUMBAI 

MUMBAI AND MONO TRAIN 

MUMBAI MONO RAIL

WADALA ROAD RAILWAY STATION 


संजय गाँधी नेशनल पार्क 


कुछ ही समय में हम मुंबई लोकल द्वारा बोरीवली पहुंचे। यह संजय गाँधी नेशनल पार्क का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। टिकट लेने के बाद हम पैदल ही नेशनल पार्क घूमने निकल पड़े। 104 वर्ग किमी में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान मुंबई की भीड़भाड़ से दूर एक शांत, हराभरा प्राकृतिक वातावरण से भरपूर स्थान है जहाँ विभिन्न प्रजाति के जीवजंतुओं को देखा जा सकता है। 

इस पार्क में एक टॉयट्रेन भी चलती है जो कृष्णागिरी नामक रेलवे स्टेशन से पूरे उद्यान का भ्रमण कराकर वापस यहीं छोड़ती है, इस ट्रेन में यात्रा करने का भी एक अलग ही आनंद है। यहीं से कुछ दूर एक सिटीबस द्वारा इसी उद्यान में स्थित कान्हेरी गुफाएं भी देखने जाया जा सकता है जिसका विवरण आपको अगली पोस्ट में पढ़ने को मिलेगा। 

BORIVALI RAILWAY STATION - MUMBAI 

ENTRY GATE OF SANJAY GANDHI NATIONAL PARK 

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI 

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI

SANJAY GANDHI NATIONAL PARK - MUMBAI


 मुंबई और मुंबई के लोग 

मुंबई आकर यहाँ की फिल्म सिटी देखने की इच्छा हर पर्यटक को होती है और ऐसी ही इच्छा मेरे सहयात्रियों को भी हुई जिनमे कल्पना की तो सर्वोपरि थी। इसलिए कान्हेरी से लौटने के पश्चात् और नेशनल पार्क से बाहर निकलने के बाद हमने फिल्म सिटी जाने के लिए एक ऑटो हायर किया और फिल्म सिटी की तरफ रवाना हुए। ऑटो वाला भाई एक मराठी इंसान था और वो जानता था कि हम पर्यटक हैं और मुंबई घूमने आये हुए हैं उसने हमें मुंबई के बारे में बहुत कुछ बताया। 

वह एक अच्छा इंसान था, मुंबई में हम जहाँ भी गए हमें सभी जगह अच्छे इंसान ही मिले अच्छे से मतलब अतिथियों को सम्मान देने वाले इंसान।अधिकतर लोगों के मन में  मुंबई वासियों के बारे में गलतधारणा रहती कि ये लोग बाहरी लोगों से नफरत करते हैं खासकर यूपी और बिहार वालों से, यहाँ चोर लुटेरे बहुत ही मात्रा में मिलते हैं और यहाँ कोई किसी का सहयोग नहीं करता, बिना मतलब किसी से कोई बात नहीं करता। यह सारी बातें इन दो दिनों की हमारी मुंबई यात्रा के दौरान गलत साबित हुईं।  

अपनी सावधानी अपने हाथ होती है और अपना व्यवहार दूसरों के साथ। आप अच्छे हैं जो आपके लिए मुंबई भी अच्छी है और यहाँ के लोग भी। मुंबई में सबकुछ है, बस यहाँ रहने के लिए जमीन नहीं है अतः यहाँ लोग बहुमंजिला इमारतों में रहते हैं और यही गगनचुम्बी बहुमंजिला इमारतें मुंबई की पहचान हैं। 



फिल्म सिटी - दादा साहेब फाल्के चित्रपट नगरी

खैर हमलोग फिल्म सिटी पहुंचे। फिल्मसिटी संजयगांधी नेशनल पार्क का ही एक हिस्सा है और इसके एक किनारे बसी हुई है जहाँ सैकड़ों फिल्मों और सीरियलों के सेट लगे होते हैं जिनमें प्रतिदिन प्रसारित होने वाले धारावाहिकों की शूटिंग निरंतर चलती रहती है। फिल्मसिटी में पैदल और बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है। फिल्मसिटी देखने के लिए फिल्मसिटी वालों की तरफ से एक बस संचालित होती है जिसमें आप टिकट लेकर फिल्मसिटी घूम सकते हैं। जब हम यहाँ पहुंचे तो सूर्यास्त नजदीक था और फिल्मसिटी में सूर्यास्त के बाद पर्यटकों का प्रवेश वर्जित रहता है। अतः यहाँ से गोरेगांव पहुंचकर हम जुहू बीच की तरफ रवाना हो गए। 

ENTRY GATE OF FILM CITY - MUMBAI 


जुहू बीच 

    जुहू बीच मैं पिछली बार भी अपनी माँ के साथ देख चुका था। अब शाम करीब ही थी, मुंबई लोकल द्वारा हम विलेपार्ले रेलवे स्टेशन पहुंचे जहाँ से जुहू जाने के लिए स्टेशन के बाहर ही ऑटो मिल जाते हैं। ऐसे ही दो ऑटो हायर कर हम जुहू बीच पहुंचे। रास्ते मैं अमिताभ बच्चन जी का बांग्ला 'जलसा' भी हमें ऑटो वाले भाई ने दिखाया। समुद्र किनारे बसा जुहू बीच मुंबई के खूबसूरत स्थानों में से एक है और बहुत ही पुराना बीच है। समुद्र की लहरों का असली आनंद यहाँ लिया जा सकता है। मुंबई की यह आखिरी शाम जुहू के बीच पर यादगार बनकर रह गई। यहीं बने फ़ूड बाजार में पावभाजी और कालाखट्टा जैसे बर्फ के गोले खाने का एक अलग ही आनंद है। यहीं पास ही में छत्रपति शिवाजी जी की मूर्ति भी देखने लायक है। काफी समय गुजारने के बाद हम यहाँ से रवाना हो गए। 

A TRIP IN MUMBAI LOCAL

VILE PARLE RAILWAY STATION 

MUMBAI SELFIE POINT

JUHU BEACH - MUMBAI 

JUHU BEACH - MUMBAI 

JUHU BEACH - MUMBAI 

JUHU BEACH - MUMBAI 

SADHANA EATING KALA KHATTA AT MUMBAI

SHIVAJI MAHARAJ STATUE AT JUHU BEACH MUMBAI

SHIVAJI MAHARAJ STATUE AT JUHU BEACH MUMBAI


शांताक्रूज बस स्टॉप और जुर्माना 

    जुहू से शांताक्रूज रेलवे स्टेशन के लिए एक सिटी बस चलती है जो बहुत ही भीड़ से भरी हुई थी, मैं और साधना इसके आगे और पीछे वाले दरवाजों से इसमें चढ़े और कंडक्टर के ना आ पाने के कारण टिकट नहीं ले पाए।  इसके आखिरी स्टॉप पर जैसे ही हम उतरे तो हमें टिकट चेक करने वाले स्टाफ ने हमसे टिकट माँगा। मैंने सोचा था की शायद साधना ने पीछे टिकट ले लिया होगा और थोक ऐसा ही साधना ने मेरे बारे में सोच लिया। 

    बस इसी ग़लतफ़हमी में हम बेटिकट साबित हुए और हमें 55 रूपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से जुर्माना अदा करना पड़ा। हम कुछ छः लोग थे इसलिए टिकट चेकर  हमें छः अलग अलग जुर्माने की रसीद काटकर दी। अपनी गलती की सजा पाकर भी हम खुश थे, क्योंकि यह पहला ही चांस था जब हम अपनी मुंबई यात्रा के दौरान बिना टिकट यात्रा करते हुए पकडे गए थे अन्यथा हमने यहाँ हर बस और लोकल में उचित टिकट लेकर ही यात्रा की थी। 

गेट वे ऑफ़ इंडिया 


    शांताक्रूज से हम चर्चगेट जाने वाली लोकल का इंतजार करने लगे, यहाँ फ़ास्ट और स्लो दो तरह की लोकल शटल चलती हैं। एक फ़ास्ट शटल में भरत मोहन अपने बच्चों सहित चढ़ गए और लोकल रवाना हो गई, चलती ट्रेन में चढ़ने से मैंने कल्पना और साधना को रोका और उन्हें समझाया कि ऐसा करना खतरनाक है, थोड़ी देर में आई दूसरी लोकल से हम चर्चगेट पहुंचे और भारतमोहन से मिलकर एक टैक्सी द्वारा गेट वे ऑफ़ इंडिया पहुंचे। 

   यह समुद्र किनारे भारत का पश्चिमी प्रवेश द्वार है जिसका निर्माण अंग्रेजों ने सन 1911 में किया था। यह एक खूबसूरत ईमारत है जो मुंबई की सबसे पहली और खास पहचान है और इसी के पास मुंबई का प्रसिद्ध और आलिशान ताज होटल भी दिखाई देता है जो अपनेआप में एक शानदार भव्यता का दर्शन कराता है। कुछ समय यहाँ बिताने के बाद हम एलटीटी के लिए रवाना हो गए, जहाँ से अजंता के लिए हमारी ट्रेन कुशीनगर एक्सप्रेस का चलने का समय नजदीक हो चला था। 

NEW TAJ HOTEL - MUMBAI

GATEWAY OF INDIA - MUMBAI

GATEWAY OF INDIA - MUMBAI


TAJ HOTEL - MUMBAI 


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