Wednesday, March 25, 2020

BHOPAL CITY


भोपाल शहर और घर वापसी 



इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये। 

भोजपुर से लौटने के बाद दिन ढल चुका था और भोपाल शहर ने काले रंग की शॉल से ओढ़ ली थी परन्तु मध्य प्रदेश की राजधानी होने के नाते इसकी चमक बरकरार थी जिससे यह लग ही नहीं रहा था कि शाम हो चुकी है और अँधेरा बढ़ने लगा है। जैनसाब, शाम के भोजन के लिए एक आलिशान रेस्टोरेंट में हमें लेकर पहुंचे। यहाँ उज्जैनी के प्रसिद्ध दाल फाफले मिलते हैं जो मैंने जीवन में पहली बार खाये थे। यह खाने में अत्यंत ही स्वादिष्ट थे और हमारे खाने के बाद रेस्टोरेंट की मैनेजर ने हमसे खाने की गुणवत्ता को लेकर फीडबैक भी लिया जो हमारी तरफ से शानदार था। 


... 
   खाना खाने के बाद हम भोपाल के बड़े तालाब पर पहुंचे, यहाँ राजा भोज के नाम से शानदार सेतु भी बना हुआ है जिससे गुजरने के दौरान हमें भोपाल घूमने के सौभाग्य का आभास भी हुआ जो हमारे प्रिय बड़े भाई रूपक जैन साब की मेहरबानी से संभव हुआ। तालाब के एक किनारे काँसे से बनी राजा भोज की मूर्ति भी अत्यंत दर्शनीय है और इस तालाब में चलने वाला एकमात्र क्रूज भी। इस मूर्ति के साथ मैंने और कुमार ने कुछ सेल्फी ली और हम जैन साब के साथ आगे बढ़ चले। जैन साब हमें आइसक्रीम खिलवाने सिंधी बाजार बैरागढ़ लेकर पहुंचे परन्तु आज शनिवार होने की वजह से यह बाजार हमें बंद मिला और आइसक्रीम की दुकान भी।

... 
    इसके बाद हम गौहर पैलेस पहुंचे जहाँ आज लोक संस्कृति से संबंधित बाजार या मेला का उद्घाटन हुआ था। गौहर महल भोपाल की एक पुरानी और प्रसिद्ध जगह है। जैन साब ने बताया कि यहां कई सारी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। गौहर महल देखने के बाद हम जब बहुत थक गए तो जैन साब ने अपनी गाडी का रुख घर की तरफ कर दिया और गाडी को बाजार की छोटी छोटी गलियों में से निकालकर अपनी पार्किंग में खड़ा किया और इसके बाद हमें अपनी CBZ बाइक की चाबी देकर कहा कि सुबह उठकर जहाँ आपका मन चाहे घूम आना। 

... 
    जैन साब का ये प्यार और विश्वास देखकर उनके प्रति सम्मान मेरे दिल में और भी बढ़ गया। जब उन्होंने अपनी कार से हमें भोपाल घुमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी तो अब बाइक से हम देखने भी क्या जाते। परन्तु बाइक की चाबी लेकर मैं और कुमार होटल वापस लौट आये और अपने कमरे में आराम करने लगे। रात को 9 बजे जब जैन साब अपने परिवार सहित ठाकुर जी के दर्शन करने जाते हैं तब उनका फोन मेरे पास आया और हमारे कुशल हाल जाने। हम बहुत थक चुके थे और नींद के आगोश में थे, इसलिए उनके साथ मंदिर ना जा सके।

... 
   अभी फोन कटने के बाद हम सोये ही थे कि दरवाजे पर नॉकऑउट हुआ, मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो जैन साब के छोटे भाई और उनके छोटे पुत्र मोह जैन हमारे लिए कुल्हड़ में बादाम वाला दूध लिए खड़े हुए थे। जैन साब के छोटे भाई उनकी ही तरह मिलनसार व्यक्ति है। वह हमसे मिलने दूध लेकर ऐसे आये जैसे यह उनकी और हमारी पहली मुलाकात नहीं बल्कि बहुत ही पुरानी दोस्ती हो। मैं उन्हें और उनके व्यक्तित्व देखकर ही पहचान गया था कि हो न हो यह छोटे भाई ही हैं जिनके बारे में जैन साब ने रास्ते में जिक्र किया था। 

... 
    इतना ख्याल रखने वाले और अतिथि को देवता से बढ़कर सम्मान देने वाले इस परिवार को आज मैं और कुमार दिल से सैल्यूट कर रहे थे। हमें एहसास हो चुका था कि दुनिया अभी भी सिर्फ इसीलिए टिकी है कि आज भी रूपक जैन साब और उनके परिवार जैसे ईश्वरभक्त और मानव प्रेमी लोग इस धरती पर हैं। 

... 
    सुबह हम जल्द ही नहा धोकर तैयार हो गए और सीधे जैन साब के घर पहुंचे। आज यात्रा पर निकलने से पहले जैन साब ने हमारा परिचय अपने परिवार से कराया और अपने घर में हमारा स्वागत किया। जैन साब और उनके  परिवार से मिलकर हमें बहुत ख़ुशी हुई और हमने उनका धन्यवाद किया कि उन्होंने हमें अपने दिल में वो स्थान और सम्मान दिया जो शायद कोई अपना भी नहीं दे सकता था। घर से फिर हम जैन साब के साथ साँची की तरफ रवाना हुए जहाँ उदयगिरि की गुफाएं और कर्क रेखा देखने के बाद शाम को वापस भोपाल लौटे। भोपाल लौटने पर हम भोपाल के ट्राइबल म्यूजियम पहुंचे जहाँ बने ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने के बाद विधान सभा क्षेत्र देखते हुए वापस घर पहुंचे।

... 
   होटल से चेकआउट हमने सुबह ही कर लिया था और अपने बैग जैन साब के घर पर ही रख दिए थे। अब हमारी ट्रेन का भी समय हो चुका था इसलिए अपनी स्कूटी पर हमें बैठा कर जैन साब हमें राजहंस रेस्टोरेंट लेकर पहुंचे और यहाँ सचिन भाई को हमारे स्टेशन छोड़ने की जिम्मेदारी देकर हमसे विदा ली। जैसे ही उन्होंने हाथ जोड़कर हमसे विदा मांगी तो आज एक पल को ऐसा लगा जैसे जैन साब ने हमसे विदा नहीं हमारा दिल मांग लिया हो। मैं कभी भी किसी से बिछड़कर इतना दुखी नहीं हुआ था जितना आज जैनसाब से बिछड़कर हुआ था। 

... 
    आज मेरे सामने स्वादिष्ट भोजन की थाली लगी हुई थी किन्तु मैं आज रेस्टोरेंट में होकर भी वहां नहीं था। मेरा दिल बहुत जोरों से रोने लगा था और बिना मन के खाना खाकर मैं और कुमार सचिन भाई के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचे। यह यात्रा ही तो है जो शुरू होने में जितनी प्यारी लगती है उतना ही समाप्त होने पर कभी कभी दुःख भी देती है। इस पूरी यात्रा में जैन साब ने हमें मिलने से बिछड़ने तक एक भी रुपया खर्च नहीं करने दिया चाहे इसके लिए कुमार ने कितना भी जोर लगा लिया था।

रूपक जैन साब बहुत बड़े घुमक्कड़ व्यक्ति हैं जिन्होंने पहाड़ों से लेकर सागरों तक अनेकों यात्रायें की हैं।  रूपक जैन साब के बारे में जानने के लिए उनकी इस फेसबुक आईडी पर क्लिक कीजिये।
https://www.facebook.com/roopak.jain.798    


II भोपाल यात्रा समाप्त II 

राजा भोज सेतु - भोपाल 

THE STATUE OF KING BHOJAS

बड़ा तालाब और राजा भोज की काँसे की मूर्ति - भोपाल 

दो मित्रों की सेल्फी 



उज्जैन के प्रसिद्ध दाल फाफला 

गौहर महल - भोपाल 

GOUHAR PLACE - BHOPAL 

GOUHAR PLACE - BHOPAL


GOUHAR PLACE - BHOPAL

GOUHAR PLACE - BHOPAL

GOUHAR PLACE - BHOPAL

A SELFI IN HOTEL 

जैनसाब की बाइक 

होटल के सामने का दृश्य - भोपाल 

जरूरी बात करता कुमार 


TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

TRIBAL MUSEUM - BHOPAL 

BHOPAL SELFIE 
THANKS FOR YOUR VISIT 


विनम्र निवेदन :- नए अपडेटेड ब्लॉग पढ़ने के लिए कृपया FOLLOW के बटन अवश्य क्लिक कीजिये। 

इस यात्रा के अन्य भाग 

No comments:

Post a Comment

Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.