राधाकुंड मेला - अहोई अष्टमी की एक रात
माना जाता है कि अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि को राधाकुंड में स्नान किया जाये तो एक वर्ष के अंदर संतान प्राप्ति का सुख निश्चित प्राप्त होता है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि राधाकुंड में स्नान करने का पौराणिक महत्त्व है इस दिन ब्रज की अधिष्ठात्री देवी श्री राधारानी इस कुंड में एक साथ स्नान करने वाले भक्तो को संतान प्राप्ति का फल देती हैं और साल भर के भीतर उनके यहाँ संतान जन्म लेती है। इस दिन गोवर्धन मथुरा स्थित राधाकुंड में विशाल मेला लगता है।
राधाकुंड का निर्माण स्वयं भगवान कृष्ण ने अपनी बांसुरी की नोक से खोदकर किया था जब उन्होंने बछड़े का रूप लेकर आये महादैत्य अरिष्टासुर का वध किया था जिससे उन्हें गोहत्या का पाप लगा। राधारानी के कहने पर इस पाप से मुक्ति पाने के भगवान कृष्ण ने सभी तीर्थों का जल राधाकुंड में मिलकर उसमे स्नान किया और गोहत्या के पाप से मुक्ति पाई साथ ही राधारानी को यह वरदान दिया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि जो भी इस कुंड में स्नान करेगा उसे संतान की प्राप्ति अवश्य होगी।
इसी विश्वास के कारण देश के कोने कोने से लाखों लोग हर साल अहोई अष्टमी की रात्रि को स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं और संतान प्राप्ति का फल पाते हैं। मैं इस शुभ मौके को अपनी आँखों से देखना चाहता था, जब मैं राधाकुंड पहुंचा तो देखा यहाँ आज बहुत अधिक भीड़ थी परन्तु मन में अगर सच्ची आस्था हो तो राधारानी की कृपा से सारी मुश्किलें आसान हो जाती हैं , मध्य रात्रि बारह बजे दिव्य स्नान शुरू हुआ और मैंने भी इस दिव्य स्नान में भाग लिया। रात को अपनी पत्नी के साथ मैंने राधाकुंड में डुबकी लगाई। राधाकुंड के चारों घाट आज भक्तों से भरे हुए थे और समस्त राधाकुंड जय श्री राधे के नारों से गूंज रहा था। अगर आप भी संतान प्राप्ति का सुख चाहते हैं तो अहोई अष्टमी की रात्रि को राधा कुंड में स्नान अवश्य करें।
जय श्री राधे
मैंने भी रात्रि में ही यह कुण्ड देखा था।
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