UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
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बुद्धपूर्णिमा एक्सप्रेस - गया से पटना और राजगीर
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रोहतासगढ़ से लौटने के बाद मैं डेहरी ऑन सोन स्टेशन पर आ गया था, यहाँ से गया जाने के लिए मुझे झारखण्ड स्वर्णजयंती एक्सप्रेस मिल गई और सोन नदी पुल पार करके मैं गया पहुँच गया। गया पहुँचने तक मुझे शाम हो चुकी थी, स्टेशन पर उतरकर मुझे अनायास ही एहसास हुआ कि यह एक तीर्थ स्थान है और मुझे माँ को यहाँ लेकर आना चाहिए था। स्टेशन से बाहर निकलकर मैं बाजार पहुंचा और विष्णुपद मंदिर की तरफ रवाना हो गया। काफी चलने के बाद जब मैं थक गया तो एक हेयर सैलून में अपने बाल कटवाने पहुँच गया।
बाल कटवाने के बाद मैं फिर से विष्णुपद मंदिर की तरफ रवाना हुआ फिर मन में सोचा कि अब रात भी हो चुकी है और पटना जाने वाली ट्रेन का समय भी होने वाला है, किसी दिन माँ के साथ ही आऊंगा तभी विष्णु जी के दर्शन भी हो जायेंगे और फल्गु नदी को भी देख लेंगे इसके अलावा बौद्ध गया का मंदिर भी देख लेंगे, अभी गया घूमने का उपयुक्त समय नहीं है इसलिए बिना दर्शन किये ही वापस स्टेशन आ गया।
बाल कटवाने के बाद मैं फिर से विष्णुपद मंदिर की तरफ रवाना हुआ फिर मन में सोचा कि अब रात भी हो चुकी है और पटना जाने वाली ट्रेन का समय भी होने वाला है, किसी दिन माँ के साथ ही आऊंगा तभी विष्णु जी के दर्शन भी हो जायेंगे और फल्गु नदी को भी देख लेंगे इसके अलावा बौद्ध गया का मंदिर भी देख लेंगे, अभी गया घूमने का उपयुक्त समय नहीं है इसलिए बिना दर्शन किये ही वापस स्टेशन आ गया।
स्टेशन के बाहर बने एक ढाबे पर खाना खाकर मैं स्टेशन पहुंचा और पटना जाने वाली लोकल शटल का इंतज़ार करने लगा। शटल में बैठकर मैं पटना पहुँच गया। पटना से राजगीर जाने वाली बुद्धपूर्णिमा एक्सप्रेस यहाँ रात को एक बजे आएगी तब तक मैं पटना घूमता रहा। पटना के बाहर बना महावीर मंदिर रात्रि के समय काफी अच्छा लग रहा था, मुझे यहाँ लिट्टी चोखा बनाने वाले की दूकान की तलाश थी जो कुछ देर बाद मुझे मिल गई और मैंने गर्म गर्म लिट्टी चोखा खा लिए।
पटना मैं पहले भी आ चुका हूँ तब मेरे साथ मेरी मौसी का लड़का महेश मेरे साथ था। रात के बारह बज चुके थे, आज से दो तीन दिन बाद बिहार का लोकप्रिय पर्व छट पूजा की तैयारियां जोरों पर थी। काफी संख्या में लोग पटना के रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे और अपने अपने घर जा रहे थे। वैसे तो अभी दीपावली को गए हुए ज्यादा दिन नहीं हुए थे परन्तु फिर भी बिहार में दीपावली के बाद मुख्य पर्व छठ पूजा ही है जिसे मनाकर ही बिहार वालों की छुट्टियां समाप्त होती हैं।
पटना मैं पहले भी आ चुका हूँ तब मेरे साथ मेरी मौसी का लड़का महेश मेरे साथ था। रात के बारह बज चुके थे, आज से दो तीन दिन बाद बिहार का लोकप्रिय पर्व छट पूजा की तैयारियां जोरों पर थी। काफी संख्या में लोग पटना के रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे और अपने अपने घर जा रहे थे। वैसे तो अभी दीपावली को गए हुए ज्यादा दिन नहीं हुए थे परन्तु फिर भी बिहार में दीपावली के बाद मुख्य पर्व छठ पूजा ही है जिसे मनाकर ही बिहार वालों की छुट्टियां समाप्त होती हैं।
रात को करीब दो बजे बुद्धपूर्णिमा एक्सप्रेस पटना स्टेशन पर आई, लोग ट्रेन में चढ़ने के लिए आतुर खड़े हुए थे उन्हें देखकर मैं भी सतर्क हो गया। यह ट्रेन वाराणसी से चलकर गया होते हुए राजगीर तक जाती है। गया से तो मैं पटना आ गया परन्तु पटना से अब इसी ट्रैन द्वारा मुझे राजगीर भी पहुँचना था। भीड़ में से पार होकर मैं ट्रैन में चढ़ गया और एक ऊपर वाली सीट पर अपना आसान जमा लिया। और सुबह तक उसी सीट पर सोते हुए मैं राजगीर पहुँच गया।
एक बिहारिन आंटी ने मुझे जगाया तो पता चला ट्रेन अपने आखिरी स्टेशन राजगीर पर खड़ी हुई थी। सुबह सुबह राजगीर की हवा और शांत वादियों में बसा शहर राजगीर वास्तव में बिहार की अलौकिक शान है।
एक बिहारिन आंटी ने मुझे जगाया तो पता चला ट्रेन अपने आखिरी स्टेशन राजगीर पर खड़ी हुई थी। सुबह सुबह राजगीर की हवा और शांत वादियों में बसा शहर राजगीर वास्तव में बिहार की अलौकिक शान है।
MAHABODHI TEMPLE, GAYA |
VISHNUPAD TEMPLE IN GAYA |
GAYA RAILWAY STATION |
PATNA JN. |
MAHAVIR TEMPLE OUT OF PATNA RAILWAY STATION |
बिहार यात्रा के भाग
- अबकी बार - बिहार
- बिहार की तरफ एक रेल यात्रा
- माँ ताराचंडी शक्तिपीठ धाम
- शेरशाह सूरी और उसका मकबरा
- रोहतासगढ़ की तरफ एक यात्रा
- बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस
- राजगीर या राजगृह
- वैभारगिरि पर्वत और सप्तपर्णी गुफा
- जरासंध और जरा देवी मंदिर
- सोनभंडार गुफा
- विश्व शांति स्तूप, राजगीर
- मगध एक्सप्रेस - इस्लामपुर से नईदिल्ली
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