UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
वैभारगिरि पर्वत और सप्तपर्णी गुफा
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ब्रह्मकुंड में स्नान करने के बाद मैं इसके पीछे बने पहाड़ पर चढ़ने लगा, यह राजगीर की पांच पहाड़ियों में से एक वैभारगिरि पर्वत है जिसे राजगीर पर्वत भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इसी पर्वत पर वह ऐतिहासिक गुफा स्थित है जहाँ अजातशत्रु के समय प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था। इसे सप्तपर्णी गुफा कहते हैं। माना जाता है प्रथम बौद्ध संगीति महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के अगले वर्ष मगध सम्राट अजातशत्रु द्वारा राजगृह की सप्तपर्णी गुफा में आहूत की गई जिसमे 500 से भी अधिक बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया था तथा जिसकी अध्यक्षता महाकश्यप द्वारा की गई।
इसी के साथ ही यहाँ जैन सम्प्रदाय के कुछ पूजनीय मंदिर भी स्थित हैं। और इनके अलावा एक महादेव का मंदिर भी इस पर्वत स्थित है। इसप्रकार यह पर्वत तीनों धर्मो के लिए विशेष महत्त्व रखता है।
कुछ ऊँचाई पर चढ़ने के बाद मैं पीपला गुफा पर पहुंचा, यह एक ऐतिहासिक स्थल है, इसे जरासंध की बैठक के नाम से भी जाना जाता है इसका निर्माण जरासंध ने ही करवाया था। यहाँ कुछ लोग सुबह सुबह योगासन भी कर रहे थे, यहाँ से राजगीर की सुंदरता देखते ही बनती है। इस पर्वत के नीचे गरमपानी के स्त्रोत हैं इसलिए यह स्थान योग आदि करने के लिए उपयुक्त स्थान है।
इसके पश्चात् अधिक ऊंचाई पर पहुँचने के बाद जैनधर्म का एक मंदिर मुझे देखने को मिला। इस पर्वत पर कुल पांच मंदिर जैन सम्प्रदाय के थे। जैन सम्पदाय के लोग यहाँ इन मंदिरों के दर्शनार्थ हेतु पधारे हुए थे, शारीरिक रूप से अशक्त थे वे यहाँ पालकी में बैठकर आ रहे थे। मैं यहाँ अपने भोलेबाबा के दर्शन के लिए पहुंचा, यह मंदिर देखने में काफी पुराना और राजा बिम्बिसार के समय का माना जाता है। वक़्त के साथ इस मंदिर की मूल संरचना समाप्त हो चुकी है। परन्तु इस मंदिर का शिवलिंग आज भी अपने मूलरूप में ही है। इस मंदिर का नाम बाबा सिद्धनाथ सोमनाथ है। इसके पास ही जैनधर्म के प्राचीन भग्नावेश भी मौजूद हैं। माना जाता है कि यह भग्नावेश इस मंदिर पर स्थित पुराने जैन मंदिरों के हैं जो अजातशत्रु के शासनकाल में अपने चरम पर थे तब यहाँ नए जैन मंदिरों का निर्माण नहीं हुआ था।
इसके पश्चात मैंने यहाँ सप्तपर्णी गुफा की जानकारी की तो पता चला कि इस गुफा तक जाने के लिए पहाड़ से थोड़ा सा नीचे उतरना पड़ता है। मैंने वहां जाकर देखा तो वाकई में जाना कि महात्मा बुद्ध ने प्रथम बौद्ध संगीति के लिए क्या स्थान चुना था। सप्तपर्णी गुफा आज भी अपने मूल रूप में ही हैं जो महात्मा बुद्ध के समय थी वही आज भी है। सप्तपर्णी गुफा के सामने पूरा राजगीर दिखाई देता है।
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PEEPLA CAVE, RAJGIR |
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PEEPLA CAVE, RAJGIR |
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PEEPLA CAVE OR JARASANDH KI BAITHAK |
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जरासंध की बैठक |
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A VIEW OF BRAHMKUND FROM VAIBHARGIRI MOUNTAIN |
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वैभारगिरि पर्वत |
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सप्तपर्णी गुफा की ओर |
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दिगंबर जैन मंदिर, वैभारगिरि |
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बाबा सिद्ध सोमनाथ मंदिर का द्वार |
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रास्ते में एक जैन मंदिर |
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RUINS OF JAIN TEMPLE |
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जैन मंदिर, वैभारगिरि |
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वैभारगिरि पर्वत से राजगीर का नजारा |
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RAJGIR MOUNTAIN |
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GOUTAM GANDHAR TOONK ROAD |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावेश, वैभारगिरि पर्वत |
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बाबा सिद्ध सोमनाथ मंदिर |
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जय बाबा सिद्ध सोमनाथ |
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SAPTPARNI CAVES, RAJGIR |
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सप्तपर्णी गुफा |
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SAPRPARNI CAVE, RAJGIR |
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सप्तपर्णी गुफा और सुधीर उपाध्याय |
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SAPTVARNI CAVE, RAJGIR |
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A VIEWS OF VAIBHARGIRI MOUNTAIN |
बिहार यात्रा के भाग
शानदार छुपी जगह..
ReplyDeleteऐसे कई स्थान है बिहार में, लेकिन सरकारों की रुचि नहीं होने से अपनी पहचान खो रहे हैं।
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