दाऊजी मंदिर - बलदेव धाम
यूँ तो मथुरा को भगवान कृष्ण और राधा की लीलास्थली के रूप में जाना जाता है किन्तु भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलभद्र जी भी थे जो कि शेषनाग के अवतार थे। कृष्ण जी उन्हें बड़े प्यार से दाऊ भईया कह कर पुकारते थे। त्रेतायुग में भगवान् राम के छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में शेषनाग जी ने अवतार लिया था और द्वापर युग में बलभद्र के रूप ये देवकी की सातवीं संतान थे जो संकर्षण के जरिये बसुदेव जी की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ से जन्मे थे जिस कारन इन्हे संकर्षण भगवान भी कहा जाता है। मथुरा से सादाबाद मार्ग पर 20 किमी आगे बलदेव नामक स्थान जहाँ दाऊजी का विशाल मंदिर है। यहाँ दूर दूर से काफी संख्या में लोग दाऊजी के दर्शन करने आते हैं।
भगवान् कृष्ण के अलावा दाऊजी भी ब्रजधाम के पूज्य देवता हैं मथुरा की अपेक्षा आगरा, हाथरस , अलीगढ और एटा से लोग दाऊजी के दर्शन करने हर माह आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करवाते हैं। आज मैं भी क्विड लेकर दाऊजी के दर्शन करने के लिए पहुँच ही गया। बलदेव एक शांत और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर स्थान है, मथुरा से दाऊजी वाले रास्ते पर कदम्ब के वृक्षों की भरमार है जो सड़क के दोनों और विशाल रूप में खड़े दिखाई देते हैं। मथुरा में महावन के अलावा बलदेव ही एक ऐसा स्थान है जहाँ विकास के नाम पर द्वापरयुग की पुरानी छवि को नष्ट नहीं किया गया है। यहाँ आने पर आज भी ऐसा लगता है कि कृष्ण और बलराम आज भी यहीं कहीं रहते होंगे।
बलदेव में दाऊजी के साथ साथ रेवती माता के भी दर्शन होते हैं जो दाऊजी की धर्म पत्नी थीं, रेवती जी की कहानी भी दिलचस्प है, दाऊजी द्वापरयुग का अवतार थे और रेवती माता सतयुग की। सतयुग में रेवती माता के पिता रैवत रेवती के लिए उच्च वर की तलाश में ब्रह्मलोक पहुंचे तब ब्रह्मा जी ने कहा की ब्रह्मलोक का एक दिन पृथ्वी के एक युग के बराबर होता है आपको यहाँ आने तक धरती पर एक युग ( त्रेतायुग ) बीत चुका है अब आपके समय का कोई भी व्यक्ति इस वक़्त धरती पर नहीं है परन्तु आपकी पुत्री के लिए योग्य वर अवश्य धरती पर है और वो शेषवतार बलराम जी हैं जब तक आप वहां पहुंचोगे, वो आपको आपके सतयुग के स्थान रैवत प्रदेश जो अब द्धारिका बन चुका है वहां मिलेंगे। ब्रह्मदेव की आज्ञानुसार रैवत जी कृष्ण और बलराम जी के पास पहुंचे जो उनसे युग बीत जाने की वजह से काफी छोटे थे। रेवती माता को सतयुग से लाने के लिए बलराम जी ने अपने हल का प्रयोग किया और उन्हें द्वापर युग में वापस लेकर उनसे विवाह किया।
दाऊजी मंदिर , बलदेव |
दाऊजी महाराज की जय,
ReplyDeleteयहाँ तो पूरे काफिले के साथ दर्शन किये गये थे।
जल्दी ही इसका लेख लिखूंगा।
आज भरपूर जानकारी वाला लेख।