UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 6
तिरुवनंतपुरम से निलंबूर रोड - केरल में रेल यात्रा
श्री अनंत पद्यनाभ स्वामी मंदिर के दर्शन करने के पश्चात, हम पैदल ही मंदिर से रेलवे स्टेशन की तरफ रवाना हो गए जोकि यहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। रास्ते में बस स्टैंड के समीप एक फलमंडी भी दिखाई दी जहाँ से सोहन भाई ने कुछ फल और आम खरीदे। स्टेशन पहुंचकर हमने क्लॉकरूम से अपने अपने बैग वापस लिए। अब यहाँ से आगे की यात्रा सोहन भाई और मुझे अलग अलग करनी थी।
यहाँ से अब हमारी घर की ओर वापसी की यात्रा शुरू होनी थी, जबकि सोहन भाई अब यहाँ से आगे अपनी तमिलनाडू यात्रा पर प्रस्थान करने वाले थे। हमें यहाँ से वापसी की राह पर निलंबूर रोड स्टेशन जाना था जो केरल के मालाबार प्रान्त के समीप मन्नार पर्वतमाला की तलहटी में स्थित एक छोटा सा नगर है। हमारा रिजर्वेशन कोचुवेली से था और कोचुवेली यहाँ से आगे तीसरा स्टेशन है।
तिरुवनंतपुरम से कोच्चुवेली जाने वाली डीएमयू ट्रेन का अब समय हो चला था। हमने बड़े भारी मन से सोहन भाई और उनके परिवार से विदा ली। रास्ते के लिए कुछ आम सोहन भाई की माँ ने मुझे भी दे दिए। घर से इतनी दूर आकर अपने मित्र और उनके परिवार से अलग होते समय मेरा दिल भर आया और आँखों में आंसू भी आ गए। सोहन भाई से बिछड़ने के बाद अब एक अजीब सा डर भी मेरे मन में घर कर गया।
यह डर अकेलेपन का था क्योंकि अब आगामी यात्रा में भाई जैसा मित्र और मेरी माँ की कमी को दूर करती सोहन भाई की माँ जो अब आगे की यात्रा में हमारे साथ नहीं होंगीं। अब मैं और कल्पना अकेले ही इस यात्रा पर आगे बढ़ने वाले थे बस यही सोचकर मैं थोड़ा भावुक सा हो रहा था किन्तु यात्रा का अपना एक नियम है कि यह कभी किसी के लिए नहीं रूकती, निरंतर जारी रहती है। एक यात्रा ही हमें जीवन का समुचित अनुभव कराती है, यात्रा कहती है हमेशा आगे बढ़ो और अपने लक्ष्य तक पहुँचों।
शाम हो चुकी थी, हमारी डीएमयू ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ चुकी थी और जल्द ही यहाँ से छूटने वाली थी। हमने सोचा था कि हम स्टेशन पहुंचकर ही कुछ भोजन पानी करेंगे, किन्तु हमारी ट्रेन के समय में कमी के चलते हम एक साथ कुछ नहीं खा पाए जबकि सोहन भाई की ट्रेन में अभी काफी समय था। मैंने प्लेटफार्म से इडली सांभर की दो प्लेट ली और ट्रेन में ही बैठकर उन्हें खाया। जल्द ही हमारी ट्रेन तिरुवनंतपुरम से रवाना हो गई।
अगला स्टेशन तिरुवनंतपुरम पेट्टा के नाम से आया और इसके बाद हम कोचुवेली स्टेशन पहुंचे। यह स्टेशन भी तिरुवनंतपुरम शहर का एक मुख्य स्टेशन है किन्तु यहाँ तिरुवनंतपुरम स्टेशन की तरह ज्यादा चमक धमक नहीं थी। तिरुवनंतपुरम आने वाली अधिकतर ट्रेनें यहीं से वापस अपने गंतव्य को लौट जाती हैं। हमारी भी ट्रेन यहीं से बनकर जाने वाली थी।
हम कोच्चुवेली स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचे और यहाँ बनी बेंच पर बैठकर अपनी ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर लगने की प्रतीक्षा करने लगे। यहाँ हमें एक व्यक्ति मिला जो उत्तर भारत का था और हिंदी बोल रहा था। वह तिरुवनंतपुरम से ही हमारे कोच में बैठकर आया था और हमारी भाषा से हमें पहचान गया था कि हम उत्तर भारतीय हैं और यहाँ घूमने आये हैं। हमें अकेला समझकर उसन हमसे बाते करना शुरू कर दिया।
यात्रा दौरान किसी भी अजनबी से मेल जोल बढ़ाना मेरी फितरत में नहीं था। मैं कल्पना को लेकर स्टेशन के बाहर आया और स्टेशन के बाहर बने सेल्फी पॉइंट के साथ कुछ फोटो लिए और यहीं खड़े होकर अपनी ट्रेन चलने की प्रतीक्षा करने लगे। जल्द ही हमारी ट्रेन का समय हो गया और हमारी ट्रेन प्लेटफार्म पर लग भी चुकी थी। यह ट्रेन राज्यरानी एक्सप्रेस थी जो कोच्चुवेली से निलंबूर रोड के लिए प्रतिदिन प्रस्थान करती है।
मैं और कल्पना अपने आरक्षित कोच में पहुंचे और अपनी सीट ग्रहण की। रात्रि नौ बजे हमारी ट्रेन राज्यरानी एक्सप्रेस अपने गंतव्य के लिए रवाना हो चली।
कुछ समय बाद ट्रेन का TTE टिकट चेक करने हमारी सीट पर आया। मैं TTE को देखकर स्तब्ध रह गया क्योंकि यही वो व्यक्ति था जो हमारे साथ तिरुवनंतपुरम से डीएमयू में आया था और हमारी भाषा पहचान कर हमसे मेल जॉल बढ़ने का प्रयास कर रहा था किन्तु उसके सादा कपड़ों की वजह से हमने उसे अनजान मुसाफिर समझा था। हमें क्या पता था कि वह एक रेल कर्मचारी है और यहाँ अपनी ड्यूटी करने आया है।
ट्रेन में उसने हमें बताया कि उसका नाम राकेश मीणा है और वह राजस्थान के सवाई माधोपुर का रहने वाला है और उसकी पोस्टिंग उसके गृहनगर से इतनी दूर यहाँ दक्षिण रेलवे के तिरुवनंतपुरम में पिछले कई वर्षों से है। वह म्यूच्यूअल ट्रांसफर की प्रतीक्षा में है, रेलवे में म्यूच्यूअल ट्रांसफर का मतलब एक जोन से दूसरे जोन में जाना होता है।
भारत में सोलह रेलवे जोन हैं, अब कोई कर्मचारी दक्षिण रेलवे से उत्तर रेलवे में आना चाहता है तो उत्तर रेलवे से दक्षिण रेलवे में भी उसकी जगह किसी को जाना अनिवार्य है अन्यथा ट्रांसफर असंभव है। वैसे अभी हमारे उस TTE महोदय को कोई ऐसा म्यूच्यूअल कर्मचारी अभी तक मिला नहीं है।
हम उत्तर भारतीय हैं और साथ ही ब्रजवासी भी हैं इसलिए वह हमारी ब्रज भाषा तुरंत हमें पहचान गया था कि हम उसके नगर के आसपास के ही रहने वाले हैं। हमें उससे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई, एक अपनेपन की तरह उसने हमसे कहा कि यहाँ यात्रा के दौरान कोई परेशानी आये तो तुरंत आप मेरा नाम ले दीजियेगा और उसने अपना कॉन्टैक्ट नंबर भी हमें दे दिया।
हम सोहन भाई से बिछड़ने के बाद जितना अकेलापन महसूस कर रहे थे, उसमें हमें मीणा जी की बातें सुनने के बाद थोड़ी सी राहत मिली । मैंने सोहनभाई से फोन करके पुछा तो उन्होंने बताया कि उनकी कन्याकुमारी जाने वाली ट्रेन अभी और लेट हो गई है इसलिए वो अब नागरकोइल जाने वाली एक ट्रेन से कन्याकुमारी के लिए निकल रहे हैं। नागरकोइल से वह बस से कन्याकुमारी जायेंगे। जैसे वर्षों पहले नागरकोइल से हम भी बस से कन्याकुमारी गए थे।
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TIRUVANANTPURAM PETTA RAILWAY STATION |
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DMU ट्रेन में मैं और कल्पना |
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कोच्चुवेली रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
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सुबह की चाय |
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निलंबूर रोड रेलवे स्टेशन |
- भाग 1 - मथुरा से पनवेल - तिरूवनंतपुरम सुपरफ़ास्ट एक्सप्रेस
- भाग 2 - कोंकण रेलवे की एक यात्रा { पनवेल से मंगलुरु }
- भाग 3 - मैंगलोर से तिरुवनंतपुरम - केरला रेल यात्रा
- भाग 4 - शंखुमुखम बीच - तिरुवनंतपुरम का एक सुन्दर समुद्री किनारा
- भाग 5 - श्री अनंत पद्यनाभस्वामी मंदिर - तिरुवनंतपुरम
- भाग 6 - तिरुवनंतपुरम से निलंबूर रोड - केरल में रेल यात्रा
- भाग 7 - निलंबूर रोड से माही - केरला में एक रेल यात्रा
- भाग 8 - माहे - पश्चिमी पुडुचेरी का एक सुन्दर नगर
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