UPADHYAY TRIPS PRESENT'
कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा पर - भाग 9
मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक रात
यात्रा दिनाँक :- 29 जून 2023
शाम के 5 बजे के आसपास हम माहे रेलवे स्टेशन पर थे। हमें यहाँ से मंगलौर जाना था और आज रात मंगलौर में ही रुककर कल सुबह पुनः कोंकण रेलवे की यात्रा आरम्भ करेंगे। माहे से हमारा रिजर्वेशन परसुराम एक्सप्रेस में था जिसकी आने की उदघोषणा हमें अब सुनाई देने लगी थी।
जल्द ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ भी गई, इस ट्रेन में कुर्सीयान कोच था, हमारी सीट खिड़की के तरफ वाली थी जिस पर पहले से ही कुछ सवारियां बैठीं थीं। हमारे सीट पर पहुँचते ही वे लोग बिना कहे ही उठ गए और हमारे लिए सीट खाली कर दी। यह देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई कि यहाँ लोग नियम और दूसरों की आवश्यकताओं का कितना ध्यान रखते हैं, हमारे उत्तर भारत में ऐसा नहीं होता, खासतौर पर हमारे उत्तर प्रदेश में।
वहां तो आपकी सीट पर अगर कोई बैठा है तो वो आसानी से नहीं उठेगा जब तक आप उसे चार खरी खोटी सुना नहीं दोगे और मुश्किल से जब वो उठ भी जायेगा तो बेवजह की बड़बड़ाहट करता हुआ उठेगा।
खैर यह केरल प्रदेश है, साक्षरता में यूँहीं भारत में प्रथम स्थान पर नहीं है। यहाँ के पुरुष की अपेक्षा यहाँ की महिलाएं अत्यधिक साक्षर हैं जोकि उत्तर भारत में सामान्य तौर पर कदापि नहीं हैं। ट्रेन माहि रेलवे स्टेशन से रवाना हो चली है और अब हम मालाबार के इस क्षेत्र में मानसून की इस रेल यात्रा का आनंद उठा रहे हैं।
मालाबार का यह रेल क्षेत्र भी कुछ कुछ कोंकण रेलवे जैसा ही दिखाई देता है क्योंकि कोंकण की तरह ही यहाँ एक तरफ समुद्र है और दूसरी तरफ पश्चिमी घाट की पर्वत माला, इसके अलावा यहाँ अनेकों नदियां हैं जिनके पुलों से होकर ट्रेन बार बार गुजरती है, किन्तु यहाँ सुरंगें नहीं हैं। कोंकण रेलवे में सुरंगों की भरमार है किन्तु मालाबार में नदियों की।
जल्द ही थलसेरी नामका स्टेशन आया और यहाँ दो मिनट रूककर ट्रेन आगे बढ़ चली।
मालाबार के इस रास्ते के नज़ारे बहुत शानदार हैं, मानसून के मौसम में प्राकृतिक सुंदरता का अनुपम दृश्य यहाँ हमने देखा था। केरल के एक मुख्य नगर कन्नूर पहुंचे, यहाँ अधिकतर सवारियां उतर गईं और ट्रेन लगभग खाली सी हो गई। कन्नूर केरल का मुख्य नगर होने के साथ साथ एक तटीय जिला भी है। यहाँ के बीच काफी सुन्दर हैं और यहाँ सेंट एंग्लो नाम का एक सुन्दर किला भी दर्शनीय है। जीवन में अगली बार कभी मालाबार आया तो यहाँ अवश्य आऊंगा और ऐसा सोचकर यह नगर मेरी यात्रा सूची में दर्ज हो गया।
कन्नूर के बाद केरल का सबसे उत्तरी जिला कासरगोड आया। यह वही नगर है जिसे 'द केरल स्टोरी' मूवीज में दिखाया गया है। फिल्म में अभिनेत्री अदा शर्मा तिरुवनंतपुरम से यहीं पढ़ने के लिए आती हैं। चूँकि फिल्म में इस नगर का नकारात्मक अभिनय दिया गया है इसलिए हमारे मन पर भी इस नगर की नकारात्मक छवि ही बनी हुई थी।
यहाँ ट्रेन काफी देर तक खड़ी रही और यहाँ तिरुवनंतपुरम की तरफ से आने वाली दो तीन सुपरफास्ट ट्रेनें भी निकाली गईं उसके बाद कहीं परसुराम एक्सप्रेस को आगे बढ़ने के लिए हरे सिग्नल प्राप्त हुए। हमने यहाँ अपने यहाँ की ट्रेन मंगला लक्षद्वीप एक्स्प्रेस को भी देखा जो एर्नाकुलम की ओर जा रही थी।
कासरगोड के बाद सीधे मंगलुरु सेंट्रल ही जाकर रुके। कर्नाटक के पश्चिमी तट पर स्थित मेंगलुरु एक बड़ा नगर है, जो अरब सागर के किनारे स्थित है। यहाँ के समुद्री तट पर्यटकों को सदैव अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं, इसके साथ ही मंगलौर एक बड़ा बंदरगाह भी है जो समुद्री व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है।
रात लगभग साढ़े नौ बजे हम मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंचे। यह एक पुराना टर्मिनल रेलवे स्टेशन है, हमने सोचा था कि यह इसी रेलवे स्टेशन पर रात्रि विश्राम करेंगे और अगली सुबह यहाँ से मडगाव जाने वाली पैसंजर ट्रेन से कोंकण की वापसी रेल यात्रा करेंगे किन्तु हमें इस स्टेशन पर कोई ऐसा स्थान नहीं मिला जहाँ हमारी रात्रि विश्राम की व्यवस्था हो सकती थी। किन्तु थोड़ा ढूढ़ने के बाद, कुछ घंटे रुकने हेतु एक वातानुकूलित प्रतीक्षालय हमें मिल गया जहाँ हमने सुबह होने तक प्रतीक्षा की।
यहीं पास में ही बने एक भोजनालय में हमने शाकाहारी बिरयानी और डोसा को रात्रि भोज स्वरूप खाया क्योंकि यहाँ उत्तर भारतीय व्यंजन मिलता नहीं और मांसाहारी भोजन हम खाते नहीं हैं। यहाँ भोजनालय में हमारी मेज के नजदीक वाली मेज पर एक मुसलमान परिवार भी भोजन कर रहा था, जाहिर सी बात है वह हमारी तरह शाकाहारी नहीं था, इसलिए हमारी इस आज की यात्रा के भोजन का अनुभव ख़राब रहा और जल्द ही हम इस भोजनालय से बाहर आ गए।
रात्रि भोज के बाद मैं, कल्पना को प्रतीक्षालय में बैठा कर स्टेशन के बाहर घूमने निकल गया किन्तु आज की अत्यधिक थकान और रात्रि के कारण मैं नगर घूमने नहीं जा सका। बस इस स्टेशन के बाहरी भवन को देखकर ही वापस आ गया।
जब मैंने मंगलुरु सेंट्रल स्टेशन के बाहरी भवन को देखा तो मुझे इसे देखकर काठगोदाम रेलवे स्टेशन की याद आ गई क्योंकि इस स्टेशन के भवन की संरचना, लगभग काठगोदाम रेलवे स्टेशन से मिलती जुलती है। चूँकि इन दोनों स्टेशनों के भवन की सरंचना भले ही देखने में एक जैसी लगती हो किन्तु यहाँ की आवोहवा में वो बात नहीं है जो काठगोदाम में मिलती है।
मैंने और कल्पना ने कुछ वर्ष पहले नैनीताल बाइक यात्रा के दौरान काठगोदाम स्टेशन पर एक रात बिताई थी और तब भी मैं ऐसे ही खाना खाने के बाद स्टेशन के बाहर घूमने आया था, उस समय वहां की शुद्ध और शीतल हवा ने मेरा मन प्रफुल्लित कर दिया था और यहाँ आज मंगलुरु की हवा में मुझे सिर्फ मछली की गंध के सिवा कोई शीतलता नहीं दिखी। स्टेशन के बाहर रखी पार्सल की पेटियों में से मछलियों की दुर्गन्ध आ रही थी।
कुल मिलाकर मुझे इस मंगलुरु की यात्रा अनुभव पसंद नहीं आया और मैं जल्द ही इस रात्रि के गुजरने की प्रतीक्षा करता रहा।
हम वातानुकूलित प्रतीक्षालय में ठहरे थे जिसमें रुकने के लिए हमें मात्र 4 घंटे का समय दिया गया था जिसका निर्धारित मूल्य हमने दिया। किन्तु इस प्रतीक्षालय में हम सुबह पांच बजे तक रुके और इसी के बाथरूम में सुबह चार बजे हम नहा धोकर अपनी अगली यात्रा के लिए तैयार हो गए।
वैसे मंगलुरु में एक मंगला देवी का विशाल मंदिर है जिनके नाम पर ही इस नगर का नाम भी रखा गया है। भविष्य में कभी मंगलुरु नगर की यात्रा पर आया तो इस मंदिर में देवी माता के दर्शन अवश्य करूँगा, ऐसा सोचकर स्टेशन से ही मंगला देवी को प्रणाम किया और आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान किया।
![]() |
परसुराम एक्सप्रेस - मालाबार तट की एक शानदार ट्रेन |
![]() |
कन्नूर रेलवे स्टेशन |
![]() |
कासरगोड रेलवे स्टेशन |
![]() |
मंगलुरु स्टेशन पर रात्रि भोज |
![]() |
वेज बिरयानी |
![]() |
मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन अगली यात्रा :- मंगलूरु सेन्ट्रल से मुर्देश्वर : कोंकण रेलवे में पैसेंजर रेल यात्रा |
🙏
कोंकण V मालाबार की मानसूनी यात्रा के अन्य भाग
- भाग 1 - मथुरा से पनवेल - तिरूवनंतपुरम सुपरफ़ास्ट एक्सप्रेस
- भाग 2 - कोंकण रेलवे की एक यात्रा { पनवेल से मंगलुरु }
- भाग 3 - मैंगलोर से तिरुवनंतपुरम - केरला रेल यात्रा
- भाग 4 - शंखुमुखम बीच - तिरुवनंतपुरम का एक सुन्दर समुद्री किनारा
- भाग 5 - श्री अनंत पद्यनाभस्वामी मंदिर - तिरुवनंतपुरम
- भाग 6 - तिरुवनंतपुरम से निलंबूर रोड - केरल में रेल यात्रा
- भाग 7 - निलंबूर रोड से माही - केरला में एक रेल यात्रा
- भाग 8 - माहे - पश्चिमी पुडुचेरी का एक सुन्दर नगर
- भाग 9 - मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक रात
- भाग 10 - मंगलूरु सेन्ट्रल से मुर्देश्वर : कोंकण रेलवे में पैसेंजर रेल यात्रा
- भाग 11 - श्री मुर्देश्वर मंदिर - समुद्री तट पर अलौकिक शिव धाम
No comments:
Post a Comment
Please comment in box your suggestions. Its very Important for us.