तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरती पर… भाग - 8
नीलगिरि रेलवे की एक रेल यात्रा
मेट्टुपालयम से उदगमंडलम मीटर गेज रेल यात्रा
4 JAN 2023
चेर राज्य और कोंगु प्रदेश
प्राचीन चेर राज्य के अंतर्गत समस्त कोंगू प्रदेश शामिल था जिसमें नीलगिरि की ऊँची वादियाँ, प्राकृतिक झरने, चाय के बागान और ऊंटी जैसा हिल स्टेशन शामिल है। प्राचीन चेर राज्य की राजधानी वनजी थी, जो करूर, इरोड, कोयंबटूर और तिरूप्पर के बीच कहीं स्थित थी, अब इसके अवशेष देखने को नहीं मिलते हैं। चेर राज्य के शासकों का स्थापत्य कला में कोई मुख्य योगदान नहीं रहा है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि अगर चेर के कुछ शासकों ने स्थापत्य की दृष्टि से कुछ भवनों या मंदिरों का निर्माण कराया भी होगा तो वक़्त के साथ बदलते साम्राज्यों में यह ढेर हो गए किन्तु आज भी केरल में चेर शासकों के स्थापत्य के निर्माण मौजूद हैं।
मेरी नीलगिरि रेल यात्रा
चोल साम्राज्य की सीमा से निकलकर अब मैं चेर राज्य की सीमा में प्रवेश कर चुका था। कोयंबटूर पहुंचकर मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत की, हालांकि यह यात्रा ऐतिहासिक यात्रा पटल पर ही निर्धारित थी किन्तु किसी स्थापत्य कला या मंदिरों की खोज में नहीं थी, बल्कि एक पर्यटन पर्वतीय स्थल की यात्रा थी जो भाप के इंजन से चलने वाली रेलगाड़ी द्वारा पूरी होनी थी।
यह रेलयात्रा नीलगिरि रेलवे की यात्रा थी जिसकी शुरुआत ब्रिटिश राज के दौरान 1908 ई. में हुई थी। सन 2005 में इसे यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी थी और आज यह भारतवर्ष के मुख्य पर्यटन स्थल ऊँटी जिसे अब उदगमंडलम कहा जाता है तक अपनी सेवा देती है।
नीलगिरि रेलवे एक मीटर गेज रेल लाइन है जो कोयंबटूर के नजदीक स्थित मेट्टुपलायम से नीलगिरि पर्वतीय स्थल उदगमंडलम के बीच स्थित है। पूर्व में यह लाइन केवल मेट्टुपलायम से कन्नूर के बीच संचालित थी जिसे बाद में बढ़ाकर उदगमंडलम तक कर दिया गया। मेट्टुपलायम से कन्नूर के बीच एक स्टीम इंजन पांच - छः बोगी की ट्रेन को ऊपर तक लेकर जाता है और कन्नूर के बाद डीजल इंजन द्वारा उदगमंडलम का सफर तय होता है।
मैंने स्टीम के इंजन बचपन में ट्रैक पर चलते हुए देखे थे। आज काफी सालों बाद मैं किसी ऐसी ट्रेन में सफर कर रहा हु जो स्टीम इंजन से चलेगी।
कोयंबटूर स्टेशन पर अपना बैग जमा कर, मैं नीलगिरि एक्सप्रेस द्वारा मेट्टुपलायम स्टेशन पहुंचा। आज की सुबह में एक अलग ही ताजगी थी किन्तु मैं अपने आप को पूरी रात जागने के कारण तरोताज़ा होने का अनुभव नहीं करा पा रहा था। ट्रेन से उतरकर मैं छोटी लाइन के प्लेटफार्म पर पहुंचा, जहाँ नीलगिरि रेलवे की मीटर गेज ट्रेन तैयार खड़ी हुई थी।
इस ट्रेन में दिशा के विपरीत स्टीम इंजन लगा हुआ था और अनेकों पर्यटक लोग ट्रेन, स्टीम इंजन और मेट्टुपलायम स्टेशन के फोटो और सेल्फी लेने में व्यस्त दिखाई दे रहे थे। मूलरूप से अब यह ट्रेन केवल पर्यटक ट्रेन ही बनकर रह गई है क्योंकि इस ट्रेन की टिकट एडवांस में बुक हो जाती हैं और तत्काल लोकल टिकट इस ट्रेन के लिए नहीं बनती है, फिर भी आजमाने के लिए मैंने प्लेटफार्म पर खड़े चल टिकट परीक्षक से ट्रेन का लोकल टिकट माँगा, बदले में उन्होंने उत्तर दिया - आज की सभी सीट बुक हो चुकी हैं आपको अगली बार कोशिश करनी चाहिए। अर्थात तुरंत टिकट उपलब्ध नहीं है।
अतः अगर आप इस ट्रैन से यात्रा करना चाहते हैं तो आप पहले ही इस ट्रेन में यात्रा करने के लिए अपना आरक्षण करा लेना ही उचित होगा।
अभी ट्रेन के चलने में काफी समय था, इसलिए मैं यहाँ के यार्ड को देखने के लिए चला गया, यार्ड में ही नीलगिरि रेलवे का एक शानदार संग्रहालय स्थित है जिसमें इस रेल लाइन के सम्पूर्ण इतिहास का बोध होता है। अनेकों प्राचीन मशीनरी और तस्वीरों द्वारा इस रेल लाइन के निर्माण की जानकारी भी प्राप्त होती है। रेलवे की पुरानी तकनीकें, वस्तुएं और उपकरण भी देखने को मिलते हैं।
म्यूजियम देखने के बाद मैं ट्रेन में अपनी सीट पर पहुंचा जो खिड़की के किनारे ही थी। यह सम्पूर्ण कोच काठ से निर्मित था। स्टीम इंजन की एक जोरदार सीटी के साथ ट्रेन यात्रा के लिए रवाना हो चली। ट्रेन की विशेषता यह थी कि इसे चलाने वाला इंजन आगे की तरफ ना होकर पीछे की तरफ लगा था जो इस ट्रेन को ऊँचाई पर धकेलने का काम कर रहा था।
यह भारतीय रेलवे की प्रथम और एकमात्र रैक रेलवे प्रणाली है जिसमें इस सयंत्र प्रणाली के जरिये इंजन को अतिरिक्त बल मिलता है और इंजन ट्रेन को अत्यधिक ढलान होते हुए भी आसानी से खींच सकता है। मेट्टुपलायम से कन्नूर के बीच, ट्रेन नीलगिरि के पर्वतों पर चढ़ती - उतरती है जिसमें चढ़ाई और ढलान सबसे अधिक है इसलिए इस रेल लाइन के बीच एक तीसरी पटरी भी बिछी होती है जिससे इंजन को ट्रेन चढाने और उतारने में आसानी रहती है।
कल्लार रेलवे स्टेशन
मेट्टुपलायम के बाद अगला स्टेशन कल्लार के नाम से आता है जहाँ से नीलगिरि की वादियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। कुछ समय यहाँ रूककर ट्रेन आगे बढ़ चलती है। इस ट्रेन की यात्रा के दौरान मैंने एक और विशेष बात नोट की, कि इस ट्रेन में जितने भी कोच थे, उन सभी में अलग अलग गार्ड मौजूद थे। ट्रेन जब कोई ऊँचा पुल पार करती थी, वे सभी एक साथ हरी झंडी दिखाते थे, पुल के शुरू होने से पहले और समाप्त होने तक यह दृश्य आसानी से देखा जा सकता था।
एडर्ली रेलवे स्टेशन
अगला स्टेशन एडर्ली था, जो एक शानदार जगह थी। ट्रेन एक गुफा के मुहाने पर खड़ी होती है और कुछ समय के लिए पर्यटकों को नीलगिरि के पर्वतों की शानदार वादियों को निहारने का समय देती है। एक स्टेशन के रूप में यह एक सेल्फी पॉइंट है जहाँ से नीलगिरि की वादियां और नदियां दिखाई देती हैं। इस स्टेशन के नाम को कोई बोर्ड यहाँ देखने को नहीं मिलता है।
हिलग्रोव रेलवे स्टेशन
स्टीम इंजन अब थक चूका है और इसे अब आगे बढ़ने के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है। यह आवश्यकता हिलग्रोव नामक स्टेशन पर पूर्ण होती है जहाँ स्टीम इंजन में भरपूर पानी भरा जाता है और इसके भरने तक यह ट्रेन यहाँ खड़ी रहती है। ट्रेन की सभी सवारियां स्टेशन पर उतरकर आनंद उठाते हैं, सुबह सुबह की गुनगुनी धूप का आनंद लेते हैं और सेल्फियाँ लेते हैं। एक जोरदार सीटी देकर ट्रेन फिर से आगे बढ़ चलती हैं।
यह रेलवे लाइन सम्पूर्ण रूप से प्राकृतिक वातावरण के बीच से गुजरती है, ट्रेन में से नीलगिरि के ऊँचे ऊँचे पर्वत देखने में बहुत शानदार दिखाई देते हैं और उन पर्वतों से बहते हुए झरने देखने में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगते।
रन्नीमेड रेलवे स्टेशन
अगला स्टेशन रनिमेड आता है, जहाँ से चाय के बागान दिखाई देने लगते हैं, हालाँकि स्टेशन छोटा सा ही है, किन्तु यहाँ से नीलगिरि घाटी के चाय के बागान और नज़ारे देखने में बहुत ही सुन्दर लगते हैं।
नीलगिरि ट्रेन के कोच के अंदर का दृश्य
अब थोड़ी चर्चा ट्रेन के उस कोच के अंदर की हो जाये जिसमें अभी फ़िलहाल मैं बैठकर यात्रा कर रहा हूँ। मेरे ठीक सामने की सीट पर एक लेडीज सवारी बैठी है, जिसकी गोद में सात आठ महीने का बच्चा है और उसका पति ठीक मेरे बराबर में बैठा है। लेडीज दिखने में एक दक्षिण भारतीय लड़की है जो अपने पति के साथ इस हेरिटेज यात्रा पर यात्रा का लुफ्त उठाने आई है।
किन्तु इस शानदार यात्रा को वह भरपूर तरीके से इंजॉय नहीं कर पा रही है क्योंकि उसकी गोद में जो बच्चा है, वह उसे वह पल नहीं जीने दे रहा जो वह माँ बनने से पूर्व जी रही थी। अपने बच्चे को सँभालते संभालते वह परेशांन हो चुकी है, उसकी इस हेरिटेज यात्रा का कोई आनंद प्राप्त नहीं हो पा रहा है, परन्तु फिर भी वह खुश है क्योंकि वह एक माँ है और एक माँ की अपने बच्चे से बढ़कर क्या ख़ुशी होगी।
वह देखने में एकदम दुबली पतली सी है, उसके गाल पिचके हुए हैं, आँखें बाहर की ओर उभर आईं हैं, सीने की हट्टियाँ साफ़ साफ़ दिखाई दे रही हैं, मतलब यह है कि वो जो कुछ भी खाती पीती है, वो उसके शरीर को नहीं लगता क्योंकि अपने बच्चे को रोता देख वह उसे अपने सीने से लगा लेती है और स्तनपान कराती है। यह सिलसिला पूरी रेल यात्रा के दौरान चलता ही रहा।
यह सब देखकर मेरे मन में ख्याल आया कि एक माँ अपने बच्चे के लिए अपनी हर खुशी कुर्बान कर देती है और वही बच्चा बड़ा होकर यह सोचे कि उसकी माँ ने उसके लिए किया ही क्या है। अभी यह बच्चा छोटा है, इसे अभी कुछ नहीं पता कि यह कहाँ है, क्या कर रहा है और किसके साथ है, इसकी माँ इसके लिए अपनी इस यात्रा को भी इंजॉय नहीं कर पा रही, अपने शरीर के स्वास्थ्य और सुंदरता पर भी ध्यान नहीं देती। एक माँ की इन कुर्बानियों को यह बच्चा कभी महसूस नहीं कर पायेगा।
कन्नूर रेलवे स्टेशन
रास्ते भर के नज़ारे दिखाने के बाद अंततः ट्रेन कन्नूर स्टेशन पहुंची। यह नीलगिरि रेलवे का मुख्य रेलवे स्टेशन है और मेट्टुपलायम के बाद दूसरा तकनिकी पॉइंट है। नीलगिरि की वादियों में बसा कन्नूर एक सुन्दर हिल स्टेशन है। रेलवे स्टेशन की सुंदरता काफी अच्छी है जैसा कि आज तक हम सिर्फ कहानियों और पिक्चरों में देखते आये हैं। यहाँ एक अन्य टॉय ट्रेन भी खड़ी हुई थी जो मेट्टुपलायम की ओर प्रस्थान करने हेतु तैयार थी।
हमारी ट्रेन का स्टीम इंजन अब वापस मेट्टुपलायम की ओर बिना ट्रेन के रवाना हो चला था और इसकी जगह अब डीजल इंजन ने ले ली थी। करीब एक घंटे यहाँ ठहरने के बाद ट्रेन अब और ऊपर की ओर डीजल इंजन द्वारा रवाना हो चली।
केट्टी रेलवे स्टेशन
रास्ते में वेलिंग्टन, अरक्वंदु, स्टेशनों पर बिना रुके यह केट्टी पहुंची। केट्टी स्टेशन पर मुझे जानकारी हुई कि यहाँ अनेकों फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है शाहरुख़ खान की दिलसे मूवीज का गाना चल छैंया छैंया वाला गाना भी यहीं इसी ट्रैन में फिल्माया गया था।
लवडेल रेलवे स्टेशन
लवडेल भी एक शानदार खूबसूरत स्टेशन है, परन्तु यहाँ रुके बिना ही ट्रेन सीधी उदगमंडलम पहुंची।
उदगमंडलम रेलवे स्टेशन ( ऊँटी )
उदगमंडलम नीलगिरि रेलवे का अंतिम स्टेशन है। इसे ही ऊँटी भी कहते हैं। यहाँ आकर मुझे सर्दी का अनुभव होने लगा। यहाँ तापमान मेट्टुपलायम के मुकाबले काफी कम था। शीतलहर सी चल रही थी जो मुझे बिना जैकेट बहुत चुभ सी रही थी। जनवरी के इस माह में मुझे अपनी इस तमिलनाडू यात्रा के दौरान यहीं आकर सर्दी का अनुभव हुआ।
सुबह से शुरू हुआ सफर अब दोपहर में आकर समाप्त हुआ। दो बज चुके थे, और अब मुझे भूख भी लग आई थी। स्टेशन पर ही एक शानदार शाकाहारी भोजनालय था जहाँ मैंने दोपहर का भोजन किया।
नीलगिरि की वादियों में बस यात्रा
स्टेशन के बाहर ही बस स्टैंड भी स्थित है जहाँ से अलग अलग स्थानों पर जाने के लिए बसें मिल जाती हैं। मुझे तो केवल इस नीलगिरि रेल यात्रा का आनंद लेना था जो अब पूरा हो चुका है। अब मैं चाहता था कि नीलगिरि वादियों को सड़कमार्ग के जरिये भी देखा जाए, इसलिए एक बस द्वारा मैं कोयंबटूर के लिए रवाना हो चला। बस यात्रा के दौरान मैंने जाना कि जो आनंद इन वादियों में रेलयात्रा के दौरान मुझे मिला वह कहीं भी बसयात्रा में नहीं था।
AT METTUPALAYAM RAILWAY STATION
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Mettupalayam Railway Station |
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Mettupalayam Railway Station |
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Mettupalayam Railway Station |
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Mettupalayam Railway Station |
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Nilgiri Railway |
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Steem Engine at Nilgiri Railway |
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METTUPALAYAM RAILWAY YARD |
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Mettupalayam Railway Station ( M.G.) |
2. WELCOME TO NILGIRI RAILWAY
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WELCOME TO NILGIRI RAILWAY |
3. AT KALLAR RAILWAY STATION
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
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KALLAR RAILWAY STATION |
4. AT ADARLY RAILWAY STATION
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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FILLING WATER IN STEEM ENGINE AT HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
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HILLGROVE RAILWAY STATION |
6. AT RANNIMED RAILWAY STATION  |
TEA ESTATE AT RANNIMED RAILWAY STATION
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RANNIMED RAILWAY STATION
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RANNIMED RAILWAY STATION
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RANNIMED RAILWAY STATION
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RANNIMED RAILWAY STATION
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8. A SOME VIEW'S FROM TOY TRAIN
9. AT KETTI RAILWAY STATION
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10. AT LOVEDEL RAILWAY STATION
11. AT UDAGMANDALAM RAILWAY STATION
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12. AT UDAGMANDLAM BUS STAND
THANKS FOR YOUR VISIT
🙏
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