तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर .... भाग - 2
मैं, नई साल और राजधानी चेन्नई
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SUN - 1 JAN 2023
चेन्नई अथवा मद्रास
बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल पर स्थित चेन्नई, भारत देश का चौथा सबसे बड़ा शहर और तीसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। चेन्नई, तमिलनाडू प्रदेश की राजधानी है और संस्कृति, आर्थिक और शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण शहर है। प्राचीन काल में यह पल्लव, चोल, पांडय और विजयनगर के शासकों का मुख्य क्षेत्र रहा है, पंद्रहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने यहाँ एक बंदरगाह का निर्माण किया। पुर्तगालियों ने चेन्नई में पुलिकट नामक शहर बसाया और वहीँ डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की।
सोलहवीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चेन्नई में अपनी फैक्ट्री और गोदाम के निर्माण किये और सेंट जॉर्ज किले का निर्माण करवाया। इस बीच फ्रांसीसियों ने सत्तरहवीँ शताब्दी में इस किले पर अपना अधिकार कर लिया किन्तु यह अधिकार कुछ ही समय के लिए था, इसके बाद पुनः यह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण में आ गया और इन्होने यहाँ मद्रास प्रेसीडेंसी की स्थापना की जिसमे तमिलनाडू के साथ साथ कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को भी शामिल किया गया। इस प्रकार तमिलनाडु की राजधानी मद्रास की स्थापना हुईं।
सन 1996 में डीऍमके सरकार ने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई करने का फैसला लिया और सन 1998 में मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई हो गया। नाम बदलने का मुख्य कारण यह था कि चूँकि यह तमिल प्रदेश की राजधानी थी और मद्रास एक तमिल नाम नहीं है अतः तमिल में चेन्नई कहा जाने लगा।
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मैं और चेन्नई सेंट्रल
ग्रैंड ट्रक एक्सप्रेस से मैं चेन्नई सेंट्रल पहुंचा, ट्रेन ने मुझे अपने वास्तविक समय से काफी देरी से पहुँचाया, सुबह साढ़े चार बजे के स्थान पर यह सुबह ग्यारह बजे के लगभग चेन्नई सेंट्रल पहुंची। चेन्नई सेंट्रल का पूरवर्ती नाम मद्रास सेंट्रल था, सन 1996 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री डॉ. एम जी रामचंद्रन ने इसका नाम बदलकर चेन्नई सेंट्रल कर दिया, साथ ही मद्रास एग्मोर जो कि सेंट्रल के बाद चेन्नई का दूसरा बड़ा स्टेशन है, का भी नाम चेन्नई एग्मोर जो गया।
चेन्नई सेंट्रल एक टर्मिनल रेलवे स्टेशन है जहाँ से समूचे भारत देश की सभी दिशाओं के लिए ट्रेनें मिलती हैं और चेन्नई एग्मोर से दक्षिण भारत में जाने की ट्रेंने खुलती हैं। सन 2019 में इसका नाम 'डॉ. ऍम जी रामचंद्रन चेन्नई सेंट्रल' कर दिया गया। इस नाम को बदलने का कारण चेन्नई नाम के जन्मदाता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ एमजी रामचंद्रन को सम्मान देना है. चेन्नई सेंट्रल काफी बड़ा और साफ़ स्वच्छ रेलवे स्टेशन है, मैं यहाँ क्लॉक रूम नहीं खोज पाया इस कारण आज पूरे दिन मुझे मेरा बैग अपने साथ रखना पड़ा। स्टेशन की दूसरी मंजिल पर एक वातानुकूलित प्रतीक्षाघर जिसमें कुछ शुल्क चुकाने के बाद मैं नहाधोकर तैयार हो गया और अपने बैग को साथ लेकर चेन्नई घूमने निकल पड़ा।
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चेन्नई पार्क और पार्क टाउन स्टेशन
आज नई साल का पहला दिन है, हम 2022 को पीछे छोड़कर 2023 में प्रवेश कर चुके हैं, मैं आज चेन्नई से 60 - 65 किमी दूर महाबलीपुरम जाना चाहता था जहाँ पल्लवकालीन काफी स्मारक दर्शनीय हैं किन्तु गूगल मैप के अनुसार यहाँ तक बस से पहुँचने में कम से कम चार घंटे लगने थे, इतना समय अभी मेरे पास नहीं था अतः मैंने चेन्नई घूमने का प्लान बनाया। चेन्नई सेंट्रल स्टेशन के ठीक सामने, पार्क स्टेशन है जहाँ से चेन्नई घूमने के लिए लोकल ट्रेन भी मिलती हैं। मैंने गूगल मैप में देखा, मरीना बीच जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन तिरुवल्लीकेनि था, मैंने UTS से इस स्टेशन के लिए एक टिकट बुक कर ली, टिकट मात्र पांच रूपये का था।
मैं पार्क स्टेशन पहुंचा, भूख लगी थी इसलिए यहाँ मैंने बीस रूपये का नमकीन दही लिया जो कि बेहद स्वादिष्ट था। मैं काफी देर तक यहाँ लोकल ट्रेन का इंतज़ार करता रहा परन्तु मुझे यहाँ से मरीना बीच जाने वाली कोई लोकल ट्रेन नहीं दिखी। मैंने यहाँ टिकट चेक कर रहे TTE से पूछा तो उन्होंने बताया कि मैं गलत स्टेशन पर खड़ा हूँ, मरीना बीच जाने के लिए मुझे पार्क टाउन स्टेशन जाना होगा जो पार्क स्टेशन के नजदीक ही दूसरी तरफ था, यहाँ जाने के लिए बस एक अंडरग्राउण्ड पुल पार करना था और पहुँच गए पार्क टाउन स्टेशन।
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भारत की प्रथम एलिवेटर रेलवे
चेन्नई बीच, एक बड़ा स्टेशन है जहाँ से केवल चेन्नई की लोकल ट्रेनों का सञ्चालन होता है। चेन्नई बीच स्टेशन से ही पार्क और पार्क टाउन दोनों अलग अलग लाइनें जाती हैं। पार्क आने वाली लोकल पार्क टाउन नहीं आती है। मैं पार्क टाउन पहुंचा, प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक भीड़ थी, कुछ ही समय में एक लोकल आई और सारी भीड़ इस लोकल में समां गई। यह रेलवे लाइन भारत की प्रथम एलिवेटर रेलवे है जिसकी शुरुआत रेलवे ने 1996 में की थी। इसकी सफलता के साथ भारतीय रेलवे गौरान्वित महसूस करती है।
यह रेलवे लाइन मेट्रो की तरह पिलरों पर संचालित होती है या अंडरग्राउंड चलती है इसी कारण इसे एलिवेटर रेलवे कहते हैं। कुछ ही समय में, ट्रेन में से मुझे चेन्नई का समुद्र यानी बंगाल की खाड़ी नजर आने लगी थी, आज काफी सालों बाद मैंने समुद्र को देखा था इसलिए इसे देखते ही रह जाना स्वाभाविक था। मेरा स्टेशन आ चुका था, तिरुवल्लिकेनि, जो कि मरीना बीच का सबसे नजदीकी स्टेशन है।
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मरीना बीच
स्टेशन से बाहर निकलकर मैं मरीना बीच पहुँच गया। यह भारत का सबसे लम्बे तट वाला बीच है जिसकी कुल लम्बाई 12 किमी है। आज नई साल का पहला दिन था, इसलिए आज मरीना बीच पर बहुत अधिक भीड़ भाड़ थी, अनेकों दुकानें समुद्र के किनारे सजी हुईं थी। मुझे यहाँ आकर अपनी माँ और पत्नी की याद आने लगी जिनसे मैं अभी हजारों किमी दूर था। मैंने उन्हें वीडियो कॉल किया और उन्हें मोबाइल से समुद्र और मरीना बीच दिखाया। यूँ तो मेरी माँ और मेरी पत्नी पिछली तमिलनाडू यात्रा के दौरान चेन्नई में मेरे साथ थीं किन्तु उस वक़्त हम मरीना बीच नहीं आये थे क्योंकि हमें उसी दिन रामेश्वरम जाना था और मरीना बीच घूमने का समय नहीं था।
काफी देर तक यहाँ घूमने के बाद मैं मरीना बीच के सामानांतर गुजरने वाली मैन रोड पर पहुँचा। यह बहुत सुन्दर रास्ता था जिसके किनारे मरीना बीच स्थित था और यहाँ अनेकों महापुरुषों की प्रतिमा भी लगी हुई थी। जिनमें एक प्रतिमा रानी कन्नगी की भी थी जोकि दक्षिण भारत के प्राचीन इतिहास की एक मुख्य किरदार रहीं हैं और अपने सतीत्व के कारण आज भी तमिल प्रदेश में पूजनीय हैं। इन प्रतिमाओं के देखते हुए मैं थोड़ा सा आगे बढ़ा तो दूसरी तरफ मुझे विवेकानंद जी के घर के दर्शन हुए जो कि विवेकानंद हाउस के नाम से प्रसिद्ध है।
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विवेकानंद हाउस
विवेकानंद हाउस, 1897 में स्वामी विवेकानंद के प्रवास के बाद से प्रेरणा का एक ऐतिहासिक स्थान है। विवेकानंद हाउस जिसे तमिल में 'विवेकानंदर इल्लम' कहते हैं, चेन्नई में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है। यह 1897 से श्री रामकृष्ण मठ से जुड़ा हुआ है, स्वामी विवेकानंद पश्चिम से अपनी विजयी वापसी के बाद नौ दिनों तक यहां रहे थे। बाद में, श्री रामकृष्ण मठ चेन्नई की स्थापना 1897 से 1906 तक के दस वर्षों के दौरान इस स्थान पर की गई थी।
अब, इस ऐतिहासिक स्थान में भारतीय संस्कृति, स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके नवीनतम विचारों का उपयोग करते हुए उनके संदेश पर "अनुभव विवेकानंद" नामक एक तकनीकी स्मार्ट संग्रहालय है। वर्तमान में, विवेकानंद हाउस का रखरखाव श्री रामकृष्ण मठ, चेन्नई द्वारा किया जाता है और यह हर साल आने वाले हजारों भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
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चेन्नई दीप स्तम्भ या लाइट हाउस
विवेकानंद हाउस के बाद हमें चेन्नई का प्राचीन लाइट हाउस दिखाई देता है। वर्तमान लाइटहाउस मरीना बीच पर स्थित है, जिसे 1976 में ईस्ट कोस्ट कंस्ट्रक्शन एंड इंडस्ट्रीज द्वारा बनाया गया था, और जनवरी 1977 में खोला गया था। इसमें मौसम विभाग का एक कार्यालय भी है। 16 नवंबर 2013 को इसे आगंतुकों के लिए फिर से खोल दिया गया। यह लिफ्ट के साथ दुनिया के कुछ प्रकाशस्तंभों में से एक है। यह शहर की सीमा के भीतर भारत का एकमात्र लाइटहाउस भी है। यह एक सौर पैनल द्वारा संचालित है।
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सेंट थॉमस कैथेड्रल बेसिलिका
सेंट थॉमस चर्च, जिसे आधिकारिक तौर पर सेंट थॉमस कैथेड्रल बेसिलिका और सेंट थॉमस के राष्ट्रीय श्राइन के रूप में जाना जाता है, भारत में कैथोलिक चर्च का एक छोटा बेसिलिका है, जो तमिलनाडु में चेन्नई के संथोम के पड़ोस में है। इसकी वर्तमान संरचना 1523 ई. की है, जब इसे पुर्तगालियों ने थॉमस द एपोस्टल के मकबरे पर फिर से बनाया था।
पोप जॉन पॉल II 1986 में इस चर्च का दौरा करने वाले एकमात्र पोप हैं। भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन द्वारा इस चर्च को 2004 में राष्ट्रीय तीर्थ घोषित किया गया था। इस चर्च को "सेंट थॉमस कैथेड्रल बेसिलिका का राष्ट्रीय तीर्थ" या "संथोम चर्च" भी कहा जाता है। यह दुनिया भर के ईसाइयों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण चर्च है क्योंकि यह सेंट थॉमस द एपोस्टल का मकबरा है।
अनेकों लोग यहाँ नई साल की शाम पर ईसामसीह के दर्शन करने आये हुए थे, चर्च के अंदर सूली पर चढ़े हुए यीशु की प्रतिमा दर्शनीय है। मैं सनातनी हूँ और अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों में प्रवेश नहीं करता हूँ। इसलिए मैंने इस चर्च में प्रवेश नहीं किया, बस बाहर से ही यीशु के दर्शन किये और प्रार्थना की जो मैं अपने ईश्वर से करता हूँ।
ताम्बरम की ओर
शाम हो चुकी थी, चर्च देखने के बाद मैं लाइट हाउस रेलवे स्टेशन की तरफ रवाना हो गया और यहाँ से एक लोकल द्वारा चेन्नई बीच रेलवे स्टेशन पहुंचा। यहाँ से दूसरी लोकल पकड़कर मैं ताम्बरम की तरफ बढ़ चला क्योंकि आज रात को मेरी ट्रेन अन्तोदय एक्सप्रेस थी जिससे मुझे तंजावुर के लिए अगली यात्रा करनी थी।
चेन्नई बीच के बाद, चेन्नई फोर्ट, चेन्नई पार्क और चेन्नई एग्मोर होते हुए कुछ समय बाद मैं ताम्बरम पहुंचा। ताम्बरम काफी बड़ा बाजार है जो स्टेशन के बाहर ही था। मेरी ट्रैन के चलने में अभी काफी वक़्त था इसलिए मैं ताम्बरम का बाजार घूमने निकल गया। यहाँ मैंने माँ के लिए एक साड़ी भी पसंद की किन्तु अभी खरीदी नहीं, सोचा आखिरी दिन लौटते वक़्त ले लूंगा। यहीं मेरी नजर उपाध्याय रूम्स के रेस्टोरेंट पर पड़ी, इस तमिल प्रदेश में अपना उपनाम देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और यहाँ मैंने उत्पम सांभर का रात्रि भोज किया।
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अंतोदय एक्सप्रेस
बाजार घूमते हुए जब काफी समय हो गया तब मैं स्टेशन की और बढ़ चला, ट्रेन की टिकट इसबार काउंटर से खरीदी थी, टिकट लेकर मैं ट्रेन में पहुंचा, अन्तोदय एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म पर तैयार खड़ी हुई थी। यह प्रतिदिन चलने वाली ट्रेन है जो ताम्बरम से चिदंबरम, तंजावुर, त्रिचनापल्ली होते हुए मदुरै तक जाती है। मैंने काउंटर से खरीदी गई टिकट को देखा, UTS से यह टिकट मुझे काफी सस्ती लगी और मेरा दिमाग ठनका, काउंटर वाले ने टिकट वाया वृद्धाचलम होकर दी थी, जबकि अन्तोदय विल्लुपुरम से मालिया दुतुरै होते हुए जाती है।
टिकट लेकट भी मैं खुद को बिना टिकट लिए महसूस कर रहा था। ट्रेन से उतरकर मैं पुनः टिकट काऊंटर पर गया और पहले वाली टिकट को कैंसिल कराकर मैंने अन्तोदय का टिकट माँगा। टिकट वापसी को लेकर टिकट बाबू थोड़ा अचंभित हुआ, शायद ऐसा केस उसके पास पहली बार ही आया होगा। उसने मुझे नया टिकट दिया और कैंसिल के 30 रूपी भी काटे। इस नई टिकट पर अन्तोदय भी लिखा हुआ था। अब मैं पूरे हक़ के साथ प्लेटफॉर्म पर पहुंचा। अन्तोदय एक्सप्रेस में सभी कोच सामान्य श्रेणी के ही होते हैं। किन्तु अब इन सभी कोचों में कोई भी ऊपर वाली सीट खाली नहीं थी, सभी सीटें लगभग घिर चुकीं थीं।
हालांकि बैठने वाली सीटें अवश्य खाली पड़ी थी। चूँकि यह रात की ट्रेन थी इसलिए सभी सवारियाँ रात के समय ऊपर वाली सीटों को ही महत्त्व देती हैं ताकि पूरी यात्रा सोते हुए इत्मीनान से की जाये और ऊपर वाली सीट पर किसी और का हक़ भी नहीं होता कि कोई किसी को हटा सके। पूरी ट्रैन में मुझे एक भी सीट खाली नहीं मिली और मैं बहुत निराश हो गया क्योंकि मैं पूरे दिन का थका हुआ था, मेरे पैर में अब दर्द भी हो रहा था और मुझे आराम की और नींद पूरी करने की सख्त आवश्यकता थी क्योंकि बिना नींद पूरी हुए कल की यात्रा दुश्वार हो सकती थी।
जब मैं गलत टिकट लेकर इस ट्रेन में चढ़ा था तब मुझे ऊपर वाली सीट मिल चुकी थी किन्तु जब मैं टिकट बदलकर दुबारा आया तब तक वह भी घिर चुकी थी। तमिल भाषी इस प्रदेश में समझने और मेरी सुनने वाला कोई नहीं था। मैं उसी सीट के पास खड़ा था जिसपर पहले मैंने अधिकार किया था किंतु अब वह किसी और की थी। इसी सीट के नजदीक वाले कूपे में एक मुस्लिम परिवार भी यात्रा कर रहा था जिन्होंने पूरे कूपे की सीटों पर अपना अधिकार कर लिया था, यह परिवार मेरे सामने ही इस ट्रैन में चढ़ा था जब पहले में ऊपर वाली सीट पर लेता हुआ था और उस सीट से उतरकर मैंने ही इन लोगों के लिए ट्रैन का दरवाजा खोला था, उस मुस्लिम परिवार के मुखिया ने शायद मेरा दर्द समझ लिया था और मुझे अपने अधिकार वाली एक ऊपर वाली सीट दे दी। सीट पर लेटने के बाद मुझे काफी राहत महसूस हुई और मैंने दिल ही दिल में उनका धन्यवाद अदा किया।
चित्र दीर्धा
AT CHENNAI CENTRAL ON NEW YEAR 2023 |
चेन्नई यात्रा |
चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन |
चेन्नई सेंट्रल - लोकल ट्रेन रेलवे स्टेशन |
चेन्नई की ऐतिहासिक इमारतें |
पार्क स्टेशन की ओर |
CHENNAI PARK |
PARK RAILWAY STATION |
तमिल में पार्क को पूंगा कहते हैं |
पार्क टाउन रेलवे स्टेशन |
एलिवेटर रेलवे - चेन्नई |
मरीना बीच का नजदीकी स्टेशन |
मरीना बीच पर नई साल मनाते हुए |
मरीना बीच - चेन्नई |
हर सफर का साथी - थम्पसप |
सती कन्नगी प्रतिमा |
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा |
VIVEKANAND HOUSE - CHENNAI |
VIVEKANAND HOUSE - CHENNAI |
LIGHT HOUSE - CHENNAI |
ST. THOMAS CETHEDRAL BESSELICA |
LIGHT HOUSE RAILWAY STATION |
TAMBRAM RAILWAY STATION |
UTPAM SAMBHAR |
UPADHYA HOTEL - TAMBRAM |
NEXT PART :-
- चोल साम्राज्य और उसका अस्तित्व
- बृहदेश्वर अथवा राजराजेश्वर मंदिर - तंजावुर
- प्राचीन चोल राजधानी - गंगईकोंड चोलापुरम
- तिरुमायम किला
- विजयालय चोलेश्वरम मंदिर - नारतामलै
- रॉकफोर्ट और त्रिची की एक शाम
- नीलगिरि रेलवे - मेट्टुपलायम से उदगमंडलम
- कोयबम्टूर की एक शाम और चेरान एक्सप्रेस
- महाबलीपुरम स्मारक और शोर मंदिर
- तमिलनाडु एक्सप्रेस - चेन्नई सेंट्रल से आगरा छावनी
LAST PART:-
🙏
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