तमिलनाडू की ऐतिहासिक धरा पर …. भाग - 6
तिरुमयम किला
3 JAN 2023
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अब वक़्त हो चला था त्रिची से आगे बढ़ने का और उस मंजिल पर पहुँचने का जिसके लिए विशेषतौर पर, मैं इस यात्रा पर आया था। यह वह स्थान था जहाँ आठवीं शताब्दी में चोल वंश के प्रथम सम्राट विजयालय ने नारतामलै नामक स्थान पर चोलेश्वर शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। सम्राट विजयालय के शासनकाल में पूर्णतः द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर चोलकालीन सभ्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
नारतामलै, त्रिची से दक्षिण दिशा की तरफ तीस किमी दूर स्थित है। इस स्थान तक पहुँचने के लिए रेलमार्ग और सड़कमार्ग दोनों ही सुगम हैं।
मैंने अपनी यात्रा के लिए रेलमार्ग को चुना और सुबह होटल से नहाधोकर चेकआउट करने के बाद, मैं त्रिची रेलवे स्टेशन पहुंचा। हालांकि इससे पूर्व मेरा एक और प्लान था कि मैं रेंट पर बाइक लेकर, उससे सभी चुनिंदा ऐतिहासिक स्थलों को देखकर शाम तक त्रिची वापस आ जाता किन्तु रेंट पर मिलने वाली कोई बाइक मुझे यहाँ नहीं दिखी और फिर मैंने रेलमार्ग द्वारा ही अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया।
त्रिची शहर का रेलवे स्टेशन तिरुचिरापल्ली जंक्शन के नाम से है और यह दक्षिण रेलवे का मुख्य जंक्शन पॉइंट होने के साथ साथ रेल डिवीज़न भी है। स्टेशन काफी साफ़ सुथरा और बड़ा है। स्टेशन पर यात्रियों के लिए सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। स्टेशन के बाहर बने क्लॉकरूम में अपना बैग जमा करने के बाद मैंने डीएमयू की टिकट ली और ट्रैन में अपना स्थान ग्रहण किया।
यह डीएमयू ट्रेन लोकल पैसेंजर है जो त्रिची से पुडुकोट्टई होते हुए, करईकुडी तक जाती है। ट्रेन खुलने में अभी समय था, तब तक मैंने ट्रेन में बैठे बैठे ही चाय और बड़े का नाश्ता कर लिया। ठीक सुबह दस बजे ट्रैन अपने गंतव्य को रवाना हो चली।
रास्ते के नज़ारे बेहद शानदार थे, इसी रेलमार्ग पर नारतामलै का रेलवे स्टेशन भी आता है जो अब प्रयोग में नहीं है, इसीलिए यहाँ अब किसी ट्रेन का ठहराव नहीं है। हमारी डीएमयू भी यहाँ नहीं रुकी और काफी तेजी के साथ इस स्टेशन को पार कर गई। अगला स्टेशन पुडुकोट्टई नगर था जो मेरी आज की यात्रा का मुख्य केंद्र भी था, इससे आगे तिरुमयम नामक स्टेशन है जहाँ एक पहाड़ी पर शानदार किला बना हुआ है। मुझे पहले इसी किले को देखने जाना था इसलिए मैं तिरुमयम स्टेशन पर उतरा। यह काफी छोटा और शानदार रेलवे स्टेशन था।
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स्टेशन के बाहर बानी रेलवे कॉलोनी को देखकर मुझे अपने बचपन के दिन याद आ गए जब हम भी ऐसी ही रेलवे कॉलोनी में रहा करते थे। एक कटहल के पेड़ को देखकर मन और खुश हो गया क्योंकि अमरकंटक यात्रा के बाद मैंने आज कटहल का पेड़ देखा था जिसपर कटहलें लगी हुई थीं। स्टेशन से पैदल पैदल ही मैं किले की तरफ रवाना हो चला जिसकी दुरी लगभग एक किमी थी।
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किले की तलहटी में एक प्राचीन मंदिर है जो द्रविड़ शैली में बना हुआ है। मंदिर की कलात्मक संरचना बेहद ही शानदार है इसलिए मैंने कैमरे से फोटो भी लिए और मंदिर के ठीक ऊपर एक विशाल चट्टान पर निर्मित तिरुमयम किला की प्राचीरें इसे और आकर्षक बना रही थी। दक्षिण भारत में विशेष तौर पर मंदिर के साथ साथ जल कुंडों का भी निर्माण किया जाता है और ये जलकुंड भी मंदिर से कम आकर्षक नहीं होते। मंदिर के कपाट अभी बंद थे, इसलिए मैं किले की तरफ बढ़ चला।
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तिरुमयम एक छोटा सा गांव था और एक विशाल चट्टान के किनारे स्थित था। सत्रहवीं शताब्दी में रामनाथपुरम के सेतुपति विजय रघुनाथदेवन ने इस चट्टान के चारोंओर किलेबंदी की थी और इस किले का निर्माण किया। किले का महत्त्व तब चर्चा में आया जब ब्रिटिशकाल के दौरान इस किले को पॉलीगर युद्धों के सरदारों ने अपने नियंत्रण में ले लिया। इसी किले से स्वतंत्रता सैनानी कट्टाबोम्मन के भाई ओमथुराई को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया था।
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वर्तमान में यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है और किले को देखने के लिए टिकट लेना अनिवार्य है। मेरी हिंदी भाषा को सुनकर, टिकटबाबू ने मुझसे मेरा आधारकार्ड माँगा और मुझे कैमरे की टिकट लेने के लिए कहा जोकि 25/- रूपये की थी। मजबूरी वश मैंने टिकट ले ली किन्तु किले के अंदर जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि इस किले में कैमरे की टिकट लेना व्यर्थ था क्योंकि यहाँ कुछ भी ऐसा खास नहीं था जिसके लिए कैमरे का प्रयोग हो।
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किले के अंदर सिर्फ चट्टान हैं और दो चट्टानी गुफा मंदिर हैं जो क्रमश भगवान शिव और विष्णु को समर्पित हैं। किले के सबसे ऊपरी भाग पर एक पत्थरों से निर्मित चबूतरा है जिसपर ब्रिटिशकालीन तोप रखी हुई है। परन्तु यहाँ से चारों ओर का नजारा देखने में बहुत खूबसूरत लगता है। किले में चट्टान में गुफा मंदिर के अलावा और भी गुप्त रास्ते हैं जो कहाँ जाते है यह अज्ञात है।
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थोड़ी देर किला घूमने के बाद मैं पैदल ही राजमार्ग की तरफ चल पड़ा जहाँ से मुझे बस पकड़कर नारतामलै के लिए प्रस्थान करना था। रास्ते के दोनोंओर लगे नारियल के वृक्ष, रास्ते की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे। मैं सड़क के किनारे उपजी हरीघास पर चल रहा था जिसे मैंने गौर से देखा तो पाया मौसम के अनुसार इस घास पर लाल रंग के छोटे छोटे फूल भी खिल रहे थे। आज का वातावरण बहुत सुन्दर था जिसने मेरी यात्रा को और भी आनंददायक बना दिया था।
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ट्रेन में से नारतामलै का एक दृश्य |
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नारतामलै स्टेशन |
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NARTAMALAI RAILWAY STATION |
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REACHED AT TIRUMAYAM |
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TIRUMAYAM RAILWAY STATION |
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TIRUMAYAM RAILWAY STATION |
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रेलवे रोड, तिरुमयम |
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रेलवे कॉलोनी, तिरुमयम |
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कटहल का पेड़ |
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तिरुमयम किले की तरफ |
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FIRST VIEW OF TIRUMAYAM FORT |
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A LAKE |
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ANCIENT BUILDING |
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A WALL OF TIRUMAYAM FORT |
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A VIEW OF TIRUMAYAM FORT |
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TIRUMAYAM FORT |
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shiv temple |
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TIRUMAYAM FORT |
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TIRUMAYAM FORT |
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TIRUMAYAM FORT |
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TIRUMAYAM FORT |
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TIRUMAYAM FORT |
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TIRUMAYAM FORT |
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WAY TI TRICHI |
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TRICHI HIGHWAY |
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THANKS FOR VISIT |
🙏
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