कालाढूंगी और नैनीताल की ओर बाइक यात्रा
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बाजपुर से निकलने के बाद जंगली रास्ता शुरू हो जाता है, सड़क के दोनों ओर बड़े बड़े पेड़ों का घना जंगल है। काफी दूर तक यह जंगल हमारे साथ रहा। अगर हम रामनगर की तरफ जाते तो जिम कार्बेट नेशनल पार्क अवश्य जाते, मेरी बड़ी तमन्ना थी कि मैं यह पार्क देखूँ, परन्तु इस बार मंजिल कल्पना ने तय की थी और मुझे उसे उसी मंजिल पर ले जाना था इसलिए हमारी गाड़ी नैनीताल की ही और दौड़ रही थी।
जिम कार्बेट एक बहुत बड़े शिकारी थे जिन्होंने इस क्षेत्र में कई बाघों को देखा था और उनके ऊपर अनेकों पुस्तकें भी लिखी हैं। हम कालाढूंगी पहुँच चुके थे, यहाँ से एक रास्ता रामनगर की तरफ भी जाता है और दूसरा नैनीताल की ओर। मुझे बाद में पता चला कि कालाढूंगी में जिम कार्बेट का घर भी था जिसे मैं नहीं देख पाया।
अन्यथा यह तो हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात थी कि इतिहास के इतने महान शिकारी और लेखक का घर हमने देखा हो परन्तु कोई बात नहीं अगली बार जब कभी यहाँ आना होगा तो अवश्य देखेंगे।
हलकी हलकी धुप अब गुनगुनाने लगी थी, यहाँ आकर मौसम अब ऐसा लगने लगा था जैसा की सर्दियों में दिखलाई पड़ता है। हरे भरे पेड़ पौधों के बीच यहाँ के घर और सड़कें देखने में अत्यंत ही रोचक लगते हैं। एक ताज शेविंग वाले के यहाँ मैंने अपनी शेविंग कराई और एक दूकान से चाय पीकर हम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चले थे। यहाँ से अब घाटों के रास्ते शुरू हो चुके थे, और हम पहाड़ों में ऊपर की तरफ चढ़ते ही जा रहे थे।
कई स्थानों पर मुझे बाइक पहले और दुसरे गेयर में भी चलानी पड़ी, क्योंकि मेरी बाइक ने अब तक मैदानी रास्ता तय किया था, पहाड़ी रास्ते पर चलना उसके लिए नई बात थी और इन रास्तों पर चलने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी फिर भी मैंने बड़े हिसाब से उसके द्वारा नैनीताल की यात्रा को पूरा किया। गोल घुमावदार और टेढ़े मेढ़े रास्तों पर पहली बाइक चलाना मेरे लिए किसी एडवेंचर से कम नहीं था। कुछ ही समय बाद मैं एक ऐसे स्थान पर पहुंचा जिसका दृश्य मैंने अपनी उत्तराखंड दर्शन की किताब में देखा था।
यहीं मैंने अपना कैमरा पहली बार निकाला और उससे यात्रा के दौरान पहला फोटो कल्पना का खींचा और उसके बाद एक भुट्टे की दुकान के पास बाइक खड़ी करके और कल्पना को वहीँ बैठकर मैं उस दृश्य के फोटो खींचने निकल पड़ा। पहाड़ों से ऊपर उठते हुए बादलों को देखकर और उनके फोटो खींचकर सच में इस बाइक यात्रा की सारी थकान कहाँ गायब हो गई पता ही नहीं चला।
अभी हमें और भी आगे जाना था क्योंकि नैनीताल अभी दूर था इसलिए हम यहाँ ज्यादा न गँवाकर आगे की तरफ बढ़ चले। रास्ते के साथ अब ऊंचाई और भी बढ़ने लगी थी, मेरी बाइक ने अभी तक मैदानी सफर ही किया था, पहाड़ी रास्तों के लिए वो तैयार नहीं थी इसलिए थोड़ी बहुत प्रॉब्लम मुझे उस वक़्त आई जब नैनीताल जाने के लिए जहाँ खड़ी चढ़ाई आ गई और बमुश्किल हमने इस चढ़ाई को पार किया। एक्टिवा और डिस्कवर जैसी अन्य बाइक आज मेरी एवेंजर को पीछे छोड़ रही थी क्योंकि ये बाइकें यहाँ के प्रतिदिन के अभ्यास में हैं और मेरी बाइक के लिए ये रास्ता एकदम से नया था।
अगली यात्रा - नैनीताल की सैर
यहीं मैंने अपना कैमरा पहली बार निकाला और उससे यात्रा के दौरान पहला फोटो कल्पना का खींचा और उसके बाद एक भुट्टे की दुकान के पास बाइक खड़ी करके और कल्पना को वहीँ बैठकर मैं उस दृश्य के फोटो खींचने निकल पड़ा। पहाड़ों से ऊपर उठते हुए बादलों को देखकर और उनके फोटो खींचकर सच में इस बाइक यात्रा की सारी थकान कहाँ गायब हो गई पता ही नहीं चला।
अभी हमें और भी आगे जाना था क्योंकि नैनीताल अभी दूर था इसलिए हम यहाँ ज्यादा न गँवाकर आगे की तरफ बढ़ चले। रास्ते के साथ अब ऊंचाई और भी बढ़ने लगी थी, मेरी बाइक ने अभी तक मैदानी सफर ही किया था, पहाड़ी रास्तों के लिए वो तैयार नहीं थी इसलिए थोड़ी बहुत प्रॉब्लम मुझे उस वक़्त आई जब नैनीताल जाने के लिए जहाँ खड़ी चढ़ाई आ गई और बमुश्किल हमने इस चढ़ाई को पार किया। एक्टिवा और डिस्कवर जैसी अन्य बाइक आज मेरी एवेंजर को पीछे छोड़ रही थी क्योंकि ये बाइकें यहाँ के प्रतिदिन के अभ्यास में हैं और मेरी बाइक के लिए ये रास्ता एकदम से नया था।
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कालाढूंगी की तरफ |
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नैनीताल रोड |
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कालाढूंगी |
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नैनीताल रोड |
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उत्तराखंड के खेत |
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पर्वतीय मार्ग शुरू |
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नैनीताल यात्रा |
पर्वतीय मार्ग, नैनीताल |
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मेरी बाइक |
बाइक और वाइफ एक साथ |
पहाड़ों पर उठते हुए बादल |
दूर दिखाई देती एक झील |
अगली यात्रा - नैनीताल की सैर
नैनीताल यात्रा के अन्य भाग
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