अकोला रेलवे स्टेशन पर एक सुबह
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मैं रात को गोंदिया से 12812 हटिया - मुंबई एक्सप्रेस में बैठा और सुबह चार बजे अकोला पहुँच गया। ट्रेन से उतरा तो ठण्ड सी लगने लगी, सीधे चाय की स्टाल पर गया। चाय पीते पीते मेरी नजर एक तेंदुए पर पड़ी। एक बार को तो मुझे लगा कि असली है पर उसके आसपास लगी रेलिंग देखकर मैं समझ गया यह एक तेंदुएं का बुत है जो काटेपूर्णा सेंचुरी में पर्यटकों को स्वागत पर बुलाता है। देखने में एकदम असली लगने वाले इस बुत को मैं देखता ही रहा और जब मन भर गया तो आगे चल पड़ा। स्टेशन की दीवारों पर मेलघाट टाइगर रिज़र्व के शानदार चित्र बने हुए हैं, इन्हें देखने पर एक बार को तो यही लगता है कि हम रेलवे स्टेशन पर नहीं बल्कि मेलघाट के जंगलों में हैं।
हटिया एक्सप्रेस अब मुंबई के लिए प्रस्थान कर चुकी है। अब मुझे इंतजार था मुर्तिजापुर जाने वाली ट्रेन का, इसलिए मैं प्लेटफॉर्म 2 पर पहुँचा। इस समय इस प्लेटफॉर्म पर विदर्भ एक्सप्रेस आ रही थी जिससे मैं नहीं गया। मुझे अकोला का रेलवे स्टेशन पूरा घूमना था, इसलिए इसके मीटरगेज के प्लेटफार्म पर गया जो अब बंद हो चुका है परन्तु मीटरगेज लाइन के अवशेष यहाँ आज भी देखे जा सकते हैं। शुरुआती समय में अकोला मीटरगेज और ब्रॉड गेज का मुख्य जंक्शन था, मीटरगेज की लाइन दिल्ली से चलकर जयपुर, अजमेर, इंदौर और खंडवा होते हुए अकोला आती थी और यहाँ से पूर्णा और आगे हैदराबाद तक जाती थी।
मैं एक बार खंडवा से अकोला की मीटर गेज यात्रा करना चाहता था परन्तु जब यात्रा का समय आया तब तक ये लाइन 'गेज परिवर्तन' के लिए बंद हो गई और आज भी बंद ही है। मीटर गेज के प्लेटफॉर्म आज भी ऐसे बने है जिन्हे देखकर लगता है कि जैसे सचमुच यहाँ मीटरगेज की कोई ट्रेन आने वाली है ? लगता ही नहीं है कि यहाँ से अब कोई ट्रेन नहीं जाती और न ही कोई ट्रेन अब यहाँ आती।
मैं एक बार खंडवा से अकोला की मीटर गेज यात्रा करना चाहता था परन्तु जब यात्रा का समय आया तब तक ये लाइन 'गेज परिवर्तन' के लिए बंद हो गई और आज भी बंद ही है। मीटर गेज के प्लेटफॉर्म आज भी ऐसे बने है जिन्हे देखकर लगता है कि जैसे सचमुच यहाँ मीटरगेज की कोई ट्रेन आने वाली है ? लगता ही नहीं है कि यहाँ से अब कोई ट्रेन नहीं जाती और न ही कोई ट्रेन अब यहाँ आती।
पूरा प्लेटफॉर्म घूमने के बाद मैं 2 नंबर पर पहुँचा। अब दिन भी निकल आया था 12111 मुंबई - अमरावती एक्सप्रेस मुर्तिजापुर के लिए आने ही वाली है। जब तक मैंने सोचा कि मोबाइल में मुर्तिजापुर से अचलपुर जाने वाली नैरो गेज की ट्रेन का टाइम चेक कर लूँ, समय से चल रही है या कुछ लेट। इस ट्रेन के टाइम का कोई उल्लेख मोबाइल में नहीं था। मुझे लगा कि कहीं इस ट्रेन का संचालन रेलवे ने बंद तो नहीं कर दिया, मैंने एक दो लोगों से इस बारे में जानकारी की, परन्तु मुझे संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अमरावती एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म पर आ चुकी है और इसके जनरल कोच की खाली पड़ी सीट पर मैंने स्थान ग्रहण किया। अब भी मन में यही सवाल था कि अचलपुर जाने के लिए ट्रेन मिलेगी कि नहीं और जो दूसरा सवाल मन में था वो ये था कि क्यों ना इसी ट्रेन से अमरावती तक जाया जाये और वहाँ से अचलपुर बस द्वारा पहुंचा जाये। जल्द इसका फैसला मैंने मुर्तिजापुर पहुंचकर ले लिया।
अकोला रेलवे स्टेशन |
मेरी ट्रेन जिसने मुझे अकोला छोड़ा |
अकोला स्टेशन पर ट्रैन से उतरते ही दिखाई देने वाला एक शख्स |
ये तो एक बुत है |
मेलघाट में आपका स्वागत है |
मीटरगेज प्लेटफॉर्म - अकोला जंक्शन |
इस यात्रा के अन्य भाग निम्न प्रकार हैं -
- मथुरा से नागपुर और नागभीड़ रेल यात्रा
- नागभीड़ से गोंदिया पैसेंजर रेल यात्रा
- अचलपुर या एलिचपुर किला
- अचलपुर रेलवे स्टेशन
- शकुंतला रेलवे की एक यात्रा - अचलपुर से मुर्तिजापुर
- पाचोरा जंक्शन पर एक रात
- पाचोरा से जामनेर नेरोगेज रेल यात्रा
- भुसावल जंक्शन और गोवा एक्सप्रेस
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