भुसावल जंक्शन और गोवा एक्सप्रेस
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मैं जामनेर से मारुती ओमनी वन से भुसावल पहुँचा। इस वक़्त दोपहर के बारह बजे हुए थे और मेरी वापसी की ट्रेन गोवा एक्सप्रेस जिसमे मैंने तत्काल में रिजर्वेशन कराया था 1 घंटे बाद आने वाली थी। वैन वाले ने मुझे स्टेशन के नजदीक ही उतारा था और यहीं स्टेशन के बराबर में बस स्टैंड भी था। मैं जब रेलवे स्टेशन के सामने पहुँचा तो मेरी नजर अपने देश के लहराते हुए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगें पर पड़ी, बिना देर किये मेरा हाथ अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने के लिए उठ गया और मन एक बार फिर प्रसन्न हो गया। मेरा जूता आगे से काफी उधड़ चुका था इसलिए एक मोची की दुकान पर अपने जूतों की सिलाई कराइ 40 मिनट बर्बाद हुए।
अब ट्रेन आने में मात्र 20 मिनट ही बचे थे जबकि मुझे अभी नहा धोकर तैयार भी होना था क्योंकि मैं कल अमरावती में ही नहाया था, महाराष्ट्र की इस भीषण गर्मी में बिना नहाये हुए 24 घंटे से भी ऊपर हो चुके थे। मैं सीधे स्टेशन पर बने वेटिंग रूम में गया और नहा धोकर तैयार होने ही वाला था कि तभी एनाउंस हुआ कि गोवा एक्सप्रेस 4 नंबर प्लेटफॉर्म पर आ चुकी है। मैं बिना बेल्ट बांधे ही और बिना बैग तैयार किये सीधे 4 नंबर प्लेटफोर्म पर पहुँचा। ट्रेन अपने निर्धारित समय पर स्टेशन पर पहुँच चुकी थी। मेरा रिजर्वेशन एस 8 कोच में था। सीट पर पहुंचकर मैं पूर्ण रूप से तैयार हुआ और स्वयं को तरोताजा महसूस किया।
भुसावल ताप्ती नदी के किनारे स्थित है। भुसावल से निकलते ही ताप्ती नदी का पुल पड़ा जिसके किनारे एक बड़ी फैक्ट्री मुझे यहाँ देखने को मिली शायद कोई थर्मल प्लांट था। बुरहानपुर, खंडवा,इटारसी और होशियारपुर निकलकर नर्मदा पार की और इसके शुरू हुआ इस रेल यात्रा का रोमांचक सफर, जब ट्रेन गोल घूमती हुई विंध्य के पहाड़ों को पार करती हुई भोपाल पहुँची। भोपाल तक पहुँचने में रात हो चुकी थी और यहीं मैं खाना खाकर सो गया। सुबह जब आँख खुली तो देखा ट्रेन किसी स्टेशन पर खड़ी हुई थी और बाहर बरसात भी हो रही थी। मैंने ट्रेन से उतरकर देखा तो ये बाद स्टेशन था, वो स्टेशन जहाँ मेरी ऑफिस थी।
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जामनेर में एक बारात |
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राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भुसावल जंक्शन |
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भुसावल रेलवे स्टेशन |
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थर्मल प्लांट, भुसावल |
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ताप्ती नदी |
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इटारसी रेलवे स्टेशन |
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इटारसी में एक मंदिर |
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बाद रेलवे स्टेशन |
इस यात्रा के अन्य भाग निम्न प्रकार हैं -
धन्यवाद
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