पाचोरा से जामनेर नैरोगेज रेल यात्रा
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मच्छरों की वजह से रात भर सो नहीं सका इसलिए सुबह भी जल्द ही उठ गया और रेलवे पुल से उतर कर स्टेशन के बाहर आया। चाय वालों ने अपनी अपनी दुकानें खोल लीं थी और चाय की महक आसपास के वातावरण में इसकदर फैला दी थी कि कभी चाय ना पीने वाला इंसान भी उस महक को सूँघकर एकबार चाय पीने अवश्य आये। मैं तो प्रतिदिन सुबह की चाय पीता हूँ तो इस महक के साथ मैं भी खिंचा चला गया एक चाय की दुकान पर और देखा आजकल 1 घूँट वाले कप बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें चाय की कीमत 7 रूपये तो लाजमी है कहीं गलती से आपने कह दिया कि एक कप स्पेशल चाय, तो इसी कप की कीमत सीधे दस रूपये पर पहुँच जाती है।
बाजार अभी खुला ही था, झेलम एक्सप्रेस कुछ ही समय में पुणे जाने के लिए आने वाली है और एक अख़बार वाला अपने अख़बार की ताजा खबर को सुनाते हुए अख़बार बेच रहा है। दैनिक यात्रियों का स्टेशन पर आना शुरू हो चुका है और तभी मुझे याद आया की अब जामनेर की तरफ जाना है। ट्रेन अभी प्लेटफॉर्म पर लगी नहीं थी यार्ड में ही खड़ी थी। मैं टिकटघर पहुँचा तो जामनेर की एक टिकट ली। टिकट मिलते ही कन्फर्म हो गया की आज जामनेर जाना ही है और महाराष्ट्र की शेष बची इस नेरोगेज में आज अपनी भी यात्रा हो जाएगी। मैं गूगल मैप चेक कर रहा था तो उसमे मुझे दिखा कि अजन्ता की प्रसिद्द गुफाएँ यहीं पास में ही थी। अजंता की गुफाओं के के सबसे नजदीक स्टेशन पहुर है जो पाचोरा से जामनेर वाली रेलवे लाइन पर है।
अब जब अजंता इतना करीब देखा तो मेरा मन वहां जाने के लिए व्याकुल होने लगा परन्तु इस मन अंकुश लगाना ही पड़ेगा अन्यथा अजंता क्या जामनेर तक की ये रेल यात्रा भी अधूरी ही रह जानी थी, जिस मंजिल कदम बढे तो वो उसी मंजिल पर रुकने चाहिए नाकि कहीं और। कुछ ही समय में ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लग चुकी थी और जामनेर जाने के तैयार थी। अधिकतर सवारियां इसी ट्रैन की प्रतीक्षा कर रही थी और ट्रैन आते ही सबने अपना अपना स्थान ग्रहण कर लिया। सुबह के 8 बजते ही यह छोटी सी ट्रैन अपने छोटे से सफर के लिए रवाना हो चली। यहाँ भी अधिकतर वही कपास के खेत और मक्के की खेती ही देखने को मिली।
बरखेड़ी और पिंपलगांव बाद शेन्दुर्णी नामक बड़ा स्टेशन आया। इसके बाद पहुर पहुंचे जहाँ से अजंता की गुफाओं के लिए रास्ता जाता है। गर आप जलगाँव या अजंता की गुफाओं के लिए जाते हैं तो आप पहुर होकर ही जायेंगे। ट्रेन में से दूर एक पहाड़ों की श्रृंखला दिखाई देती है यही अजंता की श्रृंखला है जिसमे कहीं अजंता की गुफाएँ छिपी हुई हैं। पहुर के बाद ट्रेन भागदरा होते हुए जामनेर पहुँची।
यह स्टेशन इस लाइन का आखिरी स्टेशन है और यहीं मेरी यह नेरोगेज यात्रा समाप्त हो गई। स्टेशन से बाहर निकलकर मैं जामनेर शहर में पहुँचा और भुसावल जाने वाली बस की प्रतीक्षा करने लगा। यहाँ धूप इतनी तेज थी जितनी हमारे उत्तर भारत में मई जून मौसम में होती है। मुझे एक बजे से पहले भुसावल पहुँचना ही था इसलिए जब काफी देर तक कोई बस नहीं आई तो मारुती की ओमनी वन से ही मैं भुसावल के लिए रवाना हो गया।
यह स्टेशन इस लाइन का आखिरी स्टेशन है और यहीं मेरी यह नेरोगेज यात्रा समाप्त हो गई। स्टेशन से बाहर निकलकर मैं जामनेर शहर में पहुँचा और भुसावल जाने वाली बस की प्रतीक्षा करने लगा। यहाँ धूप इतनी तेज थी जितनी हमारे उत्तर भारत में मई जून मौसम में होती है। मुझे एक बजे से पहले भुसावल पहुँचना ही था इसलिए जब काफी देर तक कोई बस नहीं आई तो मारुती की ओमनी वन से ही मैं भुसावल के लिए रवाना हो गया।
JAMNER PASSENGER ON PACHORA JN. |
PACHORA RAILWAY STATION |
VARKHEDI RAILWAY STATION |
VARKHEDI RAILWAY STATION |
VARKHEDI VILLAGE |
PIMPLEGAON RAILWAY STATION |
SHENDURNI RAILWAY STATION |
SHENDURNI RAILWAY STATION |
ZDM 203 ON SHENDURNI |
SUDHIR UPADHYAY WITH ZDM 203 |
PAHUR RAILWAY STATION |
Add caption |
PACHORA TO JAMNER RAILWAY TRIP |
BHAGDARA RAILWAY STATION |
JAMNER RAILWAY STATION |
JAMNER RAILWAY STATION |
SUDHIR UPADHYAY ON JAMNER |
JAMNER |
JAMNER |
LAST POINT JAMNER |
THE END |
इस यात्रा के अन्य भाग निम्न प्रकार हैं -
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