Saturday, March 2, 2019

Achalpur Fort



अचलपुर किला 


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     मैं अमरावती से अचलपुर के लिए बस द्वारा रवाना हो चुका था और इस बस ने मात्र एक घंटे में मुझे अचलपुर पहुँचा दिया। अचलपुर, महाराष्ट्र के विदर्भ प्रान्त में अमरावती से 50 किमी उत्तर दिशा में स्थित है। यह एक प्राचीन शहर है जो एक किले के परकोटे के अंदर बसा हुआ है, ब्रिटिश कालीन समय में अंग्रेज़ इसे एलिचपुर कहा करते थे जो कालांतर में अचलपुर कहलाता है। अचलपुर से 5 किमी दूर परतपाड़ा इसका जुड़वाँ शहर है जो अमरावती से चिकलधरा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, यहाँ से सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखला भी दिखाई देने लगती है जिसपर मेलघाट के जंगल और मध्य प्रदेश की सीमा स्थित है। बस ने मुझे अचलपुर के मुख्य चौराहे पर छोड़ दिया और वापस अमरावती जाने के लिए खड़ी हो गई। मुझे यहाँ से रेलवे स्टेशन जाना था परन्तु उससे पहले मैं यहाँ स्थित किला देखना चाहता था। 


     सपन नदी पार करके मैं ऊँचे टीले पर बसे पुराने अचलपुर की तरफ चल दिया जो किले के परकोटे में स्थित था, यहाँ मुझे कोई किला नजर नहीं आया तो मैंने यहाँ के स्थानीय निवासियों से किले के बारे में जानकारी की तो यहाँ के स्थानीय निवासियों ने मुझे बताया कि यही तो किला है, हमारे घर किले के अंदर ही तो बने हैं परन्तु यहाँ कोई ऐतिहासिक अवशेष दिखाई ना देने के कारण मेरा मन निराश हो गया और मैं वापस सड़क की तरफ आ गया। शायद मैं आज अचलपुर में एक अकेला पर्यटक था जो अचलपुर घूमने इतनी दूर से यहाँ आया था परन्तु किले को ना देखपाने के मलाल को लेकर अब रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ चला जहाँ मुझे नहीं पता था कि कोई ट्रेन वहां देखने को मिलेगी या नहीं। 

       मैं जब चलते चलते थक गया तो मैंने रेलवे स्टेशन जाने के लिए एक ऑटो किया जो 30 रुपये में मुझे रेलवे स्टेशन ले जाने के लिए तैयार हो गया। जब उसे पता चला कि मैं यहाँ इतनी दूर घूमने के लिए उसके अचलपुर को देखने आया हूँ तो वह बहुत खुश हुआ और उसने मेरी सारी निराशाओं को दूर कर दिया। रेलवे स्टेशन अचलपुर से परतपाड़ा जाने वाले मार्ग पर स्थित है परन्तु उससे पहले मुझे देखने को मिला अचलपुर किले का प्रवेश द्धार जो दूल्हा गेट के नाम से जाना जाता है और इस गेट को पार करते हो अचलपुर किले की विशाल दीवार अब मेरी आँखों के सामने थी। अब मुझे समझ आया कि परतपाड़ा से अचलपुर आने पर ही हमें एहसास होता है कि हम अचलपुर किले में प्रवेश कर रहे हैं जो किसी समय एक विख्यात और समृद्ध नगर था। 

      13 वीं शताब्दी में अचलपुर दक्कन प्रान्त का प्रमुख शहर था जो दिल्ली सल्तनत के शासकों के अधीन था। दिल्ली के सुल्तान बनने से पूर्व अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी दक्षिण भारत विजय अभियान के दौरान अचलपुर में अपने सैन्य शिविर स्थापित किये और इसे बरार प्रान्त के बहमनी शासकों से जीतकर दिल्ली सल्तनत का एक हिस्सा बनाया। अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के पश्चात बरार के शासक फतुल्ला इमाद उल मुल्क ने अपने राज्य की स्वतंत्रता की घोषणा की और एलिचपुर को अपनी नई राजधानी बनाया। उसने नगर के चारों तरफ विशाल दीवार का निर्माण कराया और अचलपुर नगर को सुरक्षित किया। 

       दिल्ली में मुग़ल साम्राज्य स्थापित होने के बाद अचलपुर मुगलों के अधीन आ गया और 18 वीं शताब्दी तक अचलपुर पर मुगलों शासन स्थापित रहा। 18 वीं शताब्दी में मुगलों की शक्ति क्षीण होने के बाद यह हैदराबाद के निजामों के अधीन हो गया। भारत में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद बरार प्रान्त ब्रिटिश शासन के अधीन  किन्तु अचलपुर 19 वीं शताब्दी के शुरुआत तक हैदराबाद राज्य का हिस्सा बना रहा और हैदराबाद पर ब्रिटिश हुकूमत प्रारम्भ होने के बाद अचलपुर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया जिन्होंने इसे एक नया नाम दिया एलिचपुर। 

      किले को देखने के बाद ऑटो वाला भाई मुझे यहाँ स्थित प्रसिद्ध दरगाह दिखाने ले गया जो अचलपुर से परतपाड़ा मार्ग पर ही स्थित थी, यह एक विशाल दरगाह है जिसे दूल्हा शाह रहमान गाजी के दरगाह के नाम से जाता है। शाह दूल्हा रहमान गाजी, महमूद ग़जनवी के नाना थे जो उसके साथ यहाँ आये थे और अचलपुर में ही बस गए। उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें यहाँ दफ़न कर दिया गया और उनकी यह मज़ार एक दरगाह के रूप में स्थित है। माना जाता है कि सम्राट अकबर अपनी दक्कन विजय यात्रा के दौरान कई बार यहाँ आये और इस  दरगाह में खुदा की इबादत की। आज भी यहाँ उर्स का भव्य आयोजन होता है और उस दिन कव्वालियाँ और विशाल मेला यहाँ देखने को मिलता है।

       अचलपुर में मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय का प्रभुत्व है, यहाँ हमेशा से ही मुसलमानों का राज्य कायम रहा है इसलिए यहाँ मुस्लिम लोगों की संख्या अधिक है। यहाँ बने किले में भी इस्लामिक शैली का अनुशरण होता है। अचलपुर ईदगाह और दरगाह यहाँ के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। इस ऐतिहासिक शहर को देखने के बाद ,मैं इस शहर के ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन को देखने निकल पड़ा। 

गाँधी पुल चौक, अचलपुर 

दूल्हागेट, अचलपुर  

अचलपुर किला 


अचलपुर किला और सुधीर उपाध्याय 

किला अचलपुर 

अचलपुर किला 

अचलपुर फोर्ट, महाराष्ट्र  

अचलपुर किला 

ऑटो में पेट्रोल डालता ऑटो वाला भाई 

एलिचपुर के अवशेष 

अचलपुर 

दरगाह का रास्ता 

पुराने मकबरे, अचलपुर 

दरगाह गाजी दूल्हा रहमान शाह 

दरगाह रहमान शाह गाजी दूल्हा 

क़व्वाली स्थल, अचलपुर  

पुराना एलिचपुर 

एलिचपुर अवशेष 
     अगला भाग - अचलपुर रेलवे स्टेशन

इस यात्रा के अन्य भाग निम्न प्रकार हैं -

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